एक गलत जीवनशैली, अस्वस्थ खाने की आदत, व्यायाम की कमी और अधिक तनाव ये सभी कारण आपके पेट की चर्बी को बढ़ाते हैं। जितना आपका पेट बढ़ेगा उतनी अन्य समस्याएं भी बढ़ती जाएंगी। और पेट की चर्बी के लिए कोई आसान फार्मूला भी नहीं हैं जिनके इस्तेमाल से आप अपनी चर्बी दो या चार दिनों में ही कम कर लें। लेकिन सही आहार को सही फिटनेस के साथ लेने से आप निश्चित रूप से पेट की चर्बी को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

(और पढ़ें - पेट कम करने के उपाय)

तो आज हम आपको पेट की चर्बी कम करने के के लिए कुछ महत्वपूर्ण योगासन बताने वाले हैं जिनके इस्तेमाल से न ही आपकी चर्बी कम होगी बल्कि आप तनाव मुक्त रहेंगे और आप अन्य बीमारियों से भी दूर रहेंगे। 

(और पढ़ें - पेट कम करने के लिए डाइट चार्ट)

तो आइये आपको बताते है पेट की चर्बी के लिए कुछ योग –

  1. पेट की चर्बी कम करने के लिए योग है ताड़ासन - Tadasana to reduce belly fat in Hindi
  2. पेट कम करने के लिए योग सूर्य नमस्कार - Surya namaskar reduces belly fat in Hindi
  3. पेट की चर्बी कम करने के लिए पादहस्तासन - Padahastasana for flabby tummy in Hindi
  4. पेट कम करें पश्चिमोत्तानासन से - Paschimottanasana benefits for flabby tummy in Hindi
  5. पेट की चर्बी घटाने के लिए पवनमुक्तासन - Pawanmuktasana reduces belly fat in Hindi
  6. पेट की चर्बी से छुटकारा पाने के लिए नौकासन - Naukasana helps get rid of belly fat in Hindi
  7. पेट घटाने के लिए करें उष्ट्रासन - Ustrasana posture for flabby stomach in Hindi
  8. उत्तानपादासन से घटाएं पेट की चर्बी - Uttanpadasana for flabby stomach in Hindi
  9. मार्जरीआसन से करें पेट कम - Marjariasana good for belly fat in Hindi
  10. भुजंगासना से पेट की चर्बी होती है कम - Bhujangasana for belly fat in Hindi
  11. पेट घटाने के लिए धनुरासन - Dhanurasana helps get flat stomach in Hindi
  12. पेट की चर्बी खत्म करने के लिए शवासन - Savasana for belly fat in Hindi

ताड़ासन एक तरीके का वार्म अप पोज़ है। ये रक्त का परिसंचरण सुधारता है, जिसके चलते ये शरीर को अन्य पोज़ के लिए तैयार करता है। 

कैसे करें ताड़ासन –

  1. सबसे पहले अपने पंजों को जोड़कर सीधा खड़े हो जाएँ। अपने हाथों को भी एकदम सीधा कर लें और हाथों की हथेलियों को शरीर के सामने रखें।
  2. अब अपने दोनों हाथों को एकदम सीधा सामने की तरफ लेकर आएं और फिर इन्हे अपने सिर के ऊपर लेकर जाएँ। जितना हो सक हाथों को उतना ऊपर खीचें।
  3. कोशिश करें कि आप अपने पंजों पर खड़े हो और आँखे ऊपर की तरफ देख रही हो। अगर आप अपने पंजों पर खड़े नहीं हो सकते तो पैरों को ज़मीन पर ही रखें और ज़मीन की और देखें।
  4. सामान्य तरीके से सांस लें और इस अवस्था को 20 से 30 सेकेण्ड तक होल्ड करके रखें।
  5. गहरी सांस लें और छोड़ें। फिर धीरे धीरे अपने पैरों को ज़मीन पर रखें।  
  6. इस अवस्था को दस बार दोहराएं और दुबारा शुरू करने से पहले दस सेकेंड का आराम ज़रूर करें।

(और पढ़ें - ताड़ासन करने की विधि और लाभ)

इस आसन को करने के अन्य तरीके -

ये आसन को आप कंधे की अवस्था में भी अलग अलग परिवर्तन लाकर कर सकते हैं। आप हाथों को सामने लाकर एकदम सीधा एकदूसरे के सामने भी रख सकते हैं।

ताड़ासन को करने के फायदे –

  1. ये आपकी अवस्था में सुधार करता है।
  2. कूल्हों और पेट को स्थिर बनाता है।
  3. जाँघों, घुटनों और टखने को मजबूत करता है।
  4. साइटिका से राहत दिलाता है (ऐसा दर्द जो कमर, कूल्हों और पैरों के बाहरी हिस्से में होता है)।

चेतावनी –

लोग जो ब्लड प्रेशर, अनिद्रा और सिरदर्द से परेशान  रहते हैं उन्हें ये आसन नहीं करना चाहिए।   

(और पढ़ें - वजन कम करने के लिए नाश्ते में क्या खाएं)

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सूर्य नमस्कार 12 आसनों का एक संगम है। ये सभी आसन पूरे शरीर को लाभ पहुंचाने में मदद करते हैं। आगे और पीछे झुके होने से शरीर में एक स्ट्रेच आता है, जबकि गहरी सांस लेने से शरीर के विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं। रोज़ाना सुबह सुबह सूरज के सामने सूर्य नमस्कार करने से आपको बहुत अधिक लाभ मिलते हैं।      

 कैसे करें सूर्य नमस्कार –

  1. सबसे पहले अपने दोनों पैरों को जोड़कर एकदम सीधा खड़े हो जाएँ, छाती को एकदम चौड़ी कर लें और कन्धों को आराम दें।
  2. जब आप सांस लें तो अपने दोनों हाथों को अपने साइड में एकदम सीधा रखें। जब आप सांस छोड़ें तो हाथों को अपने छाती के सामने लेकर आएं और प्रार्थना की अवस्था में हाथों को रखें।
  3. अब सांस लें और दोनों हाथों को ऊपर की तरफ लेकर जाएँ और फिर पीछे की ओर स्ट्रेच करें।
  4. फिर सांस छोड़ें और आगे की तरफ झुके और फिर माथे को घुटनों पर रखें।
  5. अब बाएं घुटने को मोड़ लें, दाएं पैर को पीछे की तरफ लेकर जाएँ और हथेलियों को ज़मीन पर रखें।
  6. फिर सांस को होल्ड करके रखें और बाएं पैर को भी स्ट्रेच करें। इसे प्लैंक अवस्था कहते हैं।
  7. अब ज़मीन पर आ जाए और रीढ़ की हड्डी को बाहर की तरफ कर लें। इसके साथ ही आपके घुटने, छाती और ठोड़ी ज़मीन पर होनी चाहिए।
  8. अब सांस लें और सीधा लेटने के बाद और पीछे की तरफ अपने सिर को लेकर जाएँ।
  9. इसके बाद आपके हाथ ज़मीन पर होने चाहिए, सांस छोड़ें और अपने धड़ को आगे की तरफ झुका लें और कूल्हों को बाहर की तरफ ले जाएँ।
  10. फिर सांस लें और अपने बाएं पैर को आगे की तरफ लेकर आएं। इसी बीचे आपकी कोहनी सीधा होना चाहिए और सिर पीछे की तरफ।
  11. अब अपने दूसरे पैर को भी आगे की तरफ लेकर आएं और अपने सिर को घुटने पर लगाएं।
  12. फिर सीधा खड़े हो जाएँ और अपने धड़ और हाथ को पीछे की तरफ स्ट्रेच करें।
  13. फिर वापस अपनी पुरानी अवस्था में आ जाएँ।

(और पढ़ें - सूर्य नमस्कार करने की विधि और लाभ)

सूर्य नमस्कार को करने के फायदे –

सिर से लेकर पैर तक शरीर के सभी अंग और अंदरूनी अंगों को इस अवस्था को करने से काफी लाभ मिलता है। रोज़ाना सूर्य नमस्कार करने से आप ऊर्जा से भरपूर रहते हैं।

चेतावनी –

पीरियड्स के दौरान महिलायें सूर्य नमस्कार न करें। गर्भवती महिलायें इस आसन को करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें। जिन लोगों को स्पाइनल प्रॉब्लम, हाई ब्लड प्रेशर, कार्डियोवस्कुलर बीमारी है वो ये आसन न करें।

(और पढ़ें - जाँघों और कूल्हों को कम करने के लिए योग)

पेट का निचला क्षेत्र आगे की तरफ झुकते समय दबता है जिससे फैट बर्न होने लगता है। इस प्रकार पेट दबने से पेट को टोन करने में मदद मिलती है।

(और पढ़ें - पेट की चर्बी कम करने के लिए एक्सरसाइज)

कैसे करें पादहस्तासन –

  1. सबसे पहले ताड़ासन पोज़ में खड़े हो जाएँ और अपने दोनों हाथों को अपने शरीर के दोनों तरफ रखें। पैरों को एकदम जोड़ लें।
  2. अपनी रीढ़ की हड्डी को एकदम सीधा रखें।
  3. तेज़ सांस लें और अपने हाथों को ऊपर की तरफ लेकर जाएँ।
  4. जब आप सांस छोड़ें तो आगे की तरफ अपने धड़ को झुकाएं।
  5. सांस लें और सांस छोड़ें और पूरी तरह से आगे की तरफ झुक जाएँ।
  6. अपने हाथों से ज़मीन को छूने की कोशिश करें और घुटनों को न मोड़ें। जो इस अवस्था को शुरू से कर रहे हैं वे हाथों को टखनों या पंजों पर रख सकते हैं।
  7. साँस को रोके रखें और इस अवस्था में 60 से 90 सेकेंड के लिए रहें।
  8. अब सांस को छोड़ें और फिर पंजों को भी छोड़ दें और ताड़ासन में फिर से वापस आ जाएँ।
  9. इस आसन को दस बार करें। दो बार इस प्रक्रिया को करने के बाद दस सेकेण्ड का गैप लें।

इस आसन को करने के अन्य तरीके –

पादहस्तासन में कई परिवर्तन कर सकते हैं जैसे अपने टखनों को होल्ड करके रखें, अपने हाथों को पंजों के नीचे से पकड़ें या टखनों या पिंडली (shins) को पकड़ सकते हैं।

पादहस्तासन को करने के फायदे –

  1. ये आपकी पाचन क्रिया को सुधारता है, पेट की माँसपेशियों को टोन करता है।
  2. कलाइयों की जॉइंट्स को मजबूत करता है।
  3. शारीरिक और मानसिक तरीके से आपको आराम देता है। 

चेतावनी –

पादहस्तासन को करने से पहले आपको उत्तानासन में परफेक्ट होना पड़ेगा। इसके साथ ही जिन्हे स्पाइनल डिस्क समस्या है वो ये आसन न करें।

(और पढ़ें - पादहस्तासन करने का तरीका और फायदे)

ये आसान आपके मणिपुर चक्र को उत्तेजित करता है। इस आसन में आगे झुकने से धड़, जाँघे साथ ही कूल्हे भी स्ट्रेच होते हैं। ये उनके लिए भी लाभकारी है जिन्हे पाचन सम्बंधित समस्याएं रहती हैं।

(और पढ़ें - वजन कम करने के लिए योग)

कैसे करें पश्चिमोत्तानासन –

  1. सबसे पहले ज़मीन पर पदमासन या सुखासन में बैठ जाएँ।
  2. अब अपनी कमर को एकदम सीधा रखें और पैरों को एकदम सामने रखें।
  3. फिर गहरी सांस लें और अपने हाथों को ऊपर की तरफ एकदम सीधा लेकर जाएँ।
  4. कमर एकदम सीधी रहनी चाहिए। अब सांस छोड़ें और जांघों की तरफ झुकें। फिर अपने हाथों को पंजों की तरफ लेकर जाएँ।
  5. अपने सिर को घुटने पर झुका दें। इस आसन के लिए नए व्यक्ति टखने या सिर्फ जाघों को छू सकते हैं।
  6. जब आप एक बार अपने पंजों को छू लें तो पंजों को पीछे की तरफ झुकाएं।
  7. इस अवस्था में 60 से 90 सेकेण्ड तक रहें।
  8. फिर धीरे धीरे पांच मिनट तक का समय रखें और फिर जितना ज़्यादा हो सके उतना समय को बढ़ाएं।
  9. पुरानी अवस्था में वापस आ जाएँ।
  10. इस आसन को शुरुआत में दस बार दोहराएं और फिर धीरे धीरे बढ़ाते रहें।

इस आसन को करने के अन्य तरीके –

जो लोग इस अवस्था के लिए नए हैं वो अर्ध पश्चिमोत्तानासन कर सकते हैं। ये आसन भी ऊपर दी गयी अवस्था की प्रक्रिया की तरह समान है। फर्क ये है कि इसमें एक ही पैर को स्ट्रेच कर सकते हैं।

पश्चिमोत्तानासन को करने के फायदे –  

  1. ये तनाव को कम करता है।
  2. पेट की चर्बी को दूर करने में मदद करता है।
  3. पीरियड्स की साईकिल को संतुलित रखता है। (और पढ़ें - पीरियड के कितने दिन बाद बच्चा ठहरता है)

चेतावनी –

जो लोगों को स्पाइनल डिस्क समस्या है या पेट की सर्जेरी हो रखी है उन्हें ये आसन नहीं करना चाहिए। अगर आप अस्थमा और डायरिया से भी पीड़ित हैं तो इस आसान को न करें।

(और पढ़ें - पश्चिमोत्तानासन करने का तरीका और फायदे)

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ये आसन पेट की कई समस्याओं को कम करने में मदद करता है जैसे बदहजमी और कब्ज। इस अवस्था में आपके घुटने आपके पेट पर प्रेशर डालते हैं तो इस अवस्था को एक मिनट से ज़्यादा तक बनाएं रखें जिससे उस क्षेत्र का फैट बर्न हो सके।

(और पढ़ें - कब्ज के लिए योग)

कैसे करें पवनमुक्तासन –

  1. सबसे पहले सीधा लेट जाएँ। अपने दोनों पैरों को एक साथ जोड़ लें।
  2. अब गहरी सांस लें और छोड़ें। फिर दोनों पैरों को छाती की तरफ लेकर आएं।
  3. अपने हाथों से पैरों को पकड़ लें और पेट पर प्रेशर बनाने की कोशिश करें।
  4. सांस लेते और छोड़ते रहें और अपनी ठोड़ी को घुटने पर रखें।
  5. इस अवस्था को 60 से 90 सेकेण्ड के लिए बनाकर रखें।
  6. धीरे धीरे सांस छोड़ें और अपने पैरों को सीधा कर लें। और शरीर को एकदम ढीला छोड़ दें।
  7. शवासन में आराम करें।
  8. इस आसन को 7 से 10 बार करें। और प्रक्रिया को दुबारा करने के लिए 15 सेकेण्ड का गैप लें।

इस आसन को करने के अन्य तरीके –

जो लोग इस योग के लिए नए हैं वो इस अवस्था में पहले एक पैर का इस्तेमाल करें।

पवनमुक्तासन को करने के फायदे –

  1. ये कमर और पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
  2. ये पाचन को ठीक रखता और गैस को बाहर निकालता है।
  3. पैरों और कंधे की मांसपेशियों को टोन करता है।

चेतावनी –

गर्भवती महिलायें, लोग जो स्पाइनल की समस्या से पीड़ित हैं और जिन्हे ब्लड प्रेशर की परेशानी रहती है वे इस अवस्था को न करें।  

(और पढ़ें - पवनमुक्तासन करने का तरीका और फायदे)

ये आसान रोज़ाना करने से आपके पेट की चर्बी को कम करने में मदद मिलेगी। इस अवस्था को एक मिनट से ज़्यादा होल्ड करके रखने से पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद मिलती है और एब्स भी टोन होते हैं।

(और पढ़ें - मोटापा कम करने के लिए योग)

कैसे करें नौकासन –

  1. सबसे पहले सीधा लेट जाएँ। हाथों को अपने साइड में रखे और पैरों को एकदम सीधा रखें।
  2. अब सांस लें और छोड़ें और फिर अपने धड़ को थोड़ा उठायें और अपने हाथों को एकदम सामने की तरफ रखें।
  3. हथेलियों को एक दूसरे के सामने रखें।
  4. अब पैरों को भी ऊपर की तरफ उठायें।
  5. इस अवस्था को होल्ड करके रखने से आप पेट की मांसपेशियों पर एक दबाव महसूस कर पाएंगे।
  6. साँस सामान्य तरीके से लेते रहें। और इस अवस्था को 30 से 60 सेकेण्ड तक ऐसे ही रखें।
  7. सांस लें और छोड़ें फिर पुरानी अवस्था में वापस आ जाएँ।
  8. अगर आप इस अवस्था के लिए नए हैं तो इसे पांच बार करें फिर धीरे धीरे इसे बढ़ाते रहें। अवस्था के बीच बीच में 15 सेकेण्ड का आराम लें।

इस आसन को करने के अन्य तरीके –

आप इस अवस्था में अपनी मुट्ठी बंद भी कर सकते हैं।

नौकासन को करने के फायदे –

  1. इससे पेट की मांसपेशियां मजबूत होती है और पेट की चर्बी दूर होती है।
  2. पेट के अंगों के स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  3. ये कंधे, जाँघों और हाथों को मजबूती देता हैं। 

चेतावनी –

जो लोग ब्लड प्रेशर, हार्ट प्रॉब्लम, डायरिया, सिरदर्द और अनिंद्रा से पीड़ित हैं उन्हें ये अवस्था नहीं करनी चाहिए। इसके साथ ही गर्भवती और पीरियड्स के दौरान महिलायें ये पोज़ न करें।

(और पढ़ें - नावासन करने का तरीका और फायदे)

इस आसन में पीछे स्ट्रेच करके आप अपने टखनों को हाथों से पकड़ते हैं इससे पेट की मांसपेशियां टोन होती हैं। नौकासन के दौरान आपके पेट को मिलने वाले स्ट्रेच से आराम मिलेगा।  

(और पढ़ें - वजन घटाने के घरेलू नुस्खे)

कैसे करें उष्ट्रासन –

  1. सबसे पहले वज्रासन में बैठ जाएँ।
  2. अब अपने वज़न को घुटने पर डाल दें और अपने धड़ को एकदम सीधा कर लें।
  3. फिर सांस छोड़ें और धड़ को पीछे की तरफ झुकालें और अपने हाथों से एक एक करके टखनों को पकडे।
  4. ये आसन करते समय आपकी पेट की मांसपेशियों पर दबाव पड़ेगा।
  5. इस आसन को शुरुआत में 20 से 30 सेकेण्ड के लिए फिर धीरे धीरे इसे बढ़ाते रहें। और सामान्य तौर पर सांस लेते रहें।
  6. सांस छोड़ें और पुरानी अवस्था में फिर वापस आ जाएँ।
  7. इस आसन को शुरुआत में पांच बार करें फिर धीरे धीरे इसे बढ़ाते रहें।
  8. अवस्था के बीचे बीच में 15 सेकेण्ड का आराम लेते रहें।

इस आसन को करने के अन्य तरीके –

जब आप एक बार इस अवस्था में पहुंच जाएंगे तो धीरे धीरे अपने सिर को पीछे की तरफ लेकर जाएँ और उसी अवस्था में फिर रुक जाएँ।

उष्ट्रासन को करने के फायदे –

  1. कमर की मांसपेशिया मजबूत होती हैं।
  2. अवस्था सुधरती है।
  3. थकान, पीरियड्स में होने वाली असहजता और हल्का कमर के दर्द का इलाज होता है। 

चेतावनी –

जो लोग हार्ट की बीमारी, कमर या गर्दन की चोट और हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं वो इस अवस्था को न करें। जिन लोगों को माइग्रेन और अनिंद्रा की समस्या है वो भी इस अवस्था को न करें।

(और पढ़ें - उष्ट्रासन करने की विधि और फायदे)

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ये आसान पेट के निचले हिस्से साथ ही कूल्हे और जाँघों की फैट से निजात दिलाने में मदद करती है। ये पोज़ गर्भावस्था के दौरान कूल्हे और कमर पर जमने वाले फैट के लिए बेहद प्रभावी है। 

(और पढ़ें - गर्भावस्था के लिए योग)

कैसे करें उत्तानपादासन –

  1. सबसे पहले सीधा लेट जाएँ और पैरों को सीधा रखें। दोनों हाथों को शरीर के साइड में रखें।
  2. फिर गहरी सांस लें और फिर धीरे धीरे अपने दोनों पैरों को ऊपर की तरफ उठायें। सबसे पहले 45 डिग्री अपने पैरों को होल्ड करके रखें। इस अवस्था को 15 से 30 के लिए होल्ड करके रखें।
  3. सामान्य तौर पर सांस लेते रहें। फिर अपनी क्षमता को बढ़ा लें।
  4. अब पैर को एकदम धीरे धीरे सीधा करने की कोशिश करें।
  5. इस अवस्था को 30 सेकेण्ड के लिए होल्ड करके रखें। 
  6. फिर धीरे धीरे अपने पैरों को पुरानी अवस्था में वापस लेकर आएं।
  7. इस आसन को शुरुआत में दस बार करें फिर धीरे धीरे इसे बढ़ाते रहें।
  8. हर प्रक्रिया के बाद 15 सेकेण्ड का आराम लें।

इस आसन को करने के अन्य तरीके –

जहां आप इस आसन में पैरों को एकदम सीधा रखते हैं वही आप पैरों को ऊपर करके अलग भी कर सकते हैं।

उत्तानपादासन को करने के फायदे –

  1. ये पेट की बिमारी जैसे एसिडिटी और कब्ज़ का इलाज करता है।
  2. कमर दर्द को ठीक करता है।
  3. रिप्रोडक्टिव ऑर्गन के कार्य में सुधार करता है।
  4. रक्त परिसंचरण को सुधारता है।

चेतावनी –

जो व्यक्ति मांपेशियों में खिचाव और स्पाइनल की चोट से रिकवरी कर रहा है उसे ये आसन नहीं करना चाहिए।

(और पढ़ें - उत्तानपादासन करने का तरीका और फायदे)

इस आसान में आपकी पैट की चर्बी पिघलती है और इससे पेट का आकार कम होता चला जाता है। ये आसान रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाने के लिए भी लाभदायक है। 

कैसे करें मार्जरीआसन –

  1. सबसे पहले वज्रासन में बैठ जाएँ।
  2. अब दोनों हाथों को आगे की तरफ एकदम सीधा और समान रखें।
  3. और पैरों के पंजों को ऊपर की तरफ एकदम सीधा रखें।
  4. अब गहरी सांस लें और अपने सिर को थोड़ा पीछे की तरफ लेकर जाएँ और अपनी कमर को ज़मीन की तरफ झुका लें।
  5. जितना हो सके उतना अपने पेट पर खिचाव लाएं।
  6. अपनी सांस को रोके रखें और इस अवस्था को 15 से 30 सेकेण्ड तक बनाये रखें। 
  7. अब सांस छोड़ें और फिर अपनी कमर को ऊपर की तरफ ले जाएँ और सिर को दोनों हाथों के बीच रखें।
  8. गहरी सांस लें और इस अवस्था को भी 15 से 30 सेकेण्ड तक बनाये रखें। धीरे धीरे इस क्षमता को बढ़ा दें।
  9. साँस छोड़ें और फिर पुरानी अवस्था में वापस आ जाएँ। 15 सेकेण्ड के लिए आराम करें।
  10. इस प्रक्रिया को दस बार करें। फिर अपनी क्षमता को बढ़ाते रहें।
  11. हर प्रक्रिया को करने के बाद 15 सेकेण्ड के लिए आराम करें। ये आसन बेली फैट को दूर करने के लिए बहुत ही बेहरतरीन आसन है।

इस आसन को करने के अन्य तरीके –

इस अवस्था में जब आप सांस लें तो अपनी कमर को पीछे की तरफ पुश करें। जब आप सांस छोड़ें तो सिर को नीचे झुकाने की बजाएं आप बाए ओर कुल्हें की तरफ देखें। यही प्रक्रिया दूसरी तरफ से भी करें। अन्य स्टेप्स को समान तरीके से करें।

मार्जरीआसन को करने के फायदे –

  1. आपकी अवस्था में सुधार करता है।
  2. कमर के निचले क्षेत्र पर आराम पहुंचाता है।

चेतावनी –

अगर आप सिर की चोट से पीड़ित हैं तो ध्यान रहे आपका सिर आपके धड़ के बिल्कुल समान हो।

(और पढ़ें - मार्जरी आसन करने का तरीका और फायदे)

अपने पेट को इस आसन से स्ट्रेच करें। इस आसन को रोज़ाना करने से कमर की मांसपेशियां मजबूत होंगी और इसके साथ ही ये आसन कमर के दर्द को कम करने के लिए बहुत ही प्रभावी है। 

(और पढ़ें - कमर में दर्द के लिए योग)

कैसे करें भुजंगासना –

  1. सबसे पहले पेट के बल लेट जाएँ। अपने पैरों को खोल लें और पंजों को ज़मीन पर लगाकर रखें।
  2. अब छाती को ऊपर उठायें और हाथों को भी सीधा कर लें। कंधों को भी सीधा रखें।
  3. अब गहरी सांस लें, फिर धीरे धीरे अपने पेट को पीछे की तरफ ले जाने की कोशिश करें।
  4. इससे आपके पेट पर खिचाव आएगा।
  5. इस अवस्था में 30 से 60 सेकेण्ड तक रहें।
  6. फिर सांस छोड़ें और धीरे धीरे अपनी छाती, गर्दन और सिर को नीचे लाने की कोशिश करें। फिर पुरानी अवस्था में इसी तरह वापस आ जाएँ।
  7. इस आसन को दस बार करें।
  8. आसन को दुबारा दोहराने के बीच में 15 सेकेण्ड का आराम लें।

इस आसन को करने के अन्य तरीके –

इस आसन को करने क बाद अपने सिर को बाएं ओर के पैर की एड़ी पर अपना ध्यान केंद्रित करें और इसी तरह दूसरी तरफ से भी यही प्रक्रिया करें।

भुजंगासना को करने के फायदे –

  1. इससे पेट टोन होता है।
  2. कमर के निचले और मध्य हिस्से की लचीलता में सुधारता होता है।
  3. कमर और कंधे मजबूत होते हैं।
  4. तनाव और थकान दूर होता है।

चेतावनी –

पीछे तब तक मुड़ें जब तक पेट, जाँघों और कमर पर आपको एक स्ट्रेच न महसूस होने लग जाए। अगर आपको स्ट्रेच करते समय कोई भी दर्द महसूस होता है तो स्ट्रेच न करके आराम करें। इन मामलों में आप अर्ध भुजंगासना कर सकते हैं। इसके साथ ही गर्भवती महिलायें, कमर की चोट वाले व्यक्ति और कार्पेल टनल सिंड्रोम (Carpal tunnel syndrome) की समस्या वाले लोग इस आसन को न करें।

(और पढ़ें - भुजंगासन करने का तरीका और फायदे)

ये पोज़ आपके पेट को टोन करने में बेहद फायदेमंद है। ये आपके पेट, कमर, जांघों, हाथों साथ ही छाती को स्ट्रेच करने में मदद करता है और आपके पोस्चर को भी सुधारता है।

(और पढ़ें - जाँघों और कूल्हों को कम करने के लिए योग)

कैसे करें धनुरासन –

  1. सबसे पहले पेट के बल लेट जाएँ। अपने पैरों को साथ में रखें और हाथों को अपने शरीर के साइड में रखें।
  2. अब गहरी सांस लें और धीरे धीरे अपने दोनों पैरों को ऊपर की तरफ उठायें और धड़ को भी उठाकर पीछे की तरफ लेकर जाएँ।
  3. पैरों को थोड़ा झुकाएं और फिर दोनों हाथों से अपने टखनों को पकडे।
  4. इस अवस्था को 15 से 30 सेकेण्ड के लिए बनाकर रखें। फिर धीरे धीरे क्षमता को बढ़ाते रहें। सामान्य तरीके से सांस आप लेते रहें।
  5. अब सांस छोड़ें और फिर पुरानी अवस्था में वापस आ जाएँ।
  6. इस आसन को दस बार दोहराएं।
  7. प्रक्रिया को दोहराने के बीच बीच में 15 सेकेण्ड का आराम लेते रहें।

इस आसन को करने के अन्य तरीके –

इस परिवर्तन को परस्व धनुरासन कहते हैं। धनुरासन पोज़ बनाने के बाद अपने दाएं कंधे को दायी तरफ घुमा दें और अपने पूरे शरीर को दाई तरफ इसी अवस्था के साथ ले आएं। इसी अवस्था में 20 सेकेण्ड के लिए बने रहें। यही प्रक्रिया बाए ओर से भी करें।

अगर आप इस आसन के लिए नए हैं तो आपके लिए इस तरह दाएं ओर मुड़ना मुश्किल है। इन मामलों में आप दूसरी साइड मुड़ जाएँ बिना टखनों को पकडे। परस्व धनुरासन आपके पेट के अंगों का मसाज करता है।

धनुरासन को करने के फायदे –

  1. ये पोस्चर को सुधारता है।
  2. कमर की मांसपेशियों को स्ट्रेच करता है और उन्हें मजबूत बनाता है।
  3. ये गर्दन और पेट को उत्तेजित करता है।

चेतावनी –

जो लोग हाई ब्लड प्रेशर, हर्निया और कमर के निचले हिस्से में चोट या गर्दन की चोट से पीड़ित हैं उन्हें ये आसन नहीं करना चाहिए। गर्भावस्था या पीरियड के दौरान महिलायें ये आसन न करें। 

(और पढ़ें - धनुरासन करने की विधि और फायदे

इन सभी आसन के बाद आपको अपने शरीर को आराम देना बेहद ज़रूरी है और इस चीज़ के लिए शवासन एक बहुत ही प्रमुख आसन है।

कैसे करें शवासन –

  1. सबसे पहले कमर के बल आराम से लेट जाएँ।
  2. अपने दोनों पैरों को एक साथ जोड़ लें और हाथों को साइड में रखें।
  3. फिर आँखों को बंद कर लें।
  4. अब तेज़ सांस लें और छोड़ें और शरीर को ऐसे ही पूरी तरह से आराम दें।
  5. तब तक लेटे रहे जब तक शरीर शांत न हो जाए।

इस आसन को करने के अन्य तरीके –

आप शवासन को इस तरह भी कर सकते हैं। पैरों को दीवार या चेयर पर रख कर भी आप शवासन कर सकते हैं या फिर अपने घुटनों को मोड़कर अपने ज़मीन पर आराम से शान्ति से बैठ जाएँ।   

शवासन को करने के फायदे –

  1. ये आपके शरीर को गहराई से आराम देता है जिसकी मदद से उत्तक ठीक रहते हैं और तनाव से भी राहत मिलती है।
  2. ये आसन ब्लड प्रेशर, अनिंद्रा और चिंता को भी दूर करने में मदद करता है।

(और पढ़ें - शवासन करने का तरीका और फायदे

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