भारत में शिशु को पहली बार ठोस आहार चांदी के बर्तन में देने की परंपरा है. मान्यताओं के अनुसार, शिशु को चांदी के बर्तन में खाना खिलाने से उसके मस्तिष्क व शारीरिक विकास में मदद मिलती है. वहीं, वैज्ञानिक आधार पर बात करें, तो इस तथ्य की पुष्टि के लिए अभी तक कोई प्रमाण सामने नहीं आया है. वैज्ञानिकाें का मत है कि चांदी के बर्तन में शिशु को खाना खिलाने से न तो कोई फायदा होता है और न ही ये नुकसानदायक है.

आज इस लेख में आप जानेंगे कि शिशु को चांदी के बर्तन में खाना खिलाना चाहिए या नहीं -

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  1. क्या शिशु को चांदी के बर्तन में खिलाना चाहिए?
  2. चांदी के बर्तन उपयोग करने से जुड़ी सावधानियां
  3. सारांश
क्या शिशु को चांदी के बर्तन में खिलाना सही है? के डॉक्टर

भारत में शिशु को ठोस पदार्थ देने की शुरुआत अन्नप्राशन संस्कार से की जाती है. इस दिन विशेष रूप से शिशु को चांदी की कटोरी, चम्मच व गिलास आदि भेंट स्वरूप दिए जाते हैं. इसके पीछे घर के बड़े-बुजुर्गों की मान्यता रही है कि शिशु को चांदी के बर्तन में भोजन कराने से फायदा होता है. क्या सच में ऐसा होता है? आइए, जानते हैं -

  • इस बात को कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि चांदी के बर्तन में कोई खाद्य पदार्थ रखने से वो चीज पौष्टिक हो जाती है. वहीं, इस बात का भी प्रमाण नहीं मिलता है कि शिशु को दूध पिलाने या कुछ खिलाने के लिए चांदी के बर्तन का उपयोग करने से कोई नुकसान होता है. दरअसल, चांदी में कैल्शियम जैसे कोई फायदेमंद पोषक तत्व नहीं होते हैं और न ही शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले लीड और मरकरी. इतना ही नहीं चांदी का सेवन करने से भी यह शरीर में अवशोषित नहीं होती है.
  • बेशक, पहले दवा बनाने में चांदी का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन आधुनिक मेडिकल साइंस की दुनिया में दवा बनाने में इसका इस्तेमाल नहीं होता.
  • कई लोगों को चिंता होती है कि चांदी अम्लीय भोजन जैसे टमाटर या कुछ खट्टे फलों के साथ मिलकर रीऐक्ट कर सकती है, जबकि ऐसा नहीं है. हां, अंडे जैसे कुछ खाद्य पदार्थों में मौजूद सल्फर चांदी के साथ रीऐक्ट कर सकता है. इसलिए, बच्चे को अंडा खिलाते समय चांदी के बर्तनों का उपयोग नहीं करने की सलाह दी जाती है.
  • अक्सर देखा जाता है कि समय के साथ-साथ चांदी के बर्तन में दाग या उनके रंग में बदलाव होने लगते हैं. यह तब पाया जाता है, जब कई अलग-अलग खाद्य पदार्थ चांदी के संपर्क में आते हैं, जिनमें हरी सब्जियां और अंडे शामिल हैं. वहीं, खुली हवा में हाइड्रोजन सल्फाइड के संपर्क में आने बाद चांदी का रंग बदलने जाता है. 
  • यह सामान्य है और इस बात का कोई सबूत नहीं है कि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है या चांदी को नुकसान पहुंचाता है. चांदी को नियमित रूप से साफ करना ही एकमात्र उपाय है.
  • चांदी के बर्तन में शिशु को खाना खिलाना है या नहीं, यह पूरी तरह से माता-पिता का निजी फैसला है. अगर शिशु को चांदी के बर्तन में खाना खिलाना है तो बेहतर है कि बर्तन की साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा जाए.

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शिशु को चांदी के बर्तन में खाना खिलाते वक्त कुछ सावधानियों पर ध्यान देना जरूरी है, जो इस प्रकार हैं -

  • चांदी के बर्तन को कभी भी ओवन में डालें. ऐसा करने से बर्तन के साथ-साथ ओवन भी खराब हो सकता है.
  • शिशु को चांदी के बर्तन में अंडा न खिलाएं. दरअसल, अंडे की जर्दी में यानी पीले भाग में सल्फर होता है, जो चांदी के साथ रीऐक्ट कर सकता है. ऐसे में यह शिशु के सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है.
  • चांदी के बर्तन में खट्टे फल या जूस न दें.
  • शिशु को चांदी के बर्तन में खाना देने के बाद, उसके खाते ही बर्तन को तुरंत धोएं.

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वैज्ञानिक मानते हैं कि चांदी के बर्तन शिशु के लिए न तो फायदेमंद हैं और न ही नुकसानदायक. इसलिए, अगर कोई अपने शिशु को चांदी के बर्तन में भोजन कराना चाहता है, तो ये उसका निजी फैसला है. साथ ही चांदी के बर्तन को इस्तेमाल करने के दौरान कुछ सावधानियां भी बरतनी आवश्यक है. चांदी के बर्तन को कैसे उपयोग करना है और किस प्रकार साफ करना है, इस बारे में लेख में विस्तार से बताया गया है.

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