हंसते और खेलते हुए बच्चे, भला किसको अच्छे नहीं लगते हैं। लेकिन बड़ों की तरह ही बच्चों के मूड में भी बदलाव होता है। कुछ पल पहले सामान्य तरह से खेलता हुआ बच्चा अचानक कई कारणों से चिड़चिड़ा हो सकता है। चिड़चिड़ा होने पर बच्चे का मन किसी भी काम में नहीं लगता है और ऐसे में बच्चे को शांत व उदास देखकर घर के अन्य सदस्यों को भी अच्छा नहीं लगता है।

कई बार शिशु का चिड़चिड़ापन किसी अन्य पेरशानी की ओर संकेत करता है। अपने शिशु व बच्चे के चिड़चिड़ेपन का कारण जानकर माता-पिता उसके मूड को दोबारा अच्छा व सामान्य बना सकते हैं। अधिकतर माता-पिता बच्चे के चिड़चिड़ेपन की समस्या को समझ नहीं पाते हैं।

आप सभी की इस परेशानी को ध्यान में रखते हुए इस लेख में आपको बच्चे में चिड़चिड़ापन के बारे में विस्तार से बताया गया है। साथ ही आपको बच्चे में चिड़चिड़ापन के लक्षण, बच्चे में चिड़चिड़ापन के कारण और बच्चे का चिड़चिड़ापन कैसे दूर करें आदि बातों के बारे को भी विस्तार से बताया गया है।

(और पढ़ें - नवजात शिशु की देखभाल कैसे करें)

  1. बच्चों में चिड़चिड़ापन के लक्षण - Bacho me chichidapan ke lakshan
  2. बच्चों का चिड़चिड़ापन के कारण - Bacho me chidchidapan ke karan
  3. बच्चों का चिड़चिड़ापन कैसे दूर करें - Bacho ka chidchidapan kaise dur kare

बच्चों में चिड़चिड़ापन होना अपने आप में ही एक लक्षण होता है, इसके साथ अक्सर निम्नलिखित कुछ लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं। यदि ये लक्षण दिखाई दें तो तुरंत बच्चे या शिशु को डॉक्टर के पास लेकर जाएं।

 (और पढ़ें - ज्यादा पसीना आना रोकने के तरीके)

Baby Massage Oil
₹198  ₹280  29% छूट
खरीदें

बच्चों का चिड़चिड़ा होना या किसी चीज के लिए शिकायत करना एक आम बात है। बच्चों के चिड़चिड़ेपन के कई कारण होते हैं, जिनमें से कुछ को नीचे बताया जा रहा है।

  • नींद में कमी होना :
    अक्सर जब शिशु को पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती है या बच्चा किसी कारण से पूरी नींद लिए बिना ही जाग जाता है, तो ऐसे में वो चिड़चिड़ा हो जाता है।
    (और पढ़ें - नींद की कमी का इलाज)
        
  • भूख लगना :
    भूख लगना भी बच्चों व शिशुओं के चिड़चिड़ेपन का आम कारण माना जाता है। अपने निर्धारित समय पर खाना न खाने से भी बच्चें में चिड़चिड़ाहट होने लगती है। 
    (और पढ़ें - बच्चों में भूख ना लगने का कारण)
     
  • निराशा :
    किसी काम को न कर पाने से बच्चों में निराशा हो जाती है, जिसकी वजह से उनका अन्य कार्यों में मन नहीं लगता और वह चिड़चिड़े हो जाते हैं।
      
  • भाई-बहनों के साथ झगड़ा :
    घरों में भाई बहनों के बीच लड़ाई होना एक आम बात है। इस कारण भी आपका बच्चा चिड़चिड़ा हो सकता है।
        
  • शिशु को ज्यादा ठंडा या गर्म लगना :
    शिशु को ज्यादा गर्मी और ठंड लगने की वजह से भी उनके मूड में बदलाव आने लगता है। 
    (और पढ़ें - मूड को अच्छा बनाने के लिये खाएं ये सूपरफूड)
       
  • चिंता होना :
    बच्चे को किसी बात पर चिंता हो सकती है। आप खुद इस बात का अंदाजा लगाएं कि बच्चे को किस बात पर चिंता, गुस्सा या उदासी है। बड़े बच्चे घर के माहौल के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं, ऐसे में माता-पिता या देखभाल करने वालों के बर्ताव का उन पर गहरा असर होता है। 
    (और पढ़ें - चिंता दूर करने के घरेलू उपाय)
     
  • कोलिक :
    यदि बच्चा दिन में तीन घंटे से ज्यादा समय तक रो रहा हो, तो उसको कोलिक की समस्या हो सकती है। इस वजह से भी बच्चा चिड़चिड़ा हो सकता है। 
    (और पढ़ें - पेट में दर्द होने पर क्या करना चाहिए)
       
  • गंदे व गीले डायपर :
    गंदे व गीले डायपर की वजह से शिशु को अहजता होती है और वह चिड़चिड़ा हो जाता है। 
    (और पढ़ें - डायपर रैश का इलाज)
       
  • कपड़ों का टाइट या ढीला होना :
    यदि शिशु या बच्चे ने कपड़े सही तरह न पहने हो या वह ज्यादा टाइट हों, तो भी वह चिड़चिड़ा हो जाता है।

निम्न तरह की बीमारियों की वजह से भी आपका बच्चा चिड़चिड़ा हो सकता है। इनमें से अधिकतर बीमारियों का आसानी से इलाज किया जा सकता है।

 (और पढ़ें - पेट में कीड़े हो जाए तो क्या करना चाहिए)

आगे बताई गई समस्याएं बच्चे में चिड़चिड़ेपन के कुछ दुर्लभ कारण हो सकते हैं, साथ ही बच्चों का चिड़चिड़ापन निम्नलिखित रोगों का प्राथमिक लक्षण भी हो सकता है।

(और पढ़ें - डिप्रेशन के घरेलू उपाय)

बच्चे का चिड़चिड़ापन आप घर पर ही दूर कर सकती है। इसके लिए आप बच्चे को दुलार करें, उसके लिए डांस करें, या कुछ ऐसा करें जो उसको अच्छा लगता हो। इसके आलवा बच्चे के चिड़चिड़ेपन के कारणों को दूर करके भी आप उसके मूड को बदल सकते हैं। इसके लिए आप निम्न तरह उपायों को आजमाएं –

  • बच्चों को पर्याप्त नींद लेने दें :
    शिशुओं और बच्चों को पर्याप्त नींद लेने दें, इससे बच्चा नींद की कमी के चलते चिड़चिड़ा नहीं होगा। कई बार नींद के पैटर्न में बदलाव से भी बच्चा चिड़चिड़ा हो जाता है। ऐसे में उसके सोने की आदतों में बदलाव न करें।
    (और पढ़ें - बेबी को सुलाने के कुछ टिप्स)
     
  • ज्यादा तेज आवाज से बच्चे को दूर रखें :
    ज्यादा तेज या कम दोनों ही तरह की आवाजों से शिशु परेशान होने लगता है। ऐसे में आप शिशु के पास से शोर करने वाली चीजों को दूर रखें। 
    (और पढ़ें - बच्चों को मोटा करने के उपाय)
     
  • घर में तनाव का माहौल कम करें :
    यदि आपके घर के लोगों के बीच या किसी बात को लेकर घर में तनाव का माहौल है तो इसका भी असर आपके बच्चे के मन पर पड़ता है, ऐसे में आपको अपने बच्चे को तनाव से दूर रखने के लिए घर का माहौल खुशनुमा बनाना चाहिए। 
    (और पढ़ें - तनाव दूर करने के घरेलू उपाय)
     
  • दिनचर्या में बदलाव ना करें :
    कई मामलों में दिनचर्या में होने वाले बदलावों के चलते भी शिशु व बच्चे में चिड़चिडाहट देखने को मिलती है। इस समस्या से बचने के लिए आप शिशु या बच्चे की दिनचर्या में अचानक से बदलाव न करें। 
    (और पढ़ें - बच्चों की इम्यूनिटी कैसे बढ़ाएं)
     
  • शिशु को गोद में झुलाएं :
    गोद या पालने में झूलना शिशु को अच्छा लगता है, इससे उसकी चिड़चिडाहट कम होती है और वह प्रसन्न रहता है। विशेष रूप से शिशुओं के लिए तैयार किए गए पालने या झूले में अपने बच्चे को झुलाएं।
     
  • शिशु को एक बार में जरूरत से ज्यादा न खिलाएं :
    एक बार में अत्यधिक खाना खिलाने से शिशु खुद को असहज महसूस करने लगता है। शिशु को खाना खिलाने या दूध पिलाने के कम से कम दो से ढाई घंटे रूकने के बाद ही दोबारा खाना खिलाएं। 
    (और पढ़ें - बच्चे को दूध पिलाने का तरीका)
     
  • शिशु को किसी कपड़े से लपेटकर रखें :
    आप शिशु को किसी कंबल या कपड़े से लपेटें। कपड़े या कंबल से लपेटते समय आप उसके हाथों को अंदर की ओर भी रख सकती हैं, इससे शिशु खुद को मां के गर्भ में अंदर महसूस करता है और उसका चिड़चिड़ापन कम होता है।

 (और पढ़ें - 6 महीने के बच्चे को क्या खिलाना चाहिए)

ऐप पर पढ़ें