अगर आपका बच्चा दूसरे बच्चों की तुलना में ज्यादा छींकता है या उसे ज्यादा खांसी आती है या फिर अगर उसे हर थोड़े-थोड़े दिन में स्किन में पित्ती, चकत्ते या खाज की समस्या हो जाती है, या फिर अगर नियमित रूप से बच्चे के पेट में दर्द, ऐंठन या जी मिचलाने की समस्या बनी रहती है तो हो सकता है कि आपके बच्चे को एलर्जी की समस्या हो। वैसे तो एलर्जी किसी भी बच्चे को किसी भी चीज से हो सकती है लेकिन यह उन बच्चों में खासकर देखने को मिलती है जिनके परिवार में पहले से किसी को एलर्जी की समस्या हो। 

हानिरहित चीजों के प्रति इम्यून सिस्टम की असामान्य प्रतिक्रिया है एलर्जी
एलर्जी हमारे इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा तंत्र की ऐसी असामान्य प्रतिक्रिया है उन चीजों के प्रति जो ज्यादातर लोगों के लिए पूरी तरह से हानिरहित होती है लेकिन आपके शरीर के लिए नहीं। जब कोई व्यक्ति किसी खास चीज के प्रति एलर्जिक हो जाता है तो उस व्यक्ति का इम्यून सिस्टम गलती से यह मान बैठता है कि वह चीज शरीर के लिए हानिकारक है। खाने-पीने की चीजें, धूल-मिट्टी, पराग-कण, पालतू जानवर के बाल, कुछ निश्चित दवाइयां- ये कुछ ऐसी चीजें हैं जिन्हें एलर्जी पैदा करने वाले तत्व के रूप में जाना जाता है। 

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शरीर को सुरक्षित रखने के मकसद से इम्यून सिस्टम इम्यूनोग्लोबुलिन ई नाम के एंटीबॉडीज का निर्माण करने लगता है। ये एंटीबॉडीज फिर कुछ कोशिकाओं को खून में केमिकल रिलीज करने के लिए कहते हैं जिसमें हिस्टामिन भी शामिल होता है ताकि उस बाहरी एलर्जन या एलर्जी पैदा करने वाले तत्व से लड़ाई की जा सके। खून में केमिकल रिलीज होने की वजह से ही एलर्जिक रिएक्शन देखने को मिलते हैं जिसका असर आंख, नाक, गला, त्वचा और पाचन तंत्र पर भी देखने को मिलता है। भविष्य में फिर कभी उसी एलर्जन के संपर्क में आने पर फरि से वही एलर्जिक प्रतिक्रिया देखने को मिलती है।

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शिशुओं और बच्चों में ज्यादा होती है एलर्जी की समस्या
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की मानें तो अमेरिका में करीब 5 करोड़ लोगों को एलर्जी की समस्या है। आमतौर पर एलर्जी की यह समस्या नवजात शिशुओं या बच्चों में ही देखने को मिलती है। कई बार एलर्जी की समस्या की वजह से बच्चे की नींद, खेलकूद और स्कूल के दैनिक कार्य भी प्रभावित होने लगते हैं। ऐसे में हम आपको बच्चों में कौन सी एलर्जी सबसे ज्यादा कॉमन है, इसके लक्षण क्या-क्या हैं, किन कारणों से एलर्जी हो सकती है और इसका इलाज क्या है, इस बारे में बता रहे हैं।

  1. बच्चों में एलर्जी के लक्षण - Allergy symptoms in kids in hindi
  2. बच्चों में एलर्जी का कारण - Causes of allergy in kids in hindi
  3. बच्चों में एलर्जी के प्रकार - Types of allergies in children in hindi
  4. बच्चों में एलर्जी डायग्नोज कैसे करते हैं? - How to diagnose allergy in kids in hindi
  5. बच्चों में एलर्जी का इलाज - Allergy treatment in kids in hindi
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घर के बाहर : अगर बच्चा घर के बाहर खेल रहा हो तो उसे पेड़-पौधे के पराग-कण, धूल-मिट्टी या फिर किसी कीड़े-मकोड़े के काटने या डंक मारने की वजह से एलर्जी हो सकती है।

घर के अंदर : घर के अंदर अगर पालतू जानवर हैं तो उन पेट्स के बाल या फर से बच्चे को एलर्जी हो सकती है या फिर घर के कोनों में जो धूल-कण या फफूंद लग जाती है उनसे भी एलर्जी होने का खतरा रहता है।

एलर्जी पैदा करने वाले उत्तेजक पदार्थ : सिगरेट का धुंआ, परफ्यूम या फिर डियो की बहुत तेज गंध या फिर कार के एग्जॉस्ट की वजह से भी एलर्जी होने की आशंका हो सकती है।

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खाने-पीने की चीजें : बहुत से बच्चों को दूध, दूध से बने उत्पाद, मूंगफली और अंडा खाने से भी एलर्जी हो जाती है।

अगर आपको जरा भी शंका हो रही हो कि आपके बच्चे को किसी चीज से एलर्जी हो गई है तो उसे तुरंत किसी डॉक्टर या एलर्जी स्पेशलिस्ट को दिखाएं। अपने बच्चे के लक्षणों को लिखकर रखें और किन वजहों से लक्षण होते हैं इस बारे में भी डॉक्टर को जरूर बताएं। 

एलर्जिक राइनाइटिस (परागज ज्वर)
एलर्जिक राइनाइटिस बचपन में होने वाली सबसे कॉमन बीमारी है जो किसी एलर्जी की वजह से होती है। इस बीमारी के लक्षणों की बात करें तो नाक से पानी आना और नाक में खुजली होना, बार-बार छींक आना, नाक में जमाव (कंजेशन) महसूस होना आदि। अगर किसी बच्चे को इस तरह की एलर्जी हो तो उसकी आंखें लाल हो सकती हैं, उसमें खुजली हो सकती है और आंख से पानी भी आ सकता है या फिर लंबे समय तक कान से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं। एलर्जिक राइनाइटिस को हे फीवर या परागज ज्वर भी कहते हैं लेकिन इसमें बुखार नहीं आता।

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नाक में जमाव या कंजेशन
अगर लंबे समय तक बच्चे की नाक बंद हो, उसमें बलगम भरा रहे, कंजेशन हो तो यह एलर्जी का सबसे सामान्य कारण हो सकता है। कई बार तो बच्चे की नाक इस कदर भरी होती है कि वह नाक से सांस भी नहीं ले पाता और उसे मुंह से सांस लेना पड़ता है खासकर नींद में सोते समय। अगर कंजेशन और मुंह से सांस लेने की समस्या का समय पर इलाज न हो तो बच्चे के दांत और चेहरे की हड्डियों पर भी इसका असर पड़ सकता है। लिहाजा नाक में कंजेशन की समस्या पैदा करने वाली एलर्जी का जल्द इलाज करवाना चाहिए।

बच्चे के कान में संक्रमण
एलर्जी की वजह से कई बार बच्चों के कान में भी सूजन-जलन (इन्फ्लेमेशन) की समस्या होने लगती है जिस कारण कई बार कान में तरल पदार्थ जमा होने लगता है। इस कारण कान में संक्रमण हो जाता है और बच्चे की सुनने की क्षमता भी प्रभावित होने लगती है। अगर बोलना सीखते वक्त बच्चे की सुनने की क्षमता कम हो जाएगी तो जाहिर सी बात है कि वह बोलना भी नहीं सीख पाएगा। अगर नियमित रूप से बच्चे के कान में दर्द, खुजली या सूजन दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

खाने-पीने की चीजों से एलर्जी
कई बार सिर्फ मां का दूध पीने वाले बच्चों को भी फूड एलर्जी हो जाती है। कई बच्चे बेहद संवेदनशील होते हैं और उन्हें मां द्वारा खाए जा रहे किसी भोजन से भी एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है। ऐसे में बच्चे को दूध पिलाने वाली मां की डायट से एलर्जी पैदा करने वाली चीजें हटा दी जाएं तो बच्चे को राहत मिल सकती है। 

इसके अलावा ज्यादातर बच्चों को दूध, मूंगफली, अंडा, मछली, सोया, नट्स जैसे- काजू या अखरोट और कई बार गेंहू से भी एलर्जी हो जाती है। खासकर मूंगफली, नट्स और मछली से होने वाली एलर्जी तो कई बार इतनी गंभीर होती है कि जीवनभर बनी रहती है। 

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इन चीजों से भी हो सकती है एलर्जी
कीड़े-मकोड़े से एलर्जी - ज्यादातर बच्चों को अगर कोई कीड़ा या पतंगा काट ले या डंक मार दे तो उनमें काटने वाली जगह पर लालिमा, सूजन या खुजली देखने को मिलती है लेकिन जिन बच्चों में एलर्जी की समस्या होती है उनमें कीड़े-मकोड़े के काटने पर कई गंभीर लक्षण दिख सकते हैं।
दवा से एलर्जी - एंटीबायोटिक सबसे कॉमन दवा है जिससे एलर्जिक रिऐक्शन हो सकता है। इसके अलावा कुछ ओटीसी दवाइयों से भी बच्चों को एलर्जी हो सकती है।
केमिकल से एलर्जी - कई बार कपड़े धोने वाले डिटर्जेंट या कॉस्मेटिक से भी एलर्जी हो जाती है जिससे स्किन पर चकत्ते या पित्ती हो जाती है। इसका मतलब है कि इन चीजों में मौजूद केमिकल से बच्चे को एलर्जी है। इसके अलावा घर की सफाई में इस्तेमाल होने वाले क्लीनर और कीटाणुनाशक से भी एलर्जिक रिऐक्शन देखने को मिल सकता है।

अगर आपको इस बात की आशंका है कि आपके बच्चे को एलर्जी की समस्या हो सकती है तो तुरंत अपने बच्चे के पीडियाट्रिशन से संपर्क करें क्योंकि वही बता पाएंगे कि किसी एलर्जी या इम्यूनोलॉजी स्पेशलिस्ट से संपर्क करने की जरूरत है या नहीं।

एलर्जी का पता लगाने के लिए 2 तरह का टेस्ट किया जाता है:

स्किन-प्रिक टेस्ट : बच्चे की त्वचा को एक खास तरह के उपकरण से चुभोया जाता है जो देखने में किसी टूथपिक जैसा होता है और उसमें खास तरह के एलर्जन का ड्रॉप होता है। अगर बच्चे की स्किन में उसे चुभोने पर पित्ती बन जाती है तो इसका मतलब है कि बच्चे को एलर्जी है।

ब्लड टेस्ट : सीरम स्पेसिफिक आईजीई एंटीबॉडी टेस्ट में बच्चे के खून में यह देखा जाता है कि वह किसी खास तरह के एलर्जन के प्रति संवेदनशील है या नहीं। अगर बच्चे के खून में एंटीबॉडी की मात्रा अधिक है तो इसका मतलब है कि उसके एलर्जी है।

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एलर्जी का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि आखिर एलर्जी कितनी गंभीर है।

एंटीहिस्टामिन : अगर बच्चे को हल्की या मध्यम श्रेणी की एलर्जी हुई हो जिसमें स्किन पर चकत्ते, पित्ती, सूजन या मुंह में सिहरन जैसे लक्षण शामिल हों तो एंटीहिस्टामिन की टैबलेट या सिरप दी जाती है।

  • अगर बच्चे को एलर्जिक राइनाइटिस हो तो कोर्टिकोस्टेरॉयड्स नेजल स्प्रे दिया जा सकता है।
  • अगर बच्चे को अस्थमा हो तो उसे इन्हेलर की जरूरत पड़ सकती है।
  • अगर बच्चे को एक्जिमा या कोई और स्किन प्रॉब्लम हो तो उसे स्किन ऑइंटमेंट दिया जा सकता है।
Dr Shivraj Singh

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