मां-बाप बनना हर किसी की जिंदगी का यह अहम पड़ाव होता है। लेकिन बच्चे को संभालना एक जिम्मेदारी भरा काम होता है। नवजात शिशु या छोटे बच्चे अपनी परेशानी को बता नहीं पाते हैं, ऐसे में वह किसी भी समस्या पर रोना शुरू कर देते हैं। इतना ही नहीं यदि बच्चे को किसी चीज की जरूरत भी होती है, तो भी वह रोकर ही अपनी बात मा-बाप से कहने का प्रयास करते हैं। इस समय माता-पिता के लिए बच्चे की परेशानी के सही कारणों को जान पाना बेहद मुश्किल हो जाता है। साथ ही अपने बच्चे को रोता हुआ देखकर घर के सभी लोग परेशान हो जाते हैं।

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शिशुओं और बच्चों की इसी परेशानी को सरल बनाने के लिए आपको इस लेख में “रोते हुए बच्चे को कैसे शांत करें” के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। साथ ही इस लेख में आपको बच्चों के रोने के कारण, बच्चों को चुप कराने का तरीका, बच्चों को चुप कराने उपाय और बच्चे के चुप कराने के नुस्खे, आदि के बारे में भी विस्तार से बताने का प्रयास किया गया है।

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  1. बच्चों के रोने के कारण - Bache ke rone ka karan
  2. बच्चों को चुप कराने का तरीका - Bacho ko chup karane ka tarika
  3. बच्चे को चुप कराने के उपाय - Bache ko chup karane ke upay
  4. बच्चे को चुप कराने के नुस्खे - Bache ko chup karane ke nuskhe
  5. रोते हुए बच्चे को शांत करने के अन्य उपाय - Rote hue bache ko shant karne ke anya upay

सामान्यतः शिशु और बच्चे अपनी बात को माता-पिता तक पहुंचाने के लिए रोना शुरू कर देते हैं। भूख, परेशानी या डर, आदि सभी चीजों को बच्चे रोकर ही बताने का प्रयास करते हैं। माता-पिता को अंदाजा लगाकर अपने बच्चे के रोने के सही कारणों का पता लगाना होता है, लेकिन धीरे-धीरे मां बच्चे के रोने पर उसकी जरूरत को समझने लग जाती हैं। आगे आपको बच्चों के रोने के कुछ कारणों के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। जिसकी मदद से आप बच्चों के रोने के कारण को समझ सकती हैं। 

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बच्चों के रोने के मुख्य कारणों को निम्नतः विस्तार से जानें –

  • भूख लगना:
    यदि शिशु को स्तनपान किए हुए तीन से चार घंटे बीत चुके हों और बच्चा जागकर रोने लगे तो समझ जाएं कि बच्चा भूख के कारण रो रहा है। कई बार बच्चा मल त्याग करने के बाद भी भूख की वजह से रोने लगते हैं। भूख के कारण बच्चों का रोना एक आम बात है। ऐसे में बच्चे को स्तनपान कराना या खाना खिलाना उसकी भूख को शांत कर देता है। (और पढ़ें - बच्चों में भूख ना लगने का समाधान)
     
  • गंदे डायपर:
    कुछ बच्चों को गंदे डायपर को पहने रखना पसंद नहीं होता है। ऐसे में अपनी परेशानी को बताने और गंदे डायपर को बदलने के लिए बच्चे अक्सर रोना शुरू कर देते हैं। यदि बच्चा रो रहा हो तो ऐसे में आप चेक करें कि कहीं बच्चे का डायपर गंदा तो नहीं है। कई बार बच्चे पेशाब करने के बाद भी खुद को असहज महसूस करने लगते हैं। ऐसे में आपको रोते हुए बच्चे को शांत करने के लिए उसके डायपर को बदलना चाहिए। (और पढ़ें - डायपर के रैशेस हटाने के घरेलू नुस्खे)
     
  • पेट में दर्द होना:
    अधिकतर शिशुओं को पेट में गैस या कोलिक की वजह से दर्द होने लगता है। स्तनपान के बाद शिशु का रोना इस समस्या का लक्षण होता है। जन्म के कुछ सप्ताह के बाद शिशु को होने वाली समस्याओं में से यह एक आम समस्या है, जो शिशु को पांच माह तक हो सकती है।
    • कोलिककोलिक की वजह से शिशु को सोने में परेशानी होती है और वह रात में घंटों तक रोता रहता है। इससे बचाव के लिए आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। इसके साथ ही मालिश से भी शिशु को कोलिक में आराम मिलता है। (और पढ़ें - नवजात शिशु के पेट में दर्द का इलाज)
    • गैस – अगर शिशु या बच्चा गैस के कारण रो रहा हो, तो ऐसे में आप उसको पीठ के बल पर लेटाकर उसके घुटनों को हल्के हाथों से पेट की तरफ मोड़ें। इसके साथ ही यदि आपने हाल ही में बच्चे को ठोस आहार देना शुरू किया है तो उसको गैस बनाने वाले खाद्य पदार्थ ना दें। पेट में गैस की समस्या बच्चे को कई दिनों से परेशान कर रही हो तो आपको अपने डॉक्टर से भी इस बारे में बात करनी चाहिए। (और पढ़ें - शिशु की गैस का इलाज)
       
  • नींद:
    अक्सर आप सभी को ऐसा लगता है कि शिशु को थकान होने पर वह आसानी से कभी भी और कहीं भी सो जाते हैं, लेकिन कई बार ज्यादा थकान होने पर बच्चे सोने की बजाय रोना शुरू कर देते हैं। साथ ही थकान में नींद न आने की वजह से बच्चा परेशान हो जाता है। बच्चा जब जंभाई लेने लगे, आंख मसलने लगे, कानों को रगड़ने लगे या खेल में रुचि न लें तो आप समझ जाएं कि बच्चे या शिशु को नींद आ रही है। (और पढ़ें - बेबी को सुलाने के टिप्स)
     
  • बीमार होने पर:
    बच्चे अपनी बीमारी या परेशानी की बात को भी रोकर ही बताने का प्रयास करते हैं। अगर बच्चा लगातार रो रहा हो और सब उपाय करने के लिए बाद भी चुप नहीं हो पा रहा हो, तो बच्चे के शरीर के तापमान की जांच करें। इसके साथ ही आपको बच्चे के डायपर रैश और कान के इंफेक्शन की भी जांच करनी चाहिए। बीमारी में बच्चा सामान्य दिनों की अपेक्षा तेज आवाज में रोता है। इससे आप समझ जाएं कि आपके बच्चे को स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या है और ऐसे में बच्चे को अपने डॉक्टर के पास लेकर जाएं। (और पढ़ें - बच्चों की सेहत के इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज)

बच्चे के रोने के अन्य कारण

  • बच्चे को ज्यादा गर्मी या ठंड लगना।
  • एक ही स्थिति में लंबे समय तक लेटे रहने से परेशान होना।
  • दांत आने में मसूड़ों में दर्द होना। (और पढ़ें - बच्चों के दांत निकलने की उम्र और समय)
  • अकेले होने पर। 
  • खाने के बाद डकार न ले पाना, आदि।

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बच्चे को चुप करने के कुछ तरीकों को नीचे बताया गया है -

  • बच्चे को लपेटकर सुलाना:
    जन्म लेने के बाद शिशु को बाहर के माहौल से तालमेल बैठा पाने में थोड़ा समय लगता है। कई बार बच्चा इसकी वजह से भी रोने लगता है। शिशु को चुप कराने के तरीके में उसको लपेटकर सुलाना एक अच्छा उपाय माना जाता है। किसी सूती कपड़े या चादर से शिशु को लपेटने से उसको गर्भ के अंदर होने का एहसास होता है और वह ऐसे में जल्द ही रोना कम कर देता है। आप ऐसे में शिशु के हाथों को खुला रहने दें इससे भी उसको काफी आराम मिलता है और वह जल्द ही चुप हो जाता है। (और पढ़ें - बच्चों की इम्यूनिटी कैसे बढ़ाएं)
     
  • बच्चे को गोद में उठाकर खेलें और झुलाएं:
    बच्चों को लगातार दोबार होने वाली गतिविधियां पसंद होती है, जैसे एक ही तरह बार-बार हिलना, गोद में झुलना, हवा में उछना और गाड़ी में घूमना आदि। कई बार आपने देखा भी होगा कि जैसे ही बच्चा रोना शुरू करता है, मां-बाप उसको चुप कराने के लिए गोद में झूला झुलाने लगते हैं। यह तरीका बेहद ही कारगर होता है। इससे बच्चा रोना बंद करके खेलना और हंसना शुरू कर देता है। 

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बच्चे को चुप या शांत कराने के कई उपाय मौजूद हैं, जिनमें से आपको निम्नतः कुछ उपायों को बताया जा रहा है।

  • एक लय में चलने वाली आवाज (White noise):
    कुछ बच्चे एक लय में चलने वाली आवाज को सुनकर भी रोना बंद कर देते हैं। माना जाता है कि एक लय में लगातार चलने वाली आवाज बच्चों को गर्भ मे होने वाली आवाज की तरह ही लगती है। इसलिए मां जब बच्चे को चुप कराने के लिए “शशश...” की आवाज निकालती है तो बच्चा चुप हो जाता है। ठीक ऐसे हैं वैक्युम क्लीनर की आवाज सुनते ही बच्चा रोते समय शांत हो जाता है। लेकिन ऐसा करते समय इस बात का ध्यान दें कि बच्चे के रोने की आवाज इस ध्वनि (शश...) से थोड़ा कम होनी चाहिए, ताकि बच्चा इस आवाज को सही तरह से सुनकर उस पर प्रतिक्रिया कर सके। (और पढ़ें - नवजात शिशु का रंग गोरा करने के उपाय)
     
  • बच्चे को लोरी सुनाएं:
    शिशु के पहले से ही मां की आवाज को पहचानना शुरू कर देता है। ऐसे में जब भी बच्चा रोए तो आप उसको लोरी सुनाने लगें। लोरी सुनने से नींद के कारण रोने वाले बच्चे को सोने में आसानी होती है। 

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बच्चे को चुप कराने के नुस्खे से भी आप अपने रोते हुए बच्चे को आसानी से शांत या चुप करा सकते हैं। बच्चे को चुप करने के कुछ नुस्खों के बारे में नीचे बताया जा रहा है।

  • बच्चे को बाहर घुमाने ले जाएं:
    कई बार शिशु या बच्चा को घर से बाहर ले जाकर, खुली हवा में घुमाना चाहिए। इससे शिशु के माहौल में बदलाव होता है, जिसकी वजह से शिशु का मूड पहले से ज्यादा अच्छा हो जाता है। अगर आप बच्चे के गोद में रखकर बाहर नहीं घुम पाती हैं तो ऐसे में आप अपने बच्चे के लिए स्ट्रॉलर (Strawler: बच्चे को घुमाने वाली गाड़ी) ले आएं और बाहर जाते समय बच्चे को भी घुमाने ले जाएं। (और पढ़ें - दूध के दांत टूटने की उम्र)
     
  • बच्चे की मालिश करें:
     बच्चे को मालिश करने से भी उसको काफी आराम मिलता है। जब बच्चा बैठना या घुटनों के बल पर चलना सीख रहा होता है, तब उसकी मांसपेशियों में दर्द होता है। मालिश के बाद बच्चे को हल्के गर्म पानी से नहलाने से उसकी मांसपेशियों को आराम मिलता है। बच्चे को नहलाने के बाद आप उसके बालों को नरम कंघी से बनाएं ऐसा करने से बच्चे को जल्दी नींद आती है और वह थकान की वजह से रोना कम कर देता है। 

(और पढ़ें - बच्चे की मालिश कैसे करें)

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रोते हुए बच्चे को शांत करन के अन्य उपायों को नीचे विस्तार से बताया गया है।

  • बच्चे के पास रहना: 
    शिशु को मां-बाप या घर के अन्य सदस्यों का लाड़ प्यार अच्छा लगता है। इसके साथ ही शिशु कुछ समय के बाद अपने घर के लोगों के चेहरे भी पहचाने लगता है, जब मां या घर के अन्य सदस्य उसको दिखाई नहीं देते हैं तो शिशु रोने लगता है। ऐसे में मां या घर के अन्य सदस्य के पास होने पर बच्चा रोना बंद कर देता है। (और पढ़ें - नवजात शिशु को नहलाने का तरीका)
     
  • बच्चे को गोद में उठाएं:
    शिशु पूरे गर्भकाल में मां की हृदय ध्वनि को सुनता है, ऐसे में जब शिशु मां की गोद में जाता है तो वह मां की दिल की धड़कनों को पहचान कर रोना बंद कर देता है। (और पढ़ें - बच्चे को चलना कैसे सिखाएं)
     
  • बच्चे को स्तनपान कराने की पोजीशन में बदलाव करें। (और पढ़ें - बच्चे को दूध पिलाने के तरीके)
  • बच्चे को पैसिफायर (pacifier: कृत्रिम निप्पल) चूसने दें।  
  • बच्चे का ध्यान किसी अन्य वस्तु पर लगाएं। (और पढ़ें - बच्चे को बोतल से दूध पिलाने के फायदे)
  • बच्चे को उसकी पसंद का खिलौना दें। 

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