बच्चों की शिक्षा को लेकर अभिभावक हमेशा चिंता में रहते हैं। वे बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देने के बदले में उनसे ज्यादा से ज्यादा अंक हासिल करने की उम्मीद करते हैं। लेकिन यह इच्छा और कोशिश जब एक सीमा के पार चली जाती है तो माता-पिता 'शिक्षा के बुखार' की श्रेणी में आ जाते हैं। चीन और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में 'शिक्षा का बुखार' अभिभावकों में पाए जाने वाली एक प्रमाणित स्थिति है। साल 2005 में 'केडी जर्नल ऑफ एजुकेशनल पॉलिसी' में प्रकाशित एक अध्ययन में इस शब्द की परिभाषा दी गई थी। इसके मुताबिक, 'जब अभिभावकों में बच्चों को प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में दाखिला दिलाने की इच्छा, जुनून में बदल जाए तो ऐसी कंडीशन को 'शिक्षा का बुखार' कहा जा सकता है।'
भारत में भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब अभिभावकों में 'शिक्षा का बुखार' देखा गया है। सभी माता-पिता अपने बच्चों के लिए सबसे अच्छे की चाहत रखते हैं। इसी के चलते वे बोर्ड की परीक्षा या बड़े एन्ट्रेंस एग्जाम के समय बच्चों से ज्यादा नहीं तो कम से कम उनके बराबर चिंतित दिखते हैं।
यह सही है कि उच्च स्तर की परीक्षाओं को लेकर किसी न किसी स्तर का दबाव बच्चों और माता-पिता में स्वाभाविक रूप से होता है। लेकिन इस दबाव को कम करने के लिए घर में सकारात्मक माहौल बनाना भी जरूरी है ताकि बच्चों को परीक्षा की तैयारी में मदद मिल सके।
यह कोशिश बच्चों के व्यवहार को ध्यान में रखते हुए की जानी चाहिए, क्योंकि परीक्षा समय के दौरान हर बच्चे की जरूरत अलग होती है। नीचे दी गई कुछ टिप्स अपनाकर माता-पिता को अपने बच्चों के मानसिक दबाव को कम करने और परीक्षा प्रदर्शन बेहतर करने में मदद मिल सकती है। इन टिप्स को चार वर्गों में बांटा जा सकता है