लगभग सभी के दिन की शुरुआत चाय से होती है. घर के बड़े-बुजुर्गों को देखकर बच्चे भी चाय पीने की जिद करते हैं. बेशक, कुछ मामलों में चाय पीना फायदेमंद हो सकता है, लेकिन क्या बच्चों को चाय पीनी चाहिए? स्पष्ट रूप से कहा जाए, तो जो चाय बड़े-बुजुर्ग पीते हैं, वो बच्चों के लिए कई मायनों में स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है. दरअसल, चाय में कैफीन अधिक मात्रा में पाया जाता है. कैफीन युक्त चाय का सेवन बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं माना जाता है. कैफीन लेने से बच्चों को शारीरिक नुकसान पहुंच सकता है. इसकी जगह बच्चों को हर्बल चाय पिलाना फायदेमंद हो सकता है.

आइए, जानते हैं कि चाय किस प्रकार बच्चों के लिए नुकसानदायक है और बच्चों के लिए हर्बल चाय कैसे बनाएं -

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  1. चाय पीने से बच्चों को नुकसान
  2. बच्चों को कौन सी चाय पिला सकते हैं?
  3. बच्चों के लिए चाय बनाने का तरीका
  4. सारांश
क्या बच्चों का चाय पीना सुरक्षित है? के डॉक्टर

ब्लैक टी और ग्रीन टी में कैफीन होता है. इसलिए, चाय पीने के बाद शरीर को ऊर्जा मिलती है, लेकिन ये कैफीन बच्चों को अधिक नुकसान पहुंचाता है. अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार 12 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को एक दिन में 100 मिलीग्राम से अधिक कैफीन नहीं लेना चाहिए. वहीं, 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए कैफीन को बिल्कुल सुरक्षित नहीं माना जाता है. चाय पीने से बच्चों को होने वाले नुकसान निम्न प्रकार से हैं -

कैफीन

चाय में कैफीन की अधिक मात्रा पाई जाती है. कैफीन बच्चों को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कैफीन देने से बचना चाहिए. अधिक कैफीन लेने से बच्चों को अनिद्रा की समस्या हो सकती है. यह घबराहट और बार-बार पेशाब आने का कारण भी बन सकता है. कैफीन शरीर में सोडियम और पोटेशियम के स्तर में कमी कर सकता है.

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एलर्जी

कुछ बच्चों को चाय से एलर्जी भी हो सकती है. इस दौरान बच्चों को सांस लेने में दिक्कत, गले, होंठ, जीभ और चेहरे पर सूजन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. अगर चाय पीने के बाद बच्चों में एलर्जी के लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

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टाइप 1 डायबिटीज

कई रिसर्च में साबित हो चुका है कि चाय और कॉफी बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज के जोखिम को बढ़ाता है. जो बच्चे नियमित रूप से चाय और कॉफी का सेवन करते हैं, उन्हें टाइप 1 डायबिटीज का जोखिम होने का खतरा अधिक रहता है. इसलिए, बच्चों को कैफीन से दूर ही रखना चाहिए. 

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मोटापा

नियमित रूप से चाय पीना बच्चों में मोटापा बढ़ा सकता है. चाय में मौजूद कैफीन और शुगर बच्चों का वजन बढ़ाने का कारण बन सकते हैं. कुछ रिसर्च में भी यह बात साबित हो चुकी हैं कि चाय पीने से बच्चों का वजन बढ़ सकता है.

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घबराहट

चाय पीने से बच्चों को घबराहट महसूस हो सकती है. कुछ शोध में जब चाय या कॉफी पीने के बाद बच्चों की शारीरिक प्रतिक्रियाओं की जांच की गई, तो बच्चों का ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ मिला. इस दौरान बच्चों को घबराहट हो सकती है. साथ ही वे थकान भी महसूस कर सकते हैं. चाय बच्चों की हृदय गति को भी बढ़ा सकता है.

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ब्लैक और ग्रीन टी के बजाय बच्चों को हर्बल टी पीने को देनी चाहिए. हर्बल टी जड़ी-बूटियों से बनती है और इसमें आमतौर पर कैफीन नहीं होता है. 2 साल से अधिक उम्र के बच्चों को हर्बल टी पीने को दे जा सकते हैं. इससे बच्चों को कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं, लेकिन 6 महीने से कम उम्र के बच्चों को हर्बल टी पीने को नहीं देनी चाहिए, क्योंकि इसमें हानिकारक बैक्टीरिया हो सकते हैं और इससे एलर्जी हो सकती है -

कैमोमाइल चाय

कैमोमाइल पीले और सफेद रंग के फूल होते हैं. इन्हीं फूलों की मदद से कैमोमाइल चाय बनाई जाती है. कैमोमाइल चाय शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए सुरक्षित मानी गई है. इस चाय में एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और एंटीस्पास्मोडिक गुण होते हैं. इसके अलावा, कैमोमाइल पोषक तत्व से भी भरपूर होती है, इसलिए इसे बच्चों की हेल्थ के लिए फायदेमंद माना जाता है. कैमोमाइल चाय पीने से बच्चे आराम महसूस करते हैं.

आप बच्चे को रात में सोने से पहले कैमोमाइल चाय पिला सकते हैं. इससे बच्चों को नींद अच्छी आती है. कुछ बच्चों को कैमोमाइल चाय से एलर्जी हो सकती है, इस स्थिति में उन्हें इस चाय को देने से बचें.

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अदरक की चाय

सर्दी-जुकाम या सिरदर्द होने पर अक्सर अदरक की चाय पीने की सलाह दी जाती है. वयस्कों के साथ ही अदरक की चाय बच्चों के लिए भी फायदेमंद होती है. अदरक में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो स्वस्थ शरीर के लिए जरूरी होते हैं. इस चाय को पीने से बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ती है. अदरक की चाय बच्चों में होने वाली मतलीमोशन सिकनेस और गैस के दर्द को दूर करने में मदद कर सकती है, लेकिन बच्चों को अधिक मात्रा में अदरक की चाय देने से बचना चाहिए.

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सौंफ की चाय

सौंफ पाचन को बेहतर बनाती है, इसलिए खाने के बाद सौंफ और मिश्री खाने की सलाह दी जाती है. कई लोग सौंफ की चाय पीना भी पसंद करते हैं. बच्चों और शिशुओं को भी सौंफ की चाय पिलाई जा सकती है. यह बच्चों की सेहत के लिए फायदेमंद हो सकती है. सौंफ की चाय पीने से पेट दर्द, सर्दी व खांसी जैसी समस्याओं में आराम मिलता है. सौंफ की चाय पीने से बच्चों का पाचन बेहतर रहेगा, उन्हें जल्दी से गैस और कब्ज जैसी समस्याएं परेशान नहीं करेंगी.

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पुदीने की चाय

पुदीने की चाय एक बेस्ट हर्बल टी मानी जाती है. पुदीने में मेंथॉल होता है. इसकी चाय पीने से पेट और शरीर को ठंडक मिलती है. बच्चों के लिए पुदीने की चाय काफी फायदेमंद हो सकती है. इस चाय को पीने से बच्चे पेट दर्द, मतली और इरिटेबल बाउल सिंड्रोम जैसी समस्या से बचेंगे. साथ ही यह हर्बल चाय मतली, खांसी, गले की खराशतनाव और मोशन सिकनेस को कम करने में मदद कर सकती है. यह चाय बच्चों में होने वाले बंद नाक से राहत दिलाने में भी मदद कर सकती है.

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जिस तरह से वयस्कों के लिए हर्बल टी बनाई जाती है, ठीक उसी प्रकार इसे बच्चों के लिए भी बनाया जा सकता है. सिर्फ बच्चों को गर्म चाय पिलाने से बचना चाहिए -

  • बच्चों के लिए चाय बनाने के लिए सबसे पहले एक गिलास में गर्म पानी डालें.
  • अब इसमें कोई भी हर्बल टी बैग डालें. इसे 2- 4 मिनट तक गिलास में ही रखें.
  • अब इसे गुनगुना या कमरे के तापमान तक ठंडा होने दें.
  • इसके बाद थोड़ा-सा शहद मिलाएं. 
  • इससे चाय का स्वाद बढ़ जाएगा और बच्चे आसानी से हर्बल चाय पी लेंगे.
  • एक साल से कम उम्र के बच्चों को शहद न दें. इससे उनमें बोटुलिज्म का खतरा बढ़ सकता है.
  • बच्चे को एक दिन में सिर्फ 1-2 कप हर्बल टी पीने को दें.
  • अदरक, सौंफ या फिर पुदीने की चाय को बनाने के लिए पानी को गर्म करते समय ही इनमें से कोई भी सामग्री डाल दें.
  • जब पानी अच्छी तरह से उबल जाए, तो उसके बाद पानी को हल्का गुनगुना होने दें और फिर बच्चे को पिलाएं.

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बच्चों को ब्लैक या ग्रीन टी के बजाय हर्बल चाय पिलानी चाहिए. वहीं, 6 महीने से कम उम्र के शिशुओं को चाय कभी नहीं पिलानी चाहिए. साथ ही अगर किसी बच्चे को लिवर या किडनी की बीमारी है, तो उसे हर्बल चाय भी पीने को न दें. बेहतर यही होगा कि बच्चे को हर्बल चाय देने से पहले एक बार बाल रोग विशेषज्ञ से जरूर पूछ लें. अगर वो अनुमति देते हैं, तो बच्चे को 1 कप चाय दी जा सकती है.

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