शिशु के जन्म के साथ ही अभिभावकों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है वे अपने शिशु की हर छोटी बड़ी बात का ध्यान रखते हैं। बच्चे पूरी तरह से माता पिता पर ही आश्रित होते हैं। नवजात शिशु खुद से कोई गतिविधि नहीं कर सकते ऐसे में उनका काम सिर्फ सोना ही होता है जिसके कारण बच्चों के सिर का आकार बिगड़ जाता है।
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कभी भी बच्चों के सिर का आकर एक सा नहीं होता है। शिशुओं के सिर में नाजुक हड्डियां होती हैं जिसके कारण उनके सिर का आकार लेटे रहने के कारण आसानी से बिगड़ सकता है। आपके शिशु के सिर का आकार न बिगड़े इसकी जिम्मेदारी आपकी है। आज हम इस लेख में बताएंगे कि शिशु के सिर का आकार क्यों बिगड़ता है और उसे ठीक करने के लिए क्या करें?
मोल्डिंग प्रक्रिया में शिशु के सिर में पड़ने वाले दाब के कारण उसकी खोपड़ी का आकार बदल सकता है। शिशु को पीठ के बल सुलाने से उसके सिर के पीछे का हिस्सा समतल हो जाता है। जिससे बच्चों में अकस्मात मृत्यु (एस आई डी एस) का खतरा कम हो जाता है।
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शिशुओं का सिर पीछे या साइड से समतल होने के कुछ अन्य कारण भी निम्नलिखित हैं:
- समय से पूर्व प्रसव:
समय से पहले जन्में शिशु की हड्डियां पूरी तरह विकसित नहीं होती हैं, वे काफी नरम होती हैं। प्रसव के दौरान प्रसव नलिका से बाहर आते समय शिशु के सिर का आकार बिगड़ने की संभावना रहती है। ऐसे शिशुओं को अपने सिर पर नियंत्रण संभालने में भी समय पर जन्मे शिशुओं की तुलना में अधिक समय लगता है। (और पढ़ें - समय से पूर्व प्रसव)
- जुड़वां बच्चे (गर्भ में एक से ज्यादा शिशु):
अगर गर्भवती के गर्भ में एक से ज्यादा शिशु पल रहे हों तो इस कारण से भी शिशुओं के सिर का आकार बिगड़ सकता है। (और पढ़ें - जुड़वां बच्चे कैसे होते हैं)
- एमनियोटिक द्रव की कमी:
अगर गर्भवती के शरीर में एमनियोटिक द्रव का स्तर कम होता है तो शिशु को हिलने-डुलने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिलती। शिशु के सिर का आकर बिगड़ने का एक कारण यह भी होता है।
शिशु के सिर में साइड के समतल हिस्से को डॉक्टरी भाषा में प्लेजियोसेफेली और सिर के पिछले समतल हिस्से को ब्रेकिसेफेली कहते हैं। शिशु के सिर का बिगड़ा हुआ आकार कुछ खास चिंता का विषय नहीं है।
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शिशु के सोते समय, दूध पीते समय या फिर खेलते समय उसके सिर की अवस्था में बदलाव करते रहना चाहिए इससे बच्चे के सिर का आकार ठीक रहने में मदद मिलेगी। शिशु की अवस्था में बदलाव करने को काउंटर-पॉजिशनिंग या रीपॉजिशनिंग कहते हैं। इससे शिशु के सिर के चपटे हिस्सों को आकार में आने में मदद मिलती है। शिशु की सुरक्षा के लिए उसे हमेशा पीठ के बल ही सुलाना ठीक रहता है।
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शिशु के सिर का आकार कैसे ठीक करें?
निम्नलिखित तरीकों से शिशु के सिर के आकार को ठीक किया जा सकता है:
- शिशु को सिर के गोल हिस्से की तरफ से ही गद्दे पर लिटाएं।
- कई बार बच्चे का चपटा सिर एक ही तरफ सोने के कारण भी हो सकता है इसलिए सोते समय बच्चे की दिशा में परिवर्तन करते रहना चाहिए।
- शिशु को करवट बदल-बदल कर सुलाना चाहिए इससे बच्चे के सिर के आकार को गोल करने में मदद मिलेगी। (और पढ़ें - बच्चों को दौरे आने का इलाज)
- जब आपके शिशु की गर्दन की मांसपेशियां मजबूत होने लगती हैं तब उसे पेट के बल ही लिटाना चाहिए। (और पढ़ें - बच्चे पेट के बल क्यों सोते हैं)
- बच्चे को खेलने के लिए पेट के बल ही लिटाएं लेकिन उसे अकेला नहीं छोड़ें। बच्चे को इसी अवस्था में अकेले छोड़ने से उसे जान का जोखिम भी हो सकता है।
- आमतौर पर शिशुओं को सरसों से बने तकिये पर भी लिटाया जाता है। इसमें भी तकिये की ऊंचाई का खास ख्याल रखना चाहिए। चिकित्सकों द्वारा 1 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए किसी भी प्रकार के तकिये की सलाह नहीं दी जाती है।
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ज्यादातर लोगों की धारणा है कि बच्चे के सिर की मालिश करने से उसके सिर का आकार गोल हो जाएगा लेकिन इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि शिशु के सिर में दबाव डालकर मालिश करने से उसका सर गोलाकार हो जाएगा, अत्यधिक दबाव के कारण बच्चे को फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है।
ज्यादातर शिशुओं के सिर का आकार बिगड़ने का इलाज नहीं कराना पड़ता। छह महीने का होने तक शिशु के सिर का आकार अपने आप ही ठीक हो जाता है। जब शिशु छोटा होता है तो वो हर समय सिर्फ लेटा ही रहता है जिससे उसके सिर पर दबाव पड़ता है और उसके सिर का आकार चपटा हो जाता है लेकिन जब शिशु बैठने लगता है तब उसके सिर पर पड़ने वाला दबाव कम हो जाता है और उसके सिर का आकार ठीक हो जाता है।
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अगर आपके शिशु के सर का चपटा आकर ज्यादा स्पष्ट दिखने लगा है तो किसी प्रकार के घरेलू उपचार आजमाने से बेहतर होगा डॉक्टर को दिखाया जाए। शिशु के सिर का आकार बिगड़ने के अन्य कारण भी हो सकते हैं।