कान में मैल जमना या ईयर वैक्स बनना एक सामान्य प्रक्रिया है। यह कान के लिए उपयोगी भी है। कुछ लोगों के कान में ज्यादा ईयरवैक्स बनती है तो कुछ लोगों में कम। बच्चों के कान में बड़ों की तुलना में ज्यादा मैल जमता है। अगर ईयरवैक्स या गंदगी की वजह से बच्चे को सुनने में दिक्कत हो या कान में दर्द हो या लगे कि कान में कोई चीज अटक गई है तो ऐसी स्थिति में कान से मैल निकालना जरूरी हो जाता है।

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बच्चों के कान में जमी मैल की वजह
ज्यादातार पैरेंट्स अपने छोटे बच्चे के कान की सफाई काॅटन स्वैब (रुई का फोहा) से करते हैं। जबकि काॅटन स्वैब से मैल बाहर निकलने के बजाय कान के अंदर की ओर घुस जाता है। नतीजतन कान में मैल कम होने के बजाय कुछ दिनों बाद बढ़ जाता है। इसके अलावा अगर बच्चा बार-बार अपनी उंगली कान में देता है या पैरेंट्स उसके कान में किसी तरह के ईयर प्लग डालते हैं तो इससे भी कान की ईयरवैक्स बढ़ती है।

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कैसे करें बच्चे के कान की सफाई?
बच्चे की कान की सफाई नियमित करनी चाहिए। मुलायम कपड़े से कान की सफाई करना सबसे आसान और बेहतर तरीका है। काॅटन स्वैब से सिर्फ कान के बाहरी हिस्से की सफाई करें। अगर बच्चे के कान का मैल काफी सख्त महसूस हो रहा है तो इसके लिए जैतून का तेल या कोई भी खनिज तेल की कुछ बूंदें बच्चे के कान में डाली जा सकती है। कान में तेल की बूंदें डालने के लिए आयल ड्रापर का उपयोग करें। इसके लिए बच्चे को सबसे पहले बिस्तर पर आराम से लेटाएं। बच्चे को एक साइड की ओर लेटाएं। उस कान को ऊपर की ओर रखें, जिसकी  सफाई करनी है। इसके बाद कान में तेल की कुछ बूंदें डालें। तेल की बूंद डालने के बाद बच्चे को सावधानी पूर्वक बिस्तर पर बैठाएं। इस तरह उसके कान का वैक्स मुलायम हो जाएगा। इसे निकालना आसान रहेगा।

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कब करें डाक्टर से संपर्क?
कई बार पैरेंट्स बच्चे के कान में जमे मैल को आसानी से नहीं निकाल पाते। इससे उसे असहजता होती है और दर्द भी हो सकता है। ऐसी सिचुएशन में बच्चे के साथ जबरदस्ती करने के बजाय उसे डाॅक्टर के पास ले जाएं। संभव है वहां बच्चा लगातार असहज रहे। वह डाॅक्टर को आसानी से अपने कान को हाथ न लगाने दे। ऐसे में पैरेंट्स को कोशिश करनी चाहिए कि बच्चा डाॅक्टर के साथ सहयोग करे। बच्चे से सहयोग न मिलने पर डाॅक्टर बच्चे को जनरल एनेस्थीसिया दे सकते हैं। कान से मैल निकालने के लिए डाॅटर ईयर वैक्स निकालने वाले टूल्स का इस्तेमाल करते हैं। अगर डाॅक्टर को कान के अंदर किसी तरह के संक्रमण की आशंका महसूस होती है, तो वह एंटीबायोटिक ईयर ड्राॅप्स नुस्खे के रूप में दे सकते हैं। ऐसा अमूमन कम मामलों में ही होता है।

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बच्चे की कान की सफाई के जोखिम
याद रखें कि बच्चे के कान में कोई भी नुकीली और छोटी चीज न डालें। कुछ पैरेंट्स अपने बच्चे की कान की सफाई माचिस की तीली से करने लगते हैं। जबकि यह तरीका सबसे गलत है। इससे बच्चे के कान के पर्दे में चोट लग सकती है। इसी तरह बच्चे की कान की सफाई के लिए ईयर कैंडलिंग की सलाह भी नहीं दी जाती। ईयर कैंडलिंग से फायदा होने के बजाय नुकसान हो सकता है।

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