9 महीने की प्रेगनेंसी के दौरान की जाने वाली प्लानिंग, इंतजार और घबराहट के बाद आखिरकार आपके जिगर का टुकड़ा आपका शिशु आपके पास है और परिवार का हिस्सा बन चुका है। लेकिन जब तक शिशु मां के गर्भ में होता है मुश्किलें और चुनौतियां उतनी नहीं होती जितनी उसके जन्म के बाद शुरू होती हैं। नवजात शिशु बोल नहीं सकता इसलिए उसकी जरूरतों को समझना, उसे दूध पिलाना और सबसे जरूरी है नवजात शिशु की नींद। अपने नवजात शिशु की नींद की जरूरत को समझना बेहद जरूरी है क्योंकि असरदार स्लीप रूटीन शिशु और पैरंट्स दोनों के लिए जरूरी है ताकि वे अपने शरीर की खोई हुई ऊर्जा को फिर से हासिल कर पाएं।
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नवजात शिशुओं के लिए कितनी नींद जरूरी है? इस सवाल का जवाब इस बात में छिपा है कि सभी बच्चे एक जैसे नहीं होते और वे एक दूसरे से अलग होते हैं। बावजूद इसके अगर आपका शिशु आमतौर पर खुश है, ऐक्टिव है तो इसका मतलब है कि उसकी नींद पूरी हो रही है। लेकिन अगर आपका शिशु, पेट भरा होने और डायपर सूखा होने के बाद भी रो रहा है, चिड़चिड़ापन दिखा रहा है, खुश नहीं है, तो यह भी इस बात का संकेत हो सकता है कि आपके शिशु की नींद पूरी नहीं हो रही है। लिहाजा अगर आप शिशु की नींद को लेकर चिंतित हैं तो कम से कम एक सप्ताह तक शिशु की नींद पर नजर रखें और शिशु कितना सो रहा है इसे ट्रैक करें।
नवजात शिशु की अच्छी सेहत के लिए मां के दूध के साथ-साथ उसकी नींद का पूरा होना भी बेहद जरूरी है। ऐसे में जन्म से लेकर 3 महीने तक के शिशुओं को हर दिन कितना सोना चाहिए इस बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बता रहे हैं।
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