बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए आयोडीन को जरूरी माना गया है. जहां आयोडीन थायराइड ग्रंथि की बेहतर कार्यप्रणाली के लिए जरूरी है, वहीं इसकी कमी से बच्चे का मानसिक विकास रुक सकता है. यहां तक कि घेंघा जैसा रोग भी हो सकता है. इसके अलावा, बच्चों को ज्यादा आयोडीन देना भी हानिकारक हो सकता है.

आज इस लेख में आप जानेंगे कि बच्चों के लिए आयोडीन क्यों जरूरी है और इसे कितनी मात्रा में देना चाहिए - 

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  1. बच्चों को कितना आयोडीन देना चाहिए
  2. बच्चों को आयोडीन देने के फायदे
  3. बच्चों को ज्यादा आयोडीन देने के नुकसान
  4. बच्चों में आयोडीन की कमी का इलाज
  5. सारांश
बच्चों के लिए आयोडीन के फायदे, नुकसान व उपचार के डॉक्टर

डब्ल्यूएचओ ने बच्चों की उम्र के आधार पर प्रतिदिन दी जाने वाली आयोडीन की खुराक के बारे में कुछ नियम तय किए हैं -

  • 0-5 साल - शिशुओं के लिए 90 माइक्रोग्राम (एमसीजी) आयोडीन प्रतिदिन
  • 6-12 साल - स्कूली बच्चों के लिए 120 माइक्रोग्राम (एमसीजी) आयोडीन प्रतिदिन
  • 12 वर्ष से अधिक उम्र - किशोरों के लिए 150 माइक्रोग्राम (एमसीजी) आयोडीन प्रतिदिन

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बच्चों में आयोडीन की कमी होने से कई नुकसान हो सकते हैं. इससे बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास रुक सकता है. आइए, बच्चों को आयोडीन देने के फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं -

मानसिक विकास

आयोडीन की कमी का सीधा प्रभाव बच्चे के मानसिक विकास पर पड़ता है. आयोडीन की कमी होने पर 5 साल या उससे कम उम्र के बच्चे अपनी आईक्यू क्षमता को खो सकते हैं. कई शोधों में भी ये बात साबित हो चुकी है कि बच्चों का कॉग्निटिव विकास आयोडीन की कमी से प्रभावित हो सकता है. साथ ही बच्चों को सीखने में दिक्कत आती है.

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शारीरिक विकास

आयोडीन की कमी से बच्चों के शारीरिक विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इसकी कमी से बच्चों का मेटाबॉलिज्म प्रभावित हो सकता है. बच्चों के दांतों का विकास भी देरी से होने की आशंका रहती है. बच्चों की हड्डियां कमजोर हो सकती हैं और बच्चों का एनर्जी लेवल कम हो सकता है. इसकी कमी से शरीर के कई अन्य अंग भी प्रभावित हो सकते हैं.

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थायराइड से बचाव

बच्चों के शरीर में आयोडीन की पर्याप्त मात्रा होने से थायराइड जैसी गंभीर समस्याओं से बचाया जा सकता है. थायराइड हार्मोन के निर्माण में आयोडीन अहम रोल निभाता है. थायराइड हार्मोन की कमी होने पर बच्चे हाइपोथायरायडिज्म या हाइपरथायरायडिज्म का शिकार हो सकते हैं.

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घेंघा से बचाव

आयोडीन की कमी से बच्चों में बढ़ी हुई थायराइड ग्रंथि यानी घेंघा (गोइटर) की समस्या हो सकती है. कभी-कभी घेंघा बच्चों में आयोडीन की कमी के कारण डायरेक्ट रिएक्शन के रूप में विकसित हो सकता है. बच्चों में आयोडीन की कमी के कारण घेंघा की समस्या होना अहम कारणों में से एक है. बच्चे को आयोडीन की पर्याप्त मात्रा देने से घेंघा से बचाव किया जा सकता है.

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आयोडीन के सेवन के बेशक कई फायदे हैं, लेकिन बच्चों को अधिक आयोडीन देने से ये जहर में बदल सकता है. एक रिसर्च पेपर के अनुसार, बच्चों को अधिक मात्रा में आयोडीन देने से थायराइड हार्मोन असंतुलित हो सकते हैं. इस कारण बच्चा थायरॉयडिटिस, हाइरपरथायरायडिज्म, हाइपोथायरायडिज्म व गोइटर का शिकार हो सकता है.

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बच्चों में आयोडीन की कमी को पूरा करने के लिए उनके आहार में आयोडीन सप्लीमेंट्स व आयोडीन युक्त नमक को शामिल किया जा सकता है. आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं -

  • इस कमी को पूरा करने के लिए आयोडीन युक्त नमक सबसे कारगर तरीका होता है. बस तय मानकों के अनुसार बच्चे के आहार में शामिल करने की जरूरत है.
  • कुछ सीफूड्स में भी आयोडीन की अच्छी मात्रा होती है, जैसे - कॉड, पर्च मछली व हैडॉक मछली आदि.
  • दूधदही व पनीर आदि डेयरी प्रोडक्ट्स खाने से भी आयोडीन की कमी पूरी होती है.
  • डॉक्टर की सलाह पर आयोडीन युक्त सप्लीमेंट्स, दवाइयां व इंजेक्शन भी दिए जा सकते हैं.
  • आयोडीन युक्त ब्रेड्स व आयोडीन युक्त पानी का भी सेवन किया जा सकता है.
  • स्तनपान कराने वाली मां को भी अपने खाने में आयोडीन को शामिल करना चाहिए. इससे मां के दूध के जरिए शिशु को पर्याप्त आयोडीन मिल सकता है.

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आयोडीन बच्चों के लिए आवश्यक मिनरल है. आयोडीन न सिर्फ मानसिक, बल्कि शारीरिक विकास में भी मदद करता है. आयोडीन की कमी से बच्चों में गोइटर, हाइपोथायरायडिज्म और मेंटल रिटार्डेशन हो सकता है. बच्चों की उम्र के हिसाब से आयोडीन का रोजाना सेवन करना जरूरी है. आयोडीन की कमी को दूर करने से लिए नमक को बेस्ट सोर्स माना जाता है, लेकिन बच्चों को आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ देकर भी इसकी कमी को दूर कर सकते हैं. अगर आयोडीन से संबंधित यदि कोई उलझन है, तो बाल रोग विशेषज्ञ से जरूर संपर्क करें.

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