सांस लेने की तकलीफ को डिस्पनिया (dyspnea) कहा जाता है, जो बच्चों को भी हो सकती है. इस स्थिति में बच्चे के लिए बाेलना तक मुश्किल हो जाता है, उसके होंठ नीले पड़ जाते हैं और उसके मुंह से सीटी बजने जैसी आवाज आ सकती है. बच्चे को सांस लेने में तकलीफ का कारण निमोनिया व अस्थमा हो सकता है. इसके लिए घर में ही कुछ उपचार किए जा सकते हैं, जैसे बच्चे के करीब ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करना व कंजेशन को क्लियर करना आदि.

आज इस लेख में आप बच्चे को सांस लेने में तकलीफ के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. बच्चे को सांस लेने में तकलीफ के लक्षण
  2. बच्चे को सांस लेने में तकलीफ के कारण
  3. बच्चे को सांस लेने में तकलीफ के घरेलू उपचार
  4. सारांश
बच्चे को सांस लेने में तकलीफ के लक्षण, कारण व इलाज के डॉक्टर

बच्चे को सांस लेने में तकलीफ के लक्षण के तौर पर सांस लेते हुए सीटी बजाना, उसके होंठ का नीला पड़ जाना व नींद आना जैसा महसूस होना शामिल है. बच्चे को सांस लेने में तकलीफ के लक्षण निम्न हो सकते हैं -

  • सांस लेते हुए उसके नथुने फड़कना, गर्दन की मांसपेशियों में कसाव आ जाना.
  • सांस लेने की तकलीफ के दौरान मुंह से सीटी जैसी आवाज निकालना.
  • सांस लेते हुए घर्र-घर्र जैसी आवाज आना.
  • होंठाें का नीला पड़ जाना.
  • कुछ भी बोलते हुए बार-बार रुकना.
  • सामान्य से अधिक लार टपकाना.
  • चेहरा, होंठ, आंखें और गर्दन में सूजन दिखना.
  • बच्चे द्वारा लगातार खुजली करना.
  • अन्य दिनों की तुलना में ज्यादा नींद आना.
  • किसी भी बात का ठीक से जवाब नहीं देना या कन्फ्यूज दिखना.
  • उल्टी आना और पानी न पी पाना.
  • सर्दी-जुकाम हो जाना.

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बच्चे को सांस लेने में तकलीफ के कारण में निमोनिया, ब्रॉन्काइटिस व अस्थमा आदि शामिल है. आइए, विस्तार से बच्चे को सांस लेने में तकलीफ के बारे में जानते हैं -

क्रुप

क्रूप ऐसी बीमारी है, जो वायरस की वजह से होती है. यह सर्दी-जुकाम के साथ शुरू होती है और इसमें बच्चे को तेज खांसी भी होती है. खांसी की वजह से ही बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है.

ब्रोंकाइटिस

ब्रोंकाइटिस एक वायरल इंफेक्शन है, जो फेफड़ों में होता है. यह शुरुआत में आम सर्दी-जुकाम की तरह लगता है लेकिन धीरे-धीरे खांसी, छींक आना और सांस लेने की तकलीफ में बदल जाता है.

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निमोनिया

निमोनिया भी वायरस या बैक्टीरिया की वजह से होता है. इसमें भी बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होती है. साथ में खांसी, बुखार व घर्र-घर्र की आवाज की दिक्कत भी हो सकती है.

अस्थमा

लगातार या कुछ-कुछ समय पर सांस लेने में होने वाली तकलीफ अस्थमा का सबसे बड़ा लक्षण है. खांसी, एलर्जी या अस्थमा का पारिवारिक इतिहास अस्थमा की वजह है.

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एनीमिया

एनीमिया होने पर शरीर में खून की कमी हो जाती है, लेकिन शोध बताते हैं कि इसका एक लक्षण बच्चे को सांस लेने की तकलीफ भी है. 

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गलती से कुछ निगल लेना

कई बार छोटे बच्चे नादानी में कुछ भी मुंह में डाल लेते हैं और वह चीज गले में अटक जाती है. अटकने की वजह से बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है.

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बच्चे को सांस लेने में तकलीफ के घरेलू उपचार के तौर पर डिहाइड्रेशन दूर करना, कंजेशन से राहत दिलाना, उसे कम्फर्टेबल महसूस कराना शामिल है. आइए, विस्तार से बच्चे को सांस लेने में तकलीफ के घरेलू उपचार के बारे में जानते हैं -

डिहाइड्रेशन से बचाव

अगर बच्चा बहुत छोटा है, तो उसे ब्रेस्ट फीड या फॉर्मूला मिल्क देने से डिहाइड्रेशन से बचाया जा सकता है. थोड़े बड़े बच्चों को इलेक्ट्रोलाइट सॉल्यूशन के साथ पानी दिया जा सकता है.

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कंजेशन दूर करना

कई बार सांस लेने की तकलीफ की वजह से नाक बंद हो जाती है और उसमें म्यूकस जमा हो जाता है. सलाइन नेजल ड्रॉप की मदद से नाक को साफ करने से सांस लेने की तकलीफ भी कम हो सकती है. यदि बच्चा बहुत छोटा है, तो सक्शन बल्ब या नेजल ओरल एस्पिरेटर से उसकी नाक से म्यूकस को हटाया जा सकता है.

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सांस लेने में मदद

हवा में नमी आ जाने से बच्चे को सांस लेने की तकलीफ कम हो सकती है. इसके लिए बच्चे के नजदीक कूल मिस्ट ह्यूमिडिफायर रखा जा सकता है. बाथरूम में गरम पानी चलाने और उसके भाप में बच्चे को सांस लेने से भी सांस लेने की तकलीफ से आराम मिल सकता है.

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आराम है जरूरी

बच्चे को आराम करने देना सबसे ज्यादा जरूरी है. यदि उसे बुखार है, तो बाल रोग विशेषज्ञ से पूछकर उसे बुखार उतारने वाली दवा दी जा सकती है. 

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बच्चे को सांस लेने में तकलीफ के समय उसके होंठ नीले पड़ सकते हैं, वह मुंह से सीटी जैसी या घर्र-घर्र की आवाज निकाल सकता है. निमोनिया, अस्थमा व ब्रॉन्काइटिस बच्चे को सांस लेने में तकलीफ के कारण हो सकते हैं. घरेलू उपचार के तौर पर बच्चे को डिहाइड्रेशन से बचाने और कंजेशन दूर करने से बच्चे को सांस लेने की तकलीफ को दूर करने में मदद मिल सकती है. अगर समस्या गंभीर हो, तो बिना देरी किए बच्चे को बाल रोग विशेषज्ञ के पास लेकर जाना चाहिए.  

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