प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को कई तरह के शारीरिक बदलावों का सामना करना पड़ता है. इतना ही नहीं प्रेगनेंसी में महिलाओं में कई नए रोग भी विकसित हो सकते हैं. इसमें हृदय रोग भी शामिल है. प्रेगनेंसी में महिलाओं को कई तरह के हृदय रोगों का सामना करना पड़ सकता है. ये हृदय रोग महिलाओं और उनके शिशु में जटिलताओं को बढ़ा सकते हैं. इसलिए, प्रेगनेंसी में समय-समय पर जांच करवाते रहना चाहिए और खुद को इनसे बचाने की पूरी कोशिश करनी चाहिए.

आज इस लेख में आप प्रेगनेंसी में होने वाले हृदय रोग और उसके जोखिम के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. प्रेगनेंसी में हृदय रोग क्या है?
  2. प्रेगनेंसी में कौन-से हृदय रोग हो सकते हैं?
  3. प्रेगनेंसी में हृदय रोग के लक्षण
  4. प्रेगनेंसी में जोखिम वाले हृदय रोग
  5. सारांश
प्रेगनेंसी में होने वाले हृदय रोग व लक्षण के डॉक्टर

गर्भावस्था में हृदय रोग होना सामान्य या जोखिम भरा हो सकता है. प्रेगनेंसी के दौरान दो प्रकार की हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं -

पहले से मौजूद हृदय रोग

इनमें वे रोग शामिल होते हैं, जो महिला को प्रेगनेंसी होने से पहले हुए होते हैं. प्रेगनेंसी से पहले वाले हृदय रोग भले ही गंभीर नहीं होते, लेकिन प्रेगनेंसी में ये रोग जटिलताएं पैदा कर सकते हैं.

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गर्भावस्था के दौरान हृदय रोग

कई बार महिलाओं को हृदय से जुड़ी कोई समस्या नहीं होती, लेकिन प्रेगनेंसी के दौरान उनमें हृदय रोग विकसित हो जाते हैं. प्रेगनेंसी में विकसित होने वाले हृदय रोग खतरनाक हो सकते हैं. वैसे तो हृदय रोग वाली महिलाएं सुरक्षित रूप से गर्भवती हो सकती हैं और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं, लेकिन गर्भावस्था के दौरान होने वाले हृदय रोग कभी-कभी गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकते हैं.

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गर्भावस्था के दौरान हृदय या रक्त वाहिकाओं से संबंधित कई अलग-अलग समस्याएं पैदा हो सकती हैं. प्रेगनेंसी में उन महिलाओं को भी हृदय रोग हो सकता है, जिनका पहले से इसका कोई इतिहास नहीं रहा है. प्रेगनेंसी में विकसित होने वाले हृदय रोग इस प्रकार हैं -

अनियमित दिल की धड़कन

प्रेगनेंसी में महिलाओं को अनियमित दिल की धड़कन होने का जोखिम अधिक हो सकता है. इस स्थिति में महिलाओं को सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या भी हो सकती है. अनियमित दिल की धड़कन के प्रकार -

  • एक्टोपिक हार्टबीट - इसमें दिल की धड़कन अधिक हो सकती है, जो आमतौर पर हानिरहित होती है.
  • सुप्रा वेंट्रीकुलर टैकीकार्डिया - इस स्थिति में दिल की धड़कन तेज हो सकती है, जो दिल के एट्रिया में शुरू होती है. यह गर्भावस्था के दौरान सबसे आम अनियमित दिल की धड़कन होती है. यह 30 सेकंड से अधिक समय तक रह सकती है. यह आमतौर पर उन महिलाओं को प्रभावित करती है, जिन्हें जन्मजात हृदय रोग होता है.

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स्पॉन्टेनियस कोरोनरी आर्टरी डिसेक्शन

एससीएडी गंभीर बीमारी हो सकती है, जो अधिकतर प्रेगनेंट महिलाओं में विकसित होती है. अधिक उम्र, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर व धूम्रपान आदि का सेवन करना इसके जोखिम कारक हो सकते हैं. 

(और पढ़ें - हृदय रोग से बचने के उपाय)

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मायोकार्डियल इस्किमिया

मायोकार्डियल इस्किमिया का मतलब है दिल को पर्याप्त रक्त नहीं मिल पा रहा है. अधिकतर गर्भवती महिलाओं में यह समस्या विकसित हो सकती है. मोटापातंबाकू का सेवनहाई कोलेस्ट्रॉल लेवल आदि इसके जोखिम कारक हो सकते हैं.

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परिपार्टम कार्डियोमायोपैथी

परिपार्टम कार्डियोमायोपैथी हार्ट फेलियर का एक रूप है, जो गर्भावस्था में विकसित हो सकता है. कई बार प्रसव के बाद भी महिलाओं में यह हृदय रोग जन्म ले सकता है. यह उन लोगों को प्रभावित करता है, जिन्हें पहले से ही कोई हृदय रोग होता है. इस स्थिति में हृदय शरीर में पर्याप्त रक्त पंप करने में असमर्थ हो जाता है. अधिक उम्र में प्रेगनेंसी इसका मुख्य जोखिम कारक माना जाता है.

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प्रेगनेंसी में हृदय रोग के लक्षण लगभग वैसे ही होते हैं, जैसे एक सामान्य गर्भवती महिला में नजर आते हैं -

इनके अलावा भी कई अन्य लक्षण महसूस हो सकते हैं. ये दिल की बीमारी का संकेत हो सकते हैं, लेकिन ज्यादा गंभीर नहीं होते हैं -

  • रोजाना के कार्यों को करने में दिक्कत
  • आराम करते समय भी सांस की तकलीफ
  • आधी रात में जागना

ऊपर बताए गए लक्षण प्रेगनेंसी में सामान्य हो सकते हैं. लेकिन कुछ लक्षण गर्भावस्था के दौरान सामान्य नहीं होते हैं. इसमें शामिल हैं

अगर प्रेगनेंसी में ये लक्षण महसूस हों, तो बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.

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वैसे तो प्रेगनेंसी में शारीरिक बदलाव होना आम होता है, लेकिन प्रेगनेंसी में कुछ हृदय रोग जोखिम भरे हो सकते हैं.

अगर प्रेगनेंसी के दौरान किसी महिला को इनमें से कोई भी हृदय रोग है, तो यह उसके लिए जोखिमभरा हो सकता है. इसलिए, समय-समय पर जांच करवाते रहना जरूरी होता है. 

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हृदय रोग गर्भावस्था की जटिलताओं का एक प्रमुख कारण होता है. अगर किसी महिला को पहले से कोई हृदय रोग है या फिर प्रेगनेंसी में हृदय रोग विकसित होता है, तो इसका समय पर इलाज करवाना जरूरी होता है. कई बार यह गर्भावस्था और प्रसव में जटिलाओं को बढ़ा सकता है. प्रेगनेंसी में हृदय रोग उन लोगों में अधिक जटिलताएं पैदा कर सकता है, जिन्हें जन्मजात हृदय रोग होता है या जिनके हृदय रोग को बिना उपचार के छोड़ दिया जाता है.

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