जन्म के बाद कई तरह के संक्रमण और रोगों से सुरक्षित रखने के लिए शिशु को कई टीके लगाए जाते हैं। हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी वैक्सीन इन्हीं में से एक है। इसको हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी के संक्रमण से बचाने के लिए शिशु को लगाया जाता है। इस संक्रमण की वजह से शिशु को कई तरह के रोग होते हैं। यह संक्रमण मुख्य रूप से 5 साल से कम आयु के बच्चों को ही होता है। हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी संक्रमण के रोगाणु फेफड़ों और खून में पहुंच कर गंभीर रोग उत्पन्न कर देते हैं।

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इन रोगाणुओं की गंभीरता के चलते ही इस लेख में आपको हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। साथ ही आपको हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी क्या है, हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन किस उम्र में दी जाती है, हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन की कीमत, हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी के साइड इफेक्ट, हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी किसे नहीं दी जानी चाहिए, आदि विषयों पर भी विस्तार से बताने का प्रयास किया गया है। 

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  1. हिब वैक्सीन क्या है - Hib vaccine kya hai
  2. हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन किस उम्र में दी जाती है - Haemophilus influenzae type b vaccine kis umar me di jati hai
  3. भारत में हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन की कीमत - Haemophilus influenzae type b vaccine ki kimat
  4. हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन से होने वाले साइड इफेक्ट - Hib vaccine side effects in hindi
  5. हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन किसको नहीं देनी चाहिए - Hib vaccine kisko nahi deni chahiye
  6. भारत में हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन - Haemophilus influenzae type b vaccine in india in hindi
हिब वैक्सीन के डॉक्टर

हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन को जानने से पहले आपको हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी संक्रमण के बारे में समझना होगा। आपको बता दें कि हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (Hib) रोग बेहद ही गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण होता है। बच्चों में बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस का यह एक मुख्य कारण होता है। इस रोग में बैक्टीरिया शरीर के उन हिस्सों में भी फैलते हैं जो रोगाणुओं से मुक्त होते हैं। मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को ढकने वाली झिल्ली में होने वाले संक्रमण को मेनिनजाइटिस कहते हैं। बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस संक्रमण में रोगी की संज्ञानात्मक क्षमता (Cognitive ability) कम हो जाती है और बुखार आना शुरू हो जाता है। कई मामलों में तो इसके कारण कोमा और मृत्यु भी हो जाती है।

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यह संक्रमण 5 साल से कम आयु के बच्चों और कुछ विशेष परिस्थितियों में वयस्कों को भी अपनी चपेट में ले सकता है। इस संक्रमण के बैक्टीरिया से ग्रसित व्यक्ति या बच्चे के संपर्क में आने से आपके बच्चे को भी हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (Hib) रोग हो सकता है।

इसमें बैक्टीरिया या रोगाणु बच्चे की नाक और गले में होने से बच्चा बीमार नहीं होता है। लेकिन जब यह रोगाणु शिशु के फेफड़ों और खून में पहुंचते हैं तो यह एक गंभीर समस्या बन सकता है। इस संक्रमण में मेनिनजाइटिस की वजह से मस्तिष्क को क्षति या बहरापन की संभावनाएं अधिक होती है। हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (Hib) के कारण निमोनिया, सांस लेने में मुश्किल, गले में सूजन व मृत्यु तक हो सकती है। इस रोग में रक्त, जोड़ों और हड्डियों में भी संक्रमण हो सकता है।

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इस रोग की रोकथाम व शिशु को इससे बचाने के लिए हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (Hib) वैक्सीन को बनाया गया। इस वैक्सीन के इस्तेमाल के बाद हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (Hib) रोग के गंभीर मामलों को करीब 99 प्रतिशत तक कम किया गया है। साथ ही इस वैक्सीन को न लेने से अधिक शिशु और बच्चों में हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (Hib) रोग होने की संभावनाएं होती हैं।

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दो प्रकार की वैक्सीन हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (Hib) से बचाव है, इनको नीचे बताया जा रहा है: 

  • बच्चों और वयस्कों के लिए हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (Hib) वैक्सीन,
  • डीटीएपी-आईपीवी (DTap-IPV)/हिब वैक्सीन (Hib vaccine) – ये वैक्सीन 2 से 18 महीने के शिशु को हिब रोग, टेटनस, डिप्थीरिया, काली खांसी और पोलियो से बचाव करती है। 

क्या शिशु या बच्चे को वैक्सीन लेने के बाद भी मेनिनाजाइटिस हो सकता है:

हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन लेने के बाद शिशु या बच्चा हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी के कारण होने वाले मेनिनजाइटिस में सुरक्षित रहता है। लेकिन कई अन्य तरह के रोगाणुओं की वजह से बच्चे को मेनिनजाइटिस हो सकता है। यदि बच्चा हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन को लेता है, तो ऐसे में अन्य रोगाणुओं के चलते होने वाले मेनिनजाइटिस का प्रभाव बेहद कम हो जाता है।

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हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन शिशु और बच्चों को दी जाती है। लेकिन कुछ विशेष चिकित्सकीय परिस्थितियों में इस वैक्सीन को वयस्कों को भी दिया जा सकता है। हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन निम्न रूप से चार खुराक में शिशु या बच्चों को दी जाती है।

2 से 18 महीनों के शिशु को संयोजन के रूप में भी इस वैक्सीन को दिया सकता है। इसके संयोजन से हिब रोग, टेटनस, डिप्थीरिया, काली खांसी और पोलियो के रोग से सुरक्षा मिलती है। इस वैक्सीन को डीटीएपी-आईपीवी (DTap-IPV)/हिब वैक्सीन (Hib vaccine) कहा जाता है। डॉक्टर आपके शिशु को ये वैक्सीन देने की सलाह देते हैं।

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5 साल से अधिक आयु के बच्चे और वयस्कों को हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन सिकल सेल रोग या एस्प्लेनिया (asplenia) होने, ऑपरेशन में प्लीहा (spleen: स्प्लीन) को निकालने से पहले या अस्थि मज्जा का प्रत्यारोपण करने के बाद वैक्सीन  5 साल से बड़े बच्चों और वयस्कों को भी दी जा सकती है। इतना ही नहीं 5 से 18 साल के बच्चों व किशोरों को एचआईवी होने पर भी इस वैक्सीन को दिया जा सकता है। (और पढ़ें - बच्चों में भूख ना लगने का समाधान)

यदि शिशु को खुराक देना भूल जाए तो क्या करें

हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन की कोई खुराक शिशु को देना भूल जाएं, तो इस स्थिति में आप अगली खुराक को डॉक्टर से पूछकर दिलावा सकती है। वैक्सीन को कोई खुराक छूट जाने की स्थिति में इसके क्रम को दोबारा शुरू नहीं किया जाता है। 

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भारत में हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन कई ब्रांड में मिलती है। ये वैक्सीन कुछ अन्य वैक्सीन के साथ संयोजन में भी उपलब्ध होती है, इससे बच्चे को एक वैक्सीन से कई तरह की वैक्सीन का लाभ मिल जाता है। देश में मिलने वाली कुछ हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन और उसकी कीमत को नीचे विस्तार से बताया जा रहा है।

 हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन कीमत
 हाइब (Hibe)  385
क्वाड्रोवैक्स एसडी वैक्सीन (QUADROVAX SD Vaccine) 489.34
कोम्बीफाइव इंजेक्शन (Combefive Injection)  635
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सामान्यतः हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन से होने वाले साइड इफेक्ट बेहद कम होते हैं और यह कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं। इस वैक्सीन से गंभीर साइड इफेक्ट बेहद कम मामलों में देखने को मिलते हैं। इसके साथ ही वैक्सीन से गंभीर एलर्जी प्रतिक्रिया होने की संभावना भी बेहद कम होती है।

हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन से होने वाले सामान्य साइड इफेक्ट को निम्न तरह से बताया गया है-

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हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन को कुछ विशेष तरह की परिस्थितियो में न लेने की सलाह दी जाती है। किसी रोग या अन्य स्वास्थ्य स्थिति के कारण डॉक्टर इस वैक्सीन को शिशु या वयस्कों को देना उचित नहीं मानते है। आगे जानते हैं कि किन लोगों को हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए:

  • 6 माह से कम आयु के शिशु को वैक्सीन नहीं दी जानी चाहिए। 
  • यदि किसी व्यक्ति को हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन की पिछली खुराक से घातक एलर्जी हो या इंजेक्शन की जगह पर एलर्जी हो, तो ऐसे में व्यक्ति को वैक्सीन की दोबारा खुराक नहीं लेनी चाहिए। (और पढ़ें - एमएमआर टीका कब लगाना चाहिए)
  • जिन लोगों को हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन की प्रतिक्रिया से हल्की या गंभीर बीमारी हो, उनको इस वैक्सीन की दोबारा खुराक लेने से पहले ठीक होने तक का इंतजार करना चाहिए। साथ ही दोबारा खुराक लेते समय यदि आप बीमार हैं तो इस बारे में अपने डॉक्टर से जरूर बात करें। (और पढ़ें - बच्चों की सेहत के इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज)
  • हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन में मौजूद तत्व से किसी प्रकार की गंभीर एलर्जी होने वाले लोगों को इस वैक्सीन को नहीं लेना चाहिए।  

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भारत में हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन को संयोजन में लेने से बच्चों को खतरा हो सकता है। इस विषय पर भारत में अध्ययन किए गए हैं। अध्ययन में पाया कि हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन के संयोजन वाली पेंटावैलेंट वैक्सीन से कई बच्चों की मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है। कुछ बच्चों पर हुए अध्ययन में पाया कि डीपीटी लेने की अपेक्षा हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन के संयोजन से बच्चों को मृत्यु का खतरा अधिक होता है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने इस व्यक्तिगत अध्ययन को स्वीकार नहीं किया है।

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