गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान थकान सबसे आम समस्याओं में से एक है। यह समस्या दूसरी तिमाही में अपने आप ठीक हो जाती है। लेकिन तीसरी तिमाही में वापस महसूस हो सकती है। आपको सोने (नींद) में भी परेशानी हो सकती है क्योंकि रात में पेशाब, सीने में जलन या पैरों में ऐंठन (या गर्भावस्था के अन्य शुरुआती लक्षण) आदि समस्याएं महसूस होती हैं। इन समस्याओं को दूर करने की कोशिश करें ताकि आप ठीक से आराम कर सकें।

दुर्लभ परिस्थितियों में, कुछ स्वास्थ्य समस्याओं जैसे एनीमिया (खून की कमी), अवसाद, हाइपोथायरॉइडिज़्म या टोक्सोप्लास्मोसिस (Toxoplasmosis) के कारण भी थकान हो सकती है। यदि अचानक आपको थकान महसूस होती है और आराम करने से भी स्थिति बेहतर नहीं होती या तनाव और डिप्रेशन इसका कारण हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

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  1. गर्भावस्था में थकान होनी कब होती है - When does pregnancy fatigue start in Hindi
  2. प्रेग्नन्सी में थकान के कारण - Pregnancy fatigue causes in Hindi
  3. प्रेगनेंसी में थकान का इलाज - Pregnancy fatigue treatment in Hindi
  4. सारांश

थकान, गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों में से एक है जो लगभग सभी महिलाओं को गर्भधारण और आरोपण के बाद पहली तिमाही के दौरान अनुभव होती है। यह समस्या आम तौर पर दूसरी तिमाही की शुरुआत में बेहतर हो जाती है लेकिन तीसरी तिमाही में फिर से महसूस होती है। हालांकि थकावट प्रत्येक महिला को अलग प्रकार से अनुभव होती है।

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वास्तव में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर में तेजी से वृद्धि होने के कारण यह समस्या उत्पन्न होती है। जिस कारण मां को हर वक़्त नींद महसूस होती रहती है। विटामिन का सेवन इस स्थिति में मददगार साबित हो सकता है लेकिन डॉक्टर की सलाह के बाद ही इनका सेवन करें। 

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महिलाओं के स्वास्थ के लिए लाभकारी , एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोंस को कंट्रोल करने , यूट्रस के स्वास्थ को को ठीक रखने , शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल कर सूजन को कम करने में लाभकारी माई उपचार आयुर्वेद द्वारा निर्मित अशोकारिष्ठ का सेवन जरूर करें । 

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गर्भावस्था एक ऐसी स्थिति है जो किसी भी महिला के जीवन की सबसे आनंदमयी लेकिन कष्टप्रद स्थिति है। पहली तिमाही के दौरान, गर्भवती महिला की ऊर्जा की अत्यधिक मात्रा प्लेसेंटा के निर्माण में व्यय होती है और यही कारण है कि आपको थकावट महसूस होती है। साथ ही जब ब्लड शुगर कम (हाइपोग्लाइसीमिया) और ब्लड प्रेशर कम (लो बीपी) हो जाते हैं तब आपके शरीर की चयापचय दर (metabolism rate) में काफी वृद्धि होती है। जिस कारण गर्भावस्था में मूड स्विंग जैसी अन्य परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है। पहली तिमाही के अंत तक, प्लेसेंटा का निर्माण पूरी तरह से हो जाता है और अन्य परिवर्तन जैसे हार्मोनल और भावनात्मक परिवर्तन आदि होने लगते हैं।

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तीसरी तिमाही में, यह थकावट फिर से महसूस हो सकती है। यह आश्चर्य की बात नहीं है इसके कई कारण हैं। इस दौरान महिलाओं का वज़न पहले से अधिक हो जाता है जिसका उन्हें पहले से अनुभव नहीं होता है। हर वक़्त उस बढ़े हुए वज़न के साथ रहना भी थकान का बहुत बड़ा कारण होता है। साथ ही साथ इसकी वजह से पीठ दर्द, सीने में जलन, नींद में वृद्धि और बेचैनी आदि भी महसूस होती हैं। 

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इसके अलावा, आने वाले बच्चे के पालन पोषण की योजना करना, उसका नाम सोचना इत्यादि में भी ऊर्जा व्यय होती है और नींद आती है। अगर आप नौकरीपेशा महिला हैं तो नौकरी और अन्य बच्चे भी हैं तो उनकी ज़िम्मेदारी आदि जीवन की ज़िम्मेदारियां भी थकान का कारण बनती हैं।

यदि गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय थकान गंभीर रूप ले ले या पूरी गर्भावस्था के दौरान थकावट महसूस हो तो डॉक्टर से इस विषय में ज़रूर बात करें, खासकर यदि कमजोरी, सांस लेने में परेशानी या बेहोशी का भी अनुभव हो रहा हो तो क्योंकि ऐसा आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया के कारण भी हो सकता है। और ज्यादातर चिकित्सक 7वें महीने में इसका परीक्षण कराने की सलाह ज़रूर देते हैं। अगर आप निरुत्साहित, उदास या चिंता का अनुभव कर रही हैं या भूख में बदलाव महसूस हो रहा है तो आप जन्मपूर्व अवसाद (Prenatal depression) से ग्रस्त हो सकती हैं। डॉक्टर इसका इलाज करने में आपकी सहायता कर सकते हैं इसलिए डॉक्टर से परामर्श लें। 

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गर्भावस्था के दौरान थकान होना आपके शरीर का सिग्नल है कि इन दिनों आपको आराम की आवश्यकता है। इस समस्या को कम करने के लिए आप निम्न सुझावों का उपयोग कर सकती हैं:

  1. यदि आप पहली बार मां बनने जा रही हैं तो किसी भी प्रकार की हीनभावना लाये बिना इस समय का आनंद लें। यदि आप पहले भी मां बन चुकी हैं तो सुपर मॉम बनने का प्रयास न करें और अपना ख्याल रखें। इसलिए यदि आप थका हुआ महसूस करें तो खूब आराम करें और गृहस्थी के अन्य काम जैसे खाना बनाना या किसी भी प्रकार की शॉपिंग करना इतना ज़रूरी नहीं है। यदि आप अकेली है तो शॉपिंग ऑनलाइन भी कर सकती हैं और खाना बनाने के लिए खानेवाली को रख सकती हैं नहीं तो किसी रिश्तेदार को अपनी देखभाल के लिए बुला लीजिये। कपड़े धोने के लिए आजकल अधिकतर घरों में वाशिंग मशीन होती है यदि नहीं है तो बेकार की मेहनत न करें कुछ दिनों के लिए सबको अपने कपड़े स्वयं धोने दें। क्योंकि यह समय काम करने से ज्यादा आराम करने का होता है। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी टेस्ट कितने दिन बाद करे)
  2. गर्भधारण के कुछ ही महीनों में आपका वज़न बढ़ने लगेगा तो महसूस होने वाली सारी दिक्कतें अपने साथी को ज़रूर बतायें जिससे वो उचित देखभाल और ज़रूरत पड़ने पर आपकी मदद कर सकें। यदि आपके मित्र या परिवार में कोई आपकी मदद करना चाहे तो उन्हें मना न करें। संक्षिप्त में इस समय मदद के लिए मना करने के बजाय हां करें।
  3. यदि आपको निरंतर नींद आ रही है तो रात की नींद में एक घंटा बढ़ा लें। नींद न पूरी होने के कारण आपको और भी अधिक थकान महसूस हो सकती है।
  4. अधिक से अधिक खुश रहने की कोशिश करें। शाम को आराम करें या कहीं बाहर घूमने जाएं। ऐसा करने से मन प्रसन्न रहेगा और आप घर की चिंताओं से दूर रहेंगी। यदि आप झपकी ले सकती हैं तो ज़रूर लें। ये थकान दूर करने में बहुत सहायता करती है। यदि आपको किसी भी समय सोने में परेशानी होती है तो सोने के बजाय लेट लें और आराम करने की कोशिश करें। यदि आप नौकरीपेशा महिला हैं तो कार्यालय में झपकी तो नहीं ले सकतीं लेकिन लंचटाइम में ब्रेकरूम में पैरों को थोड़ा ऊपर (मेज़ या कुर्सी पर) रखकर आराम ज़रूर कर सकती हैं।
  5. यदि आप गर्भवती हैं और घर में और भी बच्चे हैं तो स्पष्ट कारणों से आप अधिक थकान महसूस कर सकती हैं। अगर आप पहले भी मां बन चुकी हैं तो खुद को प्राथमिकता देना आसान नहीं होता है लेकिन अच्छी तरह से अपना ध्यान रखने की कोशिश करें। उनके साथ भी आप आराम करते हुए समय व्यतीत कर सकती हैं जैसे उन्हें पढ़ाएं, पहेलियां बूझें या पज़ल्स वाला गेम खेलें, फिल्में देखें आदि। बच्चों के साथ झपकी लेना मुश्किल हो सकता है लेकिन जब भी घर में शांति हो या बच्चे सो रहे हों आप आराम ज़रूर करें।
  6. अपनी ऊर्जा को बनाए रखने के लिए आपको पर्याप्त पोषण की आवश्यकता होती है। इस दौरान गर्भावस्था डाइट का पालन करें। प्रोटीन और जटिल कार्बोहाइड्रेट जैसे स्वस्थ और लंबे समय तक ऊर्जावान बनाये रखने वाले आहार पर ध्यान केंद्रित करें। यह भी सुनिश्चित करें कि आप पर्याप्त कैलोरी का सेवन कर रही हैं या नहीं। स्वस्थ गर्भावस्था के लिए स्वस्थ और संतुलित आहार बहुत महत्वपूर्ण होता है। कैफीन या चीनी (या दोनों) आलस के समय ऊर्जा प्रदान कर सकते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप चॉकलेट या चीनी का अधिक से अधिक सेवन करना शुरू कर दें। क्योंकि ऐसा करने से आप पहले से कहीं ज्यादा थका हुआ महसूस करेंगी। इसलिए कभी कभी ही इनका सेवन करें। (और पढ़ें - कैफीन के फायदे और नुकसान)
  7. अक्सर कुछ न कुछ खाती रहें। गर्भावस्था के अन्य लक्षणों की तरह थकान में भी दिन में छह बार भोजन (तीन समय नाश्ता और तीन समय खाना) करने की आदत से आराम मिलता है। आपके रक्त में मौजूद शुगर को संयमित रखने से ऊर्जा को स्थिर बनाए रखने में मदद मिलती है। इसलिए भोजन न करने के बजाय स्वस्थ और संतुलित अर्थात थोड़ी थोड़ी मात्रा में नाश्ते और भोजन द्वारा प्रोटीन, जटिल कार्बोहाइड्रेट और अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्वों का सेवन करना फायदेमंद रहता है। (और पढ़ें - पौष्टिक आहार)
  8. इस दौरान सही मात्रा में सही व्यायाम, सोफा ब्रेक अर्थात आराम करने से अधिक कायाकल्प कर सकता है। पार्क में धीमी गति वाली जॉगिंग या टहलना, जन्मपूर्व योग क्लास जाना या थोड़ी ही दूर किसी दुकान पर कुछ सामान लेने के लिए थोड़ी तेज चल कर जाना फायदेमंद हो सकता है। ऐसा करने से आप न केवल प्रफुल्लित महसूस करेंगी बल्कि रात में बेहतर नींद भी ले पायेंगी। व्यायाम आपके और बच्चे दोनों के लिए अच्छा है। लेकिन ज़्यादा व्यायाम भी न करें क्योंकि फिर आपकी सारी ऊर्जा इसमें उपयोग हो जाएगी और आपको दिन के बाकी समय में ऊर्जा की कमी के कारण फिर थकान महसूस हो सकती है।

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महिलाओं में प्रेग्नेंसी में थकान बहुत आम है और इसके कई कारण हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं, जिससे ऊर्जा का स्तर प्रभावित हो सकता है। प्रोजेस्टेरोन हार्मोन बढ़ जाता है अजिस से ज्यादा नींद आती है और थकान महसूस हो सकती है। इसके अलावा, गर्भ में शिशु के विकास के लिए अतिरिक्त पोषण और ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिससे माँ का शरीर ज्यादा थक जाता है। प्रारंभिक गर्भावस्था में मतली और उल्टी भी थकान बढ़ा सकती है। साथ ही, नींद पूरी न होना , बार-बार पेशाब आना, और तनाव भी थकान के कारण बन सकते हैं। पर्याप्त आराम, पौष्टिक आहार, और हल्का व्यायाम थकान को कम करने में सहायक हो सकते हैं। गर्भवती महिलाओं को अपने शरीर की संकेतों को समझते हुए उचित देखभाल करनी चाहिए और जरूरत पड़ने पर चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए।

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