अब आपका बच्चा अपने पहले साल के सफर को आधा पार कर चुका है। छह महीने का आपका शिशु अब और तेजी से बढ़ रहा है। अब उसके खाने और सोने का पैटर्न ज्यादा अच्छा होगा। चूंकि, इस समय शिशु का विकास बहुत तेजी से हो रहा है आपको उसके शरीर में कई सारे बदलाव होते दिखाई देंगे।

अब पहली बार इस माह में आप अपने बच्चे को ठोस खाद्य पदार्थ खिला सकते हैं। शिशु के निचले जबड़े में आपको छोटे-छोटे दांत दिखाई देंगे। इसका मतलब यह है कि अब वह और अधिक आवाजें निकालेगा। जैसे-जैसे दांत आना शुरू होंगे शब्दों को बनाना आसान हो जाएगा और जल्दी ही आप शिशु के मुंह से पहले शब्द भी सुन पाएंगे।

शिशु को थोड़ी ठोस चीजें खिलाना जरूरी होता है, लेकिन उसे ठीक तरह से खिलाना अधिक महत्वपूर्ण होता है। आपको उसे मैश (मसल कर) किए हुए केले से लेकर मैश किए हुए चावल तक खिलाने होंगे, ताकि यह जान सकें कि शिशु को क्या चीजें अच्छी लग रही हैं।

जब बच्चे के दांत निकल रहे होते हैं तो उसके साथ कई सारी जटिलताएं भी आती हैं। आपके शिशु के जबड़े में दर्द होगा और वह उसे कम करने के लिए चीजें मुंह में रख कर चबाएगा। इस समय आप उसे ऐसे खिलौने दे सकते हैं, जिन्हें चबाने से शिशु को कोई हानि नहीं पहुंचती है।

छठे महीने में भी स्तनपान करवाते रहना होगा, क्योंकि अभी शिशु को ठोस भोजन की आदत लगने में समय लगेगा। ऐसे में आपको अपनी भी देखरेख अच्छे से करनी होगी।

इस महीने में शिशु को काली खांसी, रोटावायरसपोलियो के लिए वैक्सीनेशन का तीसरा सेट दिया जाएगा। बच्चे के शरीर का पूरा चेकअप करवाना बहुत जरूरी है।

छह माह के बच्चे का ध्यान किस तरह से रखना है, उससे जुड़ी सभी बातें इस लेख में आगे बताइ गई हैं।

  1. छह महीने के बच्चे का विकास - 6 Mahine ke Shishu ka Vikas
  2. छह महीने के बच्चे को क्या खिलाना चाहिए - 6 Mahine ke Bache ko kya Khilayein
  3. छह महीने के बच्चे को स्तनपान - 6 Mahine ke Bache ko Stanpan
  4. छह महीने का बच्चा कैसे सोता है - 6 Mahine ka Baccha kaise Sota hai
  5. छह महीने के बच्चे को लगने वाले टीके - 6 Mahine ke Bache ko Lagne wale Teeke
  6. छह महीने के बच्चे के लिए ध्यान रखने योग्य बातें - 6 Mahine ke Bache ke liye Dhyan Rakhne Wali Batein
  7. छह महीने के बच्चे को सेपरेशन एंग्जायटी - 6 Mahine ke Bache ko Sepration Anxiety
  8. छह महीने के शिशु के साथ अपना ध्यान कैसे रखें - 6 Mahine ke Shishu ke Sath Apni Care Kaise karein

इस समय तक आपके बच्चे का वजन उसके जन्म के समय से दोगुना हो चुका होगा। उसकी मांसपेशियों व मस्तिष्क का तालमेल और अधिक बेहतर हो चुका होगा। शिशु अब अधिक सक्रीय होगा और ज्यादा समय खेलने में व्यतीत करेगा। अब बच्चे की दृष्टि का भी अच्छे से विकास हो चुका होगा और ज्यादा अच्छे से सुनने लगेगा। इस समय तक आप देखेंगे कि बच्चा आवाजों के प्रति अच्छे से प्रतिक्रिया देगा और कई बार आपकी नकल भी करेगा।

इस दौरान शिशु हर एक चीज को चबाता है, जिसके कारण स्तनपान और अधिक मुश्किल हो जाता है। यह वो अवस्था है जब आप बच्चे को ठोस भोजन खिलाना शुरू कर सकते हैं। इससे धीरे-धीरे उसे उस भोजन की आदत हो जाएगी जो आप खाते हैं।

छह महीने के बच्चे का वजन - 6 Mahine ke Bache ka Vajan

यह ध्यान रखना जरूरी है कि सभी बच्चों का विकास समान तरह से होता है और प्री मेच्योर बच्चे आमतौर पर धीरे विकसित होते हैं। जन्म के चौथे महीने से छठे महीने में विकास बहुत तेजी से होता है, लेकिन इस के बाद यह प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है। 

इस समय आपका बेबी बॉय 7.9 किलोग्राम तक का होगा तो वहीं आपकी बेबी गर्ल 7.5 किलोग्राम तक की होगी। यदि आपके बच्चे का वजन इससे थोड़ा अधिक या कम है तो इसके बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं हैं। लेकिन अगर आप फिर भी इसे लेकर चिंतित हैं तो डॉक्टर से बात कर सकते हैं।

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शिशु के मस्तिष्क व मांसपेशियों का तालमेल (मोटर कौशल विकास) - Shishu ki Maanspeshiyon aur Mastishk ka Taalmel

अब आपका शिशु बिना किसी सहारे के या हल्का सा सहारा लेकर बैठ पाएगा। वह खुद को ऊपर उठाने के प्रयास करेगा।

पांचवे महीने में शिशु अपने पेट के बल घूम पाएगा। छठे महीने में और अच्छे से वह आगे बढ़ पाएगा। अब वह पेट के बल या कमर के बल घूम पाएगा।

इस समय तक शिशु पेट के बल चलना शुरू कर सकते हैं। अब वह अपना वजन उठा सकता है। शिशु खाते या खेलते समय उछलता हुआ दिखाई दे सकता है।

इस समय तक उसे चीजें पकड़ना और अच्छे से आ जाता है तो खिलौनों या अन्य चीजों को उठाकर इधर-उधर पटक भी सकता है।

छह महीने के बच्चे की आंखों का विकास - 6 Mahine ke Bache ki Aankhon ka Vikas

पिछले कुछ महीनों में आपके शिशु की आंखों का बहुत अधिक विकास हुआ है। अब वह चीजों पर ध्यान अधिक एकाग्र कर सकता है। अब शिशु की आंखों का समन्वय भी ठीक होगा और वह किसी एक वस्तु पर ध्यान केंद्रित कर पाएगा।

अब आपका बच्चा चेहरे और वस्तुएं पहचानने लगेगा और रंगों का अच्छा तालमेल बना पाएगा। 

शिशु के हाथ और आंखों  का तालमेल भी सुधर चुका है, जिससे उसके लिए खेलना और अधिक मनोरंजक हो जाएगा।

अब आप बच्चे को भिन्न रंग-बिरंगे चित्रों की किताबें दिखाकर, उससे बातें करके, उसे नए स्थानों पर ले जा कर उसकी आंखों के विकास में मदद कर सकते हैं। इससे उसे भिन्न तस्वीरों को देखने का, उन्हें समझने का मौका मिलेगा।

शिशु का संचार कौशल - 6 Mahine ke Bache ki Gatividhiyan

इस समय तक शिशु के सुनने की क्षमता और अधिक विकसित हो चुकी है और अब वह आपकी आवाज ज्यादा अच्छे से पहचान पाएगा। छठे महीने में शिशु बातों को पकड़ने लगेगा। अब वह यह समझ पाएगा कि शब्द से वाक्य किस तरह से बन रहा है। इस समय तक वह आपकी आवाजों की नकल कर पाएगा। 

इस समय आपका शिशु बोलना सीखने की शुरुआती अवस्था में है तो आप शब्दों को दोहराकर और बच्चे से ज्यादा से ज्यादा बातचीत करके उसकी मदद कर सकते हैं। यह वह समय है जब बच्चे को अधिक लोगों से मिलवाना चाहिए, ताकि वह नई आवाजों को भी अच्छे से समझे।

6 महीने के बच्चे के दांतों का विकास - Bache ke Daant Aana

इस समय आपके बच्चे के दांत निकलना शुरू हो चुके हैं। सबसे पहले निचले जबड़े का सामने वाला दांत दिखाई देता है। इसके बाद ऊपर का पहला दांत आएगा। दांत निकलने से पहले शिशु के शरीर में कुछ ऐसे लक्षण दिखाई देंगे, जिनसे पता चले कि शिशु के दांत आने वाले हैं। उनमें से कुछ लक्षण निम्न हैं, जिनकी तरफ आपका ध्यान जाना चाहिए -

अगर आपके शिशु में दस्त, बुखार या त्वचा पर चकत्ते दिखाई देते हैं तो आप तुरंत उसे डॉक्टर के पास ले जाएं। चूंकि, दांत निकलने की प्रक्रिया में दर्द होता है और यह एक लंबी प्रक्रिया है तो इस दौरान आपको शिशु की साफ-सफाई का अच्छे से ध्यान रखना होगा, ताकि किसी भी तरह की समस्या न हो। आप निम्न कदम उठा सकते हैं -

  • शिशु को ऐसे खिलौने दें, जिन्हें चबाया जा सके, लेकिन ध्यान रहे कि वे सख्त रबर के हों और सुरक्षित हों
  • बच्चा जो भी खिलौने चबाता है उन्हें हमेशा गर्म पानी से साफ करें
  • नुकीली और कीटाणुयुक्त चीजों को शिशु से दूर रखें
  • आप चबाने वाले खिलौने और खीरे, गाजर आदि सब्जियों को शिशु के लिए फ्रीजर में रख सकते हैं। ठंडे तापमान से सूजन का खतरा कम हो जाता है
  • शिशु के मसूड़ों की अपनी उंगली से मालिश करें। आप इसके लिए नारियल का तेल या ऑलिव आयल प्रयोग कर सकते हैं। 
  • सुन्न करने वाले जेल या दांत के दर्द की दवाएं न दें, क्योंकि वे सुरक्षित नहीं होते हैं। यूएस की फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने कहा है कि इन दवाओं में बेलाडोना की मात्रा होती है, जिससे शिशु के शरीर में विषाक्तता हो सकती है।

छठे महीने में शिशु के पेट का भी अच्छे से विकास होना शुरू हो जाता है और इसमें आप उसकी मदद उसे ठोस भोजन खिला के कर सकते हैं। बहुत से देशों में, जिनमें भारत भी शामिल है उनमें बच्चे को खिलाने से कई सारे रीति-रिवाज जुड़े होते हैं। भारत में सबसे पहले शिशु को उबले हुए और मैश किए हुए चावल दिए जाते हैं। याद रखें कि यह शिशु के लिए नया अनुभव है तो आप उसे बिना उसकी मर्जी के जबरदस्ती खिलाने का प्रयास न करें। शिशु को ठोस भोज्य पदार्थ देने से पहले कुछ बातें ध्यान में रखी जानी चाहिए जो कि निम्न हैं -

  • बच्चे आमतौर पर पहले मीठा खाते हैं तो आप अपने शिशु को मैश किए हुए केले, गाजर, चावल, सेब आदि खिला कर शुरुआत कर सकते हैं। इसके साथ ही आप उसे दाल का पानी भी दे सकते हैं, यह बेहद पौष्टिक होता है। यह ध्यान रखें कि खाना अच्छे से पका हुआ और मैश किया हुआ हो।
  • अपने शिशु के खाने में चीनी न डालें। उसे केवल प्राकृतिक मीठी चीजें जैसे फल इत्यादि दें। इससे आपके शिशु को स्वस्थ भोजन खाने की आदत पड़ेगी और साथ ही वह चीनी से भी दूर रहेगा।
  • बाजार में बहुत से बेबी फूड आते हैं, लेकिन आप बिना डॉक्टर से पूछे उन्हें न लें। पैकेट वाले अधिकतर खाद्य पदार्थों में ऊपर से प्रिजरवेटिव व मीठा डाला जाता है। इससे आपके शिशु को परेशानी हो सकती है। बेहतर है कि पहले वर्ष में आप घर के बने भोजन को ही प्राथमिकता दें।
  • एक साल का होने से पहले शिशु को शहद न दें। इससे शिशु को बोटुलिज्म हो सकता है। 
  • अपने शिशु को चम्मच से खिलाएं और ध्यान रखें कि चम्मच को बहुत ज्यादा न भरें। थोड़ा-थोड़ा करके खिलाएं, ताकि उसे स्वाद का पता चल जाए और वह खाना मुंह से बाहर न निकाले या उसके गले में फंस न जाए।
  • खिलाते समय शिशु से बात करें। शिशु के साथ या उसके सामने खाएं, खासतौर पर जब आप कोई फल या सब्जी खा रहे हों। यह बच्चे में आदत डालने का अच्छा तरीका है।
  • शिशु को बिना उसकी मर्जी के न खिलाएं। उसे पूरा खत्म करने पर जोर न दें, बल्कि उसे उसकी इच्छा के अनुसार ही खिलाएं।
  • चूंकि, इस समय शिशु का पाचन तंत्र बदल रहा है तो शिशु को दस्त लगना, कब्ज होना, गैस पास करना सामान्य है। डॉक्टर के संपर्क में रहें और अगर लक्षण गंभीर होते दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
  • ऐसा नहीं है कि अब आपके शिशु को दूध की जरूरत नहीं है। जब तक आपका बच्चा पोषण के लिए पूरी तरह भोजन पर निर्भर नहीं हो जाता है उसे स्तनपान करवाते रहें।

जब आप बच्चे को ठोस भोजन देने की शुरुआत कर रहे हैं तो धीरे-धीरे स्तनपान बंद कर सकते हैं। कोशिश करें कि स्तनपान अचानक न छुड़वाएं, क्योंकि इससे माता व शिशु दोनों के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार शिशुओं को जन्म के छह महीने में अच्छे से स्तनपान करवाना चाहिए और स्तनपान शिशु के एक साल का होने तक जारी रखना चाहिए। एक बार शिशु को खाने की आदत लग जाए तो स्तनपान की जरूरत स्वयं कम होती जाएगी। यदि आप किसी कारण से स्तनपान नहीं करवा सकती हैं या फिर आपको स्तनपान करवाने में तकलीफ हो रही है तो आप फार्मूला मिल्क भी शुरू कर सकती हैं। हालांकि, बाजार में उपलब्ध फार्मूला मिल्क में वे एंटीबॉडीज नहीं होते हैं, जो किसी मां के दूध में होते हैं।

शिशुओं में स्तनपान करने से ही पानी की आपूर्ति हो जाती है, इसलिए उन्हें पानी देने की जरूरत नहीं होती है। यदि डॉक्टर कहते हैं तो आप शिशु को अब पानी पीला सकती हैं। यह ध्यान रहे कि पानी उबला हुआ हो या फिल्टर किया हुआ हो। अपने बच्चे को पैक्ड जूस न दें, क्योंकि उनमें मिठास और प्रेजरवेटिव होते हैं।

(और पढ़ें - बच्चे को दूध छुड़ाने का तरीका)

छठे महीने तक बहुत से बच्चे सारी रात सोना शुरू कर देते हैं। इसके साथ ही दिन में भी दो से तीन बार छोटी नींद लेते हैं। इससे माता-पिता को राहत महसूस होती है, लेकिन एसआईडीएस के खतरे को भी ध्यान में रखें। विशेषकर अब क्योंकि बच्चा सोते हुए भी पेट के बल घूम सकता है। वह जहां भी सो रहा है वह जगह बिल्कुल सुरक्षित होनी चाहिए। उसके आसपास कोई खिलौने, तकिये या कंबल आदि न रखें। 

दांत निकलने की वजह से भी शिशु की नींद प्रभावित हो सकती है। अगर बच्चा सोते हुए उठ जाता है तो उसे चुसनी, फ्रोजेन टॉय देकर या फिर उसके मसूड़ों पर मालिश करके उसे शांत कर सकती हैं।

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छठे महीने में शिशु को वैक्सीनेशन की तीसरी खुराक दी जाती है। यह निम्न रोगों के लिए दिए जाते हैं -

बच्चे को टीका करण के दौरान अच्छे से पकड़ें, ताकि उसे सुरक्षित महसूस हो और वह इंजेक्शन लगते समय हिले न। शिशुओं में इंजेक्शन लगने के बाद रिएक्शन दिख सकता है। जैसे बुखार, त्वचा में चकत्ता और इंजेक्शन लगी जगह पर सूजन। ये लक्षण अस्थायी होते हैं। आइस पैक लगाकर, स्तनपान करवा कर, स्वैडल कर के (कपड़े में लपेट कर) इन्हें ठीक किया जा सकता है। हो सकता है कि इंजेक्शन लगने के चौबीस घंटों में शिशु कुछ भी खाना न चाहे और यह बेहद सामान्य है। हालांकि, यदि इनमें से कोई भी लक्षण ज्यादा बढ़ता दिखाई देता है तो आप डॉक्टर को दिखा सकते हैं।

अब चूंकि, आपका शिशु छह महीनों का हो चुका है तो उसके मस्तिष्क व मांसपेशियों का तालमेल अच्छा हो चुका है। इस समय जरूरी है कि आप घर से ऐसी चीजें बच्चे की पहुंच से हटा दें, जिनसे वह खुद को नुकसान पहुंचा सकता है। अब वह समय दूर नहीं, जब शिशु पूरे घर में घुटनों के बल घूमता हुआ दिखाई देगा। लेकिन जब तक ऐसा होता है तब तक निम्न बातें ध्यान देने योग्य हैं -

  • ऐसी चीजें जो आसानी से टूट सकती हैं या नुकीली हैं, उन्हें शिशु की पहुंच से दूर रखें। बिजली के सॉकेट और तारों को बच्चे से दूर रखें। 
  • कोशिश करें और ध्यान रखें कि बच्चा कहीं से भी गिरकर खुद को चोट न पहुंचाए। ऐसे समय में शिशु को अकेला न छोड़ें। 
  • बच्चे के साथ एक कमरे में सोएं, लेकिन एक ही बेड पर न सोएं। वयस्कों के बेड शिशुओं के लिए ठीक नहीं होते हैं।
  • आपका शिशु इस दौरान दांत निकलने के कारण सभी चीजें चबाने की कोशिश करता है। इसलिए यह ध्यान रखें कि जिन खिलौनों को वह चबाता है वे कीटाणुरहित हों।
  • अब आप शिशु को ठोस खाना खिला रहे हैं, तो ध्यान रखें कि खाना अच्छे से पका हुआ हो और ज्यादा गर्म न हो।

आप और आपका परिवार शिशु के साथ विशेष संबंध बनाने में लगे हैं। अब आपके बच्चे को पता है कि वह आप पर कितना ज्यादा निर्भर है। ऐसा होने के कारण जब भी आप या आपके घर के अन्य सदस्य बच्चे के पास नहीं होते हैं, उसे असुरक्षित महसूस होता है।

इसके बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। आप अपने बच्चे को यह दिखाकर कि आप थोड़े समय के लिए ही दूर जा रहे हैं और कुछ ही देर में आ जाएंगे तो यह आसान हो जाएगा। 

  • अगर आपके निकलते ही बच्चा रोना शुरू कर देता है तो उसे थोड़ी-थोड़ी देर में दूर जाकर इसकी आदत डालें। ताकि, आपके बच्चे को यह समझ आ जाए कि आप वापस आने वाले हैं।
  • घर से जाते समय हर बार उसे बाय बोल कर जाएं, ताकि उसे यह पता चल जाए कि आप जाने वाले हैं। इससे आपका शिशु के साथ सकारात्मक संबंध हो जाएगा। आप जब भी जाएंगे तो रोएगा और धीरे-धीरे आदत हो जाएगी। आप जब भी जाएं तो उसके साथ कोई खिलौना आदि छोड़कर जाएं (ध्यान रहे कि खिलौना सुरक्षित हो)।
  • कुछ बच्चों को सेपरेशन एंग्जायटी रात को भी हो सकती है, इससे उन्हें सोने में तकलीफ हो सकती है। वे रात को कई बार जग सकते हैं। बच्चे को शांत करने का प्रयास करें और उसे अपनी उपस्थिति का एहसास करवाएं। बच्चे को सहलाएं, उसके लिए गाना गाएं और उसे पालने में सोने दें। किसी भी स्थिति में शिशु को अपने साथ सुलाना अच्छा उपाय नहीं है इससे बच्चे का दम घुट सकता है।

जब तक शिशु दो तीन साल का होता है, आप उसके सामने नहीं भी होते हैं तो उसे पता होता है कि आप आ जाएंगे और वह नहीं रोता है। इससे सेपरेशन एंग्जायटी को दूर करने में मदद मिलती है। तब तक धैर्य रखें और बच्चे के साथ प्यार दिखाते रहें।

अब जब आपका बच्चा छह महीने का हो चुका है तो आप सारी रात सो सकते हैं। इस समय आप पहले से ज्यादा अच्छे से सो सकते हैं। यह ध्यान रखें कि आप ठीक तरह से खा रहे हैं और व्यायाम कर रहे हैं। बाहर आए-जाएं, दोस्तों से मिलें और संतुलित आहार लें। इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा।

यदि आप कामकाजी महिला हैं तो अब तक आप अपने काम पर वापस जा सकती हैं। ऐसे में ध्यान रखें कि घर आने के बाद आप बच्चे के साथ पर्याप्त समय बिताएं।  बच्चे को खुश करने के लिए उसे खिलौने खरीद कर न दें और न ही हर वो चीज दें जिसकी वह मांग करे। इससे भविष्य में व्यवहार संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

इस समय शिशु के दांत निकल रहे हैं और आप अब भी स्तनपान करवा रही हैं तो हो सकता है कि शिशु आपको दूध पीते हुए दांत मार दें। यहां कुछ ऐसी बातें दी गई हैं जिनसे आप खुद को नुकसान पहुंचाने से बचा सकती हैं -

  • दूध पिलाने से पहले अपने बच्चे को चबाने वाले खिलौने दें, विशेषकर फ्रोजन खिलौने। आप स्तनपान करवाने से पहले या उसके दौरान शिशु के मसूड़ों की मालिश भी कर सकते हैं।
  • जिस बच्चे को स्तनपान की सही तकनीक आती है वह स्तनों को नहीं काटता। इस बात पर ध्यान दें कि शिशु ठीक तरह से स्तनों को पकड़ रहा है।
  • शिशु तब भी स्तनों को काट सकता है, जब वह दूध पी चुका है। इस बात पर ध्यान दें और उसका पेट भर जाने के बाद स्तनपान न करवाएं।
  • आमतौर पर स्तनपान करवाते समय आपका ध्यान पूरी तरह शिशु पर होना चाहिए। इस समय आप किसी भी अन्य कार्य में नहीं उलझें जैसे टीवी देखना, फोन पर बात करना आदि।

संदर्भ

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