गर्भावस्था में वह पल सबसे खूबसूरत होता है, जब बच्चा गर्भ में पहली बार मूवमेंट करना शुरू करता है. यह शिशु के विकास को दर्शाता है. शुरुआत में सिर्फ महिला ही शिशु की हलचल को महसूस कर सकती है, लेकिन जैसे-जैसे बच्चे का विकास होता है, दूसरे लोग भी महिला के गर्भ में बच्चे की मूवमेंट को देख सकते हैं. कई बार गर्भ में बच्चा कम या ज्यादा हलचल करता है. यह सामान्य नहीं होता है, इस स्थिति को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. आज इस लेख में आप जानेंगे कि गर्भ में बच्चे की कम और अधिक हलचल के पीछे मुख्य कारण क्या हैं -

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  1. गर्भ में शिशु हलचल करना कब शुरू करता है?
  2. गर्भ में बच्चे की हलचल कम होने के कारण
  3. गर्भ में बच्चे की हलचल कैसे बढ़ाएं?
  4. गर्भ में बच्चे की हलचल ज्यादा होने के कारण
  5. सारांश
गर्भ में शिशु की हलचल कब होती है? के डॉक्टर

गर्भावस्था के लगभग 16वें से 24वें सप्ताह के बीच में मां को बच्चे की हलचल महसूस होने लग सकती है. वहीं, अगर किसी महिला की पहली गर्भावस्था है, तो हो सकता है कि 20वें सप्ताह के बाद तक भी शिशु की कोई हलचल महसूस न हो. ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है, कुछ समय बाद महिला गर्भ में शिशु की हलचल को महसूस करना शुरू कर सकती है.

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अगर 24वें सप्ताह के बाद तक बच्चे की हलचल महसूस नहीं होती है, तो इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. इसके अलावा, अगर पहले बच्चे की हलचल सही थी, लेकिन बाद में कम हो जाती है, तो इसके निम्न कारण हो सकते हैं -

  • अगर बच्चा कम हलचल कर रहा है, तो यह किसी तरह के इंफेक्शन या अन्य समस्या का संकेत हो सकता है.
  • अगर शिशु की हलचल कम हो गई है, तो यह शिशु के धीमे विकास का संकेत हो सकता है.
  • बच्चे के प्लेसेंटा या महिला के गर्भाशय में कोई समस्या होने पर भी गर्भ में बच्चे की हलचल कम हो सकती है.
  • अंबिलिकल कॉर्ड की स्थिति में भी बच्चा कम हलचल कर सकता है. यह वह स्थिति होती है, जब बच्चे की गर्भनाल उसके गले के चारों और लिपट जाती है.
  • बच्चे की हलचल कम होने पर डॉक्टर नॉन स्ट्रेस टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं. इससे बच्चे की हार्ट रेट और एक्टिविटी का पता लगाया जा सकता है. इसके अलावा, 3 डायमेंशनल अल्ट्रासाउंड से भी बच्चे के विकास व वृद्धि पर नजर रखी जा सकती है.

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शिशु की हलचल कम होने की स्थिति में डॉक्टर की सलाह पर निम्न उपाय किए जा सकते हैं -

  • बच्चे की हलचल बढ़ाने के लिए महिला संतरे का जूस पी सकती है या फिर कोई अन्य मीठा तरल पदार्थ ले सकती है.
  • महिला का एक्टिव रहना भी जरूरी है. इसके लिए वॉक जरूर करें और डॉक्टर की सलाह पर लाइट एक्सरसाइज भी कर सकते है.
  • गर्भ में विकसित हो रहे शिशु से बातचीत की जा सकती है.
  • पेट को हल्का-सा दबाएं, लेकिन पेट पर अधिक जोर डालने से बचें.

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जैसे-जैसे गर्भावस्था आगे बढ़ेगी, बच्चा बढ़ने लगेगा और वह अधिक एक्टिव होने लगेगा. आइए, उन कारणों के बारे में जानते हैं, जिससे गर्भ में शिशु की गतिविधि बढ़ जाती है -

  • तीसरी तिमाही में आने के बाद बच्चे की हलचल दिन या रात में अधिक हो सकती है. इस समय बच्चा तेजी से मूवमेंट कर सकता है.
  • इस अवस्था में दूसरे लोग भी शिशु को महिला की गर्भ में हिलते हुए देख सकते हैं. यह स्थिति अच्छी होती है, क्योंकि इस समय बच्चे का वजन बढ़ रहा होता है और बच्चे का विकास हो रहा होता है.
  • रिसर्च से पता चलता है कि तीसरी तिमाही में बच्चा हर घंटे में लगभग 30 बार हिल सकता है.
  • खाना खाने के बाद जब महिला बिस्तर पर लेटती हैं, तो बच्चा अधिक मूवमेंट कर सकता है. इस स्थिति में चिंता करने की जरूरत नहीं है.
  • गर्भावस्था के 37वें हफ्ते से ज्यादा होने पर शिशु की गतिविधि अधिक हो सकती है.

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अगर बच्चे ने हलचल करना शुरू कर दिया है, लेकिन फिर कुछ दिनों बाद वह 2 घंटे में 10 से कम बार हिल रहा है, तो इस स्थिति को बिल्कुल अनदेखा न करें. बच्चे का सामान्य से कम हिलना थोड़ा चिंताजनक हो सकता है. ऐसे में महिला को बच्चे के किक काउंट पर ध्यान देना चाहिए. अगर शिशु कम मूवमेंट कर रहा है, तो डॉक्टर से तुरंत कंसल्ट करें. वहीं बहुत अधिक मूवमेंट करने पर भी एक बार डॉक्टर से मिल सकते हैं.

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