ये तो सभी जानते हैं कि यूट्रस यानी गर्भाशय महिलाओं के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है. गर्भावस्था के दौरान यूट्रस की अहम भूमिका होती है, लेकिन यूट्रस में कुछ समस्या आने पर महिला को गर्भावस्था के समय मुश्किल हो सकती है. ऐसी ही एक समस्या डबल यूट्रस है, जिससे गर्भावस्था तो प्रभावित होती ही है, साथ ही मासिक धर्म प्रक्रिया पर भी असर पड़ सकता है. डबल यूट्रस की समस्या किसी भी युवती को जन्म से पहले से हो सकती है, जो अपने आप में दुर्लभ अवस्था है.

आज इस लेख में आप जानेंगे कि डबल यूट्रस क्या है, इसके लक्षण, कारण व इलाज क्या-क्या हैं -

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  1. डबल यूट्रस क्या है?
  2. डबल यूट्रस के कारण
  3. डबल यूट्रस के लक्षण
  4. डबल यूट्रस के जोखिम
  5. डबल यूट्रस का परीक्षण
  6. डबल यूट्रस का इलाज
  7. डबल यूट्रस का गर्भावस्था पर असर
  8. डॉक्टर से कब मिलें?
  9. सारांश
डबल यूट्रस के लक्षण, कारण, गर्भावस्था पर असर व इलाज के डॉक्टर

डबल यूट्रस एक दुर्लभ स्थिति है, जो किसी भी महिला को जन्म से पहले से हो सकती है. इसे यूट्रस डिडेलफिस (Uterine Didelphys) के नाम से भी जाना जाता है. दरअसल, महिला के रिप्रोडक्टिव सिस्टम यानी प्रजनन प्रणाली में मुलेरियन डक्ट्स (Mullerian ducts) नामक दो चैनल होते हैं. ये चैनल जुड़कर यूट्रस यानी गर्भाशय बनाते हैं, जिसमें भ्रूण का विकास होता है. कुछ दुर्लभ मामलों में ये नलिकाएं आपस में जुड़ नहीं पाती है और ये अपनी अलग-अलग फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय बना लेती है. जिन महिलाओं में डबल यूट्रस की स्थिति होती है, वो गर्भधारण तो कर सकती हैं, लेकिन उनमें गर्भपात या समय से पहले जन्म के जोखिम अधिक होते हैं.

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यह स्थिति भ्रूण के रूप में विकास के दौरान होता है और जो बच्चियां इससे प्रभावित होती हैं, उनमें यह स्थिति जन्म के साथ होती है. जैसे कि हमने पहले ही जानकारी दी है कि यह स्थिति तब  होती है, जब दो छोटी नलिकाएं आपस में जुड़ नहीं पाती है. हालांकि, इसके पीछे का सटीक कारण अभी भी ठीक से पता नहीं चल पाया है, लेकिन कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह स्थिति आनुवंशिक हो सकती है.

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आमतौर पर डबल यूट्रस के लक्षण सामने नहीं आते हैं. महिला का रूटीन पेल्विक चेकअप के दौरान ही इसका पता चल सकता है. इसके अलावा, महिला का बार-बार गर्भपात होने पर उसके कारण का पता लगाने के दौरान इसके बारे में जानकारी मिल सकती है. 

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डबल गर्भाशय वाली कई महिलाओं का जीवन सामान्य ही होता है, लेकिन कुछ स्थितियों में यह गंभीर जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है -

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जैसे कि हमने पहले ही जानकारी दी है कि इसका पता बस रूटीन पेल्विक चेकअप के दौरान ही चल सकता है. दरअसल, डॉक्टर को अगर चेकअप के दौरान डबल सर्विक्स या गर्भाशय के आकार से जुड़ा कोई संदेह हो, तो वो पुष्टि के लिए कुछ और टेस्ट करने की सलाह दे सकते हैं. इनमें शामिल हैं -

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जिन महिलाओं में इस स्थिति से जुड़ा कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है, उन्हें इसके लिए किसी प्रकार की इलाज की आवश्यकता नहीं होती है. वहीं, अगर किसी महिला को इस कंडीशन के वजह से बार-बार गर्भपात होता है, तो उन्हें सर्जरी की सलाह दी जा सकती है. हालांकि, यह सर्जरी दुर्लभ मामलों में कराने की आवश्यकता हो सकती है.

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डबल यूट्रस वाली महिला को गर्भधारण करने में कोई परेशानी नहीं होती है. लेकिन इससे गर्भपात होने की आशंका बनी रहती है. साथ ही, डबल गर्भाशय वाली महिलाओं में आमतौर पर छोटा यूट्रस होता है, जिससे समय से पहले प्रसव हो सकता है.

अगर किसी महिला में डबल यूट्रस है और वो गर्भवती हैं, तो उसे नियमित रूप से डॉक्टर चेकअप करवाते रहना चाहिए. अगर डॉक्टर को लगता है कि गर्भ में शिशु को किसी तरह की समस्या है, तो वे सिजेरियन डिलीवरी (सी-सेक्शन) की सलाह दे सकते हैं. वहीं, अगर बार-बार गर्भपात हुआ है, तो भी डॉक्टर सी-सेक्शन के लिए कह सकते हैं.

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अब सवाल यह उठता है कि जब इसके कोई लक्षण नहीं है, तो इस स्थिति का पता कैसे लगाया जाए. ऐसे में निम्न लक्षण नजर आने पर बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए -

  • अगर किसी महिला को पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग या दर्द का अनुभव हो.

  • अगर किसी महिला का बार-बार गर्भपात हो रहा हो.

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भले ही यह एक दुर्लभ कंडीशन हो, लेकिन बेहतर है कि हर महिला को अपने स्वास्थ्य को गंभीरता लेना आवश्यक है. अगर पीरियड्स या प्रेगनेंसी के दौरान किसी भी तरह की असुविधा महसूस हो रही हो, तो उसे अनदेखा न करें. हो सकता है वो डबल यूट्रस के लक्षण हों. हालांकि, ऐसी स्थिति में घबराएं नहीं, बल्कि वक्त रहते डॉक्टर से बात करें और उनकी सलाह के अनुसार आगे का इलाज कराएं.

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