आपका नवजात शिशु जब आपकी बांहों में आया और आपने पहली बार उसे देखा तो उसके सिर पर ढेर सारे बाल थे। ये देखते ही आपकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। लेकिन देखते ही देखते कुछ महीनों के अंदर ही शिशु के सिर के ज्यादातर बाल झड़ गए और बची हैं तो सिर्फ थोड़ी बहुत लटें। अब आपको यह चिंता सता रही है कि आखिर शिशु के बालों को हुआ क्या? वयस्कों में बाल गिरना, गंजापन ये सारी समस्याएं तो आपने देखी और सुनी होगी, आपके खुद के बाल भी काफी झड़ रहे होंगे, लेकिन क्या नवजात शिशुओं को भी बाल गिरने और गंजेपन की दिक्कत हो सकती है?

अमेरिकन अकैडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (एएपी) की मानें तो जन्म के बाद शुरुआती कुछ महीनों में ज्यादातर बच्चों के कुछ या फिर सारे ही बाल झड़कर गिर जाते हैं और ऐसा होना बेहद सामान्य सी बात है। प्रेगनेंसी की पहली तिमाही यानी 1 से 3 महीने के समय में गर्भ के अंदर भ्रूण के सिर पर बाल उगने शुरू हो जाते हैं। कुछ बच्चे जहां जन्म के समय ही गंजे पैदा होते हैं, वहीं कुछ बच्चों के सिर पर जन्म के समय तो खूब सारे बाल होते हैं लेकिन धीरे-धीरे ये बाल गिरने लगते हैं और इससे पहले कि शिशु के स्थायी बाल आएं, गर्भ में शिशु के सिर पर उगे बालों का गिरना बेहद नॉर्मल माना जाता है। 

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स्वस्थ बच्चों के सिर और स्कैल्प में भी अक्सर बॉल्ड पैचेज यानी सिर के अलग-अलग हिस्सों में खासकर पीछे की तरफ और सिर के साइड में गंजेपन का पैच नजर आता है। इसकी वजह यह है कि शिशु ज्यादातर समय अपने पीठ के बल लेटे रहते हैं इसलिए उनके सिर का पीछे वाला हिस्सा हमेशा ही तकिए या किसी चीज के साथ रगड़ता रहता है। ऐसे में जैसे-जैसे शिशु बैठना सीख जाएगा उसके बाल सामान्य रूप से फिर से उगने और बढ़ने लगेंगे।

बालों के गिरने की इस प्रक्रिया को एलोपेसिया कहते हैं और बहुत से शिशुओं में कई कारण हो सकते हैं जिस वजह से उनके बाल गिरने लगें जैसे- हार्मोन्स से लेकर बच्चे के सोने की पोजिशन तक। हालांकि अच्छी बात ये है कि नवजात शिशु के बाल गिरने के पीछे किसी भी तरह की बीमारी या मेडिकल समस्या आमतौर पर नहीं होती। वैसे तो सभी शिशुओं में बालों के बढ़ने की रफ्तार अलग-अलग होती है लेकिन 11 से 12 महीने का होते-होते ज्यादातर शिशुओं के सिर पर पूरी तरह से बाल आ जाते हैं। 

तो आखिर नवजात शिशु के सिर के बाल गिरने के कारण क्या हैं, किन लक्षणों से आप जान सकते हैं कि शिशु के बाल गिर रहे हैं और क्या इसके लिए किसी तरह के इलाज की जरूरत है। इन सभी सवालों के जवाब आप जान सकते हैं इस आर्टिकल में।

  1. नवजात शिशु के बाल गिरने के लक्षण - navjat ke baal girne ke lakshan
  2. नवजात शिशु के बाल गिरने के कारण - navjat ke baal girne ka karan
  3. नवजात शिशु के बाल झड़ने का इलाज - navjat ke baal girne ka ilaj
  4. शिशु के बालों का ध्यान रखने के टिप्स - shishu ke baal ka dhayan kaise rakhe?
  5. सारांश
नवजात शिशु के बाल झड़ना के डॉक्टर

ओरेगॉन हेल्थ ऐंड साइंस यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट्स की मानें तो नवजात शिशु में जन्म से लेकर 6 महीने तक के समय में ज्यादातर बाल गिर जाते हैं और 3 महीने के आस पास का होते-होते शिशु के सबसे ज्यादा बाल गिरते हैं। एलोपेसिया या शिशु के बाल गिरने के लक्षणों की बात करें तो सिर से बालों का गायब होना या गंजापन दिखना ही मुख्य लक्षण है। 

इसके अलावा आप शिशु में इन संकेतों को भी नजरअंदाज न करें:

  • शिशु के सिर पर हाथ फेरने के बाद अगर आपके हाथ में शिशु के बाल आ जाएं
  • शिशु के बालों में शैंपू करने के बाद बाथटब या तौलिए में बाल नजर आएं
  • शिशु के पालना या स्ट्रॉलर में जहां शिशु अपना सिर रखता है वहां पर बालों का नजर आना
  • बाल गिरने के ये लक्षण स्कैल्प के अलावा आइब्रो, आइलैशेज या शरीर के किसी और हिस्से पर भी दिख सकते हैं

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हालांकि कुछ शिशुओं में गर्भ के बाल गिरने के साथ-साथ स्थायी बाल आने की रीग्रोथ भी साथ-साथ हो रही होती है इसलिए कई बार पैरंट्स इस अंतर को भी पता नहीं कर पाते कि उनके शिशु के बाल गिर रहे हैं। वहीं, दूसरे शिशुओं में उनके गर्भ के बाल इतनी तेजी से गिरने लगते हैं कि शिशु का सिर पूरी तरह से गंजा हो जाता है। हालांकि ये दोनों ही घटनाएं पूरी तरह से नॉर्मल है।

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कई बार नवजात शिशु के स्कैल्प या खोपड़ी में बाल गिरने की वजह से बॉल्ड पैचेज या सिर के कुछ हिस्सों में गंजापन नजर आने लगता है। कुछ बच्चे जन्म से ही गंजे होते हैं या फिर जन्म के समय तो उनके सिर पर बाल होते हैं लेकिन जन्म के कुछ ही महीनों के अंदर उनके सारे बाल गिर जाते हैं और वे गंजे हो जाते हैं।

बाल गिरने की असामान्य वजहें

रिंगवर्म या दाद

रिंगवर्म या दाद हमेशा ही किसी कीड़े या कीट की वजह से नहीं होता बल्कि कई बार यह कई तरह के फंगस की वजह से भी होता है। इस फंगस की वजह से न सिर्फ बाल गिरते हैं बल्कि स्कैल्प पर लालिमा आ जाती है, रैशेज हो जाते हैं और स्कैल्प पर पपड़ी जम जाती है। अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी स्थित चिल्ड्रेन्स नैशनल के डॉक्टरों की मानें तो वैसे तो रिंगवर्म या दाद आमतौर पर 2 साल से कम उम्र के बच्चों को संक्रमित नहीं करता है लेकिन यह बेहद संक्रामक है। ऐसे में अगर घर में किसी और सदस्य को रिंगवर्म हो तो शेयर की गई टोपी, कंघी या हेयरब्रश की वजह से यह बच्चों को भी हो सकता है।

घर्षण या रगड़

एक्सपर्ट्स यही सलाह देते हैं कि आकस्मिक नवजात मृत्यु सिंड्रोम (sids) जैसी घटनाएं होने से बचाने के लिए शिशु को हमेशा पीठ के बल ही सुलाना चाहिए। इस वजह से जब शिशु अपने पालने, स्ट्रॉलर या बच्चों की गाड़ी में मौजूद हार्ड सतह जैसा गद्दा या किसी और चीज पर पीठ के बल लेटता है तो सिर के पीछे के हिस्से का स्कैल्प इन हार्ड सतहों पर रगड़ता है। इस वजह से भी शिशु के बाल गिरने लगते हैं और इस प्रक्रिया को फ्रिक्शन एलोपेसिया कहते हैं। बालों के पतला होकर गिरने की यह प्रक्रिया आमतौर पर शिशु के 7 महीने का होते-होते अपने आप ही रुक जाती है।

क्रेडल क्रैप या सिर पर पपड़ी

नवजात शिशु के सिर पर अक्सर आप नोटिस करेंगे कि पपड़ी जम जाती है या फिर कई बार तैलीय पैच नजर आने लगते जो देखने में बेहद कड़ी रूसी या डैंड्रफ जैसा दिखता है। डॉक्टरों की मानें तो उन्हें भी नवजात के सिर में पपड़ी जमने का स्पष्ट कारण क्या है इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। लेकिन ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है शिशु के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव या यीस्ट की वजह से स्कैल्प में तेल का निर्माण ज्यादा होने लगता जिस वजह से यह पपड़ी जम जाती है।

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वैसे तो सिर में जमने वाली इस पपड़ी में किसी तरह की कोई खुजली नहीं होती है या फिर यह संक्रामक भी नहीं होता और इसकी वजह से शिशु के बाल भी नहीं गिरते। लेकिन अक्सर इस जिद्दी पपड़ी को सिर से निकालने के क्रम में आप जाने-अनजाने शिशु के सिर से बालों का रेशा भी निकाल लेते हैं। शिशु के सिर पर पपड़ी जमना बेहद सामान्य सी बात है और इससे शिशु को किसी तरह कोई नुकसान भी नहीं होता है और यह समस्या खुद-ब-खुद कुछ हफ्तों या महीनों में ठीक हो जाती है।

एलोपेसिया एरियाटा

यह त्वचा की बीमारी से संबंधी एक ऐसी स्थिति है जिसमें सिर में गंजेपन के स्पॉट्स नजर आने लगते हैं। वैसे तो यह कोई संक्रामक या जानलेवा बीमारी नहीं है। लेकिन एलोपेसिया एरियाटा, इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा तंत्र में किसी तरह की खराबी होने की वजह से होता है जिसमें बालों की स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला होता है और बाल के सेल्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। 2002 में हुई एक रिसर्च की मानें तो वैसे तो एलोपेसिया एरियाटा 6 महीने से कम उम्र के शिशु में आमतौर पर बहुत कम ही देखने को मिलता है लेकिन इस तरह के कई केस सामने आ चुके हैं।

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शिशु के गिरते बालों को देखकर आपको परेशान होकर अपने बाल नोंचने की जरूरत नहीं। एक्सपर्ट्स की मानें तो जन्म के बाद शुरूआती कुछ महीनों में शिशु के बाल गिरना बेहद सामान्य सी बात है और इसके लिए किसी तरह के इलाज की कोई जरूरत नहीं है। आमतौर पर 6 से 12 महीने के समय में शिशु के झड़ चुके बाल अपने आप वापस निकलने लगते हैं। शिशु के बाल तेज गति से बढ़ें इसके लिए आप अपनी तरफ से कुछ खास नहीं कर सकते।

हालांकि अगर आपको लगे कि शिशु के बाल किसी बीमारी या चिकित्सीय समस्या जैसे रिंगवर्म या एलोपेसिया एरियाटा की वजह से गिर रहे हैं तब आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इस दौरान डॉक्टर बच्चे की जांच करने और सिर के बालों को डायग्नोज करने के बाद ही बालों को गिरने से रोकने का कोई इलाज बता पाएंगे। अगर आपके शिशु के सिर पर गंजेपन से जुड़े पैचेज बहुत ज्यादा बढ़ रहे हों या गंभीर स्थिति में हों तो डॉक्टर कोर्टिकोस्टेरॉयड क्रीम या कोई और इलाज कुछ हफ्तों के लिए प्रिस्क्राइब कर सकते हैं।

शिशु के बालों को गिरने से बचाने के लिए आप सिर्फ इतना कर सकती हैं कि जहां तक संभव हो जब शिशु जगा हुआ हो तो उसे पीठ के बल लिटाकर रखने की बजाए पेट के बल लिटाएं। ऐसा करने से सिर में घर्षण कम होगा और बाल कम गिरेंगे। लेकिन जहां तक शिशु को सुलाने की बात है तो जब तक शिशु 1 साल का न हो जाए उसे हमेशा पीठ के बल सुलाएं, कभी भी पेट के बल न सुलाएं वरना आकस्मिक नवजात मृत्यु सिंड्रोम (sudden infant death syndrome sids) का खतरा रहता है।

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शिशु के सिर पर कम बाल हों या फिर ज्यादा, बालों का ध्यान रखने के लिए इन जरूरी टिप्स को अपनाएं:

  • शिशु के बाल और सिर को धोने के लिए खासकर नवजात शिशु और छोटे बच्चों के लिए तैयार किए गए सौम्य शैंपू का ही इस्तेमाल करें। ये बेबी शैंपू शिशु के न्यू बॉर्न स्कैल्प को कम नुकसान पहुंचाते हैं।
  • अमेरिकन अकैडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (एएपी) की मानें तो हफ्ते में 2 बार से ज्यादा शिशु के सिर में शैंपू न करें। इससे ज्यादा बार शैंपू करने से शिशु के स्कैल्प में ड्राइनेस होने का खतरा रहता है।
  • शिशु के सिर को स्क्रब न करें। एक गीले कपड़े में शैंपू लगाएं और उससे शिशु के सिर पर हल्के हाथ से मसाज करें।
  • जब शिशु के सिर पर कंघी कर रहे हों तो इस बात का ध्यान रखें कि आप सॉफ्ट-ब्रिसल्स वाली कंघी या ब्रश का इस्तेमाल करें।
  • शिशु के बालों को खींचकर न बांधे, साथ ही बहुत ज्यादा टाइट पोनिटेल या पिगटेल भी शिशु के बालों में न बांधें क्योंकि इससे भी बाल गिरते हैं।
  • अगर शिशु के सिर पर पपड़ी जमी हुई नजर आए तो उसे हल्के हाथों से प्यार से हटाने की कोशिश करें, जबरन न हटाएं।

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नवजात शिशु के बाल झड़ना, एक सामान्य घटना है जो जन्म के बाद हफ्तों या महीनों में झड़ते हैं । यह अस्थायी स्थिति आमतौर पर जन्म के बाद बच्चे के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन के परिणामस्वरूप होती है। गर्भावस्था के दौरान, एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन का बढ़त हुआ स्तर बालों के विकास को लंबा चला सकता है , जिसके परिणामस्वरूप बच्चे के बाल घने और भरे हुए होते हैं। हालाँकि, जन्म के बाद, इन हार्मोन का स्तर कम हो जाता है, जिससे बाल बढ़ने कम और झड़ने शुरू हो जाते हैं। बालों का झड़ना अस्थायी है, और नए बाल आम तौर पर कुछ महीनों के भीतर वापस उग आते हैं। माता-पिता शिशु के सिर को हल्के शिशु शैम्पू से धीरे से धोकर या मालिश से बालों के झड़ने को प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं। अन्य समस्याओं के लिए बच्चों के डॉक्टर से बात करें । 

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