किसी भी काम को आसानी से किया जा सकता है लेकिन शिशुओं की भाषा को समझना और उनकी देखभाल करना वाकई काफी कठिन कामों में से एक हैं। शिशुओं की हर छोटी बात का ध्यान सिर्फ मां ही रख सकती है। एक मां ही बता सकती है उसके बच्चे को कब किस चीज की जरूरत होती है।
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अच्छी नींद और सोने की सही पोजीशन दोनों ही स्वस्थ रहने के लिए बहुत जरूरी होती है। ऐसे में एक मां के लिए यह जानना बहुत जरूरी होता है उसके शिशु के लिए सोने की कौन सी मुद्रा सही है। आज हम इस लेख के माध्यम से बात करेंगे कि शिशुओं को पेट के बल सुलाना चाहिए या नहीं और इसके क्या फायदे हैं?
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अक्सर डॉक्टर सलाह देते हैं की शिशुओं को पीठ के बल ही लिटाना चाहिए लेकिन बच्चे ज्यादातर पेट के बल ही सोते हैं। शिशु खुद की क्षमता से कोई काम नहीं कर सकते इसलिए उन्हें तभी पेट के बल लिटाना चाहिए जब आपकी नजर उनपर हो, उन्हें अकेले न छोड़ें। छोटे बच्चों में सबसे ज्यादा ध्यान उनकी लेटने की पोजीशन पर ही दिया जाता है क्योंकि बच्चा जब छोटा होता है तो वो सिर्फ सोता ही है।
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बच्चों को पेट के बल लिटाने के निम्नलिखित फायदे हो सकते हैं:
- बढ़ते बच्चे के लिए पेट के बल लेटने के बहुत सारे फायदे हैं। बच्चे को पेट के बल लिटाने से पीठ, गर्दन और कंधे मजबूत होते हैं। और बड़ा होने के साथ अन्य बच्चों की तुलना में पेट के बल लेटने वाले बच्चे जल्दी क्रिया करने लगते हैं जैसे कि वे जल्दी खड़े होने की कोशिश करने लगते हैं, ऐसे बच्चे घुटनों के बल चलना भी जल्दी शुरू करते हैं। (और पढ़ें - नवजात शिशु के पेट में दर्द के लक्षण)
- पेट के बल लिटाने से बच्चे की गर्दन की मांसपेशियां मजबूत होती हैं जिससे बच्चे का सिर अधिक नियंत्रित रहता है और वह अपने आसपास और ऊपर-नीचे आसानी से देख सकेगा। (और पढ़ें - शिशु के घुटनों पर चलने के फायदे)
- अगर बच्चा एक तरफ को ज्यादा सोता है तो इससे उसके सिर का आकर पीछे से बिगड़ सकता है इसलिए उसे पेट के बल लिटाना चाहिए। (और पढ़ें - नवजात शिशु को कितना सोना चाहिए)
- शिशुओं को पेट के बल लिटाने से उनके विकास में मदद मिलती है साथ ही डाउन सिंड्रोम नामक घातक जन्मजात विकारों से बचाव भी होता है।
उपर्युक्त फायदों को देखते हुए बच्चों को पेट के बल लिटाना चाहिए लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए की जब बच्चे को पेट के बल लिटाया जाए तो हमेशा उसके आसपास ही रहना चाहिए। इस समय बच्चों का शरीर बहुत नाजुक होता है इसलिए ऐसे में उन्हें खतरा भी ज्यादा रहता है।
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छोटे शिशुओं को ज्यादातर पेट के बल लेटना ही पसंद होता है। उन्हें पेट के बल ज्यादा देर सोने नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे बच्चों का गला चोक हो सकता है और सांस लेने में दिक्कत भी हो सकती है। जब भी बच्चे को अकेला छोड़ा जाए उसे पीठ के बल ही लिटाना चाहिए। कोई भी समस्या होने पर चिकित्सक की सलाह ले लेना ही ठीक रहता है। बच्चों के मामले में कोई भी लापरवाही नहीं करनी करनी चाहिए।