बच्चों में ब्लड इंफेक्शन एक घातक समस्या है। इस रोग के कारण दुनियाभर में हर वर्ष कई बच्चों की मृत्यु हो जाती है। ब्लड इंफेक्शन को ही मेडिकल भाषा में सेप्सिस कहा जाता है। ब्लड इंफेक्शन की समस्या किसी भी व्यक्ति को कभी भी हो सकती है। हालांकि शिशुओं में ब्लड इंफेक्शन होने की संभावना अधिक होती है, क्योंकि इस दौरान शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर होती है। वहीं दूसरी ओर नए टीकों व दवाओं से इस समस्या के मामले बेहद ही कम हो गए हैं।

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इस लेख में आपको “बच्चों में ब्लड इंफेक्शन” के बारे में विस्तार से बताया गया है। साथ ही आप बच्चों में ब्लड इंफेक्शन के लक्षण, बच्चों में ब्लड इंफेक्शन के कारण, बच्चों का ब्लड इंफेक्शन से बचाव, बच्चों के ब्लड इंफेक्शन का इलाज और बच्चों में ब्लड इंफेक्शन का घरेलू उपाय आदि विषयों को भी विस्तार से बताने का प्रयास किया गया है।  

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  1. बच्चों में ब्लड इंफेक्शन के लक्षण - Baccho me blood infection ke lakshan
  2. बच्चों में ब्लड इंफेक्शन के कारण और जोखिम कारक - Baccho me blood infection ke karan
  3. बच्चों का ब्लड इंफेक्शन से बचाव - Baccho ka blood infection se bachav
  4. बच्चों में ब्लड इंफेकशन के परीक्षण - Baccho me blood infection ke parikshan
  5. बच्चों के ब्लड इंफेक्शन का इलाज - Baccho ke blood infection ka ilaj
  6. बच्चों में ब्लड इंफेक्शन का घरेलू उपाय - Baccho me blood infection ka gharelu upay

शिशुओं और बच्चों में होने वाले ब्लड इंफेक्शन में तेज बुखार के अलावा किसी भी तरह के चिंताजनक लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। इसमें बिना किसी स्पष्ट कारण के बच्चे या शिशु को अचानक बुखार हो जाता है। इस दौरान बच्चे या शिशु में होने वाले अन्य लक्षणों को नीचे विस्तार से बताया गया है।

  • सांस लेने में परेशानी होना:
    अगर आप बच्चे को सांस लेते समय किसी परेशानी या उसकी सांस फूलते हुए महसूस करते हैं, तो ऐसे में तुरंत बच्चे को डॉक्टर के पास लेकर जाएं। 
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  • दूध पीने में मुश्किल होना:
    बच्चे को दूध पीने में परेशानी होती है या उसको दूध पीने की इच्छा नहीं होती है। इस स्थिति में आपको चिकित्सक से मदद लेनी चाहिए। 
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  • उल्टी:
    शिशु को उल्टी होने का कारण समझ ना आना चिंता का विषय है। ऐसे में आप जल्द से जल्द बच्चों के डॉक्टर से मिलें। 
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  • कम पेशाब आना:
    यदि बच्चे को सामान्य समय पर पेशाब न आ रही हो या उसके पेशाब करने के अंतराल में बदलाव आ गया हो, तो इसको भी बच्चों में ब्लड इंफेक्शन का लक्षण माना जाता है। 
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  • बुखार:
    बच्चे या शिशु को 100 डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा बुखार होने पर भी आपको उसे बच्चों के डॉक्टर को दिखाना चाहिए। 
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  • बच्चे के सिर में सूजन:
    शिशु के सिर में कुछ जगह मुलायम होती है, जो उम्र के साथ ठीक हो जाती है। ब्लड इंफेक्शन के दौरान शिशु की इसी मुलायम जगह पर सूजन आ जाती है और वह उभरी हुई लगती है। 
    (और पढ़ें - सिरदर्द का इलाज)
     
  • बच्चे के रोने के तरीके में बदलाव:
    बच्चा रोते समय तेज और सामान्य से अलग-अलग आवाज में रोने लगता है। (और पढ़ें - बच्चों को चुप कराने का तरीका)
     
  • बच्चे की त्वचा के रंग में बदलाव:
    इस स्थिति में आपके बच्चे की त्वचा के रंग में बदलाव आ सकता है। यह नीली या फिर पीले रंग की हो सकती है। इस समय बच्चे की त्वचा पर रैशेज भी हो सकते हैं, जिसको सेप्सिस रैश भी कहा जाता है। (और पढ़ें - त्वचा पर चकत्तों के घरेलू उपाय)
     
  • हृदय दर में बदलाव:
    इस समस्या का प्रभाव शिशु की हृदय दर पर भी पड़ता है, ऐसे में उसका हृदय कभी तेज, तो कभी बहुत धीरे धड़कने लगता है। (और पढ़ें - दिल की धड़कन तेज होने का इलाज)
     
  • व्यवहार में बदलाव:
    शिशु के व्यवहार में बदलाव भी इस समस्या की ओर संकेत करता है।
     
  • दौरे पड़ना:
    इस दौरान बच्चे या शिशु को तेज ठंड लगना या कुछ मामलों में दौरे पड़ने की भी समस्या हो सकती है।  
    (और पढ़ें - बच्चों में दौरे आने का इलाज)

उपर्युक्त लक्षण किसी अन्य समस्या की ओर भी संकेत कर सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर के पास जाकर आपको ब्लड इंफेक्शन की पुष्टि करानी चाहिए, क्योंकि इस समस्या की पहचान और इलाज जितना जल्द शुरू हो जाए उतना ही शिशु के स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है।    

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बैक्टीरिया बच्चों में ब्लड इंफेक्शन का एक आम कारण होता है। वायरस और फंगी भी बच्चे के रक्त में पहुंच सकते हैं। शिशुओं में बैक्टीरियल सेप्सिस ई कोलाई बैक्टीरिया के कारण होता है। इसके अलावा बच्चों में ब्लड इंफेक्शन होने के निम्नलिखित कारण भी होते हैं।

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बच्चों में ब्लड इंफेक्शन से जोखिम

अगर सही समय पर ब्लड इंफेक्शन का इलाज न किया गया तो इस समस्या के कारण बच्चे का ब्लड प्रेशर काफी कम हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण अंग जैसे किडनी, फेफड़ों और मस्तिष्क पर दुष्प्रभाव पड़ता है। इसके गंभीर मामले में अंग काम करना बंद कर देते हैं या स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।    

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ये समस्या शरीर में होने वाले संक्रमण की वजह से होती है। इसके कारणों से बचाव करके आप बच्चे को ब्लड इंफेक्शन से सुरक्षित रख सकते हैं। बच्चों को ब्लड इंफेक्शन से बचाने के लिए आपको निम्नलिखित उपायों को आजमाना चाहिए।

  • टीकाकरण से बच्चे का कई तरह के संक्रमण से बचाव होता है। इसमें उन संक्रमणों को भी शामिल किया जाता है जो बच्चे में ब्लड इंफेक्शन की वजह होते हैं। डॉक्टर आपको बच्चे के टीकाकरण के बारे में पूरी जानकारी देगें। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी में लगने वाले टीके)
  • अपने बच्चे के घावों और चोटों को साफ और सूखा रखें। बच्चे के घाव और चोट पर लगी पट्टी को गंदी और गीली होने पर बद दें। अगर घाव में किसी प्रकार का इंफेक्शन जैसे लालिमा, सूजन और पस दिखाई दें, तो डॉक्टर से सलाह लें।  (और पढ़ें - चोट लगने पर क्या करें)
  • सेप्सिस का कोई भी लक्षण दिखाई देने पर बच्चे को डॉक्टर के पास लेकर जाएं। सही समय पर समस्या की पहचान करने से इसका इलाज आसानी से किया जा सकता है। 
  • बच्चे की स्वच्छता पर पूरा ध्यान दें। बच्चे के हाथ साबुन और पानी से साफ धोएं, ताकि बैक्टीरिया बच्चे के शरीर में प्रवेश न कर सकें। (और पढ़ें - मिट्टी खाने का इलाज)
  • अपने बच्चे को साइनस, फेफड़ों और त्वचा के संक्रमण वाले मरीजों से दूर रखें। (और पढ़ें - साइनस के घरेलू उपाय)
  • बच्चे को स्वस्थ और पौष्टिक आहार दें, ताकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो और वह सेप्सिस के बैक्टीरिया से लड़ सके।

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बच्चों में ब्लड इंफेक्शन की पुष्टि के लिए डॉक्टर आपको निम्नलिखित टेस्ट करने के लिए कह सकते हैं:

कुछ गंभीर मामलों में नई तकनीक के परीक्षण जैसे सीटी स्कैन, एमआरआई और ईकोकार्डियोग्राफी की भी आवश्यकता हो सकती है। 

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बच्चों के ब्लड इंफेक्शन के शुरूआती इलाज में एंटीबायोटिक्स को शामिल किया जाता है। किसी मामले में बच्चे को तेज बुखार हो और बच्चा गंभीर रूप से बीमार लग रहा हो, तो डॉक्टर इंफेक्शन की गंभीरता को कम करने के लिए बच्चे को एंटीबायोटिक्स का इंजेक्शन दे सकते हैं। जबकि बच्चे के तेज बुखार होने के बावजूद संक्रमण के संकेत न दिखाई दें तो उसको एंटीबायोटिक्स खाने वाली दवा के रूप में दी जा सकती है।

यदि समस्या के कारण अंगों के कार्यों पर प्रभाव पड़ रहा हो तो बच्चे का इलाज कई तरह से किया जाता है। इस स्थिति में बच्चे का इलाज इमरजेंसी व आईसीयू में किया जाता है। बच्चे के इलाज में निम्नलिखित प्रक्रिया को शामिल किया जा सकता है।    

  • दवाएं:
    बच्चे के इंफेक्शन को ठीक करने के लिए दवाएं दी जाती है। दवाएं बच्चे के अंगों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाती हैं। इसके साथ ही दवाएं बच्चे की हृदय गति, खून में रक्त का स्तर सामान्य करती हैं और खून का थक्का जमने से बचाव करती हैं।
     
  • नसों के द्वारा बच्चे को तरल देना:
    नसों के द्वारा बच्चे को तरल देने से डिहाईड्रेशन (शरीर में पानी की कमी) से बचाव व इलाज होता है। यह तरल बच्चे के अंगों में रक्त के प्रवाह और ब्लड प्रेशर को बढ़ाते हैं।
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  • कैथिटर:
    इंफेक्शन को दूर करने के लिए कैथिटर निकालने, बदलने या खाली करने की जरुरत पड़ सकती है।
     
  • ऑक्सीजन:
    यदि बच्चे के रक्त में ऑक्सीजन का स्तर सामान्य से कम हो तो उसको ऑक्सीजन दी जाती है। 
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  • वेंटीलेटर:
    बच्चे को सांस लेने में परेशानी हो रही हो तो वेंटीलेटर मशीन से उसको ऑक्सीजन दी जाती है। इसमें मशीन में लगी ट्यूब को बच्चे के मुंह और नाक में लगाकर उसको ऑक्सीजन देते हैं।
     
  • खून चढ़ाना:
    यदि बच्चे के रक्त में प्लेटलेट्स का स्तर कम हो जाए तो बच्चे को खून चढ़ाया जाता है। यह प्रक्रिया ब्लड इंफेक्शन की गंभीर स्थिति में अपनाई जाती है।

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ब्लड इंफेक्शन को घरेलू उपाय से ठीक नहीं किया जा सकता है। लेकिन बच्चों में ब्लड इंफेक्शन का कारण बनने वाले रोगों से बचाव के लिए आप निम्नलिखित घरेलू उपायों को अपना सकते हैं।

  • लहसुन:
    लहसुन रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करता है। इसका उपयोग आप ब्लड इंफेक्शन में भी कर सकते हैं। लहसुन में एलिसिन नामक तत्व होता है, जो रक्त में बैक्टीरियल संक्रमण का कारण बनने वाली सूजन को कम करने का काम करता है। आप हर रोज सुबह बच्चे को लहसुन की कलियों को कूटकर एक चमच्च शहद के साथ खाने के लिए दे सकते हैं। (और पढ़ें - खाली पेट लहसुन खाने का तरीका)
     
  • हल्दी:
    हल्दी प्राकृतिक एंटीसेप्टिक का कार्य करती है और यह बच्चे के शरीर में प्रोटीन को बढ़ाती है। प्रोटीन का उच्च स्तर संक्रमण को फैलने से रोकने में मददगार होता है। (और पढ़ें - हल्दी और शहद के फायदे)
     
  • शहद:
    रिसर्च से पता चला है कि शहद प्राकृतिक रूप से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसके साथ ही यह ब्लड इंफेक्शन का कारण बनने वाले बैक्टीरिया से लड़ने में भी सहायक होता है। (और पढ़ें - दालचीनी और शहद के फायदे)

अन्य घरेलू उपाय में निम्नलिखित को अपनाएं:

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