बच्चों में कब्ज एक आम समस्या है. बच्चों को कब्ज होने पर बाउल मूवमेंट कम हो जाता है और मल कभी सख्त, तो कभी सूखा आता है. बच्चों में कब्ज होने का सबसे आम कारण टॉयलेट ट्रेनिंग की कमी और डाइट में बदलाव होना है. हालांकि, अच्छी बात ये है कि अधिकत्तर बच्चों में होने वाली कब्ज की समस्या अस्थाई होती है. बच्चों को फाइबर युक्त फल, सब्जियां और पानी अधिक मात्रा में पिलाकर कब्ज की समस्या को दूर किया जा सकता है. वहीं, कब्ज की समस्या अधिक होने पर डॉक्टर बच्चे को दवा के रूप में लैक्सेटिव दे सकते हैं.

आज इस लेख में आप बच्चों में कब्ज के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में जानेंगे -

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  1. बच्चों में कब्ज के लक्षण
  2. बच्चों में कब्ज के कारण
  3. बच्चों में कब्ज का इलाज
  4. सारांश
बच्चों में कब्ज के लक्षण, कारण व इलाज के डॉक्टर

बच्चों में कब्ज के लक्षण आसानी से देखे जा सकते हैं. जैसे सप्ताह में तीन बार से कम बाउल मूवमेंट होना, मल त्याग के दौरान पेट में दर्द होना, मल त्याग करने में ब्लड आना या मल बहुत सख्त या ड्राई होना. आइए विस्तार से जानते हैं बच्चों में कब्ज के लक्षणों के बारे में -

मोटापा बढ़ना

कब्ज की समस्या होने पर बच्चे में मोटापे की समस्या भी देखी गई है. इसलिए, अगर किसी बच्चे का वजन उसकी उम्र के अनुसार ज्यादा है, तो उसे तुरंत गंभीरता से लेना चाहिए.

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अंडरगार्मेंट पर मल के दाग

अगर बच्चे के अंडरगार्मेंट पर मल लगा हुआ दिखाई दे, तो ये भी कब्ज का लक्षण हो सकता है. कब्ज होने पर मल गुदा में ही रुककर रह जाता है. बाद में ये अंडरगार्मेंट पर चिपक जाता है.

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मल में ब्लड आना

कब्ज होने पर बड़े बच्चों में मलत्याग के दौरान ब्लड आ सकता है. मल त्यागने के बाद वॉशिंग के दौरान भी ब्लड दिख सकता है.

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मल त्याग करने में दर्द

बच्चों को कब्ज होने पर पेट में दर्द या मल त्याग के दौरान दर्द की समस्या हो सकती है. दर्दनाक मल त्याग उस समय होता है, जब बाउल मूवमेंट के दौरान बच्चों को अचानक पेट में तेज दर्द होने लगता है या शौच बहुत दर्दनाक या चीख निकाल देने वाला होता है. एक रिसर्च के मुताबिक, ये स्थिति कब्ज वाले 68 फीसदी बच्चों में देखी गई है.

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बाउल मूवमेंट कम होना

कब्ज के सामान्य लक्षणों में फ्रीक्वेंट बाउल मूवमेंट न होना है. बच्चों का सप्ताह में सिर्फ 3 बार या इससे कम मल त्याग करना इंफ्रीक्वेंट बाउल मूवमेंट कहलाता है. इसके साथ ही 2 साल या इससे कम उम्र के बच्चों में दबाव के बाद सख्त या कंकड़ जैसा मल आना कब्ज के लक्षण हैं.

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बच्चों में कब्ज के कई कारण हो सकते हैं. बच्चे के रूटीन में बदलाव आना, डाइट में चेंज होना,  किसी दवा का सेवन करना या फैमिली हिस्ट्री होना. आइए, बच्चों में कब्ज के कारणों के बारे में विस्तार से जानते हैं -

फैमिली हिस्ट्री

अगर परिवार में किसी को अपने बचपन में कब्ज की समस्या रही है, तो संभव है कि आगे चलकर उनके बच्चे को भी कब्ज हो सकती है.

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रूटीन में बदलाव

अगर बच्चे के डेली रूटीन में कोई बदलाव आया है, जैसे - ट्रैवल, गर्म माैसम, तनाव या स्कूल का पहला दिन, तो संभव है कि बच्चे को कब्ज हो जाए. कई बार बच्चे को किसी दवा के सेवन के रिएक्शन के कारण भी कब्ज हो सकती है.

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डाइट में बदलाव

सिर्फ फाइबर युक्त फलसब्जियां और लिक्विड की कमी ही कब्ज का कारण नहीं है, बल्कि जब बच्चा लिक्विड डाइट के बजाय सोलिड फूड खाना शुरू कर देते हैं, तो भी कब्ज हो सकती है. इसके अलावा, बच्चों को ज्यादा डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करवाने या गाय के दूध से एलर्जी होने पर भी कब्ज हो सकती है.

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टॉयलेट ट्रेनिंग

अगर बच्चे की टॉयलेट ट्रेनिंग जल्द शुरू कर दी जाए, तो हो सकता है कि बच्चा शौच जाने से कतराने लगे. अगर बच्चे को टॉयलेट ट्रेनिंग मुसीबत लगती है, तो हो सकता है कि बच्चा इसे नजरअंदाज करने लगे. इसके अलावा, बच्चे की टॉयलेट ट्रेनिंग में कमी करने पर भी कब्ज की समस्या हो सकती है.

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मल को रोकना

कई बार बच्चा आलस के कारण, तो कई बार बीच में गेम छूट जाने के डर से शौच करने से बचता है. वहीं, कई बच्‍चे सार्वजनिक जगह पर या नई जगह शौच करने से बचते हैं. कई बार दर्दनाक शौच या सख्त स्टूल के कारण दर्द से बचने के लिए शौच करने से बचते हैं. बार-बार स्टूल होल्ड करने के कारण बच्चों को कब्ज की समस्या होने लगती हैं.

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कब्ज का इलाज बच्चे की उम्र पर निर्भर होता है. डाइट और रूटीन में बदलाव के साथ-साथ बड़े बच्चों को लैक्सेटिव देकर कब्ज की समस्या को ठीक किया जा सकता है. आइए,  बच्चों में कब्ज के इलाज के बारे में  विस्तार से जानते हैं -

शारीरिक गतिविधि जरूर करें

बच्चे की शारीरिक गतिविधि बढ़ाने से भी कब्‍ज की समस्या दूर हो सकती है. आप बच्चे को वॉक पर ले जा सकते हैं, कोई गेम खेल सकते हैं या फिर उसके साथ एक्सरसाइज व योग कर सकते हैं।

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टॉयलेट टाइम पर जाएँ

बच्चे में सुबह उठते ही टॉयलेट जाने की आदत डालें. इससे बच्चे का रूटीन बनेगा और बॉडी साइकिल सेट होगा. इसके अलावा, बच्‍चे को समझाएं कि वो कभी भी शौच को रोककर न रखे. साथ ही बच्चे को डेली एक ही टाइम पर बाउल मूवमेंट न होने पर भी कम से कम 10 मिनट के लिए टॉयलेट सीट पर बैठाएं.

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फाइबर युक्त डाइट लें

बच्चे की कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए फाइबर युक्त ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, फलियों व दालों का सेवन करवाएं. इसके अलावा, पर्याप्त मात्रा में लिक्विड दें. साथ ही बच्चे‍ के खाने का समय निश्चित करें और रोज उसी समय बच्चे को खाना दें. रूटीन सेट होने पर कब्ज की समस्या दूर करने में मदद मिल सकती है.

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बच्चों में कब्ज की समस्या होना आम है. कब्ज होने पर बच्चे सप्‍ताह में तीन बार से भी कम शौच जाते हैं. बच्चों के रूटीन में या डाइट में बदलाव आने से कब्ज की समस्या हो सकती है. बच्चों को फाइबर युक्त और लिक्विड की अधिक मात्रा देने से कब्ज की समस्या को दूर किया जा सकता है. बार-बार कब्ज होने या मल से ब्लड आने या कब्ज के दौरान अधिक समस्याएं होने पर पीडियाट्रिक से संपर्क करना चाहिए.

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