हर मां बाप को अपने बच्चे के चलने और बोलने का बेसब्री से इंतजार रहता है। अपने बच्चे को चलते देख मां-बाप बेहद ही खुश होते हैं। बच्चा समय के साथ कई तरह की चीजों को सीखता है, इसमें वह धीरे-धीरे करवट लेना, बैठना और चलना सीखता है। बच्चे को बिना किसी सहारे के अपना पहला कदम रखने के लिए कई तरह की चीजों को समझना और सीखना होता है। लेकिन बच्चे के चलने में माता-पिता की भी अहम भूमिका होती है। मां-बाप की मदद से ही बच्चा जल्दी चलना सीखता है।

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आपको इस लेख में “बच्चे कब चलना शुरू करते हैं” के विषय पर विस्तार से बताया जा रहा है। साथ ही इसमें आपको बच्चे किस उम्र में चलना शुरू करते हैं, बच्चे के जल्द चलने के लक्षण, बच्चा कब चलना सीखता है और बच्चे को चलना कैसे सीखाएं, आदि के बारे में भी बताने का प्रयास किया गया है।

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  1. बच्चे किस उम्र में चलना शुरू करते हैं - Bache kis umar me chalna suru karte hai
  2. बच्चे कैसे चलना सीखते हैं - Bache kaise chalna shikte hain
  3. बच्चे को चलने के लिए कैसे प्रोत्साहित करें - Bache ko chalne ke liye kaise protsahit kare
  4. बच्चे को चलना कैसे सिखाएं - Bache ko chalna kaise shikhaye
  5. बच्चे को वाकर कब दें - Bache ko walker kab de
बच्चे को चलना कैसे सिखाएं और वे किस उम्र में चलना शुरू करते हैं के डॉक्टर

जन्म के समय बच्चे के पैर की मांसपेशियां में उसके शरीर के वजन को उठाने की ताकत नहीं होती है। बच्चे के धीरे-धीरे बढ़े होने पर यह मजबूत होती हैं। सामान्यतः बच्चे को चलना शुरू करने में करीब साल भर का समय लग जाता है, जबकि कई बच्चे 9 से 12 महीनों में भी चलना शुरू करते हैं। लेकिन बच्चों को सही तरह से चलने में 14 से 15 महीनों का समय लगता है। अगर आपके बच्चे को चलने में ज्यादा समय लगे तो आपको घबराना नहीं चाहिए। पूरी से सामान्य होन पर भी कुछ बच्चे 16 से 17 महीनों का होने तक चलना नहीं सीख पाते हैं। साल भर तक बच्चे की मांसपेशियां की क्षमता में विकास होता है। इसी दौरान बच्चा बैठना, करवटें लेना और घुटनों के बल पर आगे-आगे खिसकना सीखता है, जिसके बाद ही वह खड़ा होना सीख पाता है।

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बच्चा 9 महीनों तक शरीर का बैलेंस करना सीख जाता है और धीरे-धीरे वो किसी चीज के सहारे से खड़ा होने लगता है। इसके बाद ही वह सहारे की मदद से ही आगे चलना सीखता है।

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कोई भी बच्चा एक रात में चलना नहीं सीखता है। जिस तरह से वह अन्य आदतों को सीखता है, ठीक वैसे ही चलना सीखने के लिए उसको कई प्रक्रियाओं को सीखना होता है। चलने के लिए सबसे पहले बच्चे को अपनी गर्दन और सिर को मजबूत करना होता है। इसके लिए जब आपका बच्चा सोया न हो तो उसको पेट के बल पर लेटाएं। इससे बच्चा अपनी गर्दन और सिर के वजन को नियंत्रण करना सीखता है। ऐसा करने से बच्चा करवटें लेने और धीरे-धीरे बैठना भी सीखने लगता है। आगे आपको बच्चे का चलना सीखने की पूरी प्रक्रिया को बताया गया है।

  1. घुटनों के बल पर चलना –
    शुरूआती दौर में बच्चे के पैर की मांसपेशियां इतनी मजबूत नहीं होती कि वह आसानी से चल सकें। ऐसे में आपका बच्चा घुटनों के बल पर ही चलना शुरू करता है। इस समय आप देखेंगी कि आपका बच्चा अपने रास्ते में आने वाली हर चीज से बचता हुआ आगे बढ़ने की कोशिश करता है। इसी तरह आपका चलना सीखता है। दरअसल घुटनों के बल पर चलने से आपके बच्चे के पैरों की मांसपेशियां का उपयोग होता है और वह मजबूत होने लगती है। (और पढ़ें - बच्चों को सिखाएं अच्छी सेहत के लिए अच्छी आदतें
     
  2. खड़ा होने की कोशिश करना –
    जब आपका बच्चा खुद खड़ा होने की कोशिश करता है, तो यह उसके जल्द ही चलने का संकेत होता है। इसके बाद बच्चा अपने हाथों की मदद से किसी चीज को पकड़ते हुए उठने और आगे बढ़ाने का प्रयास करता है। जब तक बच्चा सही तरह से खड़ा होना नहीं सीख पाता है, तब तक वह घर के सोफा या माता-पिता का सहारा लेकर भी खड़े होने की कोशिश करता है। (और पढ़ें - शिशु का वजन कैसे बढ़ाएं)
     
  3. हाथ पकड़कर चलना –
    जैसे साइकिल चलाते समय किसी की मदद की जरूरत होती हैं, ठीक ऐसे ही चलना सीखने के लिए भी बच्चे को किसी की सहायता की आवश्यकता होती है। एक बार जब बच्चा किसी की मदद से खड़ा होने के लगता है तो वह धीरे-धीरे चलने की कोशिश करता है और बाद भी वह बिना किसी की मदद के चलने का प्रयास करता है। चलना सीखते समय बच्चे कई बार गिरते हैं, लेकिन जैसे-जैसे वो अपना बैलेंस बनाना सीखने लगते हैं, वैसे-वैसे वो चलना शुरू कर देते हैं। (और पढ़ें - नवजात शिशु के दस्त का इलाज)
     
  4. खुद चलने के कोशिश करना –
    हाथ पकड़कर कर चलना सीखने के बाद बच्चा आपकी मदद के लिए इंतजार नहीं करता और वह अपनी सहायता के लिए किसी दीवार या फर्नीचर का सहारा लेकर खड़ा होने और घर में घूमने की कोशिश करने लगता है। (और पढ़ें - नवजात शिशु की कब्ज का इलाज)
     
  5. बिना सहारे खड़े होना –
    एक बार जब बच्चा बिना किसी सहायता के खड़ा होना शुरू कर देता है, तो कुछ ही दिनों सहारे के बिना ही चलना भी सीख जाता है। हालांकि बच्चे को बैलेंस बनाने में थोड़ा समय जरूर लगता है, लेकिन वह बिना मदद के आसानी से सीधा खड़ा होने लगता है। इसके बाद कुछ ही दिनों में बच्चे को कूदने, सीढ़ियां चढ़ने और अन्य गतिविधियों को करने से खुद का सुंतलन बनाना सीख जाते हैं।

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बच्चा मां-बाप के प्रोत्साहन से हर कार्य आसानी से कर सकता है। इसी तरह आप उसको चलने के लिए भी प्रोत्साहित करें। बच्चे को चलने के लिए प्रोत्साहित करने के कुछ उपायों को नीचे विस्तार से बताया जा रहा है।

  1. हाथ पकड़कर आगे बढ़ाएं –
    बच्चे को चलाने के लिए प्रोत्साहित करने का सबसे आसान तरीका है कि आप उसके हाथों को पकड़कर उसे चलना सिखाएं। इससे बच्चे के पैरों पर ज्यादा वजन नहीं पड़ता है। लेकिन इस दौरान आप बच्चे के हाथ को ज्यादा ऊपर न उठाएं, क्योंकि इससे बच्चे को सहारा मिलने के बजाय उसके कंधों पर अतिरिक्त भार पड़ने की संभावनाएं होती हैं। बच्चे के हाथों को पकड़ते समय यह ध्यान रखें कि बच्चे के पैर जमीन को छुएं और वह गिरने से भी बचा रहें। (और पढ़ें - बच्चों की इम्यूनिटी कैसे बढ़ाएं)
     
  2. अन्य बच्चों से मिलवाएं –
    अपने बच्चे को पार्क या किसी ऐसी जगह पर ले जाएं, जहां पर उसके जैसे ही अन्य बच्चे आते हों। ऐसे माहौल में बच्चा जल्द ही चलना सीखता है। जब वाकर देखे तो उसकी ओर इशारा करते हुए बच्चे को भी दिखाएं, बच्चे को वाकर की मदद से चलने के लिए प्रोत्साहित करें। आप देखेंगी कि अन्य बच्चों के साथ बच्चा तेजी से चलना सीखने लगेगा। (और पढ़ें - शिशु को सर्दी जुकाम)
     
  3. बच्चे को जमीन पर छोड़ दें –
    बच्चा चलने से पहले घुटनों के बल पर चलना शुरू करता है। ऐसे में आप बच्चे को अधिक समय के लिए जमीन पर छोड़े, इससे बच्चे के पैरों की मांसपेशियों की एक्सरसाइज होती है। (और पढ़ें - नवजात शिशु के पेट दर्द का इलाज)
     
  4. उसकी पसंद के खिलौने दें –
    बच्चे के चलने में उसकी पसंद के खिलौने बेहद मददगार होते हैं। आप बच्चे को कमरे के एक किनारे पर बैठा दें, जबकि उसके पसंदीदा खिलौने को कमरे के दूसरे किनारे रख दें। ऐसे में जब बच्चा खिलौना लेने के लिए आगे बढ़े, तो खिलौने को अन्य जगह पर रख दें, इससे बच्चा खुश होते हुए बार-बार खिलौने को लेने के लिए आगे बढ़ेगा।   

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बच्चे को चलना सिखाने के लिए मां-बाप की अहम भूमिका होती है, आप निम्न तरह के उपायों को आजमाकर बच्चे को चलना सिखा सकते हैं।

  1. बच्चे को खेलने के लिए बॉल दें –
    यह बच्चे के लिए एक मनोरंजक एक्सरसाइज होती है। इसमें बच्चा जब सोफा या किसी अन्य चीज का सहारा लेकर खड़ा हो तो आप उसके पैरों के आगे बॉल रखे दें, पहली बार में बच्चे के पैर बॉल पर गलती से लग जाएगा। परंतु धीरे-धीरे बच्चा खुद अपने पैरों से बॉल को किक करना सीख जाएगा। आप बच्चे के दोनों पैरों के पास बॉल को रखें ताकि बच्चा अपने दोनों ही पैरों से बॉल को किक करने की कोशिश करें। (और पढ़ें - बच्चों के दांतों को कैविटी से बचाने के उपाय)
     
  2. बच्चे को सहारा दें –
    आप बच्चे को खड़ा करने के लिए किसी चीज का सहारा दें। आप उसका एक हाथ सोफे पर रखें और दूसरे हाथ को खुद पकड़कर रखें। फिर धीरे-धीरे बच्चे को चलाने के लिए आगे बढ़ाएं। कुछ समय के बाद आप अपनी मदद के बिना बच्चे को सोफे के सहारे खड़ा होने दें। बच्चा सोफे के सहारे आगे बढ़े इसके लिए आप सोफे के अंतिम छोर पर बच्चे का पसंदीदा खिलौना भी रख सकती हैं। इससे बच्चा अपना खिलौना लेने के लिए खुद आगे बढ़ने लगेगा। (और पढ़ें - नवजात शिशु की उल्टी का इलाज)
     
  3. बच्चे को स्टूल पर बैठाएं –
    बच्चे को छोटे स्टूल पर बैठाएं। यह स्टूल बच्चे की पीठ को सहारा देने वाला नहीं होना चाहिए। साथ ही इस पर बैठकर बच्चे के पैर जमीन को छूने चाहिए। इसमें बैठकर बच्चे के घुटने 90 डिग्री के कोण पर होने चाहिए। मां-बाप या घर के किसी बड़े व्यक्ति की देखरेख में ही बच्चे को इस स्टूल पर बैठाएं। जब बच्चा स्टूल पर बैठा हो तो उसके कुछ खिलौनों को स्टूल के आसपास रख दें। इसके बाद बच्चे को झुककर इन खिलौनों को उठाने के लिए कहें। इस तरह की एक्सरसाइज से बच्चे के कंधों, पैरों, पीठ की मांसपेशियां मजबूत होती है और बच्चा अपने वजन को पैरों पर रखना सीखता है। (और पढ़ें - बच्चों के दांत निकलने के लक्षण)
     
  4. कुछ बॉल को फ्लोर में फैला दें –
    आप कुछ बॉल को फ्लोर पर फैला दें और बच्चे को एक-एक बॉल को दूर रखी टोकरी में इकट्ठा करने के लिए कहें। इसमें आप बॉल की जगह पर उसके खिलौनों का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। जैसे ही बच्चा सोफे की मदद से उठने की कोशिश करें आप सोफे के दूसरे किनारे पर एक खिलौना और टोकरी रख दें और बच्चे को खिलौना टोकरी में डालने के लिए कहें। इस खेल में बच्चे के पैर की मांसपेशियां विकसीत होती हैं। (और पढ़ें - डायपर के रैशेस हटाने के घरेलू नुस्खे)
     
  5. बच्चे के साथ खेलें –
    बच्चे को चलना सीखाने के लिए आप एक बॉल ले लें और उस बॉल को बच्चे की तरफ फेंक कर दें और उससे वापस लाने को कहें। अगर बच्चा खड़ा न हो पा रहा हो तो उसको धुटनों के बल पर ही ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे बच्चे के हाथों और आंखों के बीच तालमेल बनाता है। इससे बच्चे के ऊपरी हिस्से की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। (और पढ़ें - नवजात शिशु को खांसी क्यों होती है)
     
  6. बच्चे को नंगे पैर घूमने दें –
    डॉक्टर बच्चों के चलना शुरू करने पर, उन्हें नंगे पैर घूमाने की सलाह देते हैं। इससे बच्चे पैर से जमीन को महसूस करते हुए, बैलेंस करना सीख जाते हैं। नंगे पैर से बच्चा अलग-अलग जमीन पर अलग-अलग मांसपेशियां, जोड़ों और पोजीशन में खड़ा होना सीख जाता है, जबकि जूते पहनने से उसको शरीर का बैलेंस बनाने में मुश्किल होती है।

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कुछ संस्थाएं बच्चों को वाकर देना सही नहीं मानती हैं। इन संस्थाओं का मानना है कि वाकर से बच्चा आसानी से घूम सकता है, साथ ही इससे बच्चे के जांघ की मांसपेशियां सही तरह से विकसित नहीं होती है।

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इतना ही नहीं वाकर की मदद से बच्चा देरी से चलना सीखता है। वाकर से बच्चे को चोट लगने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं। इनकी मदद से बच्चा दूर की चीजों को भी तेजी से पकड़ लेता है।

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