पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को अपने नवजात शिशु को नहलाने में काफी मुश्किल होती है। कई महिलाएं शिशु के नहलाने के सही तरीके के बारे में जानती नहीं है, जिसके चलते अधिकतर महिलाएं परेशान रहती है। दरअसल, शिशु की त्वचा बेहद नाजुक होती है, ऐसे में उसको विशेष देखभाल की जरूरत होती है। शिशु को अगर सही तरह से ना नहलाया जाए तो उसको कई तरह की समस्याएं भी हो सकती है।

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हाल में मां बनने वाली महिलाओं की इस समस्या को सुलझाने का प्रयास करते हुए, इस लेख में नवजात शिशु को नहलाने के विषय में विस्तार से बताया गया है। साथ ही इसमें शिशु को नहलाने से पहले की तैयारी, नवजात शिशु को नहलाने के तरीके, शिशु के नहलाने के बाद क्या करें और नवजात शिशु को नहलाने के टिप्स आदि के बारे में भी विस्तार से बताया गया है। 

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  1. नवजात शिशु को नहलाना क्यों जरूरी होता है - Navjat shishu ko nahlana kyu jaroori hota hai
  2. नवजात शिशु को कितनी बार नहलाना चाहिए - Navjaat shishu ko kitni baar nahlana chahiye
  3. शिशु को नहलाने से पहले की तैयारी - Shishu ko nahlane se pahle ki tyari
  4. नवजात शिशु को नहलाने का तरीका - Navjaat shishu ko nahlane ka tarika
  5. शिशु को नहलाना के बाद क्या करें - Shishu ko nahlane ke baad kya kare
  6. शिशु को नहलाने के जरूरी टिप्स - Shishu ko nahlane ke jaroori tips
नवजात शिशु को नहलाना के डॉक्टर

शिशु की प्रतिरक्षा प्रणाली बेहद ही कमजोर होती है। साथ ही जन्म के बाद शिशु की त्वचा बहुत संवेदनशील भी होती है, इस समय शिशु की त्वचा पर इकट्ठा होने वाले बैक्टीरिया को कम करने के लिए उसके शरीर में एंटीबॉडीज भी नहीं होते हैं। इस वजह से शिशु की त्वचा को बैक्टीरिया व अन्य रोगाणुओं से दूर रखने के लिए उसे नहलाया जाता है। नहाने से नवजात शिशु की त्वचा न सिर्फ साफ होती है बल्कि उसके रोम छिद्र भी खुल जाते हैं, इससे उसके शरीर के विषैले तत्व पसीने के द्वारा बाहर आसानी से बाहर निकलते हैं। 

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नई मां बनने वाली महिलाओं व प्रेग्नेंट महिलाओं के मन में भी यह सवाल होता है कि नवजात शिशु को कितनी बार और किस समय नहलाना चाहिए। बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी विदेशी संस्थाओं के विशेषज्ञों का कहना है कि शिशु को रोजाना नहलाने की आवश्यकता नहीं होती है। अगर आप रोजाना शिशु के डायपर पहनने की त्वचा को साफ करती हैं और डायपर को नियमित रूप से बदलती हैं तो आपको शिशु को रोजाना नहलाने की जरूरत नहीं पड़ती है।

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जब तक शिशु घुटनों के बल पर न चलने लगे, तब तक आप उसे सप्ताह में तीन दिन ही नहलाएं। नवजात शिशु घर में इधर उधर नहीं घुमता, ऐसे में वह ज्यादा गंदा भी नहीं होता है और गंदा न होने के कारण शिशु को हर रोज नहलाने की जरूरत नहीं पड़ती है। वहीं जब आपका शिशु ना तो भूखा हो और ना ही थका हुआ हो, तब आप अपने शिशु को नहलाएं। इस दौरान आप यह बात ध्यान रखें कि शिशु को दूध पिलाने के तुरंत बाद नहीं नहलाएं। दूध पिलाने के बाद शिशु को नहलाने के लिए आपको कम से कम एक घंटे इंतजार करना चाहिए। अगर आप शिशु को दूध पिलाने के कुछ समय के बाद ही नहलाती है तो इससे उसको उल्टी हो सकती है। सामान्यतः शाम के समय शिशु को नहलाने से उसको नींद अच्छी आती है।  

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शिशु को नहलाने से पहले भी कुछ तैयारियां करनी होती है, इससे आपको उसे नहलाते समय जरूरी चीजों को लेने के लिए बार-बार उठना नहीं पड़ता है। इसके अलावा शिशु को नहलाने के बाद भी कुछ चीजों की जरूरत होती है, इन सभी चीजों को पहले से ही एक जगह पर रख लेना बेहद आवश्यक होता है। आगे शिशु को नहलाने से पहले की तैयारी के बारे में विस्तार से बताया गया है:

  1. शिशु को पोंछने के लिए, एक साफ कपड़ा या स्पंज।
  2. मुलायम तौलिया जिसमें टोपी लगी हो।
  3. शिशु के नहाने का सौम्य साबुन।
  4. नया डायपर (और पढ़ें - बच्चे का देरी से बोलना)
  5. नहलाते समय शिशु के कान और आंख को पोंछने के लिए रूई।
  6. शिशु के नहाने का गुनगुना पानी।
  7. बेबी ऑयल और मॉइस्चराइजर
  8. बेबी पाउडर (और पढ़ें - बच्चों की इम्यूनिटी कैसे बढ़ाएं)
  9. यदि शिशु थोड़ा बड़ा है तो उसके नहाने के लिए टब। 

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नवजात शिशु को नहलाने के कई तरीके मौजूद हैं। शिशु को नहलाने के तीन तरीके उपयोग में लाए जाते हैं। यह तरीके हैं –

  1. स्पंज बाथ (कपड़े से शिशु को पोंछना)
  2. टब बाथ
  3. शिशु को नहलाने का पारंपरिक तरीका 

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नवजात शिशु को स्पंज बाथ कराना (कपड़े से पोंछना) - Navjaat shishu ko sponge bath

मुख्यतः जन्म के बाद के पहले कुछ सप्ताह तक शिशु के शरीर को स्पंज बाथ से ही साफ किया जाता है। जन्म के बाद बच्चे की नाभि जब तक सही नहीं हो जाती, तब तक उसको इसी प्रक्रिया से साफ किया या नहलाया जाता है। शिशु को स्पंज बाथ कराने का तरीका जानें –

  1. शिशु को स्पंज बाथ दिये जाने से पहले कमरे के तापमान की जांच करें। स्पंज बाथ के दौरान कमरे का तापमान न तो ज्यादा ठंडा हो और ना ही ज्यादा गर्म। (और पढ़ें - उम्र के अनुसार लंबाई और वजन का चार्ट)
     
  2. इसके बाद आप शिशु के कपड़े को उतार दें और उसको तौलिए से लपेटे। ऐसा करने के बाद उसके सिर को अपने हाथों पर रखते हुए लेटा दें। (और पढ़ें - शिशु की त्वचा की देखभाल)
     
  3. शिशु के शरीर का वो ही भाग तौलिए से बाहर निकाले जिसको स्पंज करना हो।
     
  4. इसके बाद आप गुनगुने पानी में सूती कपड़े या स्पंज को भिगो दें और हल्के हाथों से शिशु की आंखों को पोंछते हुए शुरूआत करें। (और पढ़ें - नवजात शिशु का वजन कितना होता है)
     
  5. शिशु की आंखों को पोंछने के बाद आप उसके कान, गर्दन, कोहनियां, घुटने और हाथ पैरों की उंगलियों के बीच के हिस्से को साफ करें। इस दौरान शिशु के बगल, गर्दन के नीचे व कान के पीछे की सिलवटों को भी साफ करें।
     
  6. कपड़े या स्पंज से शिशु के शरीर को पोंछते हुए आप इसको दोबारा पानी में भिगो सकती हैं। (और पढ़ें - गर्म पानी से नहाना चाहिए या ठंडे पानी से, जानिए आयुर्वेद क्या कहता है)
     
  7. शिशु के शरीर को पूरा साफ करने के बाद अंत में उसके सिर को स्पंज करें। शिशु के सिर पर आप शैंपू का इस्तेमाल न करें, उसके सिर को आप पानी से भी साफ कर सकती हैं। लेकिन इस दौरान ध्यान रखेें कि शिशु की आंख में पानी न जाए।  
     
  8. इसके बाद शिशु के डायपर को हटाते हुए उसके निचले हिस्से को अच्छी तरह से साफ करें।
     
  9. हल्के हाथों से शिशु के शरीर को गीले कपड़े से स्पंज करें। ज्यादा तेज रगड़ने से शिशु की त्वचा में जलन हो सकती है।  

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नवजात शिशु को टब में नहलाना - Navjaat shishu ko tub bath

नवजात शिशु को टब में नहलाने के तरीके को जानें –

  1. शिशु को टब में नहलाने से पहले सभी आवश्यक चीजों को बाथ टब के पास ही रखें। (और पढ़ें - बच्चे की मालिश कैसे करें)
     
  2. टब में गुनगुना पानी भर लें। शिशु को 32 डिग्री तापमान के पानी में 30 सेकंड तक रखने से उसकी त्वचा के जलने का खतरा रहता है। इसलिए शिशु को नहलाने के लिए हल्के गुनगुने पानी का ही इस्तेमाल करें।
     
  3. इसके बाद शिशु के कपड़ों को उतारकर उसको धीरे-धीरे टब के पानी में बैठाएं। इसके लिए सबसे पहले शिशु के पैरों को पानी में डालें। ऐसा करने के बाद आप एक हाथ से शिशु के सिर को सहारा देते हुए टब में लेटाएं। (और पढ़ें - नहाने का तरीका)
     
  4. इसके बाद उसकी त्वचा पर साबुन लगाएं और हथेली में पानी भरते हुए शिशु के शरीर से साबुन को साफ करें। (और पढ़ें - नहाते समय इन बातों का रखें ध्यान)
     
  5. नहलाने के बाद शिशु के शरीर से पानी को पोंछते हुए टब से बाहर निकाले और उसके शरीर को टोपी वाले तौलिए में लपेट दें। इसके बाद तौलिए से शिशु की त्वचा को अच्छी तरह से पोंछ लें। 
     
  6. इसके बाद शिशु के शरीर में नमी बनाए रखने के लिए बेबी लोशन लगाएं।

(और पढ़ें - नवजात शिशु के कफ का इलाज)

शिशु को नहलाने का पांरपरिक तरीका - Shishu ko nahlane ka paramparik tarika

कुछ सालों पहले शिशु को नहलाने के लिए महिलाओं द्वारा अलग तरीका अपनाया जाता था। आज भी कई बुजुर्ग महिलाएं इसी तरह से शिशु को नहलाती है। इस तरीके में महिला अपने घुटनों के निचले पैरों के ऊपर बच्चे को लेटाकर नहलाती है। इसमें महिला पंजों से शिशु के सिर को सहारा देती है। शिशु के लिए यह तरीका काफी आरामदायक होता है, क्योंकि इसमें महिला जमीन पर बैठी होती है, इसीलिए शिशु के गिरने की संभावनाएं बेहद कम होती है। लेकिन इस तरीके का नुकसान यह है कि इससे शिशु को नहलाने वाली महिला के कपड़े भी गीले हो जाते हैं।   

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शिशु को नहलाने के बाद आपको निम्न तरीके को अपनाना चाहिए-

  • शिशु को नहलाने के बाद आपको उसे तौलिए से अच्छी तरह से पोंछना चाहिए। इसके साथ ही शिशु के सिर के बालों को भी सूखा लें। शिशु के बालों को सूखाने के लिए ड्रायर का प्रयोग ना करें।
     
  • अगर शिशु को डायपर रैशेज हो तो उसके डायपर पहनने की जगह पर दवाई को लगाएं। (और पढ़ें - पोलियो का टीका कब लगवाना चाहिए)
     
  • इसके साथ ही आप शिशु की त्वचा पर बेबी क्रीम, लोशन और ऑयल भी लगा सकती है। लेकिन इसकी ज्याद जरूरत नहीं होती है।
     
  • यदि शिशु की नाभि से गर्भनाल जुड़ी हुई हो, तो ऐसे में नहाने के बाद किसी रूई की मदद से शिशु की नाभि को सूखाएं। (और पढ़ें - शिशु की गैस का इलाज)
     
  • नहाने के बाद शिशु के शरीर पर बेबी पाउडर लगाएं। ध्यान रखें कि बेबी पाउडर को शिशु के चेहरे पर ना लगाएं, क्योंकि सांस के जरिए पाउडर शिशु के अंदर जा सकता है। (और पढ़ें - क्‍या खाना खाने के बाद स्नान करना चाहिए या नहीं?)
     
  • शिशु के शरीर में पाउडर लगाने के बाद उसको डायपर पहनाएं और इसके बाद शिशु को आरामदायक कपड़े पहनाएं।

(और पढ़ें - बच्चे की मालिश का तेल)       

शिशु को नहलाने के लिए इन टिप्स पर भी ध्यान देना बेहद जरूरी होता है।

  • अपने शिशु को नहाते समय अकेला ना छोड़ें। (और पढ़ें - शिशु की कब्ज का इलाज)
     
  • शिशु को टब में लेटाएं नहीं, एक हाथ से उसके सिर को सर्पोट करते हुए उसको पीठ की ओर झुकाते हुए नहाएं।
     
  • नहलाने से पहले शिशु के कान को कवर करें और उसकी आंखों पर भी साबुन ना जानें दें।
     
  • बीमार होने पर शिशु को स्पंच बाथ ही दें।
     
  • शिशु के भूखे होने पर उसको न नहलाएं। पहले उसको शांत करें उसके बाद ही उसे नहलाना चाहिए। (और पढ़ें - नवजात शिशु के निमोनिया का  इलाज)
     
  • बुखार होने पर शिशु को बिलकुल न नहलाएं।
     
  • त्वचा संक्रमण होने पर शिशु को डॉक्टर की सलाह के बाद ही नहलाना चाहिए।
     
  • शिशु को रात के समय न नहलाएं, इससे उसके बीमार होने की संभावनाएं अधिक होती है।
     
  • शिशु के नहाने के पानी का तापमान दो बार जांचे।
     
  • नहलाते समय शिशु की त्वचा पर ज्यादा साबुन न लगाएं। इससे शिशु की त्वचा में रूखापन और रैशेज हो सकते हैं।
     
  • शिशु के नहाने का टब ना तो ज्यादा बड़ा होना चाहिए और ना ही ज्यादा छोटा।
     
  • शिशु के लिए उपयोग में लाए जाने वाले साबुन से ही अपने शिशु को नहलाएं।
     
  • टब में एक बार में ही ज्यादा पानी न भरें। आप टब में दो या तीन इंच तक पानी को भर सकती हैं।
     
  • शिशु को फिसलन भरी जगह पर ना नहलाएं। इससे आपके और शिशु के गिरने की संभावना अधिक होती है।

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