बच्चों की त्वचा वयस्कों की त्वचा से काफी अलग होती है। बच्चों की स्किन पतली होने के कारण यह अधिक नाजुक और संवेदनशील होती है। वातावरण और तापमान में होने वाले परिवर्तन प्रत्यक्ष रूप से बच्चों की त्वचा को प्रभावित करते हैं। इसके साथ ही बच्चों की स्किन में एलर्जी, संक्रमण, रैशेज और अन्य परेशानियां होने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं।

बच्चा आपके घर में आता है, तब सभी यही चाहते हैं कि बच्चे की सही देखभाल हो और वह सेहतमंद रहें। बच्चों की त्वचा बेहद ही संवदेनशील होती है, इसलिए घर के सभी सदस्यों को बच्चे को कैमिकल, किसी तरह की खूशबू, कपड़ों की डाई, डिटर्जेंट व बाजार में मिलने वाले अन्य बेबी प्रोडक्ट से दूर रखना चाहिए। बच्चे की त्वचा में किसी भी तरह के प्रोडक्ट को इस्तेमाल करने से उनकी त्वचा में रूखापन, पपड़ी निकलना या रैशेज की समस्या हो जाती हैं। ऐसे में घर के सभी सदस्यों को बच्चे की त्वचा का देखभाल पर पूरा ध्यान देना चाहिए।

यदि आप भी अपने बच्चे की त्वचा की सही देखभाल के बारे में परेशान है तो इस लेख में आपको इस विषय पर पूरी जानकारी दी जा रही है। साथ ही इसमें जन्म के समय शिशु की त्वचा कैसे होती है और त्वचा की देखभाल के सभी टिप्स को भी बताया गया है। 

(और पढ़ें - शिशु और बच्चों की देखभाल)

  1. जन्म के समय बच्चे की त्वचा कैसी होती है - Janam ke samay bache ki twacha kaise hoti hai
  2. बच्चों की त्वचा का ख्याल कैसे रखें - Bacho ki twacha ka khayal kaise rakhe
बेबी की स्किन की देखभाल करने का तरीका के डॉक्टर

जन्म के बाद पहले कुछ सप्ताह में बच्चे की त्वचा पर कई तरह के बदलाव होते हैं। इस दौरान बच्चे के बालों और त्वचा का रंग में भी बदलाव होता है। जब बच्चा अस्पताल से घर आता है तो कुछ दिनों में उसकी त्वचा से पपड़ी निकलने लगती है। शिशु के साथ ऐसा होना एक सामान्य बात है। इस समय बच्चे के पूरे शरीर से पपड़ी निकलती है।

(और पढ़ें - बच्चे के दांत निकलना)

मां के गर्भ में बच्चा कई तरह के तरल पदार्थ से कवर होता है। इस तरल में एमनियोटिक (Amniotic fluid), रक्त और वेरनिक्स (Vernix) शामिल होता हैं। वेरनिक्स एक मोटी परत होती है जो बच्चे की त्वचा का एमनियोटिक तरल से बचाव करती है।

जन्म के बाद यही वेरनिक्स पपड़ी के रूप में बच्चे की त्वचा से अलग होती है। लेकिन ध्यान दें कि इसको आप रगड़कर निकलाने का प्रयास न करें। साथ ही इसके लिए बच्चे की त्वचा पर किसी तरह की क्रीम या लोशन लगाने की भी आवश्यकता नहीं होती है।  

(और पढ़ें - शिशु का टीकाकरण चार्ट)

Baby Massage Oil
₹198  ₹280  29% छूट
खरीदें

बच्चों को नहलाना - Bacho ko nahlana

बच्चे को ज्यादा नहलाने से उसकी त्वचा का प्राकृतिक तेल (ऑयल) सूख जाता है, जिसकी वजह से बच्चे की त्वचा में रूखापन होने लगता है और वह पपड़ी की तरह निकलने लगती है। एक साल का होने तक बच्चे को एक सप्ताह में केवल दो से तीन बार ही नहलाना चाहिए। बच्चे को नहलाते समय उसकी त्वचा पर सौम्य साबुन (mild soap) का ही प्रयोग करें। साथ ही इस बात का भी ध्यान दें कि बच्चे को नहलाने का पानी न तो ज्यादा गर्म हो और न ही ज्यादा ठंडा होना चाहिए।

(और पढ़ें - शिशु को नहलाने का तरीका)

इसके अलावा बच्चे का कमरा सामान्य तापमान में ही रखें। बच्चे के कमरे को ज्यादा ठंडा करने से भी उसकी त्वचा पर प्रभाव पड़ता है। नहलाने के बाद बच्चे को पोछने के लिए साफ और सूखे तौलिये का ही इस्तेमाल करें। बच्चे को नहलाने के लिए किसी भी तरह के नए साबुन का प्रयोग न करें। इससे बच्चे की त्वचा को नुकसान होने की संभावना अधिक होती है। 

(और पढ़ें - बच्चों की इम्यूनिटी कैसे बढ़ाएं)

शिशु की त्वचा पर हर्बल पाउडर का प्रयोग करें - Shishu ki twacha par herbal powder ka prayog kare

बच्चे को नहलाने के बाद यदि आप उसके शरीर को सही तरह से सूखाती हैं तो उसकी त्वचा पर पाउडर लगाने की कोई आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन अगर आप बच्चे को नहलाने के बाद उसको पाउडर लगाती हैं, तो इस बात का ध्यान दें कि ऐसा पाउडर का प्रयोग न करें जो बच्चे की त्वचा को नुकसान पहुंचाए। बच्चों के लिए हर्बल पाउडर का ही इस्तेमाल करना चाहिए। कई खूशबूदार पाउडर में कैमिकल मिले होते हैं जिसकी वजह से भी शिशु की त्वचा पर कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। इस तरह के पाउडर को खासतौर पर बच्चों के नैपी पहनने की जगह पर नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि इससे बाद में कई तरह के संक्रमण होने की संभावनाएं होती है।

(और पढ़ें - बच्चों में भूख ना लगने के कारण

 

बच्चे को डायपर रैश से कैसे बचाएं - Bacho ko diaper rash se kaise bachaye

बच्चे के डायपर पहनने की जगह ज्यादा समय तक गीली रहना, डायपर का टाइट होना या किसी विशेष तरह के डायपर का उपयोग, वाइप और साबुन के इस्तेमाल से त्वचा पर कई तरह की परेशानियां हो जाती हैं। डायपर रैश से बचने के लिए आपको निम्न तरह के उपाय आजमाने चाहिए।

  • बच्चे के डायपर को थोड़ी-थोड़ी देर में चेक करती रहें। (और पढ़ें - डायपर रैश के उपचार)
     
  • डायपर गंदा या गीला होने पर जल्द से जल्द बदलें। इसके साथ ही बच्चे के डायपर की त्वचा को साफ कपड़े से पोंछे। इसके अलावा बेबी पाउडर के इस्तेमाल से डायपर की जगह को अच्छी तरह से सूखा लें। (और पढ़ें - नवजात शिशु के निमोनिया का  इलाज)
     
  • अधिकतर बच्चों में डायपर रैशेज से किसी तरह की गंभीर समस्या नहीं होती है, लेकिन कुछ बच्चों की त्वचा में संक्रमण हो सकता है। ऐसे में बच्चों को अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। अगर आपके बच्चे को रैशेज से गंभीर समस्या हो गई हो, तो आप किसी डॉक्टर से मिलकर उसका तुरंत इलाज करवाएं। 

(और पढ़ें - उम्र के अनुसार लंबाई और वजन का चार्ट)

बच्चे के नाखूनों को छोटा रखें - Bache ke nakhun chote rakhe

बच्चा जब छोटा होता है तो उसके नाखून बेहद ही पतले और तेज होते है, इसके साथ ही उसके नाखून तेजी से बढ़ते हैं। ऐसे में आपको अपने बच्चे के नाखूनों को सप्ताह में दो बार काटना चाहिए। अधिकतर बच्चे नाखूनों से खुद को चोट पहुंचा लेते हैं।

बच्चों के नाखूनों को काटते समय ध्यान देने वाली बातें।

  • बच्चे के नाखून बेबी नेल क्लीपर या नाखून काटने वाली किसी कैंची से ही काटें। साधारण नेल कटर से बच्चे के त्वचा कटने का खतरा रहता है। (और पढ़ें - शिशु की कब्ज का इलाज)
  • बच्चे की उंगली को कटने से बचाने के लिए नाखून काटते समय उसकी उंगली को मजबूती से पकड़ें।  
  • बच्चे के पैर के नाखून हाथों की अपेक्षा धीमी गति से बढ़ते हैं। ऐसे में आपको बच्चे के पैरों को नाखूनों को महीने में एक बार ही काटने की जरूरत होती है।

(और पढ़ें - जन्म के समय बच्चे का वजन कितना होता है)

बच्चे को थोड़े समय के लिए धूप में जाएं - Bache ko thode samay ke liye dhoop me le jaye

सूर्य की किरणें जीवन की ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत होती है, बच्चे को सुबह के समय थोड़ी देर के लिए धूप में जरूर ले जाएं। सुबह के समय सूर्य की किरणें बच्चे की त्वचा पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। इससे बच्चे को विटामिन डी मिलता है, जो आपके बच्चे को संक्रमण और अन्य रोगों से बचाता है। 

(और पढ़ें - बच्चे कब कैसे बोलना सीखते हैं)

लेकिन आपका बच्चा ज्यादा छोटा हो या उसे जन्म लिए कुछ ही महीने हुए हो, तो ऐसे में आपको बच्चे को तेज धूप में ले जाने से बचना चाहिए। बच्चे के त्वचा बेहद ही नाजुक होती है, जिससे उसको सनबर्न हो सकता है। जबकि कुछ महीनों के बच्चे को भी सीधे धूप में ले जाते समय आपको उसके हाथ पैरों को सही तरह से ढकना चाहिए।

(और पढ़ें - शिशु का वजन कैसे बढ़ाएं)

शिशु की मसाज करें - Shishu ki massage kare

बच्चे को मसाज देने से मां और बच्चे के बीच में गहरा संबंध बनता है। प्राकृतिक तेलों से बच्चे की त्वचा की मसाज करने से उसको पोषण मिलता है और त्वचा मॉश्चराइज होती है। शिशु की मसाज के लिए कई तरह के तेल बाजार में उपलब्ध है, लेकिन नारियल तेल, जैतून के तेल और बादाम के तेल को ही बेहतर माना जाता है। खूशबूदार और कैमिकल युक्त तेल को बच्चे की त्वचा पर नहीं लगना चाहिए, इससे बच्चे की त्वचा पर कई तरह की समस्या होने की संभावना होती है। 

(और पढ़ें - बच्चे की मालिश कैसे करें

शिशु की त्वचा में होने वाली अन्य समस्याएं और बचाव - Shishu ki twacha ki problems aur bachav

सामान्यतः कई बच्चों की त्वचा में जन्म से ही कुछ निशान होता है। इस तरह के निशान से माता-पिता को घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि यह एक अनुवांशिक स्थिति होती है। इससे बच्चे को किसी तरह की परेशानी नहीं होती है और इसके लिए किसी तरह के इलाज की भी आवश्यकता नहीं पड़ती है।

सामान्य समस्याएं

  • नवजात शिशु की त्वचा पर लाल व खुजली वाले रैशज होना, इस समस्या को एक्जिमा कहते हैं। इसमें बच्चे के चेहरे, सिर की त्वचा, कोहनी और घुटनों पर लाल रंग के रैशज हो जाते हैं। अगर बच्चे के घर के किसी सदस्य को एलर्जी या अस्थमा हो तो ऐसे में शिशु को एक्जिमा होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में बच्चे की त्वचा पर सौम्य साबुन और मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करने के साथ ही उसको डॉक्टर के पास भी ले जाना चाहिए। (और पढ़ें - नवजात शिशु के कफ का इलाज)
  • कुछ बच्चों को मुंहासों की समस्या हो जाती है। हालांकि, यह समस्या व्यस्कों को होने वाले मुंहासों से थोड़ा अलग होती है। अगर यह समस्या बच्चे को बनी रहे तो ऐसे में आप उसको किसी डॉक्टर के पास ले जाएं।  

(और पढ़ें - नवजात शिशु को खांसी क्यों होती है)

बच्चे की त्वचा की देखभाल के टिप्स - Bache ki twacha ki dekhbhal ke tips

नवजात शिशु की त्वचा और रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद ही नाजुक होती है।

  • नए कपड़े बच्चों को पहनाने से पहले एक बार धो लेने चाहिए। इससे बच्चे को कपड़ों से किसी तरह के संक्रमण होने की संभावना कम हो जाती है। (और पढ़ें - पोलियो का टीका कब लगवाना चाहिए)
  • गर्मी और पसीने के कारण बच्चे को डायपर पहनने की त्वचा पर, अंडर आर्मस, त्वचा के सिलवटों और डायपर के किनारों पर घमौरियां हो जाती है। ऐसे में आप बच्चे को कपड़ों को ढीला कर दें और घमौरियों का इलाज कराएं। (और पढ़ें - शिशु की गैस का इलाज)
  • बच्चे की त्वचा पर किसी तरह के कैमिकल युक्त पाउडर या अन्य प्रोडक्ट का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसकी वजह से बच्चे की त्वचा पर रैशज, रूखापन व अन्य समस्याएं हो जाती है। ऐसे में आपको ऑर्गेनिक प्रोडक्ट का ही इस्तेमाल करना चाहिए, इससे बच्चे की त्वचा का संक्रमण और एलर्जी से बचाव होता है। (और पढ़ें - बच्चे की मालिश का तेल 

अगर आपके अपने बच्चे की त्वचा पर किसी भी तरह की कोई समस्या दिखाई देती है, तो बिना देरी किए आपको उसे डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। कई बार बच्चों की त्वचा की समस्या को अनदेखा करना या उनका सही समय पर इलाज न कराना आपके बच्चे के लिए गंभीर हो सकता है। साथ ही डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही बच्चे की त्वचा पर किसी तरह की दवा या क्रीम का इस्तेमाल करें।

(और पढ़ें - बच्चे को चलना कैसे सिखाएं)     

Dr Shivraj Singh

Dr Shivraj Singh

पीडियाट्रिक
13 वर्षों का अनुभव

Dr. Abhishek Kothari

Dr. Abhishek Kothari

पीडियाट्रिक
9 वर्षों का अनुभव

Dr. Varshil Shah

Dr. Varshil Shah

पीडियाट्रिक
7 वर्षों का अनुभव

Dr. Amol chavan

Dr. Amol chavan

पीडियाट्रिक
10 वर्षों का अनुभव

सम्बंधित लेख

ऐप पर पढ़ें