आप अपने नवजात शिशु को नहलाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। कपड़ों से लेकर डायपर, साबुन और प्रसाधान का सारा सामान तैयार है। आपने अपनी कोहनी को पानी के टब में डालकर देखा और पानी का तापमान भी बच्चे को नहलाने के लिहाज से एकदम सही है। आपने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है ताकि बच्चे को नहलाने में ज्यादा समय न लगे, सबकुछ फटाफट से बेहद कम में हो जाए और बच्चे को कोई तकलीफ भी न हो। 

आपने बच्चे के कपड़े उतारे और अब जैसे ही बच्चे का पैर पानी में डाला, बच्चे ने जोर-जोर से रोना शुरू कर दिया। परेशान होने की जरूरत नहीं। अगर आप सोच रहे हैं कि बाकी बच्चे तो बड़े मजे से नहा लेते हैं फिर आपका बच्चा ही ऐसा क्यों है जो नहाने के दौरान रोता है तो आप गलत सोच रहे हैं। ज्यादातर बच्चे नहाने के दौरान रोते हैं और इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि बच्चों को गीला होना अच्छा नहीं लगता। इस लेख में हम आपको यही बता रहे हैं कि आखिर नहाने के समय बच्चे क्यों रोते हैं और अगर आपका बच्चा नहाना पसंद नहीं करता तो इसके लिए आप क्या कर सकते हैं।

(और पढ़ें : बच्चे की मुंह की सफाई कैसे करें, जानें)

  1. आखिर कितनी बार बच्चों को नहलाना चाहिए? - kitni baar bachhe ko nahlana chahiye?
  2. बच्चे को नहाना पसंद नहीं : संकेत और कारण - bachha nahana nhi chahta- sanket aur karan
  3. अगर बच्चे को नहाना पसंद न हो तो क्या करें? - bachhe ko nahana pasand na ho to kya kare?
नहाने के समय बच्चे का रोना : कारण और उपाय के डॉक्टर

नवजात शिशु

  • नवजात शिशु को हफ्ते में 2 से 3 बार बेहद हल्के से स्पंज बाथ दिया जाना चाहिए। शिशु को स्पंज बाथ कराते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि आप जिस कमरे में बच्चे को नहलाएं उस रूम का तापमान गर्म हो। बच्चे को तौलिए में लपेट कर रखें और शरीर के सिर्फ उसी हिस्से को खोलें जिसे उस समय स्पंज करना हो। जब तक बच्चे की गर्भनाल गिर नहीं जाती तब तक इस बात का ध्यान रखें कि नाभि का हिस्सा पूरी तरह से सूखा रहे ताकि बच्चे को किसी तरह का इंफेक्शन न हो।
  • हफ्ते में 3 बार नहलाने का रूटीन बच्चे के लिए तभी बेस्ट है जब आप हर बार बच्चे के सूसू या पॉटी करते वक्त डायपर या लंगोटी बदलते वक्त उसके जेनिटल्स के हिस्से को अच्छी तरह से साफ कर दें। साथ ही एक साफ कपड़ा हमेशा अपने पास रखें ताकि अगर बच्चा डकार लेते वक्त या दूध पीने के बाद मुंह से दूध निकाले तो उसे पोंछा जा सके। साथ ही जब जरूरत पड़े सॉफ्ट और गीले कपड़े से बच्चे का चेहरा और गर्दन भी पोंछते रहें।

छोटा बच्चा (टॉडलर)

  • एक बार जब बच्चे की गर्भनाल गिर जाए उसके बाद आप बच्चे को हर दिन बाथटब में बिठाकर नहला सकते हैं। शुरुआत के दिनों के लिए जब तक बच्चा टब में बैठकर नहाने में सहज महसूस न करें आप उसे स्पंज बाथ दे सकती हैं। जब बच्चे को टब में नहलाना शुरू करना हो तो टब में करीब 2 इंच पानी रखें और पानी का तापमान 37-38 डिग्री सेल्सियस के आसपास होना चाहिए।

आप बच्चे को सुबह के समय नहलाना चाहती हैं या रात में यह आप पर निर्भर करता है। लेकिन अगर आपका बच्चा नहाने का टाइम आते-आते बहुत ज्यादा परेशान हो जाए या रोने लगे तो उसे सोने से ठीक पहले नहलाना सही नहीं होगा।

(और पढ़ें: बच्चे के जननांगों को किस तरह साफ करें)

Baby Massage Oil
₹198  ₹280  29% छूट
खरीदें

जब आप बच्चे पर थोड़ा से भी पानी की छींटा डालते हैं और बच्चा बहुत तेज रोने लगता है तो इस संकेत को गंभीरता से लें। यह बात सच है कि ज्यादातर बच्चों को गीला होना अच्छा नहीं लगता। लेकिन आप इस बात की वजह खोज लें कि आखिर क्यों आपके बच्चे को नहाना पसंद नहीं है तो आप नहाने के समय को बच्चे के साथ-साथ अपने लिए भी मस्तीभरा बना सकते हैं।

ये कुछ सामान्य कारण हैं जिस वजह से बच्चे को नहाना पसंद नहीं होता:
1. साबुन और पानी बच्चे की आंखों में चला जाता है : बच्चों का रिफ्लेक्स बहुत ज्यादा विकसित नहीं होता। इसका मतलब है कि अगर बच्चे की तरफ पानी या कोई और चीज फेंकी जाती है तो वह बहुत तेजी से अपनी आंखों को बंद नहीं कर पाते ताकि वे उस चीज को आंखों में जाने से रोक पाएं। नतीजतन, नहाने के दौरान पानी या साबुन शिशु की आंखों में चला जाता है जिस वजह से उन्हें आंखों में जलन होने लगती है और वे रोने लगते हैं।

2. पानी ज्यादा गर्म या ज्यादा ठंडा है: अगर नहाने का पानी ज्यादा गर्म या ज्यादा ठंडा हो या फिर जिस कमरे में आप बच्चे को नहला रहे हैं वह कमरा बहुत ज्यादा ठंडा है या फिर अगर बच्चे को आपने सही ढंग से तौलिए में बांधकर नहीं रखा है तो इन वजहों से भी बच्चे को असहजता महसूस होती है और बच्चा रोने लगता है।

3. बच्चा अगर भूखा है: अगर आपका पेट खाली है तो आप किसी भी चीज को इंजॉय नहीं कर पाएंगे और यही बात बच्चों के साथ भी लागू होती है। लिहाजा नहलाने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि आपका बच्चा पूरी तरह से सहज हो- उसने दूध पी लिया हो, उसका पेट भरा हो, डकार आ चुकी हो, डायपर या लंगोटी साफ हो। अगर बच्चा नहाने के दौरान परेशान हो तो उसे जबरन नहलाने की कोशिश न करें।

4. अगर बच्चे को डर लगा रहा हो: कई बार ऐसा होता है कि नवजात शिशुओं को नहाना बहुत पसंद होता है लेकिन जैसे-जैसे वे बड़े होते जाते हैं उन्हें नहाने से घृणा होने लगती है। ऐसा इसलिए होता है अगर बच्चे को सपोर्ट महसूस न हो। अगर बच्चे के मन में इस बात को लेकर डर हो कि वह बाथटब में फिसलकर गिर जाएगा तब भी उसे नहाना पसंद नहीं होता।

5. बच्चे को अचानक ही पानी में डाल दिया: अगर आप बच्चे से धीरे-धीरे और आराम से सारे काम न करवाएं तो वे रोकर और चिल्लाकर अपना विरोध दर्ज करवाते हैं। ऐसे में अगर वे किसी घटना के साथ किसी बुरे अनुभव को जोड़ लेते हैं (जैसे- नहाने के समय से जुड़ा कोई अनुभव) तो वह उनके दिमाग में कुछ समय के लिए बना रहता है। 

6. बच्चा असहज हो: पानी के नल से गिरने की तेज आवाज और पानी में तैरने का अनुभव भी बहुत से बच्चों को असहज महसूस करा सकता है या फिर उन्हें डर लग सकता है। ऐसे में कई बार इस डर की वजह से भी बच्चे नहाना पसंद नहीं करते और नहाने से कतराने लगते हैं।

(और पढ़ें: नवजात शिशु के सिर पर जमा पपड़ी, कारण और उपाय)

माता-पिता के साथ-साथ दादा-दादी या नाना-नानी भी ऐसी कई चीजें कर सकते हैं जिससे बच्चे के लिए नहाने का समय हंसी-खुशी और मस्ती से भरा हो। इसके लिए आप इन टिप्स को अपनाएं:

  • आप बच्चे को कहां पर स्नान करा रहे हैं, वह जगह भी काफी अहमियत रखती है। अगर आप बच्चे को स्पंज बाथ करा रहे हैं इस बात का ध्यान रखें कि रूम का तापमान बहुत ठंडा न हो और उस जगह पर बच्चे को आराम से लिटाने के लिए पूरी जगह भी हो। अगर आप इन फैक्टर्स को बाथरूम में कंट्रोल नहीं कर सकते तो बच्चे को बाथरूम में नहलाने की जरूरत नहीं।
  • बाथटब की भी है अहमियत। अगर बच्चे का बाथटब बहुत बड़ा है और उसमें बहुत ज्यादा पानी है तो इससे भी बच्चा डर सकता है। बच्चे के लिए बेबी टब खरीदें या फिर जब तक बच्चा टब में बैठकर नहाने में सहज महसूस न करे उसे सिंक में ही नहलाएं। कुछ दिनों के लिए बाथटब में बच्चे को स्पंज बाथ करवाएं और फिर उसमें थोड़ा-थोड़ा पानी भरें। कुछ बच्चों को कंधे तक गर्म पानी में रहना अच्छा लगता है। लेकिन पानी बढ़ाने से पहले ये देख लें कि आपका बच्चा इसे कितना इंजॉय कर रहा है।
  • बच्चे पानी के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं खासकर अगर पानी ज्यादा ठंडा या ज्यादा गर्म हो। ज्यादातर बच्चों के नहाते वक्त रोने का मुख्य कारण पानी का सही तापमान न होना है। बच्चों के नहाने के पानी का तापमान 37 से 38 डिग्री सेल्सियम से बीच होना चाहिए। अपनी कोहनी को पानी में डुबोकर देखें कि पानी का तापमान बच्चे के लिए सही है या नहीं। पहले बच्चे का पैर पानी में डुबोएं ताकि पता चल सके कि पानी का तापमान बच्चे के लिए कंफर्टेबल है या नहीं।
  • शुरुआती 1 महीने के लिए तो साबुन बिलकुल इस्तेमाल न करें यहां तक की सौम्य बेबी सोप भी नहीं क्योंकि नवजात शिशु की त्वचा बेहद संवेदनशील होती है और वह बहुत जल्दी ड्राई हो सकती है। लिहाजा हफ्ते में 2 से 3 बार बच्चे को नहलाने के लिए सिर्फ साफ पानी का ही इस्तेमाल करें।
  • बच्चे पर नजर रखें कि वह किस तरह से कमरे के तापमान, बाथटब और पानी की तरफ प्रतिक्रिया दे रहा है और उसके हिसाब से ही अपने व्यवहार में बदलाव करें। नहाने के दौरान इस तरह के दृष्टिकोण से पैरंट्स और बच्चों के बीच नजदीकियां आती हैं।
  • बच्चे को अगर आप नजदीक से देखेंगे तो आपको बच्चे से ऐसे कई संकेत मिल जाएंगे जिससे आपको पता चलेगा कि नहाने के दौरान बच्चे को क्या पसंद है और क्या नहीं।
  • बच्चे की आंखों में पानी न जाए इससे बचने के लिए बच्चे के शरीर के निचले हिस्से को पहले साफ करें। इस दौरान बच्चे के सिर को पीछे की तरफ झुका कर रखें। बच्चे के चेहरे पर पानी डालने से बचें।
  • आप जिस हाथ से बच्चे को नहा ले रहे हैं उसके विपरित हाथ से बच्चे को सपोर्ट दें। अगर बच्चा इतना बड़ा है कि वह अपने सहारे बैठ सकता है तो बच्चे को बाथटब में बिठाएं और अपना हाथ उनके पेट पर रखें। ऐसा करने से बच्चे को सुरक्षित महसूस होगा और पानी में गिरने का डर उनके मन से निकल जाएगा।
  • बाथटब में बच्चों का पसंदीदा बाथ टॉय डालें।
  • नहाने के दौरान बच्चे को पानी में अकेला बिलकुल न छोड़ें।
  • पानी का तापमान चेक करते रहें। अगर पानी ज्यादा ठंडा हो जाए तो बच्चे को तुरंत बाहर निकाल लें और उसे तुरंत तौलिए में लपेट लें।
  • अगर आपके बच्चे का जन्म प्रेगनेंसी के 37 हफ्ते से पहले हो गया हो को नवजात शिशु को तब तक न नहलाएं जब तक शिशु शारीरिक दृष्टि से स्थिर न हो जाए और बच्चे का तापमान लगातर 4 घंटे तक सामान्य न हो।
  • अगर आप बच्चे के बाल धो रहे हों तो सौम्य बेबी शैंपू की छोटी सी बूंद लें और बाल साफ कर दें। लेकिन बाल धोते वक्त बच्चे के चेहरे को अपने हाथों से ढककर रखें ताकि शैंपू, झाग या पानी की बूंद बच्चे की आंखों में न जाने पाए।

(और पढ़ें: बच्चों के लिए पाउडर लगाना कितना सुरक्षित है, ऐसे करें इस्तेमाल)

Dr. Pritesh Mogal

Dr. Pritesh Mogal

पीडियाट्रिक
8 वर्षों का अनुभव

Dr Shivraj Singh

Dr Shivraj Singh

पीडियाट्रिक
13 वर्षों का अनुभव

Dr. Abhishek Kothari

Dr. Abhishek Kothari

पीडियाट्रिक
9 वर्षों का अनुभव

Dr. Varshil Shah

Dr. Varshil Shah

पीडियाट्रिक
7 वर्षों का अनुभव

संदर्भ

  1. Karl D.J. The Interactive Newborn Bath: Using Infant Neurobehavior to Connect Parents and Newborns. The American Journal of Maternal/Child Nursing, November-December 1999; 24(6): 280-286
  2. Jackson A. Time to review newborn skincare. Infant, 2008; 4(5): 168-71
  3. Hyun‐Sook So et al. Effect of Trunk‐to‐Head Bathing on Physiological Responses in Newborns. Journal of Obstetric, Gynecologic and Neonatal Nursing, November-December, 2014; 43(6): 742-751
ऐप पर पढ़ें