चिंता और तनाव मस्तिष्क से जुड़ी ऐसी समस्याएं हैं जो हल न होने पर व्यक्ति को डिप्रेशन में पहुंचा सकती हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि यही डिप्रेशन बाद में पैनिक अटैक का कारण भी बन सकता है। लेकिन क्या इन मानसिक डिसऑर्डर्स का असर गर्भवती महिला के पेट में पल रहे बच्चे पर भी पड़ सकता है? डाक्टरों के मुताबिक, गर्भावस्था के दौरान मानसिक स्वास्थ्य एक बड़ा विषय है। वे बताते हैं कि बीते सालों में मानसिक विकार कई गर्भवती महिलाओं की मौत का कारण बना है। ऐसे में यह सवाल अहम हो जाता है कि कैसे मानसिक विकार के कारण एक गर्भवती महिला और उसका बच्चा प्रभावित होते हैं।
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चौंकाने वाले आंकड़े
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर में लगभग 10 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं ने गर्भावस्था के दौरान मेंटल डिसऑर्डर और मुख्य रूप से डिप्रेशन का सामना किया है। वहीं, 13 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं, जिन्होंने बच्चे के जन्म के बाद डिप्रेशन का अनुभव किया है। रिपोर्ट से पता चलता है कि विकासशील देशों में स्थिति ज्यादा खराब है। यहां 15.6 प्रतिशत महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान और 19.8 प्रतिशत महिलाओं को बच्चे के जन्म के बाद मानसिक विकार से गुजरना पड़ा। ऐसी स्थिति में एक पीड़ित मां की हालत बिगड़ जाती है और वह ठीक से कोई काम नहीं कर सकती। रिपोर्ट की मानें तो इसके परिणामस्वरूप बच्चे का पालन और पोषण ठीक प्रकार से नहीं हो पाता, यानी बच्चे का विकास प्रभावित होता है।
मां के मानसिक विकार से बच्चे पर असर
विश्लेषण के आधार पर तैयार की गई डब्ल्यूएचओ की रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कि विकासशील देशों में रहने वाली 20 प्रतिशत महिलाएं बच्चे के जन्म के बाद एक प्रकार के क्लीनिकल डिप्रेशन से गुजरती हैं। वहीं, डिप्रेशन की स्थिति में मां के साथ बच्चे को भी अधिक दर्द से गुजरना पड़ता है। यह भी हो सकता है कि डिप्रेशन में मां जरूरी पोषण न लें और इसके चलते बच्चा विकलांग पैदा हो। कुछ आंकड़ों से पता चलता है कि मां की मानसिक स्थिति में सुधार होने से बच्चे के स्वास्थ्य और विकास में भी सुधार होता है। इससे बच्चे में डायरिया (दस्त) और कुपोषण की संभावना भी कम हो जाती है।
डॉक्टरों की मानें तो अगर कोई गर्भवती महिला दवाइयों का सेवन कर रही है तो यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि उसे इनका सेवन कम से कम कराया जाए, क्योंकि इन दवाओं का असर भ्रूण पर पड़ता है। लेकिन ऐसा तुरंत न किया जाए। इससे महिला पर गलत रिएक्शन हो सकता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य और बिगड़ने की आशंका होगी।
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मानसिक रोग का बचाव कैसे होता है ?
मानसिक बीमारी को रोकने का कोई निश्चित तरीका नहीं है। हालांकि, यदि आपको मानसिक बीमारी है, तो तनाव को नियंत्रित करना और आत्मसम्मान बढ़ाने जैसे तरीके मदद कर सकते हैं। इसके लिए कुछ बातों को ध्यान में रखें, जैसे-
- स्वास्थ्य चिकित्सक के पास जाना न छोड़ें, खासकर अगर आप ठीक महसूस नहीं कर रहे हैं। आपको एक नई स्वास्थ्य समस्या हो सकती है जिसे इलाज की आवश्यकता है या आप दवा के दुष्प्रभावों का अनुभव कर सकते हैं।
- मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति का इलाज करना कठिन हो सकता है यदि आप लक्षणों के खराब होने तक प्रतीक्षा करते हैं। लंबे समय के उपचार से लक्षणों को रोकने में मदद मिल सकती है।
- पर्याप्त नींद, पौष्टिक आहार और नियमित व्यायाम महत्वपूर्ण हैं। एक नियम बनाए रखने की कोशिश करें। अगर आपको परेशानी हो रही है तो अपने डॉक्टर से बात करें
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