बच्चे को स्तनपान कराना एक प्रक्रिया है, इस प्रक्रिया में मां के दूध से बच्चा कई तरह के संक्रमण से सुरक्षित रहता है। पहली बार मां बनने वाली कई महिलाओं को अपने बच्चे को दूध पिलाने का सही तरीका मालूम ही नहीं होता, जिसके चलते उनको कई तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। माताएं निरंतर अभ्यास से बच्चे को दूध पिलाने के तरीके को समझ पाती हैं, जबकि कई महिलाएं ऐसी भी है जो किताबों या इंटरनेट से इस बारे में जानकारी जुटा कर बच्चे को दूध पिलाने के तरीके को सीख जाती हैं।

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मां बच्चे के विकास से जुड़े हर कार्य में चिंता करने लगती है। इतना ही नहीं बच्चे को दूध पिलाने के सही तरीके को लेकर भी कई महिलाओं के मन में ढेरों सवाल होते हैं। महिलाओं के मन में उठने वाले इन्हीं सवालों को इस लेख में विस्तार से बताया जा रहा है। साथ ही इस लेख में आपको बच्चे को दूध पिलाना कैसे शुरू करें, बच्चे को दूध पिलाने का तरीका, बच्चे को दूध पिलाने की सही पोजीशन, एक दिन में बच्चे को कितनी बार दूध पिलाएं और बच्चे को दूध पिलाने के टिप्स, आदि के बारे में भी विस्तार से बताने का प्रयास किया गया है।

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  1. बच्चे को दूध पिलाना कैसे शुरू करें - Bache ko doodh pilana kaise shuru kare
  2. बच्चे को दूध पिलाने का तरीका - Bache ko doodh pilane ka tarika
  3. बच्चे को दूध पिलाने की सही पोजीशन - Bache ko doodh pilane ki sahi position
  4. बच्चे को कितनी बार दूध पिलाना चाहिए - Bache ko kitne baar doodh pilana chahiye
  5. बच्चे को दूध पिलाने के टिप्स - Bache ko doodh pilane ke tips
बच्चे को दूध पिलाने के तरीके के डॉक्टर

जब महिला डिलीवरी के बाद पहली बार अपने बच्चे को गोद में लेती है, तब ही बच्चे को दूध पिलाने की शुरूआता करनी चाहिए। डिलीवरी के बाद मां के शरीर में विशेष तरह का दूध बनता है, जिसको कोलोसट्रम (Colostrum) कहा जाता है। यह दूध बच्चे को संक्रमण से सुरक्षित रखने में मदद करता है।

इस दौरान दूध पिलाने के लिए आप बच्चे के शरीर को अपने ऊपर रखें। ऐसे में मां और बच्चे की छाती आमने सामने होनी चाहिए। इसके बाद मां को अपने निप्पल बच्चे के ऊपरी होंठ पर छुआने चाहिए, ऐसा करने से जब बच्चा अपना पूरा मुंह खोलेगा, तब आप एक हाथ से बच्चे को पकड़ते हुए उसे निप्पल के पास लाएं और दूसरे हाथ से अपने स्तन को सपोर्ट दें। इस दौरान आप इस बात का ध्यान दें कि बच्चे का मुंह केवल आपके निप्पल ही नहीं बल्कि एरिओला (Areola: स्तन और निप्पल का काला भाग) को भी कवर करें।

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अगर नवजात शिशु को शरूआती दौर में दूध पीते हुए कोई परेशानी हो तो ऐसे में आपको धैर्य से काम लेना चाहिए। स्तनपान कराते समय मां को धैर्य और निरंतर अभ्यास की जरूरत होती है। इतना ही नहीं यदि आप अस्पताल में हैं तो दूध पिलाने के बारे में नर्स से पूछने में संकोच न करें। साथ ही आप इस बारे में स्तनपान विशेषज्ञ से भी सलाह ले सकती हैं। 

बच्चे के निर्धारित समय से पहले पैदा होने की स्थिति में महिला बच्चे को ठीक से दूध नहीं पिला पाती है, ऐसे में मां को दूध पंप करके बच्चे को स्तनपान कराना चाहिए। इस दौरान जब तक बच्चा खुद दूध नहीं पी पाता हैं तब तक उसको बोतल या किसी ट्यूब के माध्यम से ही दूध दिया जाता है।

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बच्चे को आसानी से स्तनपान कराने के लिए आपको थोड़ा अभ्यास करना पड़ सकता है, लेकिन यह कार्य काफी सरल होता है। आगे आपको बच्चे को दूध पिलाने के तरीके के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है।

  1. पहचानें बच्चा भूखा है की नहीं –
    विशेषज्ञों के अनुसार जब बच्चा भूखा होता है तो वह गाल व मुंह में छूने वाली सभी चीजों को मुंह में डालने का प्रयास करता है। इसके साथ ही बच्चा अपने हाथ को मुंह में डालकर चूसने लगता है। खासतौर पर माताएं बच्चे के रोने से पहले ही उसको स्तनपान कराना पसंद करती हैं। (और पढ़ें - बच्चों में भूख ना लगने के कारण)
     
  2. बच्चे को स्तनपान करने की पोजीशन में लेटाना या बैठाना –
    बच्चे को दूध पिलाने से पहले आपको उसको सही पोजीशन में लेटाना होता है। इसके लिए महिलाओं को बच्चे को स्तनों के पास लाना होता है। इस दौरान मां को अपना बच्चा इस तरह से पकड़ना चाहिए, जिसमें मां व बच्चा दोनों ही परेशान न हो। इसके लिए आप स्तनपान कराने के लिए किसी तकिए का भी सहारा ले सकती हैं। (और पढ़ें - उम्र के अनुसार लंबाई और वजन का चार्ट)
     
  3. बच्चे को स्तनपान के लिए लुभाएं -  
    बच्चे को दूध पिलाने के लिए आप अपने निप्पल को बच्चे के ऊपरी होंठ व गालों पर भी हल्के-हल्के रगड़ सकती हैं, इससे बच्चा दूध पीने के लिए अपना मुंह खोलने लगता है। इसके अलावा आप दूध की कुछ बूंदों को निप्पल पर लगा लें, ऐसा करने से दूध की खुशबू से बच्चा आसानी से दूध पीना शुरू कर देता है। (और पढ़ें - डायपर रैश के उपचार)
     
  4. स्तनों को सपोर्ट करना –
    बच्चे को स्तनपान कराते समय मां को स्तनों को भी सपोर्ट देना चाहिए। इसके लिए महिलाओं को अपनी दो उंगलियों से वी शेप (V shape) बनाते हुए निप्पल को कवर करना होता है, ऐसा करते समय ध्यान दें कि उंगलियां एरिओला को कवर नहीं करनी चाहिए। कई महिलाओं बच्चे को दूध पिलाते समय स्तनों को मसाज करना भी पसंद होता है। (और पढ़ें - नवजात शिशु का वजन कितना होता है)
     
  5. बच्चे का मुंह स्तनों को ठीक से पकड़े (Latching on) – 
    दूध पीते समय बच्चे के मुंह की स्थिति सही होना भी बेहद जरूरी होता है। बच्चे के मुंह से स्तन की पकड़ ठीक होने से ही बच्चा सही तरह से दूध पी पाता है। इसके लिए मां को दूध पिलाते समय बच्चे को अपने स्तनों के पास ले आना चाहिए, ताकि बच्चा एरिओला का बड़ा हिस्सा अपने मुंह के अंदर ले जा सके। दूध पीते समय मां का निप्पल बच्चे के मुंह के अंदरूनी नरम तालू पर स्थित होना चाहिए। अगर निप्पल मुंह के शुरूआती सख्त तालु पर स्थित हुआ तो ऐसे में मां को दूध पिलाने में परेशानी हो सकती है। (और पढ़ें - शिशु का वजन कैसे बढ़ाएं)
     
  6. बच्चे के होठों की पोजीशन –
    दूध पीते समय बच्चे के होठों की सही स्थिति भी महत्वपूर्ण होती है। बच्चे के होठों व मुंह की सही स्थिति से बच्चा मां का दूध आसानी से पी पाता है। विशेषज्ञों के अनुसार दूध पीते समय बच्चे के निचला होंठ मुश्किल से दिखता है, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बच्चे का निचला होंठ स्तनों को पकड़ते समय मुंह अंदर चला जाता है। यदि बच्चे का निचला होंठ दूध पीते समय मुंह के अंदर चला जाए तो ऐसे में मां को बच्चे के निचले मुंह से स्तन की थोड़ी त्वचा को बाहर निकालनी चाहिए, जिससे बच्चे का निचला होंठ भी बाहर की ओर आ जाता है और वह आराम से दूध पी पाता है।

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बच्चे को दूध पिलाने में उसकी पोजीशन का सही होना भी बेहद महत्वपूर्ण होता है। बच्चे को दूध पिलाने के लिए किसी एक पोजीशन को ही सही नहीं माना जा सकता, क्योंकि ऐसा जरूरी नहीं कि एक पोजीशन ही सभी बच्चों और माताओं को आराम देने वाली हो। लेकिन कुछ विशेषज्ञ मां और बच्चे के पेट के नजदीक होने कि पोजीशन को बेहतर मानते हैं। बच्चे को दूध पिलाते समय बच्चे को ऐसी पोजीशन में लेटाना या बैठाना चाहिए जिससे वह मां के स्तनों के बेहद करीब हो। बच्चे को दूध पिलाने की कुछ पोजीशन को निम्नतः बताया जा रहा है।

  1. शिशु को गोद में लिटाकर, सीधे हाथ से पकड़ें –
    इसमें बच्चे को मां एक हाथ पर लेटाते हुए स्तने के पास लाती है। इस पोजीशन में मां और बच्चे का पेट बेहद नजदीक होते हैं। मां के जिस स्तन से बच्चा दूध पीता है उस हाथ को पालने की तरह मोड़कर मां बच्चे को गोद में लेती है या लेटा देती है। इस दौरान बच्चे का सिर मां की कोहनी के पास होता है और उसके निचले शरीर को मां हथेली सपोर्ट करती है। (और पढ़ें - नवजात शिशु के कफ का इलाज)
     
  2. शिशु को गोद में लिटाकर, उलटे हाथ से पकड़ें –
    इस पोजीशन में मां जिस स्तन से बच्चे को दूध पिलाती हैं उसके वितरीत दिशा के हाथ पर बच्चे को लेटाती है, जबकि अन्य हाथ से स्तन को सपोर्ट करती है। इस पोजीशन में क्रेडल होल्ड में इस्तेमाल किए जाने वाले हाथ के स्थान पर अन्य हाथ का उपयोग किया जाता है। (और पढ़ें - नवजात शिशु को खांसी क्यों होती है)
     
  3. बच्चे को बगल में दबा कर –
    इस पोजीशन को कल्च होल्ड भी कहा जाता है। इस पोजीशन में मां बच्चे को अपनी बांह के अंदर किसी फुटबॉल की तरह लेटाती है, जिसमें बच्चे का मुंह मां के स्तन के पास तो उसके पैर मां की पीठ की तरफ होते हैं। इसमें जिस स्तन से बच्चा दूध पीता है मां अपने उसी हाथ से बच्चे को पकड़ती हैं या बच्चे को उस पर लेटाती है, जबकि अन्य हाथ से मां अपने स्तन को सपोर्ट करती है। (और पढ़ें - पोलियो का टीका कब लगवाना चाहिए)
     
  4. खुद कमर के बल लेट कर –
    यह पोजीशन छोटे स्तन की महिलाओं के लिए मददगाह होती है। इसमें मां पीठ के बल पर बेड या सोफे पर तकिए का सहारा लेकर लेटी होती है और बच्चा मां के ऊपर लेट कर दूध पीता है। इस पोजीशन में मां का पेट बच्चे के पेट के पास, जबकि बच्चे का सिर मां के स्तन के पास होता है। इस दौरान बच्चा दूध पीने के लिए मां के शरीर पर किसी भी दिशा में लेट सकता है। इस पोजीशन में बच्चे का मुंह आसानी से मां के स्तनों को पकड़ लेता है। इसमें एक बार बच्चा सही पोजीशन में दूध पीना शुरू कर देता है तो मां को ज्यादा परेशानी नहीं होती है। 
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  5. अपनी साइड पर लेट कर –
    रात में बच्चे को दूध पिलाने के लिए यह पोजीशन एक अच्छा विकल्प मानी जाती है। इसमें मां और बच्चा दोनों ही करवट लेकर लेटे होते हैं, जिसमें बच्चे का मुंह और मां का मुंह आमने-सामने होते हैं। इसमें आवश्यकता होने पर मां अपने एक हाथ से स्तन को सपोर्ट कर सकती है। इसके अलावा आप बच्चे को खुद के पास लेटाने के लिए उसकी पीठ के पीछे किसी तकिए को रख सकती हैं।

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नवजात शिशु को कई बार दूध पिलाने से मां के स्तनों में दूध ज्यादा बनाना शूरू हो जाता है। शिशु को एक दिन में 8 से 12 बार दूध पिलाया जा सकता है। बच्चा जब भूख लगने के संकेत दे जैसे बच्चा बैचेन होकर हाथ पैर हिलाने लगे, मुंह खोलने लगे या निप्पल को मुंह में लेने की कोशिश करें, तब आप बच्चे को दूध पिला सकती है। भूख के कारण ज्यादा परेशान होने पर बच्चा रोना शुरू कर देता है। सामान्यतः महिलाएं बच्चे के रोने से पहले ही उनको दूध पिलाना शुरू कर देती हैं।

जन्म के शुरूआती दिनों में आपको बच्चे के दूध पिलाने के लिए जगाना पड़ सकता है, जबकि बच्चा दूध पिलाने के दौरान ही सो जाता है। आप बच्चा दूध पीने के बाद चार घंटों से सो रहा हो तो उसको जाकर दोबारा दूध पिलाएं। सामान्य तौर पर नवजात शिशु कुछ मिनटों या एक घंटे तक भी दूध पी सकता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि बच्चा भी इस दौरान दूध पीने के सही तरीकों को समझना सीख रहा होता है।

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बच्चे को दूध पिलाने में आप निम्न तरह के टिप्स को भी अपना सकती हैं। 

  • जन्म के बाद जितना जल्दी हो आपको बच्चे को दूध पिलाने की कोशिश करनी चाहिए। इससे दूध में बढ़ोतरी करने वाले हार्मोन्स प्रभावित होते हैं। (और पढ़ें - बच्चे कब कैसे बोलना सीखते हैं)
     
  • बच्चे को दूध पिलाते समय मां और बच्चे का मुंह आमने सामने होना चाहिए और बच्चे का शरीर मां के शरीर के बेहद करीब होना चाहिए। (और पढ़ें - शिशु की कब्ज का इलाज)
     
  • दूध पिलाते समय मां को बच्चे के मुंह को अपने स्तनों के पास लाना चाहिए, इस दौरान झुकने से मां के पीठ में दर्द भी हो सकता है। बच्चे को अपने स्तनों के पास लाने से मां का पीठ दर्द से बचाव होता है।  
     
  • अन्य नई मां बनने वाली महिलाओं के साथ बच्चे को दूध पिलाएं, इससे मां को दूध पिलाने का सही तरीका समझ में आता है और वह बच्चे को दूध पिलाने के लिए प्रोत्साहित भी होती हैं। (और पढ़ें - नवजात शिशु के निमोनिया का  इलाज)
     
  • बच्चे को दूध पिलाते समय हथेली से उसके सिर को सहारा देना चाहिए, इसमें आपकी हथेली बच्चे की गर्दन के पीछे और तर्जनी उंगली व अंगूठा उसके कानों के पीछे होना चाहिए।

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