ऑर्थोडॉन्टिक्स में उपयोग किये जाने वाले उपकरण को टीथ ब्रेसेस या डेंटल ब्रेसेस कहा जाता है। इसे दांतों में तार लगाना भी कहा जाता है। टीथ ब्रेसेस दांतों को एक पंक्ति में ला सीधा करते हैं। इससे भोजन चबाने की प्रक्रिया में भी सुधार होता है तथा दांतों का स्वास्थ्य भी सुधरता है। ब्रेसेस दांतों के बीच की खाली जगह भरने में भी मदद करते हैं।
टीथ ब्रेसेस का उपयोग अक्सर तब किया जाता है जब नीचे या ऊपर के जबड़े के दांत अधिक बाहर निकले हों (जिसे अंडर बाइट्स या ओवर बाइट्स कहा जाता है), दांत सही पंक्ति में न हो या आगे पीछे हो (मेलौक्लुशंस: malocclusions), दोनों जबड़ों के बीच के दांत आपस में नहीं मिलते हों या केवल बीच के दांत ही आपस में मिलते हों (ओपन बाइट्स या डीप बाइट्स), कुछ दांत अधिक अंदर तो कुछ अधिक बाहर हो (क्रॉस बाइट्स), टेढ़े मेढ़े दांत (क्रूक्ड टीथ) और दांतों और जबड़े में कई अन्य तरह की गड़बड़ियाँ हो।
(और पढ़े - दांतों को चमकाने के घरेलू उपाय)
इस लेख में आप विस्तार से जानेंगे की टीथ ब्रेसेस क्या होते हैं, इनके कितने प्रकार होते हैं और दांतों में तार कैसे लगाए जाते हैं। इसके साथ ही आप यह भी जानेंगे कि टीथ ब्रेसेस के क्या लाभ या फायदे और नुकसान हो सकते हैं तथा दांत में तार लगाने का कितना खर्च आता है।