शिशुओं का ब्रेस्ट या फिर फॉर्मूला मिल्क पीने के बाद थूक निकालना सामान्य है. अक्सर दूध पीने के बाद शिशु डकार लेते हैं और इसके साथ कुछ दूध बाहर थूक देते हैं. कुछ शिशु दूध पीने के बाद उल्टी भी कर सकते हैं, लेकिन थूक निकालना और उल्टी करना, दोनों अलग-अलग स्थितियां होती हैं. थूक निकालना किसी भी शिशु के लिए आरामदायक हो सकता है, लेकिन कई बार शिशु कुछ गंभीर कारणों की वजह से भी थूक निकाल सकता है.

आज इस लेख में हम इन्हीं कारणों व उससे निपटने के तरीके के बारे में जानेंगे -

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  1. शिशु का थूक निकालने के कारण
  2. थूक निकालना व उल्टी में अंतर
  3. क्या शिशु का थूक निकालना चिंताजनक है?
  4. शिशु के थूक निकालने को कम करने के तरीके
  5. सारांश
शिशु के थूक निकालने के कारण व इलाज के डॉक्टर

नवजात शिशुओं में पाचन तंत्र विकसित हो रहा होता है, इसलिए वे अधिक थूक निकालते हैं. दरअसल, जैसे ही शिशु दूध पीते हैं, दूध गले से ग्रासनली और फिर पेट में जाता है. ग्रासनली मांसपेशियों की रिंग के द्वारा पेट से जुड़ा होता है, इसे लोअर एसोफेजल स्फिंक्टर कहा जाता है. यह स्फिंक्टर दूध को पेट में जाने देता है और फिर तुरंत वापस बंद हो जाता है. नवजात शिशुओं में स्फिंक्टर उतना विकसित नहीं होता है, जितना लगभग 6 महीने की उम्र तक हो जाता है. इसकी वजह से दूध का बैकफ्लो हो सकता है, इससे शिशु थूक निकाल सकते हैं. पहले वर्ष में थूकना विकास के लिए अच्छा माना जाता है. शिशु के थूक निकालने के कारण निम्न हैं -

ओवरइटिंग

अधिक दूध पिलाने की वजह से शिशु थूक निकाल सकते हैं, क्योंकि शिशुओं का पेट छोटा होता है और वो अधिक दूध को डायजेस्ट नहीं कर पाते हैं. जो शिशु अधिक दूध पीता है, उसका दूध बैकफ्लो हो सकता है.

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एलर्जी

कई बार मां वे चीजें खा लेती हैं, जिससे शिशु को एलर्जी हो सकती है. एलर्जी वाला फूड ब्रेस्ट मिल्क के जरिए शिशु के पेट तक पहुंच सकता है. इसकी वजह से शिशु थूक बाहर निकाल सकता है.

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दूध के साथ हवा निगलना

जब शिशु जल्दी-जल्दी दूध पीता है, तो वह दूध के साथ हवा भी निगल रहा होता है. इस स्थिति में भी शिशु दूध को थूक सकता है.

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कई बार शिशु सिर्फ थूक निकालता है, तो कई बार उल्टी भी कर देता है. ऐसे में मां अक्सर समझ नहीं पाती हैं कि शिशु थूक रहा है या फिर उल्टी कर रहा है. इन दोनों के बीच के अंतर को हम यहां समझाने का प्रयास कर रहे हैं -

  • आमतौर पर शिशु थूक को झट से निकाल देते हैं और फिर शांत हो जाते हैं. वहीं, उल्टी करने के बाद शिशु परेशान हो सकता है.
  • शुरुआती महीनों में शिशु का थूकना आम है. आमतौर यह समस्या 1 वर्ष या उससे अधिक उम्र तक ठीक होने लगती है.
  • शिशुओं को उल्टी होना आम नहीं है. यह किसी न किसी बीमारी का संकेत हो सकती है. उल्टी आमतौर पर बुखार या दस्त जैसे अन्य लक्षणों के साथ देखी जा सकती है.
  • थूक डकार के साथ निकल सकता है, जबकि उल्टी तब होती है, जब फ्लो तेज होता है. इस स्थिति में शिशु अधिक दूध को बाहर निकाल देता है.

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अगर शिशु दूध पीने के बाद थूक रहा है और उसका वजन बढ़ रहा है, तो यह स्थिति चिंताजनक नहीं होती है. सामान्य रूप से थूकने से शिशु के स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है. थूकने के बाद भी अगर वजन बढ़ता है, तो इसका मतलब है कि शिशु कैलोरी नहीं खो रहा है. वहीं, अगर नीचे बताए गए संकेत दिखते हैं, तो थूक निकालना चिंताजनक हो सकता है -

  • शिशु का वजन नहीं बढ़ रहा है.
  • तेजी से थूकता है.
  • हरा या पीला तरल पदार्थ थूकता है.
  • थूक के साथ खून निकलता है.
  • बार-बार दूध पीने से मना करता है.
  • मल में खून निकल रहा है.
  • सांस लेने में कठिनाई हो रही है.
  • 6 महीने या उससे अधिक उम्र में थूकता है.
  • दिन में तीन घंटे से अधिक रोता है.
  • शिशु चिड़चिड़ा रहता है.
  • पेशाब नहीं करता है.

अगर शिशु में थूक निकालने के साथ ये संकेत दिखते हैं, तो स्थिति चिंताजनक हो सकती है. इस स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी होता है. डॉक्टर लक्षणों के आधार पर समस्या का इलाज शुरू कर सकते हैं.

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शिशु के थूक निकालने को कम करने के तरीके निम्न प्रकार से हैं -

  • पेट से हवा निकालने के लिए शिशु को दूध पिलाने के बाद डकार दिलाने की कोशिश करें.  
  • शिशु को हमेशा आराम से दूध पिलाएं. मिल्क फीडिंग के दौरान शिशु को शोर, तेज रोशनी से दूर रखें. शांति में दूध पीने से शिशु कम थूक निकाल सकता है.
  • शिशु को ओवर फीडिंग से बचाएं. अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार शिशुओं के फॉर्मूला फीडिंग में कम से कम ढाई घंटे का गैप होना चाहिए. वहीं, स्तनपान करने वाले शिशुओं के लिए 2 घंटे का गैप रखने की सलाह दी जाती है. 
  • झुकी हुई स्थिति में दूध पिलाने की कोशिश करें, ताकि दूध आसानी से शिशु के पेट में चला जाए. दूध पिलाने से पहले स्तनों से कुछ दूध पंप कर लें, ताकि दूध का फ्लो धीमा रहे.
  • दूध पिलाने के बाद शिशु के सिर को कम से कम 30 मिनट तक सीधा और ऊंचा रखने की कोशिश करें.
  • दूध पिलाने और डकार दिलाने के बाद शिशु को पीठ के बल सुलाएं. इससे शिशु बार-बार नहीं थूकेगा. साथ ही सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम (एसआईडीएस) का जोखिम भी कम हो सकता है.

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दूध पीने के बाद शिशु का थूक निकालना कोई गंभीर समस्या नहीं होती है. अमूमन सभी शिशु थूक निकालते हैं. इसके उल्ट अगर शिशु थूक निकालने के बजाय उल्टी कर रहा है, तो इस स्थिति में डॉक्टर से कंसल्ट करें, क्योंकि यह किसी बीमारी या संक्रमण का संकेत हो सकता है. इस स्थिति में शिशु का वजन कम हो सकता है और अधिक बार थूक सकता है या फिर डिहाइड्रेट हो सकता है. इसलिए, शिशु के स्वास्थ्य में कोई भी बदलाव आने पर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.

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