बच्चा जब बेहद छोटा होता है तो उसको कई तरह की परेशानियां हो जाती हैं। नवजात शिशुओं में उल्टी होना एक आम समस्या हैं। आमतौर पर शिशुओं को उल्टी होना किसी गंभीर समस्या की ओर इशारा नहीं करता है। अधिकतर नवजात शिशुओं में उल्टी होने की समस्यां समय के साथ अपने आप ठीक हो जाती है।

शिशु के बार-बार उल्टी करने से माता-पिता भी परेशान हो जाते हैं। नवजात शिशुओं में होने वाली उल्टी की समस्या को आगे विस्तार से बताया जा रहा है। साथ ही आपको नवजात शिशु में उल्टी के प्रकार, नवजात शिशु में उल्टी के कारण, नवजात शिशु में उल्टी को ठीक करने के उपाय, शिशु के उल्टी करने के बाद क्या करें और खिलाएं, नवजात शिशु को उल्टी होने से कैसे रोकें और शिशु की उल्टी रोकने की दवा आदि के बारे में बताया गया है।

(और पढ़ें - बच्चों का टीकाकरण चार्ट)

  1. नवजात शिशु में उल्टी के प्रकार - Navjaat shishu ko ulti ke prakar
  2. नवजात शिशु को उल्टी क्यूँ होती हैं? - Navjat shishu me ulti ke karan
  3. नवजात शिशु में उल्टी को ठीक करने के उपाय - Navjat shishu me ulti ko theek karne ke upay
  4. बेबी के उल्टी करने के बाद क्या करें और खिलाएं - Baby ke ulti karne ke baad kya kare
  5. नवजात शिशु को उल्टी होने से कैसे रोकें? - Navjat shishu ko ulti hone se kaise roke
  6. शिशु की उल्टी रोकने की दवा - Shishu ki ulti rokne ki dawa
  7. सारांश
नवजात शिशु को उल्टी होने के कारण, उपाय और बचाव के डॉक्टर

कई बार शिशु के उल्टी करने और उसका पीया दूध बाहर निकालने (जिसे "स्पिट अप" कहते हैं) के बीच अंतर करना मुश्किल हो जाता है। खासकर स्तनपान के दौरान जब बच्चा केवल दूध पीता है, तब इन दोनों ही स्थितियों में अंतर करना बेहद मुश्किल भरा होता है।

जब बच्चा थोड़ा बड़े होने के बाद ठोस आहार लेना शुरू करता है, तब इन दोनों के बीच के अंतर को समझ पाना आसान होता है, क्योंकि बड़े बच्चे की उल्टी में भोजन के कण बाहर आते हैं। साथ ही ठोस आहार खाना शुरू करने के बाद बच्चों में स्पिट अप की समस्या कम हो जाती है। लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता, शिशु ने उल्टी की है या केवल थोड़ा सा दोष बाहर निकाला है, इसका सही पता उसके मूड से ही चलता है। 

विशेषज्ञों के अनुसार जब शिशु के पेट का खाना बलपूर्वक बाहर आता है, तो इसे शिशु का उल्टी करना कहा जाता है। इसके तुरंत बाद बच्चे में चिड़चिड़ापन हो जाता है। दूसरी ओर जब बच्चा स्पिट अप करता है (यानी स्वाभाविक रूप से दूध बाहर निकलता है), तब ऐसा लगता है जैसे उसके पेट के कण बह कर बाहर आ रहे हैं। स्पिट अप से बच्चा किसी तरह की परेशानी महसूस नहीं करता है।

(और पढ़ें - बच्चों की खांसी के घरेलू उपाय)

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 नवजात शिशु के उल्टी करने के कई कारण होते हैं। पेट की समस्या हर बार शिशु के उल्टी करने का कारण नहीं होती हैं। नीचे कुछ कारणों के बारे में बताया जा रहा है जिसकी वजह से शिशु को उल्टी हो सकती है।

  1. दूध और खाने से एलर्जी –
    अगर शिशु को दूध में मौजूद प्रोटीन से एलर्जी हो, तो ऐसे में मां के दूध या बेबी फार्मूला को लेने से उसे उल्टी हो सकती है। शिशु को बेबी फार्मूला लेने से उल्टी हो रही तो आपको उन्हें सोया दूध से बने खाद्य पदार्थों को देना चाहिए। शिशु को इसे पचाने में आसानी होती है। इसी तरह स्तनपान के बाद शिशु का उल्टी करना इस बात का संकेत करता है कि मां ने भोजन में कुछ ऐसा खाया है जिससे स्तनपान के जरिये शिशु को एलर्जी हो जाती है। इस स्थिति में बच्चों के डॉक्टर और स्तनपान विशेषज्ञ आपकी मदद सकते हैं। (और पढ़ें - एलर्जी के घरेलू उपाय)
     
  2. जल्दी और ज्यादा खाना –
    उल्टी और स्पिट अप की समस्या उन्हीं शिशुओं में होती है जिनको बार-बार डकार लेने की आवश्यकता पड़ती है। इसके अलावा अगर शिशु को जरूरत से ज्यादा दूध पिला दिया जाये तो भी उसको उल्टी होने लगती है।
     
  3. स्वरयंत्र में ऐंठन होना (Gag reflex) –
    जिन शिशुओं के स्वरयंत्र में ऐंठन होती है, उनको खांसी, भोजन को चखने और पंसद न आने वाली दवा खाने से उल्टी हो सकती है। कुछ मामलों में आप देखेगें कि उसे खाना निगलने के तुरंत बाद खांसी और उल्टी हो जाती है। (और पढ़ें - नवजात शिशु को खांसी क्यों होती है)
     
  4. मोशन सिकनेस (Motion sickness) –
    व्यस्कों की तरह शिशुओं में भी मोशन सिकनेस की समस्या हो सकती है। अगर माता-पिता में से किसी एक को मोशन सिकनेस की समस्या हो तो शिशु को भी यह समस्या हो सकती है। (और पढ़ें - डायपर के रैशेस हटाने के घरेलू नुस्खे)
     
  5. वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण –
    खासतौर पर खांसी के दौरान श्वसन तंत्र में बलगम जमा होने या संक्रमण के कारण उल्टी होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। सर्दी जुकाम के कारण बलगम बच्चे के गले के निचले हिस्से में चला जाता है, जिससे स्वरयंत्र में ऐंठन या पेट में जलन हो सकती हैं। कुछ बच्चे उल्टी में अपने बलगम को बाहर निकाल देते हैं।

    पेट में इन्फेक्शन (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण) – पेट में इन्फेक्टिन होना, शिशुओं में उल्टी होने का सामान्य कारण होता है। अगर वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण आपके शिशु के पेट व आंतों की परत को प्रभावित करता है या उसमें दस्त, भूख न लगना, पेट के निचले हिस्से में दर्द और बुखार के लक्षण दिखाई दें, तो ऐसे में बच्चे को होने वाली उल्टी 12 से 24 घंटों में सही हो जाती है। (और पढ़ें - बच्चों की भूख बढ़ाने के उपाय)

    मूत्र पथ संक्रमण (यूटीआई), निमोनिया, दिमागी बुखार (मेनिनजाइटिस) और कान का संक्रमण भी शिशुओं की उल्टी की वजह होते हैं।

ज्यादातर शिशु उल्टी होने के बाद आसानी और जल्दी से ठीक हो जाते हैं। उल्टी के बाद आपका शिशु भूखा और प्यासा हो सकता है। उसमें में पानी की कमी न हो इसलिए आप उसको पर्याप्त मात्रा में पानी या तरल चीजें दें। अगर आपके शिशु को उल्टियां हो रही हो और वह अस्वस्थ लग रहा हो, तो ऐसे में आप अपने डॉक्टर से सलाह लें। उल्टी को रोकने के लिए आप खुद ही उसको किसी प्रकार की दवा न दें। 

लगातार उल्टी होने या निम्न तरह की स्थितियों में आपको बिना देरी किए अपने डॉक्टर के पास जाना चाहिए:

  • अगर बच्चे को 24 घंटों से ज्यादा समय तक उल्टी हो रहीं हों। कुछ बीमारियों में ऐसा होना सामान्य बात हैं, लेकिन फिर भी आपको इस बारे अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
     
  • अगर बच्चा 3 महीने से छोटा है और उसको 100.4 डिग्री फारेनहाइट (fahrenheit) या उससे ज्यादा बुखार हो, तो ऐसे में डॉक्टर से जांच कराएं। (और पढ़ें - बच्चे को बुखार)
     
  • यदि आपके शिशु में पानी की कमी के लक्षण जैसे पीला पेशाब आना, कम पेशाब आना (6 से 8 घंटे तक पेशाब न आना), होठों और मुँह का सूखना, सुस्ती आना और रोते समय आंसू न आने आदि, होने पर बच्चों को डॉक्टर को दिखाना चाहिए। कई बार एक माह या उससे अधिक आयु के शिशु को आंसू न आना सामान्य बात होती है।
     
  • शिशु का अचानक उग्र स्वभाव का होना।
     
  • शिशु की उल्टी में खून आना। उल्टी में थोड़ा खून आने पर आपको ज्यादा परेशान नहीं होना चाहिये, क्योंकि कई बार उल्टी के दौरान आहार नली की परत में किसी प्रकार की क्षति की वजह से भी उल्टी में खून आ जाता है। लेकिन शिशु की उल्टी में लगातार खून आ रहा हो या उसकी खून आने की मात्रा बढ़ रही हो तो आपको जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से इस बारे में सलाह लेनी चाहिए। (और पढ़ें - डाउन सिंड्रोम का इलाज)
     
  • अगर आपके शिशु को हर बार खाना खाने के आधा घंटे बाद उल्टी हो रही हो, तो यह बच्चे को पीयलोरिक स्टेनोसिस (pyloric stenosis: ऐसी स्थिति जिसमें खाने को पेट से छोटी आंत तक पहुंचने में कठिनाई होती है) होने का लक्षण होता है। (और पढ़ें - आंतों में सूजन का इलाज)
     
  • शिशु की त्वचा और उसकी आंखों में पीलापन उसमें पीलिया रोग होने का संकेत होता है।  

(और पढ़ें - पीलिया के घरेलु उपचार)

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अगर शिशु को बार-बार उल्टी हो रही हो, तो उसे खाने पीने की कुछ भी चीज देने में जल्दबाजी न करें, क्योंकि इससे बेबी को दोबारा उल्टी हो सकती है। उल्टी में पेट से खाना बाहर आने पर ताकत लगती है, ऐसे में बेबी के पेट को थोड़े समय के लिए आराम दें। साथ ही उसमें निर्जलीकरण के लक्षणों जैसे रोते समय कम आंसू आना, आंखें धंसी हुए लगना और पेशाब कम आना आदि का ध्यान रखें। बेबी को निर्जलीकरण होने से पहले ही ज्यादातर पेट की समस्याएं सही हो जाती हैं, लेकिन यदि बेबी में निर्जलीकरण के संकेत दिखाई दें और उसकी उल्टी नहीं रुक रही हो, तो आपको उसे बाल रोग विशेषज्ञ के पास ले जाना चाहिए।

जैसे ही बेबी को उल्टी आना कम हो आपको उसे कम मात्रा में तरल पदार्थ देने चाहिए। अगर नवजात शिशु को मां के दूध से भी उल्टी हो रही हो तो उसको स्तनपान के साथ किसी अन्य चीज को न दें  और मात्र अपना ही दूध उसे पिलाएं, क्योंकि बच्चा इस स्थिति में मां के दूध को ही आसानी से पचा पाता है। इसके अलावा आप उसको सामान्य से अधिक बार स्तनपान करवा सकती हैं, लेकिन ध्यान दें कि स्तनपान के दौरान बच्चे का पेट ज्यादा न भरे। यदि बच्चा साल भर तक का न हो या फिर डॉक्टर ने इसकी सलाह न दी हो, तो उसे ओआरएस (ORS) जैसे इलैक्ट्रोलाइट तरल न दें।

आप हर बार अपने शिशु को उल्टी का कारण बनने वाली बीमारियों से नहीं बचा सकते हैं, लेकिन फिर भी कुछ ऐसे उपाय हैं जो उसको होने वाली उल्टी में आपकी काफी मदद कर सकते हैं:

  • अगर आपके शिशु को खाने के बाद स्पिट अप करता हो, तो उसको थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खाना दें और उसे डकार लेने दें। खाना खाते समय बच्चे को अपने घुटनों पर रखकर न हिलाएं क्योंकि खाने को पेट में अंदर सही स्थिति में आने में थोड़ा समय लगता है। इसके साथ ही खाना खाने के बाद शिशु को करीब आधा घंटा सीधा ही रखें, उसको लेटाएं नहीं। (और पढ़ें - नवजात शिशु में कफ का इलाज)
     
  • शिशु के मोशन सिकनेस को कम करने के लिए आप यात्रा के दौरान थोड़े-थोड़े समय के लिए कहीं रुकें, इससे शिशु को ताजा हवा मिलती रहेगी और उसके पेट को भी आराम मिलेगा। यदि आप शिशु को यात्रा से पहले नाश्ता दे रहीं हैं तो उसको बेहद कम मात्रा में ही दें। साथ ही शिशु को पर्याप्त मात्रा में तरल दें ताकि उसको पानी की कमी न हो। (और पढ़ें - बच्चों की इम्यूनिटी कैसे बढ़ाएं)
     
  • यदि आपके शिशु को श्वसन तंत्र में संक्रमण के कारण बलगम हो तो ब्लब सीरिंज (Bulb syringe : एक उपकरण जिसके मदद से शिशु की नाक का बलगम निकाला जाता है) की सहायता से उसकी नाक को साफ किया जाता है। इससे शिशु को परेशानी हो सकती है, लेकिन यह तरीका दर्द रहित होता है और शिशु को इससे आराम मिलता है।

(और पढ़ें - बच्चे की उम्र के अनुसार लंबाई और वजन का चार्ट)     

जब तक डॉक्टर न कहें तब तक आप खुद अपने बच्चे को उल्टी रोकने की कोई दवा न दें। साथ ही बच्चे को एस्पिरिन युक्त दवाएं न देने से बचें। एस्पिरिन से बच्चों को रेये सिंड्रोम (Reye's syndrome) होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। बेशक, यह एक दुर्लभ बीमारी हो, लेकिन इससे शिशु के स्वास्थ्य पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं।  

(और पढ़ें - टीकाकरण क्यों करवाना चाहिए)     

नवजात शिशु को उल्टी होना एक सामान्य स्थिति है, जो अक्सर पेट के कमजोर पाचन तंत्र या अधिक दूध पीने के कारण होती है। कभी-कभी गैस, एसिडिटी, या फूड एलर्जी भी उल्टी का कारण बन सकते हैं। इसे कम करने के लिए शिशु को छोटे अंतराल पर थोड़ी मात्रा में दूध पिलाएं और दूध पिलाने के बाद शिशु को कंधे पर हल्के से थपथपाकर डकार दिलाएं। शिशु को सीधा लिटाना भी महत्वपूर्ण है। अगर उल्टी लगातार हो रही है या पीले रंग की है, तो डॉक्टर से सलाह लें। उचित देखभाल और सावधानियों से शिशु को उल्टी से बचाया जा सकता है।

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