सामान्य गर्भधारण में, निषेचित अंडा (Fertilized egg) फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से गुजरने के बाद गर्भाशय के अस्तर से जुड़ता है और भ्रूण का विकास गर्भाशय के भीतर होता है। एक्टोपिक गर्भधारण तब होता है जब निषेचित अंडा गर्भाशय के अलावा कहीं और (अधिकतर फैलियोपियन ट्यूब में) जुड़ जाता है। इसी कारण से इसे कभी-कभी "ट्यूबल गर्भावस्था" भी कहा जाता है। अस्थानिक गर्भधारण आपके अंडाशय में भी हो सकता है।

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एक्टोपिक प्रेगनेंसी बहुत कम होती हैं। 100 में से 2 महिलाओं में यह पायी जाती है। लेकिन अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो ये बहुत खतरनाक हो सकती है। एक्टोपिक गर्भावस्था के दौरान जब फैलोपियन ट्यूब में खिंचाव बढ़ जाता है तो यह टूट जाती हैं, इसे रप्चर्ड एक्टोपिक प्रेगनेंसी (Ruptured ectopic pregnancy) कहते हैं। इससे आंतरिक रक्तस्राव, संक्रमण और कभी कभी मृत्यु भी हो जाती है।

इस लेख में आगे पढ़िए एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण क्या होते हैं, यह क्यों होती है और इसका इलाज क्या है। साथ ही, अस्थानिक गर्भधारण के बाद दोबारा प्रेग्नेंट होने के बारे में भी बताया गया है।

  1. एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण - Symptoms of ectopic pregnancy in Hindi
  2. एक्टोपिक प्रेगनेंसी के कारण - Causes of ectopic pregnancy in Hindi
  3. एक्टोपिक प्रेगनेंसी के जोखिम कारक - Risk factors of ectopic pregnancy in Hindi
  4. एक्टोपिक प्रेगनेंसी का परीक्षण - Diagnosis of ectopic pregnancy in Hindi
  5. एक्टोपिक प्रेगनेंसी का इलाज - Treatment of ectopic pregnancy in Hindi
  6. एक्टोपिक प्रेगनेंसी के बाद गर्भधारण - Getting pregnant after ectopic pregnancy in Hindi
  7. सारांश

एक्टोपिक गर्भावस्था में लगभग 10% महिलाओं को कोई लक्षण महसूस नहीं होते। कई मामलों में इसके लक्षण, मूत्र तंत्र तथा गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार (Gastrointestinal disorders) जैसे अपेंडिसाइटिस, सलपिन्जाइटिस (Salpingitis - फैलोपियन ट्यूब की सूजन), कॉर्पस ल्यूटियम सिस्ट का फटना, मिसकैरेज, डिम्बग्रंथि मरोड़ (Ovarian torsion) या मूत्र पथ संक्रमण आदि रोगों के लक्षणों जैसे ही अनुभव होते हैं। लेकिन इस भ्रान्ति को दूर करने के लिए डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें वो आपको उचित जांच कराने की सलाह दे सकते हैं।

हालांकि आपको गर्भावस्था के ही आम लक्षणों का अनुभव होता है।

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संभावित एक्टोपिक गर्भावस्था को पहचानने में मदद करने के लिए आप निम्न लक्षणों का उपयोग कर सकती हैं:

  1. फॉलोपियन ट्यूब फटने के कारण डायाफ्राम के नीचे एकत्रित रक्त की वजह से श्रोणि, पेट, कंधे और गर्दन में तीव्र और चुभन वाला दर्द होता है। जो आता जाता रहता है और हर बार उसकी तीव्रता भिन्न होती है।
  2. सामान्य माहवारी से अधिक या कम योनि से रक्तस्राव होना। 
  3. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण महसूस होना।
  4. कमजोरी, बेहोशी या चक्कर आना

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एक्टोपिक प्रेगनेंसी कब होती है?

अस्थानिक गर्भावस्था की चिकित्सकीय जांचों के अनुसार, यह 4 से 8 सप्ताह की समयसीमा के अंदर और आमतौर पर पिछले मासिक धर्म के बाद औसतन यह 7.2 सप्ताह तक हो जाती है।

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एक्टोपिक गर्भधारण निम्नलिखित में से किसी के भी कारण हो सकती है:

  • फैलोपियन ट्यूब में संक्रमण या सूजन की वजह से आंशिक या पूरी तरह से इसका अवरुद्ध हो जाने के कारण। 
  • पिछले संक्रमण से ऊतक में पड़े निशान या ट्यूब में सर्जरी के कारण भी अंडे की गति में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
  • पैल्विक क्षेत्र या ट्यूबों की पहले हुयी सर्जरी के कारण भी अंडा उसपर चिपक जाता है।
  • असामान्य वृद्धि और जन्म दोष के कारण ट्यूब के आकार में असामान्यता उत्पन्न हो सकती है।

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हमेशा एक्टोपिक गर्भावस्था का कारण नहीं जान सकते लेकिन अगर आपको निम्नलिखित समस्याएं हैं तो अस्थानिक गर्भावस्था होने की संभावना अधिक हो जाती है :

  1. यदि आपको यौन संचारित रोग, पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी), एंडोमेट्रियोसिस है।
  2. अगर पहले भी एक्टोपिक गर्भावस्था की शिकार हो चुकी हैं।
  3. यदि पैल्विक या पेट की सर्जरी हुई है।
  4. यदि आप गर्भधारण के समय 35 या और अधिक उम्र की हैं।
  5. अगर धूम्रपान करती हैं। (और पढ़ें - धूम्रपान छोड़ने के घरेलू उपाय)

बांझपन के बाद गर्भधारण या इंट्रायूट्राइन डिवाइस (आईयूडी) का उपयोग करने से अस्थानिक गर्भावस्था होने की संभावना अधिक हो जाती है। लेकिन यह बहुत दुर्लभ है, क्योंकि गर्भावस्था को रोकने के लिए इस प्रकार के जन्म नियंत्रक अधिक प्रभावी होते हैं।

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अस्थानिक गर्भावस्था का निदान करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। चिकित्सक एक्टोपिक गर्भावस्था का पता तब लगा सकते हैं जब आपको पेट में दर्द महसूस होता है या डॉक्टर को किसी प्रकार के थक्के का पता चलता है या जब आप बच्चे के जन्म के पूर्व पहली बार (Prenatal visit) पैल्विक परीक्षा कराते हैं।

यदि डॉक्टर को एक्टोपिक गर्भावस्था का संदेह है तो वह दर्द, असहजता, फैलोपियन ट्यूब या अंडाशय में थक्के की जांच करने के लिए पेल्विक जांच कर सकते हैं। केवल शारीरिक परीक्षण एक्टोपिक गर्भावस्था के निदान के लिए पर्याप्त नहीं है। हालांकि निदान की आम तौर पर रक्त परीक्षण और इमेजिंग द्वारा ही पुष्टि की जाती है, जैसे अल्ट्रासाउंड इत्यादि।

प्रारंभिक गर्भावस्था के दौरान, गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब, पेट की सतह की तुलना में योनि के अधिक करीब होते हैं। इस स्थिति में ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड किया जाता है जिसमें योनि में एक डिवाइस का उपयोग करके अल्ट्रासाउंड टेस्ट करते हैं।

अल्ट्रासाउंड के दौरान, सोनोग्राफर फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय की बारीकी से जांच करते हैं। यदि आपके रक्त परीक्षण से पता चलता है कि गर्भावस्था हार्मोन एचसीजी का निश्चित स्तर मौजूद है लेकिन सोनोग्राफर को गर्भाशय में भ्रूण नहीं दिख रखा है, तो संभावित रूप से यह एक्टोपिक गर्भधारण हो सकता है। हालांकि यह भी संभव है कि मिस्कैरेज हो गया हो या गर्भाशय में गर्भधारण हो लेकिन अभी प्रारंभिक अवस्था में हो।

प्रारंभिक चरण में अल्ट्रासाउंड के माध्यम से गर्भावस्था का पता लगाना थोड़ा कठिन हो सकता है। यदि निदान में कुछ शंका होती है तो डॉक्टर रक्त परीक्षण कराने की सलाह देते हैं जब तक कि चार या पांच हफ़्तों तक अल्ट्रासाउंड द्वारा एक्टोपिक गर्भावस्था की पुष्टि नहीं हो जाती।

आपातकालीन स्थिति में यदि आपको अत्यधिक रक्तस्राव हो रहा है तो अस्थानिक गर्भावस्था का निदान और उपचार सर्जरी द्वारा किया जा सकता है।

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यदि एक्टोपिक गर्भधारण का शीघ्र पता चल जाता है, तो मिथोट्रेक्सेट (Methotrexate) दवा के इंजेक्शन का उपयोग कोशिका के विकास को रोकने और मौजूदा कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किया जाता है।

इंजेक्शन लगाने के बाद, डॉक्टर ह्यूमन कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी; HCG), गर्भावस्था हार्मोन का आंकलन करने के लिए आपका रक्त परीक्षण करेंगे। यदि एचसीजी स्तर उच्च होगा तो आपको मिथोट्रेक्सेट का एक और इंजेक्शन लगाया जा सकता है।

अन्य मामलों में, एक्टोपिक गर्भावस्था का आमतौर पर लैप्रोस्कोपिक सर्जरी द्वारा इलाज किया जाता है। इस प्रक्रिया में, पेट या नाभि के पास एक छोटा सा चीरा लगाया जाता है। फिर डॉक्टर एक पतली ट्यूब का उपयोग करके जिसमें कैमरा लेंस और लाइट (लैप्रोस्कोप) लगा होता है परीक्षण करते हैं।

एक्टोपिक ऊतक को निकालने और फैलोपियन ट्यूब की मरम्मत के लिए अन्य उपकरणों को ट्यूब में या अन्य छोटे चीरों के माध्यम से अंदर डाला जा सकता है। यदि फैलोपियन ट्यूब क्षतिग्रस्त होती है, तो उसे निकालना आवश्यक होता है।

यदि एक्टोपिक गर्भावस्था के कारण भारी रक्तस्राव या फैलोपियन ट्यूब फट रही है, तो पेट में चीरे (लैप्रोटॉमी) द्वारा आपातकालीन सर्जरी की आवश्यकता होती है। कुछ मामलों में, फैलोपियन ट्यूब की मरम्मत की जा सकती है। हालांकि आमतौर पर, फटी हुई ट्यूब को हटाया जाना चाहिए।

डॉक्टर सर्जरी के बाद यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी एक्टोपिक ऊतक निकल गए हैं, आपमें एचसीजी के स्तर की जांच करेंगे। अगर एचसीजी का स्तर कम नहीं होता है, तो मिथोट्रेक्सेट का इंजेक्शन लगाना आवश्यक हो जाता है।

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जिन महिलाओं की गर्भावस्था अस्थानिक होती है भविष्य में वे स्वस्थ गर्भधारण भी कर सकती हैं। लेकिन यह उपचार के तरीकों और फैलोपियन ट्यूबों की स्थिति पर निर्भर करता है। यदि दो फैलोपियन ट्यूबों में से एक को हटा दिया जाता है या ट्यूब जख्मी होते हैं, तो गर्भधारण करने में अधिक मुश्किल हो सकती है। अगर आपकी गर्भावस्था एक्टोपिक गर्भावस्था है, तो आपको भविष्य में दोबारा इसके होने की संभावना अधिक होती है।

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भविष्य में सफल गर्भावस्था होने की संभावना भी अच्छी खासी होती है और 65% महिलाओं ने एक्टोपिक गर्भावस्था के बाद 18 महीनों में स्वस्थ गर्भधारण भी किया है। कुछ अध्ययनों से पता चला है कि यह आंकड़ा 2 वर्षों में लगभग 85% तक बढ़ा है। गर्भधारण की संभावना आपके ट्यूबों के स्वास्थ्य पर काफी निर्भर करती है।

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एक्टोपिक प्रेगनेंसी (Ectopic Pregnancy) वह स्थिति होती है जब गर्भाशय के बजाय भ्रूण गर्भाशय के बाहर, आमतौर पर फैलोपियन ट्यूब में, विकसित होने लगता है। यह एक असामान्य और गंभीर चिकित्सा स्थिति है, क्योंकि भ्रूण गर्भाशय के बाहर पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो सकता। एक्टोपिक प्रेगनेंसी में अगर सही समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप न किया जाए, तो इससे गर्भवती महिला की जान को खतरा हो सकता है, क्योंकि यह ट्यूब के फटने और आंतरिक रक्तस्राव का कारण बन सकता है। इसके लक्षणों में पेट में तेज दर्द, असामान्य रक्तस्राव और कमजोरी शामिल होते हैं। एक्टोपिक प्रेगनेंसी के उपचार में दवाओं द्वारा भ्रूण को हटाना या सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है।

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