हाई रिस्क प्रेगनेंसी में गर्भवती महिला और अजन्मे शिशु यानी भ्रूण दोनों को ही स्वास्थ्य संबंधी जोखिम होने की आशंका रहती है. कुछ खास स्वास्थ्य समस्याएं और महिला की गर्भावस्था के समय आयु (17 साल से कम और 35 साल से अधिक) भी प्रेगनेंसी को हाई रिस्क में डाल सकती है. इस तरह की प्रेगनेंसी में सावधानी से मॉनिटर करने की जरूरत होती है, ताकि किसी भी तरह के जोखिम के होने की आशंका को कम किया जा सके.

आज इस लेख में आप हाई रिस्क प्रेगनेंसी के कारण, लक्षण व उपचार के बारे में जानेंगे -

(और पढ़ें - प्रेगनेंसी में होने वाली समस्याएं)

  1. हाई रिस्क प्रेगनेंसी क्या है?
  2. हाई रिस्क प्रेगनेंसी के लक्षण
  3. हाई रिस्क प्रेगनेंसी के कारण
  4. हाई रिस्क प्रेगनेंसी का इलाज
  5. हाई रिस्क प्रेगनेंसी से बचाव का तरीका
  6. सारांश
हाई रिस्क प्रेगनेंसी के कारण, लक्षण व उपचार के डॉक्टर

हर प्रेगनेंसी में खतरा होता है, लेकिन हाई रिस्क प्रेगनेंसी में गर्भ में पल रहे शिशु व गर्भवती महिला के लिए जोखिम बना रहता है. हाई रिस्क प्रेगनेंसी वाली महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान और बाद में अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है.

शोधों के मुताबिक, 35 वर्ष से अधिक उम्र में गर्भवती होने वाली महिलाओं को अन्य महिलाओं के मुकाबले अधिक जोखिम होते हैं. इसमें गर्भावस्था से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं जैसे - जेस्टेशनल डायबिटीज, प्रेगनेंसी के शुरुआती महीनों में गर्भपात होना इत्यादि शामिल है. वहीं, कम उम्र यानी 17 साल से कम उम्र में प्रेगनेंट होने से कई रिस्क हो सकते हैं, जैसे – एनीमिक होना, प्रीमैच्योर बर्थ, सही तरह से प्रीनेटल केयर न मिलना, सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज और इंफेक्शन का खतरा होना.

(और पढ़ें - गर्भवती न हो पाने के कारण)

Women Health Supplements
₹716  ₹799  10% छूट
खरीदें

हाई रिस्क प्रेगनेंसी के कई लक्षण हैं. अगर गर्भवती महिला में ये लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए -

(और पढ़ें - गर्भावस्था में नाभि में दर्द क्यों होता है)

हाई रिस्क प्रेगनेंसी के कई कारण हो सकते हैं, जैसे पहले से ही कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या होना, खराब लाइफस्टाइल और उम्र का कम या ज्यादा होना. आइए, हाई रिस्क प्रेगनेंसी के कारणों के बारे में विस्तार से जानते हैं -

पहले से कोई स्वास्थ्य समस्या

जिन महिलाओं को पहले से ही कोई हेल्थ संबंधी समस्या होती है, तो उन्हें हाई रिस्क प्रेगनेंसी का खतरा अधिक होता है. ये स्वास्थ्य समस्याएं इस प्रकार हैं -

(और पढ़ें - प्रेगनेंसी में कैसे सोना चाहिए)

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Prajnas Fertility Booster बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख पुरुष और महिला बांझपन की समस्या में सुझाया है, जिससे उनको अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं।
Fertility Booster
₹892  ₹999  10% छूट
खरीदें

गर्भावस्था में स्वास्थ्य समस्या

गर्भावस्था से जुड़ी समस्या भी महिला और भ्रूण को खतरे में डाल सकती है, जैसे -

  • भ्रूण में कोई जेनेटिक डिसऑर्डर या बर्थ डिफेक्ट होना
  • भ्रूण का ठीक से विकास न होना
  • जेस्टेशनल डायबिटीज
  • एक से अधिक भ्रूण के साथ प्रेगनेंसी होना, जैसे ट्विंस या ट्रिपलेट
  • प्री एक्लेमप्सिया और एक्लेम्पसिया होना
  • पहले कभी गर्भावस्था या डिलीवरी के समय किसी प्रकार की समस्या होना 

(और पढ़ें - प्रेगनेंसी के लक्षण कितने दिन में दिखते हैं?)

लाइफस्टाइल

खराब लाइफस्टा‍इल के चलते भी हाई रिस्क प्रेगनेंसी का खतरा बढ़ सकता है, जैसे -

  • धूम्रपान
  • ड्रग एडिक्‍शन
  • शराब की लत
  • कुछ खास टॉक्सिंस के संपर्क में रहना

(और पढ़ें - क्या हल्दी से प्रेगनेंसी रोकी जा सकती है?)

आयु

महिला की आयु भी प्रेगनेंसी को खतरे में डाल सकती है. 35 से अधिक उम्र और 17 वर्ष से कम उम्र को हाई रिस्क प्रेगनेंसी की कैटेगिरी में रखा गया है. इस दौरान महिला को प्री एक्लेमप्सिया या हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है.

(और पढ़ें - केमिकल प्रेगनेंसी का इलाज)

कम या ज्यादा वजन

मोटापा कई बीमारियों जैसे हाई ब्लड प्रेशर, प्री एक्लेमप्सिया और डायबिटीज का कारण बनता है जो प्रेगनेंसी को हाई रिस्क में डाल देता है. वजन के कम या ज्यादा होने से न्‍यूरल ट्यूब डिफेक्ट और सीजेरियन का रिस्क भी रहता है. एनआईसीएचडी के शोध के मुताबिक, प्रेगनेंट महिला को मोटापे की समस्या होने के कारण 15 फीसदी नवजात को जन्म के समय हार्ट प्रॉब्लम और अंडरवेट की समस्या हो सकती है.

(और पढ़ें - कोविड-19 और गर्भावस्था)

जब महिला में हाई रिस्क प्रेगनेंसी के लक्षण नजर आते हैं, तो बिना देरी किए उसके उपचार पर काम करना शुरू कर देना चाहिए, जो इस प्रकार है -

  • नियमित रूप से अपने डॉक्टर से मिलते रहें और चेकअप करवाते रहें.
  • डॉक्टर जो भी दवा दें, उसे नियमित रूप से लेते रहें.
  • डॉक्टर की सलाह पर समय-समय पर अल्ट्रासाउंड करवाना और भ्रूण की गतिविधि को नोट करते रहना जरूरी है.
  • घर में रोज रक्तचाप को चेक करते रहें और उसे नोट जरूर करें.
  • डॉक्टर की सलाह पर पौष्टिक भोजन करें और हाई बीपी होने की अवस्था में कम नमक का सेवन करें.
  • प्री एक्लेमप्सिया जैसी अवस्था होने पर डॉक्टर अधिक से अधिक आराम करने के लिए कह सकते हैं.

(और पढ़ें - प्रेगनेंसी में शरीर का तापमान कैसे करें कम)

गर्भावस्था के दौरान किसी भी महिला को हाई रिस्क प्रेगनेंसी का सामना न करना पड़े, उसके लिए नीचे बताई गई बातों का ध्यान जरूर रखें - 

  • शराब व धूम्रपान से दूरी बनाए रखें.
  • गर्भवती होने से पहले अपने डॉक्टर को अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जरूर बताएं और अगर परिवार में किसी को कोई गंभीर बीमारी रही हो, तो उस बारे में भी जरूर बताएं.
  • संतुलित वजन बनाएं रखें.
  • अगर कोई दवा ले रही हैं, तो इस बारे में भी डॉक्टर को जरूर बताएं. आपके स्वास्थ्य के अनुसार ही डॉक्टर बताएंगे कि इस दवा को लेते रहना है या रोक देना है.
  • हमेशा 18 से 34 वर्ष के बीच में ही गर्भवती होने का निर्णय लें.

(और पढ़ें - क्या पीसीओडी में प्रेग्नेंट हो सकते हैं?)

Ashokarishta
₹356  ₹400  11% छूट
खरीदें

कोई भी प्रेगनेंसी रिस्की ही होती है, लेकिन हाई रिस्क प्रेगनेंसी कुछ महिलाओं में होती है. खासतौर पर 17 साल से कम उम्र की महिलाओं या 35 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में. इसके अलावा, किसी मेडिकल समस्या से जूझ रही महिलाओं को भी हाई रिस्क प्रेगनेंसी हो सकती है. इसलिए, हाई रिस्क प्रेगनेंसी से बचने के लिए लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए. हेल्दी लाइफस्टाइल और वजन को मेंटेन करना चाहिए. डॉक्टर के दिशा-निर्दशों पर ही किसी भी दवा का सेवन करना चाहिए. साथ ही कोई भी समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

(और पढ़ें - गर्भावस्था में पैरों की सूजन)

Dr. Arpan Kundu

Dr. Arpan Kundu

प्रसूति एवं स्त्री रोग
7 वर्षों का अनुभव

Dr Sujata Sinha

Dr Sujata Sinha

प्रसूति एवं स्त्री रोग
30 वर्षों का अनुभव

Dr. Pratik Shikare

Dr. Pratik Shikare

प्रसूति एवं स्त्री रोग
5 वर्षों का अनुभव

Dr. Payal Bajaj

Dr. Payal Bajaj

प्रसूति एवं स्त्री रोग
20 वर्षों का अनुभव

ऐप पर पढ़ें