मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेद में विभिन्न प्रकार की थेरेपी उपलब्ध हैं. इन सभी थेरेपीज में सबसे असरदार शिरोवस्ति को माना गया है. इसमें विभिन्न औषधीय तेलों को हल्का गुनगुना करके सिर पर लगाया जाता है, जिससे मस्तिष्क को आराम मिलता है. इसके अलावा, यह बालों की समस्याएं जैसे बालों का झड़ना, बालों का असमय पकना आदि से भी राहत दिलाता है.

इस लेख में आप शिरोवस्ति की प्रक्रिया, फायदे, नुकसान व सावधानियों के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. क्या है शिरोवस्ति?
  2. शिरोवस्ति की प्रक्रिया
  3. शिरोवस्ति के फायदे
  4. शिरोवस्ति के नुकसान
  5. शिरोवस्ति में सावधानियां
  6. सारांश
शिरोबस्ति के डॉक्टर

आयुर्वेद में शिरोवस्ति को उलटे पेड़ के समान माना गया है, जिसमें जड़ें ऊपर और शाखाएं नीचे की ओर होती है. इस तरह मस्तिष्क जड़, सीना व पेट का हिस्सा तना और बाकि के अंग हो गए शाखाओं के समान. जिस तरह एक मजबूत वृक्ष की जड़ों से सारा पोषण उसके तने व शाखाओं तक पहुंचता है, उसी प्रकार इस शरीर रूपी पेड़ को भी मस्तिष्क द्वारा संचालित किया जाता है.

आयुर्वेद में इसे उत्तमांग यानि सर्वश्रेष्ठ अंग के नाम से भी पुकारा जाता है. शरीर और मस्तिष्क संबंधी किसी भी बीमारी को दूर करने के लिए उत्तमांग का इलाज और औषधि के माध्यम से ठीक करना जरूरी होता है, इसलिए शिरोवस्ति मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए अहम आयुर्वेदिक थेरेपी है.

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शिरोवस्ति थेरेपी के समय निम्न तरीके का पालन किया जाता है -

  • शिरोवस्ति में हर्बल तेलों का गहन प्रयोग शामिल है, जो अनिवार्य रूप से आपके सिर के लिए एक हर्बल तेल स्नान है. प्रक्रिया से पहले, एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से उचित जांच और किसी पुरानी मस्तिष्क की बीमारी का सटीक निदान करना महत्वपूर्ण है.
  •  जब शिरोवस्ति की प्रक्रिया को शुरू किया जाता है, तो उपचार की प्रभावशीलता में तेल का चयन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
  • तिल का तेल, बाला तेल, ब्राह्मी तेल, चंदनबाला लक्षदी तेल, क्षीरबाला तेल, महामाशा तेल, यष्टिमधु तेल, धन्वन्तरम तेल, बालश्वगंधादि तेल और करपासस्थ्यादि तेल शिरोवस्ति थेरेपी की प्रक्रिया में उपयोग के लिए पसंदीदा तेल हैं.
  • शिरोवस्ति थेरेपी की प्रक्रिया में रोगी को सबसे पहले एक लकड़ी के स्टूल पर सीधा बिठाया जाता है. रोगी के सिर को टोपी के आकार के चमड़े से बने पात्र से लपेटा जाता है, ताकि तेल बाहर न निकले. इस पात्र में तेल लगभग 45 मिनट तक रहता है और फिर धीरे-धीरे निकल जाता है. इसके बाद सिर को एक कपड़े से साफ किया जाता है और उसके बाद रोगी के सिर, माथे, कंधे, हथेलियों व तलवों की औषधीय तेल से मालिश की जाती है.
  • दर्द को दूर करने के लिए एक हर्बल पाउडर रसनादि चूर्ण को फिर सिर पर रगड़ा जाता है.
  • रोगी को गर्म पानी से स्नान कराने से पहले कम से कम एक घंटा आराम करना चाहिए, ताकि अधिक थकान महसूस न हो.
  • यह पूरी प्रक्रिया 40 से 60 मिनट तक चल सकती है. इसका पूरा ट्रीटमेंट सेशन करीब 1 हफ्ते तक चल सकता है, जो स्थिति के अनुसार कम या बढ़ भी सकता है.

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शिरोवस्ति एक आयुर्वेदिक थेरेपी है, जो प्रमुख रूप से मस्तिष्क को स्वस्थ्य रखने और उससे जुड़े विकारों को दूर करने में मदद करती है. शिरोवस्ति का शब्द विच्छेद करें, तो शिरो का अर्थ हुआ 'सिर' और वस्ति यानी 'पात्र' होता है. इस तरह शिरोवस्ति का शाब्दिक अर्थ हुआ सिर का पात्र.

शिरोवस्ति मस्तिष्क से जुड़े विकारों को दूर करने के लिए फायदेमंद आयुर्वेदिक थेरेपी है. हालांकि, इसके अन्य स्वास्थ्य लाभ में माइग्रेन, सिरदर्दअवसाद जैसी बीमारियों से राहत शामिल है. इसके अलावा, तनाव भी कम होता है, साथ ही यह इम्यूनिटी बढ़ाने में भी प्रभावी है. आइए जानते हैं शिरोवस्ति के अन्य फायदों के बारे में -

  • इस थेरेपी की मदद से सिर दर्द को प्रभावी तरीके से दूर किया जा सकता है.
  • शिरोवस्ति थेरेपी की मदद से माइग्रेन से राहत मिलती है.
  • यह चिंता और तनाव को दूर करने में मदद करती है.
  • उच्च रक्तचाप से ग्रस्त लोगों के लिए यह थेरेपी लाभकारी है.
  • अधिक थकान से बचाव करने में यह थेरेपी फायदेमंद होती है.
  • यह बालों का झड़ना व बालों का पकना भी रोक सकती है.
  • इस थेरेपी को लेने से नाक में ड्राइनेस की समस्या भी दूर हो सकती है.
  • इससे सिर की त्वचा की जलन और जलन को दूर करने में मदद होती है.
  • यह अनिद्रा की समस्या को दूर करने में लाभकारी होती है.

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शिरोवस्ति आयुर्वेदिक थेरेपी मस्तिष्क से जुड़े विकारों के लिए सुरक्षित और प्राकृतिक उपचार थेरेपी मानी जाती है. यह एक प्राकृतिक थेरेपी है, जिससे नुकसान होने की आशंका कम होती है. हालांकि, इसके कुछ संभावित दुष्प्रभाव भी देखे जा सकते हैं, जो इस प्रकार हैं -

  • सिर पर चोट लगी हो, तो यह थेरेपी जलन और घाव पैदा कर सकती है.
  • कुछ लोगों को यह थेरेपी लेने से त्वचा में जलन और दर्द महसूस हो सकता है.
  • हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों में इस थेरेपी से असहजता महसूस हो सकती है.
  • यह थेरेपी गले की नसों में दबाव बना सकती है.

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शिरोवस्ति थेरेपी में कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत होती है, जिससे किसी प्रकार का शारीरिक और मानसिक नुकसान न हो. इसलिए, निम्न सावधानियों को ध्यान में रखें -

  • मस्तिष्क की पुरानी बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों को इस थेरेपी से परहेज करना चाहिए.
  • इस थेरेपी को लेने के तुरंत बाद स्नान करने से बचें.
  • शिरोवस्ति थेरेपी लेने के तुरंत बाद धूप में न निकलें.
  • इस थेरेपी के दौरान और बाद में निर्धारित भोजन और तरल पदार्थ का ही सेवन करें.
  • उच्च रक्तचाप के वृद्ध मरीजों को इस थेरेपी से परहेज करना चाहिए.
  • थेरेपी के बाद वॉकिंग, साइकिलिंग और योग जैसी सक्रिय गतिविधियों में लगें.

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मस्तिष्क को स्वस्थ रखने और उससे जुड़े विकारों को दूर करने के लिए शिरोवस्ति आयुर्वेदिक थेरेपी एक सुरक्षित और प्राकृतिक उपचार विकल्प है. इस थेरेपी में सिर पर एक पात्र रखा जाता है और उसमें महानारायण तेल, चन्दनादि तेल, धांवंतर तेल जैसे औषधीय तेलों को लेकर गुनगुना करके सिर पर लगाया जाता है, जिससे मस्तिष्क को आराम मिलता है. यह थेरेपी गले के विकारों, बालों का झड़ना, बालों का पकना भी रोकती है. हालांकि, हाई ब्लड प्रेशर के वृद्ध मरीजों और मस्तिष्क की पुरानी बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों को इससे बचना चाहिए. इस थेरेपी को लेने से पहले एक बार आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें.

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