हजारों वर्षों से चीन में एक्यूप्रेशर का उपयोग किया जा रहा है। एक्यूप्रेशर से इलाज के लिए एक्यूपंक्चर थेरेपी का सिद्धांत लागू होता है, इसलिए एक्यूप्रेशर को कभी-कभी प्रेशर एक्यूपंक्चर भी कहा जाता है।

इस लेख में विस्तार से बताया गया है की एक्यूप्रेशर क्या होता है, एक्यूप्रेशर से इलाज कैसे किया जाता है, और इसके क्या फायदे और नुकसान होते हैं।

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  1. एक्यूप्रेशर क्या है - Acupressure kya hai in hindi
  2. एक्यूप्रेशर बिन्दु या एक्यूप्रेशर पॉइंट - Acupressure ke point in hindi
  3. एक्यूप्रेशर कैसे करे - Acupressure kaise kare in hindi
  4. एक्यूप्रेशर कैसे काम करता है - Acupressure kaise kaam karta hai in hindi
  5. एक्यूप्रेशर के लाभ - Acupressure ke fayde in hindi
  6. एक्यूप्रेशर के नुकसान - Acupressure ke nuksan in hindi

पांरपरिक चीनी उपचार में पिछले 2000 वर्षों से एक्यूप्रेशर थेरेपी का एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है और आज भी इसका उपयोग सारी दुनिया में किया जा रहा है। यह तथ्य बीमारी और दर्द के उपचार में एक्यूप्रेशर थेरेपी के लाभ का प्रमाण है।

एक्यूप्रेशर शरीर की स्वयं को ठीक करने और व्यवस्थित करने की क्षमता को जगाने के लिए संकेत भेजने की एक तकनीक है। जिस तरह योग में प्राण (जीवन शक्ति) को बहुत महत्त्व दिया जाता है, उसी तरह पारंपरिक चीनी उपचार में “की या क्यूई” (Qi) (जीवन ऊर्जा) का महत्व है। ऐसा माना जाता है कि हमारे शरीर के अंदर इस जीवन ऊर्जा का प्रवाह कुछ नलिकाओं के माध्यम से होता है, जिन्हें "मेरीडियन" कहते हैं।

इस प्राकृतिक प्रवाह में रुकावट या “यिन” (yin) और “यांग” (yang) का असंतुलन बीमारी और दर्द का कारण हो सकता है। एक्यूप्रेशर इस असंतुलन को सही करके जीवन ऊर्जा के प्रवाह में सुधार लाता है, इससे शरीर अपनी प्राकृतिक स्वस्थ अवस्था में आ जाता है।

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एक्यूप्रेशर पॉइंट, शरीर पर एक ऐसा बिंदु होता है जिस पर दबाव डाला जाता है, ऐसे बिंदु को प्रेशर पॉइंट भी कहा जाता है।

वैसे तो 1000 से ऊपर एक्यूप्रेशर पॉइंट्स हैं, लेकिन यहाँ पर आठ मुख्य बिंदुओं की जानकारी दी जा रही है -

  • गॉलब्लेडर 20 (GB20) - “फेंग ची” (Feng Chi)
    यह बिंदु आपके सिर के पीछे वाले भाग की तरफ कान के बगल में गले पर (ऊपर चित्र में देखें) होती है। इस बिंदु से सिर दर्द, माइग्रेन, धुंधला दिखना या थकान, सुस्ती, और सर्दी / फ्लू के लक्षण इत्यादि का उपचार किया जा सकता है।
     
  • गॉलब्लेडर 21 (GB21) - “जिआन जिंग” (Jian Jing)
    यह बिंदु आपके कंधे के ऊपरी भाग में होती है (चित्र में देखें)। इसे अँगूठे और बीच की ऊँगली से जाबाय जाता है। यह बिंदु तनाव, चेहरे का दर्द, सिर दर्द, दाँतों में दर्द या गर्दन दर्द के उपचार के लिए उपयोग किया जा सकता है। गर्भवती महिला में इसका उपयोग सावधानी पूर्वक किया जाना चाहिए।
     
  • लार्ज इंटेस्टाइन 4 (LI 4) - “हे गु” (He gu) 
    यह हमारे हाथ के अगूंठे और चारो अँगुलियों के बीच के मुलायम हिस्से में पाए जाते हैं। यह बिंदु तनाव, चेहरे का दर्द, सिर दर्द, दांतों में दर्द या गर्दन दर्द के उपचार के लिए अच्छा है। गर्भवती स्त्री में कभी यह बिंदु उपयोग न करें। 
     
  • लिवर 3 (LR-3) - “ताई चोंग” (Tai Chong) 
    यह बिंदु हमारे पैर के पंजे के ऊपर की तरफ अंगूठे और उसके पास वाली अंगुली के बिच होता है। यह बिंदु तनाव, कमर दर्द, बीपी बढ़ने, बदन दर्द, अनिद्रा और भावनात्मक परेशानी के लिए अच्छा है।
     
  • पेरीकार्डियम 6 (P6) - “नेई गुआन” (Nei Guan)
    यह बिंदु आपके हाथ की हथेली से चार इंच ऊपर कलाई पर (चित्र में देखें) होता है। यह बिंदु मतली, चिंता, कार्पल टनल सिण्‍ड्रोम (विशेष प्रकार की नर्व पर पड़ने वाले दबाव से होने वाली परेशानी), पेट खराब होना, मोशन सिकनेस, सिरदर्द, और यहाँ तक की दिल की घबराहट के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
     
  • ट्रिपल एनर्जाइज़र 3 - “जौंग ज़ू” (Zhong Zhu)
    यह बिंदु आपके हाथ के पंजे में चौथी और पाँचवी ऊँगली की नसों के बीच (चित्र देखें) पाया जाता है। यह बिंदु सिरदर्द, कंधे और गर्दन के तनाव और पीठ दर्द में उपयोग किया जाता है।
     
  • स्प्लीन 6 (SP-6) - “सन यिन जिआओ” (San Yin Jiao)
    यह बिंदु आपके पैर के अंदरूनी हिस्से में एड़ी से थोड़ा ऊपर की तरफ होता हैं। यह बिंदु मूत्र और श्रोणि संबंधी रोगों के साथ-साथ थकान और अनिद्रा में मदद करता है। (और पढ़ें - यूरिन इंफेक्शन क्यों होता है)
     
  • स्टमक 36 (ST36) - “ज़ू सन ली” (Zu San Li)
    यह बिंदु आपके पाँव पर घुटने के चार इंच नीचे (चित्र देखें) होता है। इस बिंदु से थकान, अवसाद, घुटने में दर्द, पेट और आंत से संबंधी परेशानी में लाभ मिलता है।

एक्यूप्रेशर थेरेपी निम्न चरणों में पूरी की जाती है - 

  • एक्यूप्रेशर बिंदु पर हल्का दबाते हुए मालिश करें।
  • जब एक्यूप्रेशर बिंदु पर मालिश करें, तब आराम से किसी सुविधाजनक जगह पर बैठ जायें और अपनी आँखें बंद करके गहरी साँस लें।
  • मालिश को जब आप को पंसद हो तब बार-बार करते रहे। एक दिन में कितनी बार करें इसका कोई नियम नहीं हैं, जितनी बार आपको सुविधाजनक लगे उतनी बार कर सकते हैं।
  • आप स्वयं इन एक्यूप्रेशर बिंदुओं की मालिश कर सकते हैं। या किसी अन्य की भी मदद ले सकते हैं। हालाँकि, एक्यूप्रेशर के किसी अच्छे जानकर से मालिश करवाना अधिक सुरक्षित होता है।

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एक्यूप्रेशर थेरेपी शरीर के निश्चित बिंदुओं पर दबाव डालकर “की" (Qi) नामक जीवन ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाती है। इस तरह दबाव डालने के लिए काफी बारीकी से काम करना पड़ता है क्योंकि हमारे शरीर के अंदर मुख्य चैनल्स (मेरीडियन) पर 365 बिंदु हैं और इसके अलावा 650 अन्य बिंदु हैं। रक्त वाहिकाओं के तंत्र की तरह इन चैनल्स के भी अपने कनेक्शन के नेटवर्क होते हैं।

इन चैनल्स में “की" ऊर्जा को प्रभावित करने के लिए अलग-अलग तकनीकों का उपयोग किया जाता है। इसमें शामिल हैं - मजबूत करना, फैलाना या शांत करना। कमजोर “की” ऊर्जा को मजबूत किया जाता है, रुकी हुई “की” ऊर्जा को फैलाया जाता है और अधिक सक्रिय “की” ऊर्जा को शांत किया जाता है।

एक्यूप्रेशर बिंदुओं पर सामान्य रूप से कुछ सेकंड से कुछ मिनट तक दबाव दिया जाता है। एक्यूप्रेशर बिंदुओं की मालिश या इन बिंदुओं को किसी चीज़ से दबाकर या दोनों तरीकों को एक साथ उपयोग करके इनपर दबाव डाला जाता है।

हालाँकि, जिन एक्यूप्रेशर बिंदुओं पर दबाव डाला जाता हैं वो सवेंदनशील हो सकते है लेकिन एक्यूप्रेशर से दर्द नहीं होना चाहिए। बीमारी की स्थिति के हिसाब से उपचार हर दिन या फिर दिन में कई बार दिया जा सकता है।

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एक्यूप्रेशर से होने वाले स्वास्थ्य लाभ के बारें में अधिक शोध नहीं हुआ है। हालाँकि, निम्न लिखित परेशानियों में एक्यूप्रेशर से लाभ मिल सकता हैं - 

  • मतली - कुछ शोधों के अनुसार कलाई के एक्यूप्रेशर से मतली और उलटी का उपचार किया जा सकता हैं। (और पढ़े - मतली रोकने के घरेलु उपाय)
  • कैंसर - एक्यूप्रेशर थेरेपी कीमोथेरेपी से कैंसर के उपचार के तुरंत बाद होने वाली मतली से बचाती है और यह तनाव, ऊर्जा स्तर को बढ़ाने, दर्द कम करने और कैंसर या इसके उपचार के लक्षण कम करने में भी मदद कर सकती है।
  • दर्द - कुछ प्राथमिक प्रमाण यह बताते है कि एक्यूप्रेशर थेरेपी कमर दर्द, आपरेशन के बाद होने वाले दर्द और सिरदर्द में मदद कर सकती है। इससे अन्य तरह के दर्द में भी लाभ हो सकता है। (और पढ़े - नसों में दर्द का इलाज)
  • गठिया - कुछ अध्ययनों के अनुसार एक्यूप्रेशर थेरेपी से हमारे शरीर में एंडोर्फिन्स रिलीज़ होते हैं और यह थेरेपी एंटी-सूजन असर को बढ़ावा देती है, जिससे कुछ प्रकार के गठिया रोगों में मदद मिलती हैं।
  • अवसाद और चिंता - कुछ अध्ययन बताते है कि एक्यूप्रेशर थेरेपी से थकान और मनोदशा में सुधार हो सकता है।
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किसी भी अन्य उपचार की ही तरह एक्यूप्रेशर थेरेपी के भी कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं, जैसे कि - 

  • गलत बिंदुओं पर दबाव डालने से परेशानी में कोई लाभ नहीं होता है और कभी-कभी इससे कोई दूसरी परेशानी भी हो सकती है।
  • बहुत अधिक या बहुत कम दबाव से कोई मदद नहीं मिलती है। वास्तव में बहुत अधिक दबाव से शरीर के उस अंग में फ्रैक्चर हो सकता है।
  • गर्भावस्था में एक्यूप्रेशर थेरेपी करवाने से मिसकैरेज हो सकता है और अगर गलत बिंदु पर दबाव डाला जाता है तो माँ और बच्चे दोनों को खतरा हो सकता है\।
  • कुछ बीमारियों को थोड़े समय के लिए ठीक किया जा सकता है किन्तु वें दुबारा हो सकती हैं।
  • अगर बीमारी बहुत पुरानी है तो एक्यूप्रेशर थेरेपी से फायदे की जगह नुकसान हो सकता है और बीमारी और भी गंभीर हो सकती है।
  • सामान्य रूप से एक्यूप्रेशर बहुत सुरक्षित उपचार है। अगर आपको कैंसर, दिल की बीमारी, जीर्ण रोग (पुरानी बीमारी) हैं, तो कोई भी थेरेपी करवाने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें। एक रजिस्टर्ड एक्यूप्रेशर थेरेपिस्ट से ही थेरेपी करवाएं।

नोट - ये लेख केवल जानकारी के लिए है। myUpchar किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है। आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।

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