जब किसी व्यक्ति को पीलिया होता है तो लक्षणों के तौर पर आंखें और त्वचा दोनों का रंग पीला पड़ जाता है. वहीं शिशुओं की बात की जाए तो जन्म के दौरान ज्यादातर बच्चे इस समस्या का शिकार हो जाते हैं. हालांकि यह समस्या एक-दो हफ्ते के अंदर ठीक भी हो जाती है. लेकिन कई बार जॉन्डिस की समस्या शिशुओं के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि नवजात शिशु में पीलिया कब खतरनाक रूप ले सकता है. इस लेख में नवजात शिशु में पीलिया के लक्षणों के साथ जॉन्डिस के जोखिम के बारे में भी जानेंगे.
नवजात शिशु में पीलिया कितना आम है?
बता दें कि जब नवजात शिशु में पीलिया की समस्या बेहद आम और मामूली होती है। आंकड़ों के अनुसार-
- 20 में से एक शिशु को इसके इलाज की जरूरत पड़ती है बाकी खुद सही हो जाते हैं.
- 10 शिशु में से 6 बच्चे जॉन्डिस की समस्या का शिकार होते हैं. वहीं 10 में से 8 बच्चे जोकि समय से पहले जन्म ले लेते हैं वे पीलिया की समस्या से ग्रस्त हो जाते हैं.
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नवजात शिशु में पीलिया कितना खतरनाक है?
जब नवजात शिशुओं में बिलीरुबिन का स्तर बढ़ने लगता है तो जॉन्डिस की समस्या होती है. नवजात शिशु के अंग बिलीरुबिन को खुद से कम नहीं कर पाते हैं क्योंकि अंगों का पूरी तरह से विकास नहीं होता है. यही कारण होता है कि जन्म के समय अधिकतर बच्चे पीलिया का शिकार हो जाते हैं. लेकिन जब बिलीरुबिन का स्तर शिशु के शरीर में कम नहीं होता तो ये जानलेवा हो सकता है. स्तर के बढ़ने पर बच्चे के मस्तिष्क की कुछ कोशिकाएं नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकती हैं. कुछ बच्चे इस समस्या के कारण अपने सुनने की क्षमता या मस्तिष्क विकारों से ग्रस्त भी हो सकते हैं.
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नवजात शिशु में पीलिया के लक्षण कब दिखाई देते हैं?
नवजात शिशु में पीलिया के लक्षण जन्म के 24 घंटे बाद तक नजर आ सकते हैं. वहीं जॉन्डिस तीसरे और चौथे दिन में बढ़कर 1 हफ्ते तक रह सकता है.
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पीलिया से ग्रस्त नवजात शिशु को धूप कैसे दें?
जिन बच्चों को पीलिया हो जाता है वे उन्हें सीधे धूप में नहीं ले जाना चाहिए. बल्कि आप खिड़की से आई धूप ऐसे बच्चों को दे सकते हैं.
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नवजात शिशु में पीलिया होने के लक्षण
- शिशु को भूख न लगना
- आंखों के सफेद हिस्से का पीला पड़ जाना
- शिशु का सुस्त हो जाना
- शिशु का तेज तेज रोना
- शिशु का 100 डिग्री से ज्यादा बुखार हो जाना
- शिशु को उल्टी होना
- शिशु के पेशाब का रंग पीला होना
- शिशु को दस्त हो जाना
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नवजात शिशु में पीलिया के जोखिम की जांच कैसे की जाती है?
बच्चे के शरीर में बिलीरुबिन के स्तर को मापने के लिए बिलीरुबिन टेस्ट किया जाता है, जो कि एक ब्लड टेस्ट होता है. इसी से डॉक्टर पता लगाते हैं कि क्या आपके बच्चे को उपचार की आवश्यकता है या नहीं. डॉक्टर के पास एक विशेष उपकरण भी होता है जो त्वचा में बिलीरुबिन को मापता है.
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