प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को काफी सावधानी बरतने की जरूरत होती है। इस समय महिला के आसपास मौजूद सभी लोग उनको कुछ न कुछ सलाह जरूर देते हैं। इन सभी सलाह को अपनाना महिला के लिए थोड़ा मुश्किल होता है। साथ ही गर्भवती महिलाओं के मन में यह भी प्रश्न उठता है कि लोगों के द्वारा बताई जानें वाली सभी सलाह सही होगी भी या नहीं।

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महिलाओं के जीवन में गर्भावस्था एक महत्वपूर्ण समय माना जाता है। इसमें उनके शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। गर्भ में पलने वाला बच्चा स्वस्थ हो इसके चलते महिला को अपनी जीवनशैली में कई तरह के बदलाव करने होते हैं। इसके अलावा महिला को कई तरह के काम करने की सलाह दी जाती है, तो कई काम से दूरी बनाने को कहा जाता है। खुद महिला को भी इस दौरान बरती जानें वाली सावधानियों के बारे में मालूम होना चाहिए। प्रेग्नेंसी के दौरान किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए और किन बातों पर ध्यान देना चाहिए इन सभी विषयों को आगे विस्तार से बताया जा रहा है, ताकि आप इनको सही तरह से समझ कर एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकें।

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  1. प्रेगनेंसी में घबराहट के उपाय - Garbhavastha me ghabrahat se dur rahe
  2. प्रेग्नेंसी में कौन सी मछली नहीं खानी चाहिए? - Pregnancy me kon si machli nahi khani chahiye
  3. प्रेग्नेंसी में नशा करना हानिकारक है? - Garbhavastha me nasha karna hanikarak hai
  4. प्रेग्नेंसी में कई दवाएं नहीं खानी चाहिए - Pregnancy me nahi khani chahiye kai dawa
  5. गर्भावस्था में गर्म पानी से नहाना सही या गलत - Garbhavastha me garm pani se nahana sahi ya galat
  6. गर्भावस्था में खानपान संबंधी सावधानियां - Garbhavastha me khanpan sambandhi savdhaniya
  7. गर्भावस्था के दौरान यात्रा से बचें - Garbhavastha ke dauran yatra ke side effect
  8. प्रेग्नेंसी में ध्यान देने वाली कुछ महत्वपूर्ण बातें - Pregnancy me dhyan dene wali kuch mahatvapurn baatein
  9. सारांश

जो महिलाएं पहली बार प्रेग्नेंट होती है उनको अपनी प्रेग्नेंसी को लेकर हमेशा घबराहट बनी रहती है। प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ गलत न हो जाए इस बात को लेकर महिलाओं में तनाव रहता है और यही तनाव उनकी घबराहट का कारण बन जाता है। आपको बता दें कि प्रेग्नेंसी में किसी भी तरह की घबराहट का सीधा असर आपके बच्चे पर पड़ता है। इस समय महिलाओं को डर सताता है कि उनके बच्चे को किसी प्रकार की कोई विकृति न हो जाए, बार-बार मन में आने वाले डर से महिलाओं के शरीर में विशेष तरह की प्रतिक्रिया होती है और बच्चा भी उस प्रतिक्रिया को महसूस करता है। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को घबराहट, तनाव, चिंता व किसी प्रकार का डर सताने पर ध्यान और योग करना चाहिए। ध्यान व योग करने से मन को शांति मिलती है और मन में उठने वाला डर कम होता है।  

(और पढ़ें - घबराहट दूर करने के उपाय)

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वैसे तो प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को कई तरह के समुद्री आहार खाने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनसे मिलने वाला प्रोटीन बच्चे के लिए अच्छा माना जाता है। लेकिन कई तरह की मछलियां ऐसी भी होती हैं जिनमें अधिक मात्रा में मरकरी (Mercury/ पारा) व अन्य विषैले रसायन पाए जाते हैं। इनसे बच्चे के स्वास्थ पर विपरीत प्रभाव हो सकते हैं। इसलिए गर्भावस्था की पहली तिमाही में किसी भी तरह की मछली को खाने से बचना चाहिए। कुछ मछलियां जैसे कि ट्यूना (Tuna) और किंग मैक्रिल (King mackerel) आदि में मरकरी अधिक मात्र में होती है। इनके सेवन से आपके शिशु का मस्तिष्क प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा अन्य किसी भी तरह की मछली को सप्ताह में मात्र एक ही बार खाना चाहिए। मछली या समुद्री आहार को खाने से पहले आपको अपने डॉक्टर से सलाह ले लेनी चाहिए।

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प्रेग्नेंसी के समय आपको किसी भी तरह के नशे दूर रहना चाहिए। शराब और धूम्रपान दोनों ही तरह का नशा आपके बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है। शराब के कारण आपके बच्चे का विकास धीमा हो जाता है। इसके साथ ही बच्चे के चेहरे में विकृति हो सकती है और उसको जन्म के बाद लंबे समय तक चीजों को याद रखने में समस्या आने की संभावनाएं हो सकती है। इसके अलावा धूम्रपान से संक्रमण और सांस लेने में परेशानी हो सकती है।

आपके बच्चे को जन्म के बाद इस तरह की परेशानी का सामना न करना पड़ें, इसलिए आपको शराब व धूम्रपान आदि नशे से दूर रहना चाहिए। इसके साथ ही यदि कोई आपके आसपास धूम्रपान करें, तो भी आपको वहां से दूर हो जाना चाहिए, क्योंकि सिगरेट के धूएं के संपर्क में अप्रत्यक्ष रूप से आने पर भी आपके बच्चे का स्वास्थ प्रभावित हो सकता है।  

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प्रेग्नेंसी के समय महिलाओं को कई तरह की दवाओं को खाने से बचना चाहिए। प्रेग्नेंसी के समय किसी भी तरह की दवा खाने से पहले आपको अपने डॉक्टर से निम्न तरह से कुछ जरूरी सवाल जान लेने चाहिए।

  • दवा किस लिए दी जा रही हैं?
  • इसको खाने से बच्चे पर होने वाले साइड इफेक्ट और यदि इफेक्ट महसूस हो तो क्या करें?
  • दवा की कम से कम खुराक जिससे आपकी समस्या ठीक हो सके?
  • कितने समय तक दवा का सेवन करना होगा?

प्रेग्नेंसी के समय लेने वाली दवाओं का असर आपके बच्चे पर भी पड़ता हैं। इन दवाओं में कई तरह के रसायन मिलें होते हैं। इसीलिए गर्भावस्था में दवाओं के सेवन की अपेक्षा उसके विकल्प में किसी खाद्य पदार्थ को सेवन करना ज्यादा बेहतर तरीका होता है।

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गर्भावस्था में महिलाओं को गर्म पानी से नहाने से बचना चाहिए। कई महिलाएं गर्म पानी के टब में स्नान करती हैं, इन महिलाओं को भी अपनी प्रेग्नेंसी के समय गर्म पानी के टब में ज्यादा देर तक बैठने से बचना चाहिए। प्रेग्नेंसी में गर्म पानी से नहाने के लिए इसलिए मना किया जाता है, क्योंकि इससे महिलाओं के शरीर का तापमान बढ़ जाता है। जिसका असर उनके बच्चे के विकास पर पड़ता है। यदि आपको सर्दियों के मौसम में गर्म पानी से नहाना ही हो तो पानी को तेज गर्म न करें। नहाने से पहले इस बात की पुष्टि कर लें कि आपके नहाने का पानी हल्का गुनगुना हो। हल्के गर्म पानी से स्नान करने से आपके शरीर का तापमान सामान्य बना रहेगा। इसके अलावा आप अपने डॉक्टर से भी इस बारे में पूछ सकती हैं।

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प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ खाद्य पदार्थों को नहीं खाना चाहिए। विशेषज्ञ कहते हैं कि कैफीन के अधिक प्रयोग से गर्भवती महिला को घबराहट, चिड़चिड़ापन, चिंता और अनियमित हृदय दर की समस्या होने की संभावनाएं रहती हैं। इसके साथ ही कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि इस समस्या के कारण बच्चा जल्दी पैदा हो सकता है। इसके अलावा वह सामान्य बच्चों की अपेक्षा छोटा या जन्म से ही किसी विकृति का शिकार हो सकता है। इससे बचाव के लिए गर्भवती महिला को कॉफी, चाय, चॉकलेट और कोल्ड ड्रिंक आदि, जिन चीजों में कैफीन की मात्रा अधिक हो कम पीना या खाना चाहिए।

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इसके अलावा गर्भवती महिला को कच्चा मांस खाने से भी बचना चाहिए। कच्चे या कम पके हुए मांस में बैक्टीरिया होने की संभावनाएं बहुत अधिक होती है, यह बैक्टीरिया मां व उसके गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसके अलावा गर्भवती स्त्री को बाहरी खाना (जंक फूड) खाने से भी बचना चाहिए।

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इसके साथ ही प्रेग्नेंट महिला को पपीते और अनानास खाने से मना किया जाता है। इस दोनों ही फलों से गर्भपात होने की संभावनाएं होती हैं। इसके अलावा फलों और सब्जियों को कच्चा खाने से पहले उनको अच्छी तरह से धो लें और हो सके तो उनका छिलका उतार कर ही खाएं।

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प्रेग्नेंसी के शुरूआती समय में गर्भपात होने की संभावनाएं अधिक होती है। इस कारण से महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान यात्रा करने से मना किया जाता है। इस समय यात्रा करने से महिलाओं को अधिक दबाव का सामना करना पड़ता है, जिससे उनको मॉर्निंग सिकनेस (प्रेग्नेंसी से जुड़ा एक विकार) होने की संभावनाएं बढ़ जाती है।

प्रेग्नेंसी में यात्रा करना बेहद ही जरूरी हो तो दो पहिया और तीन पहिया वाहनों की अपेक्षा बस या कार में सफर करने की कोशिश करें। यदि आपको सार्वजनिक वाहन जैसे बस में यात्रा करनी भी पड़े तो इसके लिए उस समय को चुनें जब बस में भीड़ कम होती हो।

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  •  इस समय किसी प्रकार का भारी सामान नहीं उठाना चाहिए। इस काम में आप घर या ऑफिस के किसी व्यक्ति की मदद ले लें।
  • ज्यादा देर तक खड़े होने से बचें। यदि किचन में खाना बनाते समय ज्यादा देर तक खड़ा रहना भी पढ़े तो आप किसी कुर्सी पर बैठकर खाना बना लें। (और पढ़ें - गर्भावस्था में सूजन)
  • सीढ़ियों को चढ़ने और उतरने से बचें। अगर सीढ़ियों का प्रयोग करना बेहद ही जरूरी हो तो एक ही बार में सारा काम करने का प्रयास करें, ताकि आपको बार-बार ऊपर नीचे न करना पड़े। 
  • अधिक तेल और मसालदार खाना खाने से परहेज करें। इससे गर्भावस्था में पेेट में अपच और गैस होती है। (और पढ़ें - गर्भावस्था में कमर दर्द)
  • प्रेग्नेंसी में कमर पर दबाव पड़ता है। ऐसे में आपको ऊंची हील की चप्पल और सैंडल नहीं पहननी चाहिए। जितना हो सके समतल चप्पल का ही प्रयोग करें।
  • इस समय आपको तंग कपड़े नहीं पहनने चाहिए। तंग कपड़े पहनने से आप खुद को सहज महसूस नहीं कर पाती हैं।
  • बाथरूम में खड़े होकर स्नान करने की अपेक्षा आराम से बैठकर स्नान करें। खड़े होकर नहाने से आपके फिसलने और गिरने की संभावनाएं अधिक होती हैं।
  • इस समय दौड़ भाग करने से दूर रहना चाहिए। खासकर शुरुआती तीन महीनों में महिलाओं को उछल कूद से बचना चाहिए। (और पढ़ें - गर्भावस्था में पैरों व टांगों में दर्द)
  • अपने शरीर में पानी की कमी न होने दें। इससे आपके रक्त का संचार सही रहता है और समय से पूर्व बच्चा होने का खतरा नहीं होता है।
  • इस दौरान आपको पेट के बल लेटने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे बच्चे पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। (और पढ़ें - गर्भावस्था में सोने का सही तरीका)
  • अधिक गर्म चीजों का सेवन ना करें। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी में गैस का इलाज)
  • गर्भावस्था में पेट दर्द या गर्भावस्था में रक्तस्राव होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
  • अधिक एक्सरसाइज न करें। साथ ही ज्यादा वजन न उठाएं। (और पढ़ें - गर्भावस्था में व्यायाम)
  • घर की साफ-सफाई के लिए किसी कैमिकल के इस्तेमाल का प्रयोग करते समय हाथों को अच्छी तरह से कवर करें। इसके अलावा स्टूल या कूर्सी पर ना चढ़ें।
  • प्रेग्नेंसी में अधिक थकान वाला काम करने से बचें। (और पढ़ें - थकान दूर करने के घरेलू उपाय)

(और पढ़ें - गर्भ में लड़का होने के संकेत और लड़का पैदा करने के लिए क्या करें और बच्चा गोरा पैदा करने के तरीके से जुड़े मिथक)

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प्रेग्नेंसी के दौरान सावधानी बरतना माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। गर्भवती महिलाओं को संतुलित और पोषक आहार का सेवन करना चाहिए, जिसमें फलों, सब्जियों, प्रोटीन, और विटामिन्स का समावेश हो। नियमित रूप से डॉक्टर के पास जांच करवाना और चिकित्सीय निर्देशों का पालन करना जरूरी है। हल्का व्यायाम और योग गर्भावस्था के दौरान मददगार साबित हो सकते हैं, लेकिन कोई भी नया व्यायाम शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह अवश्य लें। पर्याप्त पानी पीना, तनाव को कम करना, और पर्याप्त नींद लेना भी आवश्यक है। शराब, तंबाकू, और कैफीन जैसे हानिकारक पदार्थों से दूर रहना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान किसी भी असामान्य लक्षण, जैसे अत्यधिक थकान, दर्द, या रक्तस्राव होने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए। इन सावधानियों से स्वस्थ और सुरक्षित गर्भावस्था सुनिश्चित की जा सकती है।

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