मां और बच्चे का रिश्ता, शिशु के जन्म से भी पहले से जुड़ जाता है। गर्भवस्था के दौरान जिस तरह मां 9 महीने तक शिशु की रक्षा करती है उसी तरह समय से पहले जन्मे शिशु को अपने दूध से उम्र भर के लिए हृदय रोग से बचाने की क्षमता भी रखती है। इस बात की पुष्टि करते हैं आयरलैंड के रॉयल कॉलेज ऑफ़ सर्जन और दी रोटोंडा अस्पताल। शोधकर्ताओं के अनुसार जल्दी स्तनपान कराने से समय से पहले जन्मे शिशु में होने वाले हृदय रोग के जोखिम को कम किया जा सकता है।
यह शोध पीडियाट्रिक रिसर्च जर्नल में छापा गया जिसे, हारवर्ड मेडिकल स्कूल, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफ़ोर्ड और यूनिवर्सिटी ऑफ टोरोंटो के शोधकर्ताओं के सहयोग से लिखा गया है।
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समय से पहले जन्मे शिशु में लंबे समय तक होने वाली खराब स्वास्थ्य स्थिति उत्पन हो सकती है, जैसे की हृदय रोग। जो व्यस्क समय से पहले जन्मे होते हैं उनमें अक्सर दिल की विभिन विशेषताएं पाई जाती हैं, जैसे हृदय के छोटे चैम्बर, उच्च रक्त चाप और हृदय का बढ़ना।
शोधकर्ताओं ने एक ऐसी स्टडी के बारे में बताया जो 46 ऐसे व्यस्कों पर की गई थी जो समय से पहले जन्मे थे। इनमें से 30 व्यस्कों को अस्पताल में जन्म के बाद स्तनपान कराया गया था, जबकि 16 व्यस्कों को केवल फॉर्म्यूला मिल्क पिलाया गया।
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23 और 28 वर्ष की उम्र में सभी के हृदय का परीक्षण करवाया गया। इसमें डॉक्टरों ने पाया कि जो वयस्क समय से पहले पैदा हुए थे उनके हृदय के चैम्बर समय से जन्मे वयस्कों के मुकाबले छोटे थे।
हालांकि, स्टडी में पाया गया कि जिन लोगों को स्तनपान करवाया गया था, उनमें फार्मूला मिल्क के सेवन करवाए गए व्यक्तियों के मुकाबले हृदय के छोटे चैम्बर के मामले कम पाए गए। इस आधार पर शोधकर्ताओं ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि स्तनपान से शिशु को कई स्वास्थ्य लाभ पहुंचने के साथ हृदय की बनावट पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है।
बच्चे को बोतल से दूध पिलाने के नुकसान
बच्चे को बोतल से दूध पिलाने के कई नुकसान होते हैं क्योंकि इसमें कुछ पोषक तत्व मौजूद नहीं होते हैं, जो मां के दूध में पाए जाते हैं। खासतौर से 6 महीने के शिशु को स्तनपान कराने की बेहद आवश्यकता होती है। हालांकि, स्तनों में दूध की कमी के कारण कुछ महिलाओं को अपने बच्चे को बोतल से दूध पिलाना शुरू करना पड़ता है। ऐसे में बोतल के दूध के नुकसानों के बारे में जान लेना फायदेमंद रहेगा :
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पूर्ण पौष्टिकता नहीं मिल पाती - पोषक तत्वों की कमी के कारण शिशु का विकास सही तरिके से नहीं हो पाता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमजोरी होना - यदि किसी व्यक्ति की कीटाणुओं से लड़ने की क्षमता कम हो तो वह अक्सर बीमार पड़ता रहता है।
तैयार करने में समय लगना - स्तनपान के मुकाबले शिशु के लिए बोतल में दूध तैयार करना मुश्किल होता है, क्योंकि इसे सही तापमान पर गर्म करना होता है। इसका अंदाजा लगाना हर किसी के लिए आसान नहीं होता है।
यात्रा के दौरान मुश्किलें होती हैं - दूध की बोतल को संभालना मुश्किल होता है और हर इस्तेमाल के बाद बोतल को धोना भी पड़ता है।