आपके शरीर की कोशिकाओं के अंदर पाए जाने वाले जीन्स (genes) आपके स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक ख़राब जीन आपको बीमार कर सकता है। यह पता लगाने के बाद से वैज्ञानिक दशकों से जीन में बदलाव करने या ख़राब जीन्स को स्वस्थ जीन्स से बदलने, बिमारियों की रोकथाम और ठीक करने के लिए प्रयोग कर रहे हैं।
अब जाकर जीन थेरपी पर दशकों से होने वाले ये प्रयोग लाभ देने लगे हैं। अगस्त 2017 के बाद से अमेरिका में "अमेरिकन फ़ूड और ड्रग प्रशासन" ने 3 प्रकार के जीन थेरेपी उत्पाद को मंजूरी प्रदान की है। इन में से दो उत्पाद जानलेवा कैंसर कोशिकाओं पर हमला करने के लिए रोगी की कोशिकाओं को रिप्रोग्राम करते हैं और तीसरा उत्पाद किसी निश्चित जीन में म्युटेशन (यानी, जीन की बनावट में बदलाव) के कारण होने वाली बीमारी को ठीक करता है।
भारत में भी जीन थेरेपी पर होने वाले रिसर्च को बढ़ावा देने में भारत सरकार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। भारत सरकार अपनी विभिन्न फंडिंग एजेंसियों जैसे कि "डिपार्टमेंट ऑफ़ बायो-टेक्नोलॉजी", "डिपार्टमेंट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी" और "इंडियन कॉउन्सिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च" के द्वारा वैज्ञानिकों और अन्य रिसर्च करने वाले क्लिनिशिअंस को आर्थिक मदद दे रही है। जीन थेरेपी के क्षेत्र में भारत अब अन्य एशियाई देशों जैसे चीन, जापान, दक्षिण कोरिया की तरह ही अच्छा विकास कर रहा है।
इस लेख में विस्तार से बताया गया है कि जीन थेरेपी क्या है, जीन थेरेपी कैसे की जाती है और जीन थेरेपी के लाभ और नुकसान क्या है।