नौ महीने का इंतजार करने के बाद जब मां शिशु को गोद में लेती है तो मानिए पूरी दुनिया की खुशियां उसे मिल जाती हैं। शिशु के जन्म के बाद का पहला महीना बेहद भावुक और नाजुक होता है। नवजात के जन्म के साथ खुशियां और जिम्मेदारियां दोनों आती हैं। शिशु को नौ महीने तक गर्भ में रखने से लेकर उसे जन्म देने तक, मां के शरीर में बहुत से बदलाव आते हैं। साथ ही गर्भ से निकल कर शिशु भी नई दुनिया को पहली बार देख उससे अंजान तालमेल बिठाने की कोशिशें कर रहा होता है।
चूंकि, इस समय आप और आपका शिशु का शरीर अभी बहुत सारे बदलावों से गुजर रहे हैं, इसीलिए यह समय मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से बहुत ही नाजुक है। इस दौरान आप और आपके शिशु को साथ में कई सारे नए एहसास और अनुभव महसूस होते हैं। शिशु को दूसरे हफ्ते तक आपका चेहरा और साफ दिखाई देने लगेगा और दूसरे हफ्ते के अंत तक वह चेहरे के हाव-भावों पर प्रतिक्रिया देने लगेगा। वह आपकी और दूसरों की आवाजों को और अच्छे से सुन पाएगा और उन पर प्रतिक्रिया दे पाएगा। इस दौरान आप उसके साथ खूब खेलें। उसके चेहरे में भी बदलाव आएंगे और महीने के अंत तक शिशु की लंबाई एक इंच बढ़ जाएगी। बच्चा इस महीने में चीजें पकड़ने लग जाएगा, इसलिए उससे ऐसी चीजें दूर रखें जिनसे उसे नुकसान पहुंच सकता है।
इस दौरान शिशु दिनभर में 18 घंटे सोता है। ऐसा लगातार नहीं, बल्कि थोड़े-थोड़े समय के लिए होता है। शिशु को दिन में 8 से 12 बार भूख लगती है। अभी आपके शिशु को दूध पीना नहीं आता है। यह तरीका आपको उसे सिखाना पड़ेगा। जैसे-जैसे शिशु स्तनपान करना सीखता है, उसके लिए यह आसान होता चला जाता है। हालांकि, इसमें मां को थोड़ा दर्द हो सकता है। स्तनपान के दौरान निप्पल में दर्द हो तो दर्द निवारक बाम लगा सकती हैं।
यदि शुरुआत में शिशु का मल काला, चिपचिपा और तार जैसा आ रहा है, तो चिंता न करें। यह केवल मेकोनियम के कारण है। मेकोनियम एक एमनीओटिक द्रव्य है जिसे गर्भ में बच्चा निगल लेता है। इस जानकारी के बाद चिंता करने की जरूरत नहीं है, यह केवल 24 से 48 घंटे तक ही रहता है।
बच्चे का मल जल्दी ही सामान्य हो जाएगा। माह के अंत तक स्तनपान करने वाले शिशुओं का मल धीरे-धीरे पूरी तरह से पीला हो जाएगा और फॉर्मूला फीड ले रहे बच्चों के मल का रंग भूरा या हल्का हरा हो जाएगा। नवजात शिशु दिन में तीन से चार बार पॉटी कर सकते हैं।
इस समय मां और शिशु दोनों को बहुत ज्यादा आराम करने की जरूरत है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि इस दौरान आपके शरीर में बहुत सारे बदलाव हो रहे होते हैं। इन सभी बदलावों के साथ सामंजस्य बिठाने के लिए आपको आराम करने की जरूरत है। अभी आप वो सब करें जो भी आपके शरीर के लिए जरूरी है। जितना हो सके आराम करें।
शरीर को पर्याप्त पोषण दें। खूब सारा पानी पिएं, संतुलित आहार खाएं। भोजन में वसा, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन आदि प्रचुर मात्रा में लें। ये सभी पोषक तत्व आपके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करेंगे।
डिलीवरी के बाद मां के मूड में बदलाव आना या दुख महसूस होना स्वाभाविक है, इसे "बेबी ब्लूज" कहते हैं। लगभग 80 प्रतिशत महिलाएं उदास, मूडी, चिड़चिड़ा और रोने जैसा महसूस करती हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि डिलीवरी के बाद मां के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर तेजी से गिरता है।
बेबी ब्लूज आमतौर पर डिलीवरी के पांच से छह घंटे बाद शुरू होते हैं। आमतौर पर ये एक से दो हफ्ते में ठीक हो जाते हैं। अगर ये इससे ज्यादा समय तक रहते हैं तो बेहतर होगा कि आप डॉक्टर से एक बार इस बारे में बात कर लें।
जैसा कि आप जानती ही हैं कि ये लम्हे बहुत ही कीमती होते हैं और आप इन्हें फिर से नहीं जी पाएंगीं, इसलिए शिशु के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने और इन सभी पलों को अच्छे से जीने की कोशिश करें। हालांकि, इन सभी चीजों से पहले शिशु से जुड़ी सभी जरूरी बातें जान लें।