जन्म के बाद से ही शिशुओं की हर जरूरत का ध्यान मां को ही रखना पड़ता है क्योंकि वे बोल कर अपनी समस्या और जरूरत को शब्दों में बता नहीं सकते। उनका खाना - पीना और कपड़े पहनने से लेकर सबकुछ माता - पिता पर आश्रित रहता है। आज हम इस विषय पर बात करेंगे कि शिशु को डकार दिलवाना क्यों जरूरी है और इसका सही तरीका क्या है?

खाना खाने के बाद डकार अगर किसी बड़े को भी न आए तो उसे भी बेचैनी हो जाती है और यहां तो बात बच्चों की हो रही है। दूध पीने के बाद अगर बच्चा डकार नहीं लेता है तो उसे पेट से जुड़ी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

(और पढ़ें - पेट के रोग के लक्षण)

  1. शिशुओं को डकार दिलवाना क्यों जरूरी है - Baccho ko dakar dilvana kyo jaruri hai
  2. शिशुओं को डकार कब दिलवानी चाहिए - Baccho ko dakar kab dilvaani chahiye
  3. शिशु को डकार कैसे दिलाएं - Baby ko dakar dilane ka tarika

जब शिशु स्तनपान करता है तो वो दूध के साथ हवा भी अंदर ले लेता है, हवा के यह बुलबुले बच्चे के पेट में फंस सकते हैं जिसके कारण वो असहज महसूस कर सकता है। वह चिड़चिड़ा भी हो सकता है। शिशु को डकार दिलवाने से उसका पेट खाली होता है और इससे वह ज्यादा देर तक स्तनपान कर सकता है।

(और पढ़ें - स्तनपान से जुड़ी समस्याओं के समाधान)

अक्सर बच्चे दूध पीने के बाद उल्टी कर देते हैं तो प्रायः देखा गया है कि अगर बच्चों को दूध पिलाने के बाद डकार दिलाई जाए तो वे उल्टी नहीं करते। अगर बच्चे को कोलिक या रिफ्लक्स की समस्या है तो ऐसी स्थति में भी बच्चे के लिए डकार बहुत जरूरी है।

स्तनपान के मुकाबले बोतल से दूध पीने वाले शिशुओं को ज्यादा डकार दिलवाने की जरूरत होती है। स्तनपान करने वाले और बोतल से दूध पीने वाले दोनों शिशुओं के पेट में हवा जा सकती है लेकिन स्तनपान करने वाले शिशुओं को डकार दिलवाने की जरूरत कम होती है क्योंकि वे दूध पीते समय कम हवा निगलते हैं। बोतल से दूध पिलाते समय बच्चे को सीधा रखना चाहिए इससे उसके पेट में कम हवा जाएगी और उसे डकार भी कम दिलवानी पड़ेगी।

(और पढ़ें - स्तनपान के दौरान होने वाले दर्द का उपाय)

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शिशुओं को डकार तभी दिलवानी चाहिए जब इसकी जरूरत हो। स्तनपान कराते समय अगर शिशु रोने लगे, दूध पीना छोड़ दे या उसे थोड़ी सी भी असहजता महसूस हो तो उसे तब डकार दिलवाना जरूरी होती है। जब शिशु धीरे-धीरे बड़ा हो रहा होता है तो वो अच्छे से दूध पी सकता है और वो दूध के साथ कम हवा निगलता है और तब बच्चे को ज्यादा डकार नहीं दिलानी पड़ती।   

शिशु को डकार दिलवाने के तरीके निम्नलिखित हैं:

  • शिशु को ऐसा गोद लें कि उसकी ठोड़ी आपके कंधे पर हो और हल्के हाथों से बच्चे की पीठ को सहलाएं और थपथपाएं। (और पढ़ें - पीठ में दर्द के लक्षण)
  • शिशु को अपने पैरों पर इस तरह लिटाना चाहिए कि उसका चेहरा नीचे की तरफ हो और उसे थोड़ा सहारा देकर उसकी पीठ को सहलाना चाहिए और थपकी दिलानी चाहिए। (और पढ़ें - चेहरा साफ करने के उपाय)
  • शिशु को गोद में बैठाकर उसकी पीठ को सहलाना चाहिए और हल्की थपकी देनी चाहिए।
  • डकार दिलाने के लिए बच्चे के सिर को सीधा रखना चाहिए उसे अपने कंधों पर लिटाकर उसकी पीठ को आराम से मालिश करना चाहिए ऐसा करने पर बच्‍चा थोड़ी देर में डकार ले लेता है। (और पढ़ें - नवजात शिशु की मालिश कैसे करें)
  • बच्चे को दूध पिलाते समय सीधा रखें इससे बच्चे को डकार लेने में दिक्कत नहीं होती।

वैसे तो हर मां अपने आपमें ही डॉक्टर होती है लेकिन फिर भी कई मामलों में देखा गया है की शिशुओं को डकार लेने में अधिक दिक्क्त होती है या वे डकार नहीं ले पाते हैं ऐसी परिस्थिति में किसी भी तरह के घरेलू उपचार या नुस्खे आजमाने से बेहतर है कि चिकित्सक से सलाह ली जानी चाहिए। छोटे शिशुओं के स्वास्थ्य में कोई लपरवाही नहीं बरतनी चाहिए।

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