बच्चेदानी में भ्रूण को सभी पोषक तत्व गर्भनाल द्वारा मिलते हैं लेकिन जन्म लेने के बाद इसकी जरूरत नहीं रहती है इसलिए इसे हटा दिया जाता है। जब शिशु पैदा होता है तो उसके शरीर को मां से जोड़ने वाली गर्भनाल को काट दिया जाता है। 

इसके कटने से मां या शिशु किसी को भी तकलीफ नहीं होती है क्योंकि गर्भनाल में कोई नस नहीं होती है। गर्भनाल के कटने के बाद इसका एक छोटा सा टुकड़ा शिशु के शरीर से जुड़ा रह जाता है, जो कि कुछ समय बाद खुद ही टूट कर गिर जाता है।

गर्भनाल पर क्लैंप या टाई (विशेष प्रकार के उपकरण) लगाकर उसे काटा जाता है और जो हिस्सा बच जाता है उसे अम्बिलिकल स्टंप (नाभि ठूंठ) कहते हैं। इसकी लंबाई आमतौर पर 2 से 3 से.मी होती है। 

जब तक यह अम्बिलिकल स्टंप नहीं गिर जाती, तब तक इसका ख्याल रखना जरूरी होता है। यहां हम आपको शिशु की अम्बिलिकल स्टंप का ध्यान रखने के कुछ विशेष टिप्स बता रहे हैं।

  1. कितने समय तक अम्बिलिकल स्टंप शरीर से जुड़ी रहती है - Kab tak umbilical stump bacche se judi rehti hai
  2. अम्बिलिकल स्टंप को कितने समय में साफ करें - Umbilical stump ko kab saaf karein
  3. अम्बिलिकल स्टंप गिरने के बाद नाभि कैसी दिखती है - Umbilical stump girne ke baad naabhi
  4. अम्बिलिकल स्टंप गिरने के बाद क्या करें - Umbilical stump girne ke baad kya karna chahiye
  5. कैसे जानें कि अम्बिलिकल स्टंप संक्रमित है - Kaise jane ki umibilical stump me koi infection hua hai
शिशु के अम्बिलिकल स्टंप का ख्याल कैसे रखें के डॉक्टर

अम्बिलिकल स्टंप को अपने आप सूख कर गिरने में पांच से पंद्रह दिन का समय लगता है। जैसे ही यह सूख जाती है, यह सिकुड़ने लगती है और इसका रंग पीले-हरे से भूरा या काला हो जाता है। सूखा हुआ स्टंप अपने आप गिर जाएगा। इसके गिरने पर आप चाहें तो क्लैंप हटा सकते हैं। आप इसे खींचने का प्रयास न करें और न ही किसी तरह की कोई जल्दबाजी करें क्योंकि इससे संक्रमण और ब्लीडिंग हो सकती है।

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नाभि ठूंठ को साफ, सूखा और सुरक्षित रखना जरूरी है जिससे किसी भी प्रकार का संक्रमण पैदा न हो। नैपी या डायपर बदलने या फिर शिशु को स्पंज बाथ (गीले कपड़े या स्पंज से शरीर को पोंछना) कराने के बाद हाथों को अच्छी तरह से धोएं।

पहले डॉक्टर अम्बिलिकल स्टंप को साफ करने के लिए रुई के फाहे में एल्कोहल और एंटीसेप्टिक इस्तेमाल करने की सलाह देते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। ये स्टंप को सुखाने वाले बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं और कुछ मामलों में शिशु को खुजली या जलन भी हो सकती है इसलिए अब इनकी सलाह नहीं दी जाती है।

आप शिशु को स्पंज बाथ दे सकती हैं। आप उसे नहला भी सकती हैं लेकिन इस दौरान स्टंप पर पानी नहीं जाना चाहिए। यदि स्टंप गीला हो जाता है तो इसे सूख कर गिरने में और अधिक समय लगेगा इसलिए जितना हो सके इसे सूखा रखें।  

बच्चे को ढीले कपड़े पहनाएं ताकि स्टंप तक हवा पहुंचती रहे। डायपर या नैपी से स्टंप को न ढकें। अगर डायपर स्टंप तक आ रहा है तो उसे मोड़ दें ताकि स्टंप पर डायपर से किसी भी तरह की खरोंच न लगे। समय-समय पर गीले डायपर बदलते रहें क्योंकि डायपर या नैपी का गीलापन स्टंप तक पहुंच सकता है। 

यदि आपका बच्चा प्री-मेच्योर (9 महीने से पहले) है या उसकी देखभाल में आपको अधिक समय लगता है तो भी आप स्टंप को साफ और सूखा रखें। प्री-मेच्योर बच्चों की इम्युनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है इसलिए जन्म के बाद कुछ दिनों तक उन्हें नहलाया नहीं जाता है। ऐसे में डॉक्टर के निर्देशों को मानें और उनसे शिशु को बेहतर देखभाल देने के बारे में पूछें।

अम्बिलिकल स्टंप गिरने के बाद नाभि पर छोटा-सा घाव बन सकता है। इस घाव को ठीक होने में 7 से 10 दिन का समय लगता है। यदि इस दौरान आपको शिशु की नाभि के आसपास या डायपर पर खून के निशान दिखाई दें तो चिंता न करें। स्टंप के गिर जाने के बाद हल्की ब्लीडिंग होना सामान्य बात है। यदि लगातार ब्लीडिंग हो रही है तो तुरंत डॉक्टर को बताएं।

यदि आपको इस स्टंप के आसपास गुलाबी या लाल रंग की गांठ दिखाई दे रही है जिसमें से पीले रंग का द्रव निकल रहा है या वह गीली लग रही है तो ये अम्बिलिकल ग्रेन्युलोमा हो सकता है। स्कार टिश्यू (स्किन पर (रेशेदार ऊतकों की ग्रोथ) के बढ़ने को ग्रेन्युलोमा कहते हैं। इसमें घबराने की कोई बात नहीं है लेकिन जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाना जरूरी है। इस अम्बिलिकल ग्रेन्युलोमा का आसानी से इलाज किया जा सकता है।

अम्बिलिकल स्टंप के सूखकर गिर जाने के बाद आप शिशु को नहला सकते हैं। आप नाभि के आसपास की जगह को साबुन और पानी से साफ कर सकते हैं। बच्चे को नहलाने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें, इससे संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।

बच्चे को नहलाते समय हाथ, मुंह, बाल और शरीर को साफ करने के बाद नाभि को ठीक तरह से साफ करें। एक साफ कपड़े से नाभि के अंदर और आसपास की सफाई करें। इसके बाद नाभि को सूखे तौलिए से साफ कर के पोंछ लें। इस बात का ध्यान रहे कि अंदर से नाभि पूरी तरह से सूखी हो। नाभि के ठीक हो जाने के बाद आप नाभि के आसपास बेबी लोशन भी लगा सकते हैं।

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ठीक होने की प्रक्रिया के दौरान स्टंप के आसपास हल्का खून दिखाई देना सामान्य बात है। यदि आपको निम्न लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो शिशु को तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाएं क्योंकि ये अम्बिलिकल संक्रमण के संकेत हो सकते हैं :

  • मवाद निकलना 
  • स्टंप के पास गुलाबी रंग की नमीयुक्त फुंसी 
  • स्टंप के आसपास की त्वचा का लाल होना या उसमें सूजन आना
  • स्टंप से बदबू आना 
  • बुखार 
  • आमतौर पर बच्चा अस्वस्थ या थकान महसूस कर सकता है

यदि ऐसा कुछ भी दिखाई दे तो तुरंत अपने शिशु को डॉक्टर के पास ले जाएं।

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