जन्म के छह महीने के बाद बच्चे के मुंह में दूध के दांत दिखाई देने लगते हैं, लेकिन कुछ दुर्लभ मामलों में बच्चे के जन्म के समय से ही एक या दो दांत हो सकते हैं। इस स्थिति को नेटल दांत या मेडिकल भाषा में 'नेटल टीथ' कहा जाता है।
यह ऐसे दांत होते हैं जो नवजात शिशु के मुंह में जन्म के समय या जन्म के पहले से मौजूद होते हैं। यह एक असामान्य स्थिति है, इसमें निचले जबड़े में सामने की तरफ दो दांत निकल आते हैं। अक्सर इन दांतों का रंग हल्का पीला-भूरा हो सकता है। वे आकार में बहुत छोटे और उनकी जड़ें कमजोर होती हैं।
ऐसे भी मामले देखने को मिले हैं, जहां जन्म के बाद पहले महीने के अंदर बच्चे के मुंह में छोटे दांत थे। जब बच्चे के जन्म के तीस दिनों के अंदर दांत दिखाई दें, तो ऐसी स्थिति को नियोनेटल दांत या नियोनेटल टीथ कहा जाता है। यह नेटल टीथ की तरह ही निचले जबड़े में सामने की तरफ निकलते हैं।
नेटल और नियोनेटल टीथ कमजोर व ढीले हो सकते हैं, क्योंकि इनमें जड़ें मजबूत नहीं होती हैं। ये दांत नवजात शिशु के मसूड़ों और जीभ को परेशान करते हैं। इसकी वजह से कई बार मसूड़े और जीभ में लालिमा या सूजन की समस्या हो सकती है। यह तालू (मुंह के अंदर का उपरी हिस्सा) और ऊपरी मसूड़ों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
नेटल और नियोनेटल टीथ वाले शिशुओं को अपनी मां के स्तन से दूध पीने में भी कठिनाई होती है। अक्सर ऐसे बच्चे पूरा दिन रोते हैं, क्योंकि इन दांतों की वजह से मसूड़ों में जलन और चोट पहुंचती है। इसके अलावा, स्तनपान कराते समय मां को भी चोट लग सकती है।
वैसे तो यह एक चिकित्सकीय स्थिति है, लेकिन देश में कहीं-कहीं अंधविश्वास के चलते इन्हें अच्छे भाग्य का संकेत माना जाता है। कुछ जगहों पर इन्हें गंभीर समस्या के रूप में देखा जाता है। वास्तव में, जो लोग इसे चिकित्सकीय समस्या नहीं मानते हैं उनके पास इस स्थिति को लेकर कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।
यदि उपचार की बात की जाए तो दांत के डॉक्टर और बाल रोग विशेषज्ञ मिलकर उपचार योजना तैयार करते हैं और माता-पिता को इलाज की जटिलताओं के बारे में बताते हैं।
यदि दांत बहुत ढीले हैं, तो यह नवजात शिशु के लिए एक खतरनाक हो सकता है। ऐसे में इन दांतों को निकाल देना ही उचित समझा जाता है।
आमतौर पर यह दूध के दांत होते हैं जो जल्दी निकल आते हैं, इन्हें निकालने का मतलब है कि प्रभावित बच्चे को बचपन में जल्दी दांत टूटने का जोखिम रहेगा।