काउंसलिंग एक टॉकिंग थेरेपी है, जिसमें एक ट्रेंड थेरेपिस्ट लोगों की बातें सुनने के बाद उनकी भावनात्मक मुद्दों से निपटने में उनकी मदद करता है. कभी-कभी काउंसलिंग शब्द का इस्तेमाल सामान्य तौर पर टॉकिंग थेरेपी के संदर्भ में किया जाता है, लेकिन सच तो यह है कि काउंसिल अपने आप में एक तरह की थेरेपी है.

आज इस लेख में हम काउंसलिंग से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी के बारे में चर्चा करेंगे -

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  1. क्या है काउंसलिंग?
  2. क्या है काउंसलर का काम
  3. काउंसलिंग के फायदे
  4. काउंसलिंग के प्रकार
  5. सारांश
काउंसलिंग क्या है, प्रकार और लाभ के डॉक्टर

काउंसलिंग के जरिए लोग अपनी समस्याओं और कठिन भावनाओं पर खुलकर बात कर सकते हैं. खासकर वो बातें जो वे अलग से किसी अनजाने व्यक्ति के साथ करना चाहते हैं. काउंसलिंग शब्द का अर्थ अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग हो सकता है. आमतौर पर यह ऐसी प्रक्रिया है, जिसे लोग तब ढूंढते हैं, जब वो अपने जीवन में किसी तरह का बदलाव चाहते हैं या गहराई से अपने विचारों और भावनाओं को बाहर निकालना चाहते हैं.

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काउंसलर किसी व्यक्ति के साथ बैठकर उसे यह नहीं बताता है कि उसे क्या करना चाहिए, बल्कि वह उसे यह जानने में सहायता करता है कि उसे कौन-सी बात परेशान कर रही है. ऐसा वह इसलिए करता है, ताकि परेशानी की मूल जड़ को पहचान कर उसका हल पाने में उसकी मदद कर सके. इसके बाद काउंसलर उन मुद्दों को सुलझाने में मदद करने के लिए प्लान ऑफ एक्शन तैयार करता है.

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काउंसलिंग के जरिए भावनाओं पर काबू पाने में मदद मिलती है. डिप्रेशन जैसी मानसिक स्थिति और इनफर्टिलिटी जैसी फिजिकल हेल्थ कंडीशन से हुई मानसिक परेशानी को ठीक करने में इससे मदद मिलती है. आइए, विस्तार से जानते हैं कि काउंसलिंग से किस तरह की मदद मिल सकती है -

  • इमोशनल या शारीरिक किसी भी तरह के दुर्व्यवहार का शिकार होने के बाद व्यक्ति का पूरा जीवन प्रभावित हो जाता है. ऐसी स्थिति में काउंसलिंग पीड़ित व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक परेशानियों को ठीक करने में मददगार हो सकती है. 
  • कैंसरडिमेंशिया जैसी किसी लंबी बीमारी से व्यक्ति की दुनिया उलट जाती है. ऐसी स्थिति में इमोशनल सपोर्ट और बीमारी से निपटने में काउंसलिंग फायदेमंद साबित हो सकती है.
  • दुर्घटना व दुर्व्यवहार जैसी मनोवैज्ञानिक घटनाएं सालों बाद भी व्यक्ति के दिमाग से नहीं निकलती हैं. ऐसे में काउंसलिंग पीड़ित लोगों को अपनी भावनाओं का पता लगाने और उन्हें हल करने में मदद करता है.
  • डिप्रेशन, एंजाइटी या ईटिंग डिसऑर्डर जैसी मानसिक बीमारियों में काउंसलिंग मदद कर सकता है.
  • यदि कोई महिला इनफर्टिलिटी जैसी शारीरिक परेशानी से गुजर रही है, तो उससे होने वाला मानसिक तनाव काउंसलिंग की मदद से ठीक हो सकता है.
  • जीवन में कई बार ऐसे मुश्किल हालात आते हैं, जिनकी वजह से व्यक्ति आगे नहीं बढ़ पाता है. उदाहरण के लिए किसी रिश्ते का टूटना या काम संबंधी तनाव आदि की स्थिति में भी काउंसलिंग सहायक है.
  • आत्मसम्मान का कम होना या बात-बात पर गुस्सा आना जैसी व्यक्तिगत भावनाओं को भी काउंसलिंग के जरिए कम किया जा सकता है.
  • यदि कोई व्यक्ति अपनी सेक्सुअल पहचान को लेकर भ्रमित है, तो इसमें भी काउंसलिंग की मदद ली जा सकती है.

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काउंसलिंग किसी खांचे में फिट नहीं बैठता है. इसका हर सेशन हर व्यक्ति के अनुसार अलग-अलग होता है. इस तरह की थेरेपी बहुत फ्लेक्सिबल होती है, जिसमें कई तरह के काउंसलिंग फॉर्मेट शामिल होते हैं. काउंसलिंग अकेले या ग्रुप में भी की जा सकती है या कई बार टेलीफोन काउंसलिंग की मदद भी ली जाती है. आइए, विस्तार से काउंसलिंग के प्रकार के बारे में जानते हैं -

आमने-सामने

इस तरह की काउंसलिंग तब की जाती है, जब काउंसलर से व्यक्तिगत तौर पर मिलने के लिए अपॉइंटमेंट लिया जाता है. आमने-सामने वाला सेशन एक पॉपुलर थेरेपी है, क्योंकि इसमें काउंसलर के सामने भावनाएं प्रकट करने और समझने का विशेष मौका मिलता है.

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व्यक्तिगत या समूह

व्यक्तिगत तौर पर काउंसलर से बात करने का मौका मिल सकता है या व्यक्ति चाहे तो समान परेशानियों का सामना करने वालों के साथ समूह काउंसलिंग में भी शामिल हुआ जा सकता है. समूह काउंसलिंग उस समय फायदेमंद होती है, जब व्यक्ति अपनी परेशानियों को उन लोगों के साथ बांटना चाह रहा हो, जो उसके जैसी समस्याओं से गुजर रहे हैं. इस तरह से व्यक्ति अपने लिए एक सपोर्ट नेटवर्क भी बना पाने में सक्षम होता है. इसके ठीक उलट व्यक्ति काउंसलर से जब अकेले में अपनी परेशानियां शेयर करना चाहता है, तो इस तरह से वह अपनी प्राइवेसी को बनाए रखने में कामयाब होता है.

टेलीफोन काउंसलिंग

कुछ लोगों के लिए टेलीफोन काउंसलिंग फेस-टू-फेस काउंसलिंग का बढ़िया विकल्प साबित होती है. इसमें काउंसलर से मिलकर बात करने की बजाय फोन पर बात की जाती है. इस तरह की काउंसलिंग उन लोगों के लिए लाभदायक होती है, जो फेस-टू-फेस सेशन अटेंड नहीं कर पाते और अपने घर में रहकर काउंसलिंग करवाना चाहते हैं. काउंसलिंग का यह तरीका भी बहुत फ्लेक्सिबल है और इसमें काउंसलर के लिए इंतजार भी नहीं करना पड़ता है.

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ऑनलाइन काउंसलिंग

कुछ लोग काउंसलर से व्यक्तिगत तौर पर बात नहीं करना चाहते हैं, तो वे अपने काउंसलर को ईमेल करते हैं. इस तरह की काउंसलिंग व्यक्ति को सोचने का समय देती है कि वह काउंसलर से किस बारे में बात करना चाहता है. कई लोग अपनी बातों को लिखकर ज्यादा बेहतर तरीके से एक्सप्रेस कर पाते हैं, तो उनके लिए भी ऑनलाइन काउंसलिंग सही है. ऑनलाइन काउंसलिंग के जरिए व्यक्ति अपनी पहचान को भी सुरक्षित रख पाता है.

काउंसलिंग की मदद से शारीरिक प्रताड़ना या मानसिक परेशानियों से गुजर रहे लोगों की मदद की जा सकती है. काउंसलिंग कई तरह की होती है, जैसे ऑनलाइन और टेलीफोन काउंसलिंग. एक काउंसलर प्रभावित व्यक्ति की बातें सुनकर उसकी परेशानियों को समझने के बाद उनसे उबरने के तरीके भी बताता है.

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