माता-पिता अकसर इस बात की शिकायत करते हैं कि उनका शिशु या बच्चा ठीक तरह से खाता पीता नहीं है। बच्चों को उचित आहार देने और सही तरह से देखभाल करने के बाद भी उनमें कई बीमारियां होने की संभावना बनी रहती है। बच्चा जब स्कूल या बाहर खेलने जाने लगता है तो वह बाहरी तत्वों के संपर्क में आता है, जिससे बच्चे की सेहत पर प्रभाव पड़ता है। अधिकतर बच्चों में बाहरी खाने से बदहजमी होने की समस्या शुरू हो जाती है। बच्चों में बदहजमी को चिकित्सीय भाषा में डिस्पेप्सिया (dyspepsia) कहा जाता है।

इस लेख में बच्चों में बदहजमी के बारे में बताया गया है। साथ ही बच्चों में बदहजमी के लक्षण, बच्चों में बदहजमी के कारण, बच्चों का बदहजमी से बचाव, बच्चों में बदहजमी का इलाज और बच्चों में बदहजमी का घेरलू उपचार आदि के बारे में भी विस्तार से बताने का प्रयास किया गया है।

(और पढ़ें - बच्चों की देखभाल कैसे करें)

  1. बच्चों में बदहजमी के लक्षण - Bacho me badhazmi ke lakshan
  2. बच्चों में बदहजमी के कारण - Bacho me badhazmi ke karan
  3. बच्चों का बदहजमी से बचाव - Bacho ka badhazmi se bachav
  4. बच्चों में बदहजमी का इलाज - Bacho me badhazmi ka ilaj
  5. बच्चों में बदहजमी के घरेलू उपाय - Bacho me badhazmi ke gharelu upay

खाने के तुरंत बाद बच्चे को पेट के ऊपरी हिस्से मे दर्द होना, बदहजमी का पहला लक्षण होता है। आमतौर पे बच्चों में बदहजमी सीने में जलन के साथ होती है।  इसके गंभीर मामले में बच्चे को तेज दर्द होता है, जो उसके रोजाना के कार्यों को करने में बाधा उत्पन्न करता है। (और पढ़ें - सीने में जलन के उपाय)

बच्चों में बदहजमी के अन्य लक्षण निम्नलिखित हैं:

अधिकतर मामलों में बदहजमी के लक्षण बेहद ही हल्के होते हैं, जो आपके बच्चे के बाहरी जंक फूड या तैलीय आहार खाने के बाद सामने आते हैं। बदहजमी के हल्के मामलों में आपके बच्चे को किसी भी तरह की कोई दवा लेने की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन अगर खाना खाने के बाद हर बार बच्चे को बदहजमी हो रही है तो ऐसे में आपको उसे डॉक्टर के पास लेकर जाना चाहिए।

बच्चों में बदहजमी होने पर डॉक्टर के पास कब जाएं

(और पढ़ें - दो साल के बच्चे को क्या खिलाना चाहिए)

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बच्चों में बदहजमी आमतौपर पर तब होती है, जब बच्चे के पेट का एसिड पाचन तंत्र की सुरक्षात्मक परत को नुकसान पहुंचाता है, दर्द, बेचैनीसूजन को बढ़ावा देता है। ये सभी समस्याएं एक साथ होने से बच्चे को थोड़े समय के लिए परेशानी होती है।

अधिकतर बच्चों में पाचन तंत्र की सुरक्षात्मक परत (mucosa: म्यूकोसा) पर सूजन नहीं होती है, लेकिन एसिड से इस परत की संवेदनशीलता बढ़ जाती है। बच्चों को होने वाली बदहजमी के सही कारण को समझकर आपको उसका इलाज या उपाय करना चाहिए। (और पढ़ें - पेट में सूजन का इलाज)

बच्चे में बदहजमी के अन्य कारण निम्नलिखित हैं:

  • दवाएं:
    कई तरह की दवाओं के इस्तेमाल से बच्चे को बदहजमी की समस्या शुरू हो सकती है। जब आप किसी रोग या समस्या में बच्चे को डॉक्टर के पास लेकर जाते हैं, तो डॉक्टर इलाज के लिए बच्चे को दी जाने वाली दवाओं के साइड इफेक्ट के बारे में नहीं बताते है। जबकि कई दवाएं ऐसी होती है जो बच्चे के सीने में जलन का कारण बनती हैं। (और पढ़ें - गले में जलन का इलाज​)

    सामान्यतः नाइट्रेट युक्त दवाओं से बच्चों को सीने मे जलन होने लगती है। नाइट्रेट, एसोफैगल स्फिंक्टर (Esophageal Sphincter, भोजन नली के निचले हिस्से के आसपास मांसपेशी का एक गोलाकार बैंड) को शिथिल करता है। इस बैंड के शिथिल होने से पेट का एसिड रिसने लगता है और यह पाचन तंत्र की सुक्षात्मक परत (mucosa lining) में जलन पैदा करता है। जिसकी वजह से सीने में जलन होने लगती है। (और पढ़ें - छाती में जलन के लिए क्या करें )
  • मोटापा:
    मोटापा बच्चों और व्यस्कों में होने वाली एक आम समस्या होती है। आधुनिक जीवनचर्या और खाने की आदतों के कारण बच्चों में भी मोटापा हो जाता है। बच्चों में बदहजमी के लिए इसको भी एक बड़ी वजह माना जाता है। (और पढ़ें - बच्चे की उम्र के अनुसार वजन का चार्ट)
     
  • तनाव और चिंता:
    आज के दौर में बच्चों को भी तनाव हो जाता है। चिंता या तनाव बढ़ने से बच्चे के खाने की आदतों में बदलाव आता है, जो बदहजमी की वजह बनता है। तनाव होने पर बच्चों के द्वारा ज्यादा खाना कोई असामान्य बात नहीं है। (और पढ़ें - तनाव दूर करने के घरेलू उपाय)
     
  • हायटस हर्निया:
    हायटस हर्निया तब होता है जब पेट का विशेष हिस्सा डायफ्राम पर दबाव बनाता है। इससे भोजन नली अस्थायी रूप से बंद हो जाती है, जिसकी वजह से एसिड रिफलक्स बढ़ता है और बदहजमी शुरू हो जाती है। (और पढ़ें - हर्निया का घरेलू उपाय)
     
  • गर्ड (एसिड भाटा रोग):
    भोजननली में जलन और सूजन के कारण बच्चों को बार-बार होने वाली बदहजमी को ही गर्ड कहते हैं। (और पढ़ें - आंतों में सूजन का इलाज)
     
  • पेट में अल्सर और पेट का कैंसर : 
    पेट में अल्सर, बच्चे के पेट की अंदुरूनी परत और छोटी आंत में होने वाले खुले घाव की तरह ही होते हैं। जिनको पेट का अल्सर होता है, उनमें सामान्यतः बदहजमी के लक्षण महसूस होते हैं। दुर्लभ मामलों में बार-बार बदहजमी पेट के कैंसर जैसे घातक रोगों की ओर भी संकेत करते हैं।(और पढ़ें - पेट में अल्सर के घरेलू उपाय)
     
  • हेलिकोबैक्टर पाइलोरी संक्रमण:
    यह एक प्रकार का पेट का संक्रमण होता है, जिसमें केवल बदहजमी का मात्र एक ही लक्षण सामने आता है। यह संक्रमण बच्चों में पेट के अल्सर और पेट के कैंसर की संभावना को बढ़ा देता है। अगर बच्चे को लगातार बदहजमी हो रही है तो आपको डॉक्टर से मिलकर इस संक्रमण की जांच करानी चाहिए।     

(और पढ़ें - पेट के कैंसर की सर्जरी)

बच्चों का पाचन तंत्र बेहद ही संवेदनशील होता है। ऐसे में जरूरी होता है कि आप उसको कुछ ऐसी वैसी चीज न खाने दें। आप बच्चे को कुछ भी ऐसा आहार न दें जो उसके पेट को सूट (अनुकूल) न करता हो। आप निम्नलिखित तरीकों को अपनाकर बच्चे का बदहजमी से बचाव कर सकते हैं।

  • बच्चे को ऐसा खाना ना दें जिसमें ज्यादा तेल हो। (और पढ़ें - बच्चों की इम्यूनिटी कैसे बढ़ाएं)
  • बच्चे की चॉकलेट खाने की आदत को कम करें और उसको चॉकलेट कम दें।
  • बच्चे में सही तरह से खाने की आदत डालें, जिसमें आप उसको धीरे-धीरे अच्छी तरह से भोजन चबाने के लिए प्रोत्साहित करें। (और पढ़ें - 6 महीने के बच्चे को क्या खिलाना चाहिए)
  • अपने बच्चे को खुश रखें, तनाव से भी बच्चे के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।
  • खाना खाने के बाद बच्चे को तुरंत खेलने या शारीरिक कार्य न करने दें, क्योंकि भोजन को पचाने में भी थोड़ा समय लगता है। बच्चे को खाना खाने के बाद कम से कम एक घंटे तक दौड़ने या खेलने से माना करें।      

(और पढ़ें - शिशु टीकाकरण चार्ट)

बच्चों में बदहजमी के अधिकतर मामलों में डॉक्टरी इलाज की आवश्यकता नहीं होती हैं। यदि बदहजमी के लक्षण कई घंटों तक लगातार बने रहें तो आपको बच्चे को डॉक्टर के पास लेकर जाना चाहिए। (और पढ़ें - एक साल के बच्चे को क्या खिलाना चाहिए)

आपके डॉक्टर बच्चे के पेट का एक्स रे या अन्य टेस्ट करने की सलाह देते हैं। इन टेस्ट की मदद से डॉक्टर बच्चे की बदहजमी के सही कारणों का पता लगाते हैं। इस दौरान इलाज में डॉक्टर बच्चे को गैस की समस्या को कम करने वाली दवाएं देते हैं। डोमपेरीडोन मैलिएट (domperidone maleate) दवा एसिड रिफलक्स कम करने में सहायक होती है। डॉक्टर बच्चे को ये दवा कुछ सप्ताह के लिए देते हैं। इस दवा को खाना खाने से करीब 15 से 30 मिनट पहले लिया जाता है।

इसके अलावा एंटासिड्स (antacids) दवाएं जैसे ट्रम्स (trums), मालोक्स (maalox), गैविसकोन (Gaviscon) भी इस रोग में फायदेमंद होती है। बदहजमी की कोई भी दवा बिना डॉक्टर की सलाह लिए बच्चे को नहीं देनी चाहिए।

(और पढ़ें -  बदहजमी होने पर क्या करें)

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बच्चों में बदहजमी के हल्के मामलों को घरेलू उपायों से ठीक किया जा सकता है। आगे आपको इस समस्या के लिए कुछ घेरलू उपाय बताए जा रहें हैं-

  • पानी:
    बच्चे में पानी पीने की आदत डालें। पानी पीने से एसिड रिफलक्स सामान्य होता है। बड़े बच्चे को आप करीब 230 मिली लीटर पानी में एक चम्मच बेकिंग सोडा मिलाकर भी पीने को दे सकती हैं। 
    (और पढ़ें - गुनगुना पानी पीने के फायदे)
     
  • अदरक:
    बदहजमी को दूर करने के लिए अदरक का इस्तेमाल किया जाता है। कई अध्ययन से भी इस बात का पता चला है कि अदरक से डिस्पेसिया का इलाज किया जाता है। यदि बच्चे को बार बार बदहजमी हो रही हो तो नींबू के रस के साथ शहद और अदरक देने से भी बच्चे को काफी आराम मिलता है। 
    (और पढ़ें - अदरक की चाय के फायदे)
     
  • दूध:
    दूध से बदहजमी और सीने की जलन कम होती है। 
    (और पढ़ें - दूध से एलर्जी का इलाज)
     
  • अनानास:
    अनानास में विशेष तरह का एसिड होता है, जो मल आने की प्रक्रिया को नियमित करता है और पाचन क्रिया को दुरूस्त करता है। 
    (और पढ़ें - अनानास के जूस के फायदे)
     
  • धनिया:
    धनिये की पत्तियों का जूस गर्म दूध में मिलाकर बच्चे को सुबह खाली पेट पिलाने से बदहजमी में आराम मिलता है। 
    (और पढ़ें - धनिये के बीज के फायदे)
     
  • पुदीने की पत्तियां:
    पेट संबंधी समस्याओं में पुदीने की पत्तियों को चबाना फायदेमंद होता है। पुदीने में मौजूद पिपरमिंट जठरांत्र मार्ग के सुकंचन में सहायक होता है। साथ ही यह पेट के संक्रमण और सीने की जलन में भी प्रभावी उपाय माना जाता है। 
    (और पढ़ें - पुदीने की चाय के फायदे)
     
  • फल:
    फलों से बच्चे को पर्याप्त मात्रा में फाइबर मिलते हैं, जो पाचन क्रिया में मदद करते हैं। केला लैक्सेटिव की तरह कार्य करता है, इससे भी बच्चे को भोजन पचाने में मदद मिलती है। 
    (और पढ़ें - फाइबर युक्त आहार)

बच्चों में बदहजमी के अन्य घरेलू उपचार

(और पढ़ें - आंवला जूस के फायदे)

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