दुनियाभर में शहद को सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। औषधीय गुणों से भरपूर शहद को बहुत से लोग चीनी या शक्कर की जगह स्वीटनर के तौर पर भी इस्तेमाल करते हैं। वेट लॉस के लिए तो बड़ी संख्या में लोग अपने दिन की शुरुआत ही गुनगुने पानी में नींबू और शहद के साथ करते हैं। सर्दी-खांसी के लिए, पाचन तंत्र की समस्याओं के लिए, अच्छी नींद के लिए, मोटापा कम करने के लिए- इस तरह की कई समस्याओं में रामबाण जैसा काम करता है शहद। वैसे तो बच्चों से लेकर वयस्क और बुजुर्गों तक के लिए शहद बेहद फायदेमंद माना जाता है। 

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लेकिन अक्सर एक सवाल जो ज्यादातर पैरंट्स के मन में आता है वो ये है कि क्या छोटे बच्चों को शहद देना चाहिए? देशभर में कई जगहों पर नवजात शिशु को शहद चटाने का रिवाज है, क्या ऐसा करना बच्चे की सेहत के लिहाज से ठीक है? अगर आप भी इस बात को लेकर दुविधा की स्थिति में हैं कि छोटे बच्चों को शहद देना चाहिए या नहीं, तो इस आर्टिकल में हम आपके इन सभी सवालों के जवाब दे रहे हैं। किस उम्र से बच्चों को आप शहद खिला सकते हैं? कब और कितना शहद बच्चों को दे सकते हैं? बच्चों के लिए शहद किस तरह से फायदेमंद है? ज्यादा शहद देने पर बच्चों में इसके क्या नुकसान हो सकते हैं, इन सभी के बारे में यहां जानें।

  1. बच्चों को कब खिलाएं शहद? - When to give honey to kids in hindi?
  2. बच्चों को कैसे खिलाएं शहद? - How to give honey to kids in hindi
  3. बच्चों को शहद खिलाने के फायदे - Benefits of giving honey to kids in hindi
  4. बच्चों को शहद खिलाने के नुकसान - Side effects of giving honey to kids in hindi

वैसे तो शहद में कई तरह के औषधीय गुण पाए जाते हैं लेकिन 1 साल से कम उम्र के बच्चों को शहद बिलकुल नहीं देना चाहिए। इसकी वजह ये है कि नवजात शिशु को शहद देने पर उन्हें इंफैंट बोटुलिज्म होने का खतरा रहता है। 6 महीने से छोटे बच्चों को शहद देने पर बोटुलिज्म का खतरा सबसे अधिक होता है। वैसे तो यह बेहद दुर्लभ स्थिति है लेकिन इस तरह के कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। 

इंफैंट बोटुलिज्म की समस्या क्लॉस्ट्रिडियम बॉटिलिनम के कारण होती है और यह एक ऐसा जीवाणु है जो आमतौर पर मिट्टी में, शहद में और शहद से बने उत्पादों में पाया जाता है। ये जीवाणु आंत में जाकर बैक्टीरिया में बदल जाते हैं और शरीर में हानिकारक न्यूरोटॉक्सिन्स का निर्माण करते हैं। बोटुलिज्म एक गंभीर स्थिति है जिसमें करीब 70 प्रतिशत बच्चों को औसतन करीब 23 दिन तक वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत पड़ सकती है।

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इंफैंट बोटुलिज्म की समस्या में नवजात शिशु की मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है जिससे वे ढीली हो जाती हैं या लटक जाती हैं, बच्चे को दूध खींचने में दिक्कत होती है, बच्चे की रोने की आवाज बेहद धीमी हो जाती है, शिशु को कब्ज की दिक्कत हो सकती है। लिहाजा बेहद जरूरी है कि माता-पिता इस बात का ध्यान रखें कि वे 1 साल से छोटे बच्चों को शहद- फिर चाहे वह कच्चा शहद हो या प्रोसेस्ड और शहद से बनी हुई कोई भी चीज बिलकुल न दें। 

1 साल से अधिक उम्र के बच्चों का पाचन तंत्र इतना परिपक्व हो जाता है कि वह शहद में मौजूद क्लॉस्ट्रिडियम बैक्टीरिया को शरीर में किसी भी तरह का नुकसान पहुंचाने से पहले ही शरीर के बाहर निकाल दे। लिहाजा एक-डेढ़ साल से अधिक उम्र के बच्चों को पैरंट्स शहद दे सकते हैं। 

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पैरंट्स चाहें तो अलग-अलग तरीके से छोटे बच्चों की डायट में शहद को शामिल कर सकते हैं:

  • अगर बच्चे को सर्दी-खांसी हो तो तुलसी की पत्तियों को पानी में उबालकर उसका काढा बना लें और इसमें शहद मिलाकर बच्चे को पिलाएं। ऐसा करने से बच्चे के गले को राहत मिलेगी और खांसी की समस्या भी दूर हो जाएगी।
  • आप चाहें तो बच्चे को बिना किसी चीज में मिलाए, यूं भी एक चम्मच शहद चटा सकती हैं। ऐसा करने से भी गले में दर्द, खराश और खांसी की समस्या में राहत मिलेगी।
  • आप चाहें तो बच्चे के दूध में शक्कर की जगह शहद का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसके अलावा कुकीज या केक में भी मिठास के लिए शहद का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • ब्रेड या टोस्ट पर भी मक्खन या जैम की जगह शहद लगाकर बच्चे को खिला सकती हैं।
  • मिल्कशेक या स्मूदी में, दही में या ओटमील में भी मिठास के लिए शक्कर की जगह शहद का इस्तेमाल किया जा सकता है।

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एक तरह से कहें तो शहद में पोषक तत्वों का भंडार होता है जिसका फायदा आपके बच्चे को 12 महीने की उम्र के बाद मिल सकता है। बच्चों को शहद खिलाने के कई फायदे हैं:

जरूरी विटामिन और मिनरल्स से भरपूर शहद - full of vitamins and minerals in hindi

शहद में एमिनो एसिड, एन्जाइम्स, मिनरल्स और एंटीऑक्सिडेंट्स के अलावा विटामिन बी, विटामिन सी भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। ये सभी पोषक तत्व बढ़ने वाले बच्चे के विकास में मदद करते हैं। आप चाहें तो बच्चे के खाने में चीनी की जगह मिठास के लिए शहद का इस्तेमाल कर सकती हैं।

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सर्दी-खांसी और गले की समस्या दूर करता है शहद - Relief in cough and sore throat in hindi

अगर आपके बच्चे की उम्र एक-डेढ़ साल से अधिक है तो आप बच्चे को सर्दी-खांसी, गले में दर्द या खराश जैसी समस्या होने पर तुरंत दवा देने की बजाए घरेलू नुस्खे के तौर पर शहद खिला सकती हैं। दरअसल, शहद की तासीर गर्म होती है इसलिए यह सर्दी-खांसी को कम करने में मदद करता है। गले में दर्द या खराश के लिए तो शहद को प्राकृतिक नुस्खे के तौर पर जाना जाता है। यहां तक की आयुर्वेद में भी गले की समस्याओं के लिए शहद का इस्तेमाल किया जाता है।

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बच्चों को एनर्जी देता है शहद - Honey gives energy in hindi

शहद में मुख्य रूप से 3 तरह की शक्कर होती है: सुक्रोज, ग्लूकोज और फ्रक्टोज। ये तीनों ही तरह की शक्कर हमारे शरीर द्वारा अलग-अलग तरह से इस्तेमाल की जाती हैं। सुक्रोज और ग्लूकोज जहां तुरंत डाइजेस्ट होकर ब्लड शुगर बढ़ाने का काम करती हैं वहीं, फ्रक्टोज शरीर में लंबे समय तक बना रहता है जिससे बच्चे को स्थिर और संतुलित ऊर्जा मिलती है।

लिवर को सुरक्षित रखता है शहद - Honey protects liver in hindi

लिवर को कई तरह की बीमारियों और नुकसान से बचाने में एक तरह से कवच का काम करता है शहद। पैरासाटिमॉल जैसी दर्दनिवारक दवाइयों का अक्सर लिवर पर साइड इफेक्ट देखने को मिलता है। लेकिन शहद इस साइड इफेक्ट को कम करने में मदद कर सकता है। इसलिए अगर आपका बच्चा बीमार है तो उसे दवा के साथ ही शहद भी खिलाएं तो इससे दवा के कारण बच्चे के लिवर को होने वाला नुकसान नहीं होगा।

घाव को जल्दी भरता है शहद - Honey heals wounds in hindi

भले ही आपको यह सुनने में अजीब लगे कि लेकिन अगर आपके बच्चे को चोट लग जाती है या उसकी स्किन कहीं से जल जाती है तो आप उस पर भी शहद लगा सकते हैं और इससे बच्चे की चोट बहुत जल्दी ठीक हो जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि शहद में एंटीबैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं। चोट लगी हुई जगह पर शहद लगाने से उपचार की प्रक्रिया को गति मिलती है और स्किन में हो रहे चिड़चिड़ेपन को भी शांत करने में मदद करता है शहद।

(और पढ़ें : चोट लगने पर प्राथमिक उपचार क्या करना चहिए)

पाचन तंत्र को हेल्दी बनाता है शहद - Honey for better digestion in hindi

अगर बच्चे का पेट खराब हो, पेट में गैस, बदहजमी, कब्ज, अल्सर या डायरिया जैसी पाचन से जुड़ी कोई भी समस्या हो तो इसमें भी काफी फायदेमंद साबित हो सकता है शहद। दरअसल, यह आंत में मौजूद बैक्टीरिया को खत्म कर पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। लिहाजा छोटे बच्चों के पाचन तंत्र को हेल्दी बनाए रखने के लिए भी आप उन्हें शहद खिला सकती हैं।

(और पढ़ें : आंत के बैक्टीरिया बन सकते हैं कैंसर का कारण)

वैसे तो औषधीय गुणों से भरपूर शहद बच्चे से लेकर बड़ों तक सभी के लिए फायदेमंद होता है लेकिन किसी भी चीज की अति नुकसानदेह हो सकती है। अगर आप अपने बच्चे को बहुत ज्यादा शहद का सेवन करवाएं तो उसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं:

  1. एलर्जी की दिक्कत : वैसे तो शहद से होने वाली एलर्जी की समस्या बेहद कम देखने को मिलती है लेकिन शहद या शहद से बनी चीजों का बहुत ज्यादा सेवन करने पर इसका खतरा हो सकता है। जिन लोगों को पराग-कण से एलर्जी होती है उन्हें शहद से भी एलर्जी हो सकती है।
  2. फूड पायजनिंग : शहद में प्राकृतिक रूप से सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं जैसे- बैक्टीरिया, यीस्ट आदि जो हवा, धूल और पराग-कण से आते हैं। चूंकि शहद में एंटीमाइक्रोबियल तत्व पाए जाते हैं इसलिए ये सूक्ष्मजीव हमें नुकसान नहीं पहुंचाते लेकिन अगर आपके बच्चे को फूड पायजनिंग की दिक्कत हो तो उसे शहद न खिलाएं।
  3. पेट की परेशानी का कारण : शहद में फ्रक्टोज पाया जाता है जो छोटी आंत के पोषक तत्वों के अवशोषण क्षमता को बाधित कर सकता है जिससे पेट की परेशानियां जैसे- पेट में ऐंठन और सूजन की दिक्कत हो सकती है। बहुत ज्यादा शहद का सेवन करने से यह बच्चे की जठरांत्र प्रणाली पर भी असर डाल सकता है।
  4. दांतों में सड़न की दिक्कत : शहद में चीनी होती है और यह चिपचिपा भी होता है। ऐसे में अगर लंबे समय तक बहुत ज्यादा मात्रा में शहद का सेवन किया जाए और शहद खाने के बाद मुंह को अच्छी तरह से पानी से साफ न किया जाए तो इससे दांतों में सड़न होने की समस्या हो सकती है। इतना ही नहीं अगर छोटे बच्चों को शहद वाली चुसनी दी जा रही है तो इससे भी बच्चे के दांत खराब होने की आशंका रहती है।

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