बॉडी में ज्‍यादा फैट होना अच्‍छा नहीं होता है, खासतौर पर बेली फैट को खराब माना जाता है। जब भी कोई वेट लॉस की सोचता है, तो उसका सबसे पहले फोकस बेली फैट यानि पेट की चर्बी को कम करने पर जाता है। पेट पर जमा चर्बी सेहत के लिए सबसे ज्‍यादा नुकसानदायक होती है।

ज्‍यादातर लोगों की स्किन के ठीक नीचे वाली परत पर 90 पर्सेंट फैट होता है। ये फैट नरम महसूस होता है और इसे घटाना बाकी की तुलना में आसान होता है। बाकी का बचा 10 पर्सेंट बॉडी फैट होता है और आपकी पहुंच से बाहर होता है। इस तरह के फैट को विस्‍केरल फैट कहते हैं और ये पेट और लीवर के बीच की जगह और आंतों के सामने होता है।

1990 से पहले माना जाता था कि जब शरीर को एनर्जी की जरूरत होती है, जब डिपॉजिट किया गया फैट इस्‍तेमाल होता है लेकिन 1990 में इंटरनेशनल साइंटिफिक कम्‍यूनिटी ने बताया कि फैट कोशिकाएं एंडोक्राइन अंगों की तरह काम करती हैं। इसका मतलब है कि ये अन्य अणु और हार्मोंस बनाती हैं जो शरीर पर दूरगामी प्रभाव डाल सकते हैं।

अब यह सामने आ चुका है कि विस्‍केरल फैट डिपॉजिट रक्‍त वाहिकाओं और लीवर में फ्री फैटी एसिडों को रिलीज कर कोलेस्‍ट्रोल बढ़ाता है बल्कि साइटोकिन और एंजियोटेंसिन के उत्‍पादन को भी ट्रिगर करता है। साइटोकिंस और एंजियोटेंसिन पेप्‍टाइड्स के हाई लेवल की वजह से कई बीमारियां हो सकती हैं जिसमें हाई बीपी, हार्ट डिजीज, स्‍ट्रोक और दीर्घकालिक बीमारियां शामिल हैं।

इसलिए बेली फैट को गंभीरता से लेना बहुत जरूरी है और आपको इसे कम करने के लिए हर तरीका अपनाना चाहिए। डाइट को ठीक किए बिना बेली फैट को कम करना नामुमकिन है। यहां हम आपको कुछ ऐसे फूड्स और खानपान से जुड़ी आदतों के बारे में बता रहे हैं, जो बेली फैट को कम करने में मदद करते हैं।

  1. बेली फैट के कारण
  2. बेली फैट के दुष्‍प्रभाव
  3. बेली फैट से बचने के लिए क्‍या न खाएं
  4. बेली फैट कम करने के लिए खानपान की इन आदतों से बचें
  5. सारांश

पेट पर फैट जमा होने के कई कारण हैं, जैसे कि :

  • खराब डाइट : अनहेल्‍दी डाइट में पर्याप्‍त पोषक तत्‍वों की कमी की वजह से बेली पर फैट जमने लगता है। जब डाइट में प्रोटीन कम और कार्बोहाइड्रेट ज्‍यादा हो, तो इससे वजन पर असर पड़ सकता है और आपका आहार ट्रांस फैट से भर सकता है।
  • एक्‍सरसाइज की कमी : गतिहीन जीवनशैली या शारीरिक रूप से असक्रिय रहने की वजह से भी पेट पर विस्‍केरल फैट जम जाता है। इस तरह की जीवनशैली में फैट को कम करना बहुत मुश्किल होता है।
  • कोई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या : कुछ स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं जैसे कि डायबिटीज और हाइपरटेंशन से पेट पर वसा बढ़ सकता है। बेली फैट इन दीर्घकालिक बीमारियों को ट्रिगर करता है और वजन घटाने में मु‍श्किल आती है।
  • ज्‍यादा स्‍ट्रेस : स्‍ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल ज्‍यादा बनने पर मेटाबोलिज्‍म प्रभावित हो सकता है और बेली पर फैट जम जाता है। इसके अलावा स्‍ट्रेस में रहने पर अक्‍सर अनहेल्‍दी खाने का मन करता है जिससे हम ज्‍यादा कैलोरी खा लेते हैं और वजन बढ़ जाता है।
  • जींस : कुछ अध्‍ययनों में कहा गया है कि व्‍यक्‍ति के जींस उसके बिहेविययर और मेटाबोलिज्‍म को प्रभावित कर सकते हैं और उनमें मोटापे और इससे जुड़ी बीमारियों के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
  • खराब नींद : अच्‍छी या पर्याप्‍त नींद न लेने पर बेली पर फैट जम सकता है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि खराब नींद की वजह से खानपान की आदतें भी बिगड़ सकती हैं।
  • सिगरेट और शराब : बेली फैट जमने के प्रमुख जोखिम कारक सिगरेट और शराब पीना भी है। इन दोनों की वजह से फेफड़ों की बीमारी, लीवर डिजीज और किडनी डिजीज हो सकती हैं।
  • उम्र : उम्र के साथ पेट पर फैट बढ़ने का जोखिम भी बढ़ जाता है। जब उम्र के साथ मेटाबोलिज्‍म धीमा होने लगता है और मसल लॉस होता है, तब पेट पर चर्बी जमा हो सकती है।
Weight Loss Juice
₹416  ₹599  30% छूट
खरीदें

बेली फैट को कई दीर्घकालिक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं का कारक माना जाता है। कई मामलों में ये दीर्घकालिक स्थितियों एक-दूसरे से संबंधित होती है और एक से दूसरी बीमारी के होने का जोखिम बढ़ सकता है। यह हाइपरटेंशन, डायबिटीज और हार्ट की बीमारियों में सच है। बेली फैट विस्‍केरल होता है और पेट के ज्‍यादातर अंग जैसे कि लीवर, किडनी, पेट और आंते, बेली फैट वाले लोगों के इन अंगों में बीमारियों होने का खतरा भी ज्‍यादा रहता है।

अध्‍ययनों में पाया गया है कि मध्‍यम उम्र के वयस्‍कों के पेट पर ज्‍यादा फैट होता है। इनमें डिमेंशिया होने का खतरा भी तीन गुना ज्‍यादा होता है। कुछ अध्‍ययनों में भी सामने आया है कि रजोनिवृत्ति के पास पहुंच चुकी बेली फैट वाली महिलाओं में ब्रेस्‍ट कैंसर का खतरा ज्‍यादा होता है। अन्‍य रिसर्च के मुताबिक पेट का मोटापा कोलोरेक्‍टल एडिनोमास या कैंसरकारी पोलिप्‍स बना सकते हैं जिससे कोलोरेक्‍टल कैंसर हो सकता है।

बेली फैट को कम करने के लिए अपनी डाइट को कंट्रोल में रखना सबसे जरूरी है। आपको संतुलित आहार लेना चाहिए जिसमें सब्जियां, फल, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन, नट्स और बीज शामिल हों। लेकिन इन्‍हें खाना ही काफी नहीं है क्‍योंकि आपको अपने आहार से कुछ चीजों को निकालना भी होगा। ये चीजें न तो पोषण देती हैं बल्कि इन्‍हें ज्‍यादा खाने से सेहत भी खराब हो सकती है। बेली फैट घटाने के लिए आपको निम्‍न फूड्स खाने से बचना चाहिए :

शुगर खाने से बचें

रिफाइंड शुगर एक प्रकार का सिंपल कार्बोहाइड्रेट है जो कैलोरी से भरा होता है जिसमें कोई पोषक तत्‍व नहीं होता है। सभी तरह की मिठाईयों में शुगर होती है। बेवरेजेज और पैकेटबंद फलों के जूस में भी शुगर होती है। इनमें से किसी भी रूप में अधिक शुगर लेने की वजह से बेली फैट बढ़ सकता है इसलिए आपको इनसे दूर रहना चाहिए। इसकी बजाय आप मीठे के लिए गुड़ खा सकते हैं। निम्‍न फूड्स शुगर से भरे होते हैं जिन्‍हें आपको खाने से बचना चाहिए :

  • जो मिठाईयां और डेजर्ट गुड़ से न बने हों।
  • बेकरी डेजर्ट जैसे कि केक, कुकीज और पेस्‍ट्री।
  • पैकेटबंद फ्रूट जूस, एनर्जी ड्रिंक, कोल्‍ड ड्रिंक, लस्‍सी, मिल्‍क शेक, आइस्‍क्रीम, आईस टी और कोल्‍ड कॉफी।
  • शुगर या चॉकलेट से ढके बादाम, ड्राई फ्रूट्स आदि।
  • ब्रेकफास्‍ट सीरियल्‍स।

ज्‍यादा नमक

जिन चीजों में उच्‍च मात्रा में नमक होता है, उनकी लत लगता आसान होता है। जैसे कि जंक फूड में न सिर्फ नमक ज्‍यादा होता है बल्कि इनमें कैलोरी की मात्रा भी अधिक होती है और इन्‍हें ज्‍यादा खाने का भी मन करता है।

ओवरईटिंग करने से वजन बढ़ता ही है खासतौर पर बेली फैट बढ़ता है। शरीर में ज्‍यादा सोडियम होने से भी वॉटर रिटेंशन और पेट फूलने की समस्‍या हो जाती है जिससे पेट के आसपास फैट बढ़ सकता है। निम्‍न चीजों में ज्‍यादा सोडियम होता है इसलिए आपको इनसे बचना चाहिए :

  • पैकेटबंद चिप्‍स, नाचोस, रेडिमेड फ्राइज या नगेट्स, नमकीन, भुजिया आदि।
  • डीप फ्राइड फूड जैसे कि पकोड़ा, फ्रेंच फ्राइज, पूरी आदि।
  • नमकीन मूंगफली, बादाम, और रोस्‍टेड नट्स और बीज।
  • प्रोसेस्‍ड मीट, सॉसेज, सलामी और मैरिनेटिड मीट।

रिफाइंड कार्ब

रिफाइंड कार्ब का बहुत उपयोग होता है और इस तरह के फूड्स भारत में बहुत लोकप्रिय हैं। जिस प्रक्रिया से इन चीजों को तैयार किया जाता है, उसमें जरूरी पोषक तत्‍व जैसे कि विटामिन, मिनरल्‍स और एंटीऑक्‍सीडेंट खत्‍म हो जाते हैं और बस सिंपल कार्बोहाइड्रेट बचते हैं।

अब सफेद चावल को ही ले लीजिए, होल राइस ग्रेन की रिफाइनिंग प्रक्रिया में, इससे ब्रान और जर्म निकाल लिया जाता है और बस कार्ब भरा एंडोस्‍पर्म रह जाता है। यही वजह है कि सफेद चावल ज्‍यादा खाने से मोटापा, डायबिटीज और यहां तक कि हार्ट की बीमारियां हो सकती हैं। निम्‍न रिफाइंड कार्ब खाने से बचना चाहिए :

  • सफेद चावल
  • सफेद ब्रेड
  • मैदा जैसा रिफाइंड आटा
  • रिफाइंड आटे से बनी चीजें जैसे कि पास्‍ता, केक, स्‍नैक्‍स, पिज्‍जा।

हाई फैट वाले डेयरी उत्‍पाद

डेयरी उत्‍पादों को सेहत के लिए अच्‍छा माना जाता है। ज्‍यादा डेयरी उत्‍पाद जैसे कि दूध, योगर्ट, पनीर आदि प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन बी12 और अन्‍य पोषक तत्‍वों से भरपूर होते हैं। हालांकि, जब डेयरी उत्‍पाद फुल फैट या फुल क्रीम के रूप में आएं, तो इनमें सैचुरेटिड फैट ज्‍यादा होता है। सैचुरेटिड फैट ज्‍यादा लेने से वजन बढ़ सकता है खासतौर पर पेट के आसपास। निम्‍न हाई फैट वाले डेयरी उत्‍पाद हैं जिन्‍हें खाने से बचना चाहिए :

  • होल या फुल क्रीम मिल्‍क
  • मक्‍खन
  • चीज
  • खट्टी क्रीम और क्रीम
  • आइस्‍क्रीम
  • रबड़ी और खोया

तली हुई चीजें

अगर आपको कोई दीर्घकालिक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या है, तो आपके लिए कभी-कभी डीप फ्राइड फूड खाना सही रहता है। तले हुए और डीप फ्राइंग में तेज तापमान पर फैट के अंदर खाने को पकाया जाता है जिससे जरूरी फैट टूटकर ट्रांसफैट और विषाक्‍त में बदल जाता है। डीप फ्राई करने से पहले कोई चीज कितनी भी हेल्‍दी क्‍यों न हो, फ्राइ के बाद वो फैटी बन ही जाती है।

बहुत ज्‍यादा डीप फ्राई वाली चीजों में नमक बहुत ज्‍यादा होता है जो वजन घटाने के दौरान सही नहीं रहता है।

फ्राइड फूड्स के नियमित या अधिक सेवन की वजह से हाई कोलेस्‍ट्रोल, डायबिटीज, हार्ट की बीमारियां और मोटापा हो जाता है। आपको सभी तरह की तली-भुनी चीजें खाने से बचना चाहिए। इसकी जगह आप एयर फ्रायर में बनी चीजें खा सकते हैं।

गाढ़ी सब्जियां

भारत में पकने वाली ज्‍यादा सब्जियां हल्‍की और पौष्टिक होती हैं क्‍योंकि ये सब्जियों, दालों, अंडे और चिकन से बनी होती हैं। जिन सब्जियों को फुल-फैट मिल्‍क, क्रीम, काजू या बादाम पेस्‍ट, खूब सारे घी या मक्‍खन और डीप फ्राइड चीजों में बनाया जाता है, वो अनहेल्‍दी हो सकती हैं।

रेस्‍टोरेंट, त्‍योहारों, शादी और पार्टी में इस तरह का खाना परोसा जाता है और जब आप बहुत जल्‍दी-जल्‍दी इन्‍हें खाते हैं, तो इससे पाचन संबंधी समस्‍याओं के साथ-साथ पेट के आसपास फैट भी बढ़ने लगता है।

अगर आप बेली फैट घटाना चाहते हैं, तो इस तरह की भारी सब्जियों या करी को खाने से बचें।

रेड मीट कम कर दें

रेड मीट में प्रोटीन बहुत होता है और कुछ विटामिन और खनिज पदार्थ जैसे कि आयरन प्रचुर होता है। लेकिन बहुत ज्‍यादा रेड मीट खाने से पेट के आसपास बहुत फैट जम जाता है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि रेड मीट में सैचुरेटिड फैट बहुत ज्‍यादा होता है। अक्‍सर इनमें फैट की मोटी परत होती है जो पकाने के दौरान पिघल जाती है और रेड मीट को टेस्‍टी बनाती है जिससे आपका रोज इसे खाने का मन करता है। इनमें सोडियम भी ज्‍यादा होता है और पैकेटंबद रेड मीट में प्रिजर्वेटिव्‍स भी होते हैं। आपको मटन या बकरी का मीट, लैंब, भैंस, सूअर का मीट नहीं खाना चाहिए।

शराब से रहना है दूर

रोज या ज्‍यादा शराब पीने का संबंध पेट के आसपास चर्बी बढ़ने से है। शराब में कैलोरी बहुत होती है और ये कार्बोहाइड्रेट्स से बनती है। बीयर को गेहूं, जौ, मक्‍का और चावल से बनाया जाता। वोडका मक्‍का, चावल, राई या आलू से बनती है। इन्‍हें बनाने की फर्मेंटेशन की प्रक्रिया से इनमें यीस्‍ट भी जुड़ जाती है।

शराब पीने से शरीर का मेटाबोलिक रेट भी प्रभावित होता है और फैट को तोड़ने की लीवर की क्षमता धीमी होती है। ये सभी कारक मिलकर शराब को लीवर रोग, हार्ट डिजीज और पेट के आसपास फैट बनाने वाला बनाते हैं। पेट की चर्बी घटाने के लिए शराब का किसी भी रूप में सेवन न करें।

प्रोसेस्‍ड फूड न खाएं

ऊपर बताए गए सभी फूड्स से कई गुना ज्‍यादा प्रोसेस्‍ड फूड्स हानिकारक होते हैं। इनमें सोडियम, शुगर और प्रिजर्वेटिव्‍स ज्‍यादा होते हैं। इन्‍हें खाने से पहले तलना पड़ता है। कई प्रोसेस्‍ड मीट प्रोडक्‍ट्स जैसे कि सॉसेज, सलामी, हॉट डॉग रेड मीट से बनाए जाते हैं।

कई प्रोसेस्‍ड फूड आर्टिफिशियल फ्लेवर से भी युक्‍त होते हैं जिनकी वजह से बिंज ईटिंग या ओवरईटिंग हो सकती है। चिप्‍स, नाचोस, पैकेटबंद सूप और स्‍नैक्‍स जैसे कि चिकन नगेट्स और पोटैटो वेजिस में ऐसा जरूर होता है। कई अल्‍ट्रा-प्रोसेस्‍ड फूड में भी हाई फ्रूक्‍टोज कॉर्न सिरप जैसे तत्‍व होते हैं जो फैट बढ़ाने का काम करते हैं। यदि आप डाइट से प्रोसेस्‍ड फूड को निकाल दें और उनकी जगह ताजी चीजें खाएं तो पेट की चर्बी घटाने में वाकई में मदद मिलेगी।

ऊपर बताई गई सभी चीजों को खाने से बचने के साथ-साथ आपको अपनी खानपान से जुड़ी कुछ आदतें भी बदलनी होंगी। जो आप खाते हैं, उसे आपका शरीर किस तरह प्रोसेस करता है, ये आपकी आदतों जैसे कि नींद, जागने का समय, खाने का समय, एक्‍सरसाइज और आराम से जुड़ा होता है। इन सबका असर सर्काडियन रिदम पर पड़ता है। कुछ फूड हैबिट्स सर्काडियन रिदम में रुकावट पैदा कर सकते हैं, मेटाबोलिज्‍म को धीमा कर सकते हैं और इससे पेट के आसपास चर्बी बढ़ती है और पाचन से संबंधी अन्‍य बीमारियां होती हैं। यहां हम आपको कुछ फूड हैबिट्स के बारे में बता रहे हैं, जिन्‍हें बेली फैट घटाने के लिए आपको छोड़नी होंगी।

  • समय पर न खाना : रोज काम करने के लिए हर थोड़ी देर में शरीर को खाना चाहिए होता है। अगर आप खाना नहीं खाते या इसमें देरी करते हैं या रोज अलग-अलग समय पर खाते हैं, तो इससे आपका रिदम खराब हो जाता है। आपके शरीर को सही रूटीन की जरूरत होती है इसलिए समय पर खाएं।
  • ओवरईटिंग : शरीर एनर्जी बनाने के लिए खाने को तोड़ता है और उनसे जरूरी पोषक तत्‍व ले लेता है। जब आपकी बॉडी में ज्‍यादा फूड हो जाता है तो मेटाबोलिज्‍म धीमा हो जाता है और ज्‍यादा वाला खाना फैट में बदलकर खासतौर पर पेट के आसपास जमा हो जाता है।
  • रात का खाना देर करना : अगर आप कम कैलोरी खाना चाहते हैं तो रात को खाने में ज्‍यादा देर न करें। रात को देर से खाना खाने के बाद जब आप सीधा या जल्‍दी सो जाते हैं, तो इससे मेटाबोलिज्‍म धीमा हो सकता है और इससे बेली फैट बन सकता है। इसलिए रात को समय पर खाना खाने की कोशिश करें।
  • अनहेल्‍दी स्‍नैक्‍स : दिन के प्रमुख आहार के अलावा हम शाम के आसपास स्‍नैक्‍स भी खाते हैं। ज्‍यादातर लोग चीनी वाली चाय या कॉफी के साथ कुकीज, फ्राइड स्‍नैक्‍स जैसे कि पकौड़ा आदि लेते हैं। रात को देर तक काम करने वाले लोग भी इस तरह के अनहेल्‍दी स्‍नैक्‍स खाते हैं जिससे बेली फैट बढ़ जाता है। आप बिना चीनी के एक कप ग्रीन टी या ब्‍लैक टी ले सकते हैं और स्‍नैक्‍स की जगह कुछ हेल्‍दी खा सकते हैं। इससे पेट की चर्बी घटाने में मदद मिलेगी।
myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Medarodh Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को वजन कम करने के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Weight Control Tablets
₹591  ₹999  40% छूट
खरीदें

पेट की चर्बी घटाना मुश्किल हो सकता है खासतौर पर पूरे शरीर का वजन घटाने पर ही किसी एक हिस्‍से के वेट में कमी आती है। बेली फैट जमा होने वाले लोगों की टांगों और जांघों पर भी फैट जमा होता है इसलिए इन्‍हें पूरे शरीर के वेट लॉस पर ध्‍यान देना चाहिए। जितना जल्‍दी हो सके बेली फैट को घटाने की कोशिश करें क्‍योंकि ज्‍यादा देर होने पर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। बेली फैट एंडोक्राइन अंग की तरह काम करता है इसलिए इसे घटाने से सेहत में बहुत सुधार आता है।

बेली फैट या शरीर के किसी भी हिस्‍से से फैट सिर्फ डाइट की मदद से घटाया नहीं जा सकता है। ऊपर बताए गए फूड्स हटाने और खानपान की गलत आदतों से बचने के लिए आप नीचे बताए गए काम करें :

  • हफ्ते में पांच से छह दिन एक्‍सरसाइज करें। आप रोज कम से कम 30 मिनट मॉडरेट इंटेंसिटी एक्‍सरसाइज करें जिससे पेट की चर्बी कम होने में मदद मिल सकती है।
  • वेट लॉस के लिए नींद के लिए भी बहुत जरूरी होती है क्‍योंकि इससे सर्काडियन रिदम बनी रहती है। रोज रात को अच्‍छी नींद लेने के साथ-साथ रोज समय पर उठें।
  • स्‍ट्रेस से दूर रहें क्‍योंकि ज्‍यादा तनाव लेने से शरीर में कोर्टिसोल लेवल बढ़ जाता है जिससे इमोशनल या बिंज ईटिंग हैबिट्स बढ़ सकती हैं। मेडिटेशन, योग करें या किताब पढ़ें या मूवी देखें।

संदर्भ

  1. Harvard Health Publishing: Harvard Medical School [Internet]. Harvard University, Cambridge. Massachusetts. USA; Taking aim at belly fat.
  2. Champagne, Catherine M. et al. Dietary intakes associated with successful weight loss and maintenance during the Weight Loss Maintenance Trial. J Am Diet Assoc. 2011 Dec; 111(12): 1826–1835. PMID: 22117658
  3. Liu, FX. et al. Factors Associated with Visceral Fat Loss in Response to a Multifaceted Weight Loss Intervention. J Obes Weight Loss Ther. 2017; 7(4): 346. PMID: 29629240
  4. Pallister, T. et al. Untangling the relationship between diet and visceral fat mass through blood metabolomics and gut microbiome profiling. Int J Obes (Lond). 2017 Jul; 41(7): 1106–1113. PMID: 28293020
  5. van Gemert, Willemijn A. et al. Effect of diet with or without exercise on abdominal fat in postmenopausal women – a randomised trial. BMC Public Health. 2019; 19: 174. PMID: 30744621
  6. Guo, Xiaohui. et al. Visceral fat reduction is positively associated with blood pressure reduction in overweight or obese males but not females: an observational study. Nutr Metab (Lond). 2019; 16: 44. PMID: 31320919
  7. Langendonk, Janneke G. et al. Decrease in visceral fat following diet-induced weight loss in upper body compared to lower body obese premenopausal women. Eur J Intern Med . 2006 Nov;17(7):465-9. PMID: 17098588
  8. de Souza, Russell J. et al. Effects of 4 weight-loss diets differing in fat, protein, and carbohydrate on fat mass, lean mass, visceral adipose tissue, and hepatic fat: results from the POUNDS LOST trial. Am J Clin Nutr. 2012 Mar; 95(3): 614–625. PMID: 22258266
ऐप पर पढ़ें