टैटू का चलन सन 1800 से अस्तित्व में है। मूल रूप से धर्म और संस्कृति को परिलक्षित करने के लिए टैटू उपयोग में आया था लेकिन आज टैटू के मायने बदल गए हैं। टैटू आज न सिर्फ फैशन का हिस्सा है बल्कि अपनों के प्रति प्यार दर्शाने का एक बेहतरीन जरिया भी बन गया है। आजकल ज्यादातर प्रेमी जोड़ों को अपने हाथ, गर्दन आदि जगहों पर टैटू करवाते देखा जा सकता है। लेकिन सवाल है क्या टैटू करवाने का कोई नुकसान है? बिल्कुल है। टैटू बनवाने से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। टैटू से त्वचा में संक्रमण और अन्य जोखिम भी हो सकते हैं। आइए जानते हैं कि टैटू बनवाने से किन बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

कैंसर

क्या टैटू की वजह से स्किन कैंसर हो सकता है? शोधकर्ता सालों से इस सवाल का जवाब खोज रहे हैं। हालांकि, अब तक टैटू और स्किन कैंसर के बीच कोई प्रत्यक्ष संबंध नजर नहीं आया है, लेकिन इस बात का पता चला है कि टैटू इंक में कुछ ऐसी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसका संबंध कैंसर से हो सकता है। कैंसर की बात करें, तो टैटू में इस्तेमाल होने वाली इंक खासकर काली इंक ज्यादा खतरनाक होती है, क्योंकि इसमें बेंजो पाइरीन का स्तर बहुत ज्यादा होता है।

इंटरनेशनल एजेंसी फाॅर रिसर्च ऑन कैंसर के अनुसार बेंजो पाइरीन को फिलहाल कैंसरकारी तत्वों की सूची में शामिल किया गया है। स्वास्थ्य विभाग टैटू करवाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली काली स्याही के स्वास्थ्य पर प्रभाव को लेकर वाकई काफी चिंतित है। जबकि इसी स्याही का टैटू में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।

इसके अतिरिक्त टैटू के शौकीन लोग अपने पूरे शरीर पर टैटू बनवाते हैं, जिससे उनकी त्वचा की पिगमेंटेशन बदल सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार स्किन कैंसर खासकर मेलेनोमा का यह पहला संकेत होता है। यही वजह है कि विशेषज्ञ पहले से मौजूद मस्से, जन्म के निशान और असामान्य त्वचा पर टैटू बनवाने से मना करते हैं।

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एलर्जी

टैटू में लाल, हरे, पीले और नीले रंग की डाई का उपयोग किया जाता है। इन सभी रंगों की वजह से शरीर के जिस हिस्से में टैटू बनाया जाता है, वहां स्किन एलर्जी जैसे कि त्वचा पर खारिश हो सकती है। जरूरी नहीं है कि टैटू करवाने के तुरंत बाद ऐसा हो। टैटू करवाने के कई सालों बाद भी यह समस्या हो सकती है। टैटू के लिए इस्तेमाल होने वाली इंक में कई तरह के रसायनों का उपयोग किया जाता है, जिससे त्वचा पर नकारात्मक रूप से प्रभाव पड़ता है। इसीलिए बेहतर होगा कि टैटू बनवाने से दूर रहें।

हेपेटाइटिस

टैटू से होने वाली गंभीर बीमारियों में से एक हेपेटाइटिस है। हेपेटाइटिस एक संक्रामक रोग है। हेपेटाइटिस के रोगी पर इस्तेमाल की गई टैटू की सुई को किसी स्वस्थ व्यक्ति पर इस्तेमाल करने से उसे भी हेपेटाइटिस हो सकता है। इसीलिए टैटू बनवाने से पहले टैटू पार्लर की अच्छी तरह जांच-पड़ताल करें और ध्यान दें कि वहां के कारीगर टैटू बनवाते वक्त ग्लव्स पहनते हैं या नहीं।

सबसे मुख्य बात यह कि टैटू बनाते वक्त वे नई सुई का उपयोग करते हैं या फिर पुरानी सुई का। क्या उनकी सुई साफ होती है। अगर टैटू पार्लर में जरा भी साफ-सफाई के प्रति संदेह हो, तो ऐसी जगह से टैटू कतई न बनवाएं। ध्यान रखें कि अगर संक्रमित व्यक्ति पर इस्तेमाल की गई सुई का इस्तेमाल आप पर हो गया तो इससे आपको ब्लड बोर्न डिजीज (रक्त जनित रोग) हो सकता है। इसमें हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी शामिल हैं।

एमआरआई में दिक्कत

बहुत कम मामलों में, टैटू या स्थाई मेकअप (परमानेंट मेकअप) की वजह से एमआरआई (मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग) के दौरान प्रभावित हिससे पर सूजन या जलन की समस्या हो सकती है। लेकिन कुछ मामलों में टैटू की वजह से इमेज की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। मतलब यह है कि टैटू से दूर रहना ही स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।

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त्वचा संबंधी समस्याएं

टैटू करवाने की वजह से कई तरह की त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। कई बार टैटू की स्याही की वजह से प्रभावित हिस्से में ग्रेन्युलोमा (जलन वाला हिस्सा) हो सकता है। इसके अलावा टैटू की वजह से केलाॅइड्स (जब किसी चोट के स्थान पर विकसित होने वाले स्कार ऊतक असाधारण तरीके से फैलने लग जाते हैं) भी हो सकते हैं।

टैटू की वजह से सेहत को होने वाले नुकसान 

टैटू करवाने से पहले बरतें ये सावधानी

  • टैटू किसी लाइसेंसधारी सैलून या पार्लर से ही करवाएं।
  • टैटू बनवाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा बनाए गए कानून के बारे में अवश्य जान लें।
  • आर्टिस्ट को कहें कि टैटू के लिए नई सुई और रेजर का उपयोग करे। अपने सामने ही उनकी सील खुलवाएं।
  • ध्यान रखें कि टैटू बनाते वक्त आर्टिस्ट ने नए ग्लव्स पहने हों।
  • जहां बैठकर टैटू बनवाएंगे, वहां की चीजें साफ और सुरक्षित होनी चाहिए।
  • टैटू को बनवाने के बाद बैंडेज से ढक कर रखें। साथ ही आर्टिस्ट के दिए गए सभी निर्देश मानें।

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