अधिकांश गर्भवती मांओं को गर्भावस्था के दौरान हल्का दर्द महसूस होना सामान्य सी बात है। आखिरकार, आपके शरीर में हर बीतते दिन के साथ कुछ बदलाव हो रहा है और साथ ही बढ़ते बच्चे को गर्भ में कैरी करना इतना आसान नहीं है। ऐसे में पीरियड्स या मासिक धर्म के दौरान पेट में जिस तरह की ऐंठन या क्रैम्प्स महसूस होता है वैसा गर्भावस्था के दौरान भी महसूस होना सामान्य सी बात है लेकिन कभी-कभी यह गंभीर चिंता का विषय हो सकता है। बहुत से महिलाओं को लगता है कि अगर प्रेगनेंसी के दौरान पेट दर्द हुआ तो यह मिसकैरेज का संकेत हो सकता है। लेकिन गर्भावस्था के दौरान पेट में पीरियड जैसा दर्द, क्रैम्प्स या ऐंठन ज्यादातर मामलों में सामान्य सी बात होती है और इसे लेकर ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं।
(और पढ़ें - गर्भावस्था में कमर दर्द)
प्रेगनेंसी के दौरान खासकर प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में होने वाले ज्यादातर क्रैम्प्स खतरनाक नहीं होते क्योंकि क्रैम्प्स या ऐंठन गर्भाशय की प्रतिक्रिया होती है उन सभी चीजों के प्रति जो उसके अंदर प्रेगनेंसी के दौरान चल रही है। गर्भाशय एक तरह का मसल (मांसपेशी) है और जब गर्भाशय संकुचित होता है तो आपको क्रैम्प्स जैसा महसूस होता है। लेकिन यहां यह जानना बेहद जरूरी है कि किस तरह का क्रैम्प्स, ऐंठन या पेट में होने वाला दर्द सामान्य है और किसे लेकर आपको चिंतित होने की जरूरत है।
(और पढ़ें - गर्भाशय संकुचन क्या है, क्यों होता है)
- प्रेगनेंसी में पीरियड जैसा दर्द होने के कारण - Pregnancy me period jaisa dard ka karan
- प्रेगनेंसी में पीरियड जैसे दर्द के अन्य कारण - Pregnancy me dard aur cramps ke baki karan
- प्रेगनेंसी में पीरियड जैसे दर्द से आराम दिलाने के उपाय - Pregnancy me dard door karne ke upay
- सारांश
प्रेगनेंसी में पीरियड जैसा दर्द होने के कारण - Pregnancy me period jaisa dard ka karan
गर्भावस्था की पहली और दूसरी तिमाही के दौरान महिला का शरीर गर्भ में पल रहे बच्चे की तैयारी के लिए दिन रात काम करने में व्यस्त होता है। इस कारण गर्भाशय की मांसपेशियों में खिंचाव और विस्तार भी होने लगता है। इस कारण आपको ऐसा भी महसूस हो सकता है मानो आपके पेट में दोनों तरफ से खिंचाव उत्पन्न हो रहा हो। गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में आपको दर्द भी महसूस हो सकता है जो पीरियड्स या मासिक धर्म के दिनों में होने वाले दर्द के समान ही होता है। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान पैल्विक एरिया में दबाव बढ़ना भी काफी आम बात है।
(और पढ़ें- गर्भावस्था में पेल्विक (श्रोणि) का दर्द)
जैसा कि हमने पहले ही बताया कि जब गर्भाशय में संकुचन होता है तो इस कारण भी क्रैम्प्स या ऐंठन महसूस हो सकती है और ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से प्रेगनेंसी के दौरान गर्भाशय में संकुचन हो सकता है जैसे-ब्लैडर में यूरिन का भरा होना, ऑर्गैज्म महसूस करना, एक्सरसाइज, यूरिन इंफेक्शन (यूटीआई) आदि। गर्भावस्था की तीनों तिमाही के दौरान किन वजहों से पेट में दर्द या ऐंठन हो सकती है इस बारे में यहां जानें:
पहली तिमाही में पेट में दर्द या ऐंठन - First trimester me pet dard ya cramps
कुछ महिलाओं के लिए, पेट में ऐंठन या क्रैम्पिंग ही वह पहला संकेत होता है कि वे गर्भवती हैं, क्योंकि जब एक निषेचित अंडा गर्भाशय की दीवार से चिपकता है तो ऐंठन का अनुभव होता है। इसे इम्प्लांटेशन क्रैम्पिंग भी कहते हैं और इस दौरान ऐसा महसूस होता है मानो आपका मासिक धर्म शुरू होने वाला है। इसके अलावा प्रेगनेंसी के दौरान हार्मोन के स्तर में होने वाले बदलाव के कारण पेट में गैस, पेट फूलना और कब्ज जैसी समस्याएं भी बढ़ जाती हैं और इस कारण भी पेट में पीरियड जैसा दर्द महसूस हो सकता है। ज्यादातर महिलाओं को प्रेगनेंसी के शुरुआती 16 हफ्तों के दौरान हल्की क्रैम्पिंग या पेट दर्द महसूस हो सकता है।
(और पढ़ें- गर्भावस्था में सावधानियां और ध्यान रखने वाली बातें)
दूसरी तिमाही में पेट दर्द या ऐंठन - Second trimester me pet dard ya cramps
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही वह समय होता है जब आपको पेट में दर्द, ऐंठन या अन्य असुविधाओं जैसे लक्षणों का अनुभव सबसे कम होता है। यहां वे महिलाएं अपवाद हो सकती हैं जिनके गर्भ में एक से ज्यादा बच्चे पल रहे हों क्योंकि उन महिलाओं का गर्भाशय तेजी से बढ़ता है और दूसरी तिमाही में ही तीसरी-तिमाही के अनुपात जितना पहुंच जाता है। (यही कारण है कि वे महिलाएं जिनके गर्भ में एक से ज्यादा बच्चे पल रहे होते हैं उन्हें प्रीटर्म लेबर यानी समय से पहले बच्चे के जन्म का खतरा अधिक होता है।)
(और पढ़ें - जुड़वां बच्चे पैदा होने का कारण)
इसके अलावा दूसरी तिमाही में पेट में दर्द या क्रैम्प्स की समस्या उन महिलाओं में भी देखने को मिलती हैं जिन्हें प्रेगनेंसी के दौरान राउंड लिगामेंट पेन की समस्या होती है। यह प्रेगनेंसी के 13वें सप्ताह के आसपास शुरू होता है (राउंड लिगामेंट पेन में गर्भाशय का समर्थन करने वाले लिगामेंट या स्नायुबंधन ऊपर की ओर खिंच जाता है क्योंकि गर्भाशय ऊपर की बढ़ने लगता है) इस तरह का सौम्य या हल्का दर्द आमतौर पर बहुत तेज और एक तरफा दर्द होता है। गर्भावस्था के दौरान कई बार हल्का यूरिन इंफेक्शन भी हो जाता है और इस कारण भी पेट में दर्द या ऐंठन की समस्या हो सकती है।
दूसरी तिमाही में पेट में दर्द या ऐंठन का एक और दुर्लभ लेकिन गंभीर कारण गर्भाशय में फाइब्रॉयड्स या रेशे की समस्या है। उत्तकों की हानिरहित अतिवृद्धि (ओवरग्रोथ) दूसरी तिमाही में टूटना शुरू होती है क्योंकि इन रेशों की वृद्धि को बनाए रखने के लिए उन्हें पर्याप्त खून नहीं मिलता है। जब वे टूटते हैं तो गंभीर दर्द होता है और आमतौर पर यह गर्भावस्था के 15वें से 18वें सप्ताह के बीच होता है।
तीसरी तिमाही में पेट दर्द या ऐंठन - Third trimester me pet dard ya cramps
पहली तिमाही की ही तरह गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में भी ऐंठन या क्रैम्प्स का अनुभव करना सामान्य सी बात है और यह ब्रैक्सटन हिक्स संकुचन के रूप में जाना जाता है। इसी तरह का संकुचन आपको लेबर पेन के दौरान भी महसूस होगा लेकिन अंतर यह है कि ब्रैक्सटन हिक्स संकुचन लेबर में परिवर्तित नहीं होते। हालांकि दूसरी या तीसरी तिमाही में क्रैम्प्स को हल्के में नहीं लेना चाहिए क्योंकि यह समय से पहले लेबर का भी संकेत हो सकता है। डॉक्टर से अपने गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) की जांच करवाएं कि कि क्या वह फैलना या खुलना शुरू हुआ है या नहीं। यदि यह क्रैम्प्स शुरुआती लेबर का संकेत नहीं है तो आप एक गिलास पानी या जूस पिएं और आराम करें जिससे गर्भावस्था की ऐंठन शांत हो जाए।
(और पढ़ें - कमजोर गर्भाशय ग्रीवा में टांके लगाना (सर्वाइकल सरक्लाज)
प्रेगनेंसी में पीरियड जैसे दर्द के अन्य कारण - Pregnancy me dard aur cramps ke baki karan
1. प्री-एक्लेम्प्सिया : प्री-एक्लेम्प्सिया गर्भावस्था के 20वें सप्ताह के बाद किसी भी समय हो सकता है। प्री-एक्लेम्प्सिया फाउंडेशन की मानें तो सभी गर्भवती महिलाओं में से 5 से 8 प्रतिशत में प्री-एक्लेम्प्सिया डायग्नोज होता है। प्री-एक्लेम्प्सिया होने पर पेट के ऊपरी-दाहिने हिस्से में तेज दर्द महसूस हो सकता है। इस कारण प्लेसेंटा के अचानक टूटने की आशंका भी बढ़ जाती है। यह एक ऐसी स्थिति जिसमें डिलिवरी से पहले ही प्लेसेंटा गर्भाशय की दीवार से टूटकर अलग हो जाता है। जिन महिलाओं को प्री-एक्लेम्प्सिया की समस्या होती है उनके डॉक्टर डिलिवरी होने तक हर अपॉइंटमेंट के दौरान उनका ब्लड प्रेशर और पेशाब की जांच करते हैं। यूरिन में पाया जाने वाला प्रोटीन भी प्री-एक्लेम्प्सिया का संकेत हो सकता है।
(और पढ़ें - प्रेगनेंसी में हाई बीपी)
2. एक्टोपिक प्रेगनेंसी : अगर आपको गर्भावस्था के दौरान पेट में दर्द या ऐंठन के साथ ही स्पॉटिंग या ब्लीडिंग भी नजर आए तो यह मिसकैरेज या एक्टोपिक प्रेगनेंसी का संकेत हो सकता है। 1 से 2 प्रतिशत महिलाओं में एक्टोपिक प्रेगनेंसी देखने को मिलती है। इसमें निषेचित अंडा गर्भाशय में जाने की बजाए फैलोपियन ट्यूब में ही रह जाता है या फिर दुर्लभ मामलों में, निषेचित अंडा अंडाशय से, गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) से यहां भी पेट से भी खुद को जोड़ लेता है। यदि आप पेट में तेज दर्द का अनुभव करें जो कुछ मिनटों से अधिक समय तक बना रहे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
3. यीस्ट या यूरिन इंफेक्शन: प्रेगनेंसी के दौरान कई बार महिलाओं को योनि में यीस्ट इंफेक्शन या यूरिन इंफेक्शन (यूटीआई) की समस्या हो जाती है और इस कारण भी पेट में दर्द या ऐंठन महसूस हो सकती है। बीएमजे की एक स्टडी के मुताबिक करीब 6 प्रतिशत मांओं को गर्भावस्था के दौरान यूटीआई हो जाता है जो किडनी में इंफेक्शन का भी कारण बन सकता है। इस कारण समय से पहले प्रसव का खतरा भी बढ़ जाता है।
प्रेगनेंसी में पीरियड जैसे दर्द से आराम दिलाने के उपाय - Pregnancy me dard door karne ke upay
गर्भावस्था के दौरान पेट में दर्द या ऐंठन से राहत पाने में निम्नलिखित टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं :
- हल्का वॉक कर लें
- हल्के गर्म या गुनगुने पानी से नहाएं। ऐसा करने से आपको आराम महसूस होगा
- अपने पार्टनर से कहें कि वे आपको पीठ के निचले हिस्से (लोअर बैक) में हल्का सा मसाज कर दें
- आप चाहें तो हल्की-फुल्की स्ट्रेचिंग भी कर सकती हैं
- खूब सारा पानी और तरल पदार्थ का सेवन करें, ताकि शरीर में पानी की कमी न हो
- जहां तक हो सके खूब सारा आराम करें
- पेट में दर्द या क्रैम्प्स महसूस होने पर गर्म पानी की बोतल या हीटिंग पैड यूज न करें, यह खतरनाक हो सकता है
- आप चाहें तो पेट पर अडजस्ट करने वाले मैटरनिटी बैंड को भी बांध सकती हैं
(और पढ़ें - गर्भावस्था में अपच या बदहजमी)
सारांश
गर्भावस्था के दौरान पीरियड जैसे दर्द का अनुभव सामान्य हो सकता है, विशेष रूप से शुरुआती महीनों में। यह दर्द अक्सर गर्भाशय के फैलने और हार्मोनल बदलावों के कारण होता है। इसे हल्का खिंचाव या ऐंठन के रूप में महसूस किया जा सकता है, जो शरीर में हो रहे परिवर्तनों का एक हिस्सा है। हालांकि, यदि दर्द तीव्र या लगातार हो, तो यह किसी जटिलता का संकेत हो सकता है, जैसे गर्भपात या अन्य समस्याएं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है। हल्के दर्द के लिए आराम करना, गर्म सेक करना, और पर्याप्त पानी पीना राहत दे सकता है।
शहर के ऑब्स्टट्रिशन एंड गयनेकोलॉजिस्ट खोजें
- बैंगलोर के ऑब्स्टट्रिशन एंड गयनेकोलॉजिस्ट
- मुंबई के ऑब्स्टट्रिशन एंड गयनेकोलॉजिस्ट
- गाज़ियाबाद के ऑब्स्टट्रिशन एंड गयनेकोलॉजिस्ट
- चेन्नई के ऑब्स्टट्रिशन एंड गयनेकोलॉजिस्ट
- पुणे के ऑब्स्टट्रिशन एंड गयनेकोलॉजिस्ट
- दिल्ली के ऑब्स्टट्रिशन एंड गयनेकोलॉजिस्ट
- हैदराबाद के ऑब्स्टट्रिशन एंड गयनेकोलॉजिस्ट
- नई दिल्ली के ऑब्स्टट्रिशन एंड गयनेकोलॉजिस्ट
- ग्वालियर के ऑब्स्टट्रिशन एंड गयनेकोलॉजिस्ट
- गुडगाँव के ऑब्स्टट्रिशन एंड गयनेकोलॉजिस्ट
प्रेगनेंसी में पीरियड जैसा दर्द क्यूँ होता है? के डॉक्टर

Dr. Ayushi Gandhi
प्रसूति एवं स्त्री रोग
4 वर्षों का अनुभव

Dr. Anjali
प्रसूति एवं स्त्री रोग
23 वर्षों का अनुभव

Dr.Anuja Ojha
प्रसूति एवं स्त्री रोग
20 वर्षों का अनुभव
