आपने भी यह महसूस किया होगा ना कि जब आपको सर्दी होती है तो नाक में संकुचन की वजह से नाक बंद हो जाती है। इस वजह से सांस लेने में मुश्किल होने लगती है। ऐसे में कई बार इस बंद नाक को खोलने के लिए डॉक्टर नाक में डालने वाला स्प्रे (नेजल स्प्रे या नेजल ड्रॉप) लेने की सलाह देते हैं। बंद नाक के अलावा अगर नाक का ऑपरेशन हुआ हो, नाक में किसी तरह की एलर्जी या इंफेक्शन हो गया हो तब भी डॉक्टर नेजल ड्रॉप या स्प्रे इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। इस तरह के स्प्रे या ड्रॉप में मौजूद दवा सीधे नाक में जाती है और ज्यादा जल्दी व बेहतर नतीजे देती है। आमतौर पर बंद नाक के इलाज के तौर पर 3 तरह के नेजल ड्रॉप या स्प्रे का इस्तेमाल होता है -
डीकंजेस्टेंट - यह बंद नाक को खोलने की एक ऐसी दवा है जो नाक के रास्ते में मौजूद म्यूकस यानी कफ, सूजन और जलन की समस्या को कम करने में मदद करती है।
सलाइन का घोल- नमक और पानी को मिलाकर तैयार किए गए घोल को मेडिकल टर्म में सलाइन कहते हैं। सलाइन, आपके नाक को गीला करने और कफ को तोड़ने में मदद करता है। साथ ही कफ को सूखने और खुरदरा होने से बचाता है, जिससे नाक सूखने (ड्राई नोज) की दिक्कत नहीं होती।
स्टेरॉयड का घोल- ये मार्केट में स्प्रे के रूप में मिलते हैं, जिसमें कॉर्टिकोस्टेरॉयड्स होता है और इनकी मदद से नाक में मौजूद कफ, सूजन और जलन को कम करने में मदद मिलती है।
बिना डॉक्टर की सलाह के न दें नेजल ड्रॉप या स्प्रे
वैसे नेजल स्प्रे या ड्रॉप जिसमें डीकंजेस्टेंट और स्टेरॉयड्स होते हैं उन्हें 2 साल के कम उम्र के बच्चों को देने की सलाह नहीं दी जाती। 2 साल से अधिक उम्र के बच्चों को भी बिना डॉक्टरी सलाह के इस तरह का नेजल ड्रॉप या स्प्रे नहीं देना चाहिए। आप चाहें तो बच्चे की बंद नाक को खोलने के लिए डॉक्टर की सलाह के बिना सिर्फ सलाइन वाला नेजल ड्रॉप दे सकते हैं।
हो सकते हैं कई गंभीर साइड इफेक्ट्स
बच्चों के लिए जो डीकंजेस्टेंट और स्टेरॉयड्स का इस्तेमाल किया जाता है, उनमें आमतौर पर ऑक्सीमेटाजॉलिन, जाइलोमेटाजॉलिन हाइड्रोक्लोराइड और स्यूडोएफेड्रिन होता है। अगर डॉक्टर की सलाह के बिना यह स्प्रे या ड्रॉप बच्चों को दिया जाए तो उनमें कई गंभीर साइड इफेक्ट्स जैसे- उच्च रक्तचाप और दिल की धड़कन बढ़ने जैसी घटनाएं हो सकती हैं।